पिछले तीन दिनों से लगातार वर्षा हो रही है. दिन और रात दोनों समय. कल सुबह टहलने
निकले थे पर बारिश तेज हो गयी, छाता भी काम नहीं आया, सो घर लौट आये. आज सुबह कुछ
समय के लिए थमी थी, पर इस समय मूसलाधार पानी बरस रहा है. असम में सर्दियों के बाद
सीधे ही बरसात का मौसम आ जाता है, बसंत और गर्मियों को आने ही नहीं देता. वे
बीच-बीच में अपना काम करते हैं जब वर्षा कुछ समय के लिए विश्राम लेती है. शाम को
वे घर में ड्राइव वे पर कुछ देर टहलते रहे, आकाश घने बादलों से ढका था. पेड़-पौधे
फूल सभी पानी में तृप्त नजर आ रहे थे, पूरी तरह से तर ! सुबह जून ने नाश्ते में
अप्पम बनाये, फिर फोन पर उसकी रेसिपी भी बताई, उन्हें दक्षिण भारतीय व्यंजन बहुत
पसंद हैं.
आज वह टूटा हुआ दांत निकलवाया, तोड़कर निकालना पड़ा, दो
इंजेक्शन दे दिए थे डेंटिस्ट ने सो दर्द नहीं हुआ. इस समय एक अनोखी ध्वनि सिर के
ऊपरी भाग में उसे सुनाई दे रही है. दर्दनाशक दवा डाक्टर ने दे दी है, जो दर्द न
होने के बावजूद वह ले चुकी है, यह सोचकर कि उस दवा का अवश्य ही कुछ और लाभ भी होता
होगा. परमात्मा की कृपा अपार है.
आज सुबह उठे तो तेज वर्षा और आंधी से सामना हुआ. बिजली भी
चली गयी, पर बारिश फिर रुक गयी. अँधेरे में तैयार होकर वे टहलने निकले, वापस आये
तो बिजली आ गयी थी. कल शाम फ्रिज को डीफ्रॉस्टिंग के लिए बंद किया था, सारा सामान
बाहर निकाल दिया था, सहेजा. तब तक जून के एक सहकर्मी व उनकी पत्नी आ गये, उनके साथ
आधार कार्ड के लिए बैंक जाना था. बैंक मैनेजर छोटे भाई के परिचित हैं, उनकी ही मदद
से आधार कार्ड बनने में कुछ आसानी हो रही है. लौटते-लौटते लंच का समय हो गया,
जल्दी-जल्दी भोजन बनाया. दोपहर को मृणाल ज्योति गयी. वहाँ से लौटी तो एक सखी का
फोन आया, उसकी बिटिया को पिछले चार-पांच दिन से बुखार है, उसे अस्पताल ले जाना है,
एक घंटा लग गया. लौट कर आयी तो योगाभ्यास के लिए महिलाएं आ चुकी थीं. दिन कैसे बीत
गया पता ही नहीं चला.
तीन बजे हैं दोपहर के, आज मौसम अच्छा है, धूप खिली है. कल 'विश्व
महिला दिवस' है, कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं, अभी कुछ सुधार करना शेष है. महिलाओं के
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों के प्रति सजग कराने के लिए मनाया जाता है यह
दिवस, उनके प्रति सम्मान दिखाने के भी एक अवसर है यह दिन ! आज सुबह उठे तो आकाश
में बादल थे, पर चाँद भी झलक रहा था. सुबह नाश्ते करने के बाद अस्पताल गयी. वापस
आई तो दस बजे थे, बिटिया अब ठीक है. सखी को उसके परीक्षा न दे पाने की कोई फ़िक्र
नहीं है, पता नहीं यह ठीक है या नहीं, पर इतना ज्यादा लाड़-प्यार बच्चे को कमजोर ही
बनाता है. आज शाम क्लब में मीटिंग है. सेक्रेटरी आज ही बाहर से लौट रही है. नैनी
ने बताया उसका बेटा स्कूल जाने लगा है, समय कितनी तेजी से बीत रहा है. पिताजी का
फोन आया, उन्हें भी सबकी याद आती है, आज वह अकेले हैं, शाम को जून उनसे पुनः बात
करेंगे.
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (31-07-2019) को http://charchamanch.blogspot.in/"> "राह में चलते-चलते"
ReplyDeleteपर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर रचना
ReplyDeleteस्वागत व आभार
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