आज मौसम सुहावना है, हल्की सी धूप है और हल्की सी बदली ! आज एक प्रसिद्ध महिला ब्लॉगर
ने उसकी एक पुरानी कविता, 'हरसिंगार के फूल झरे' पुनः प्रकाशित की है. कल होली पर
एक कविता लिखनी आरम्भ की थी. जून आज गोहाटी जा रहे हैं. कल सुबह वह उन दोनों
महिलाओं से उनके घर जाकर अथवा फोन पर बात करेगी जिनके लिए विदाई कविताएँ लिखनी
हैं. टीवी पर दीपक भाई 'नई दृष्टि - नई राह' में आ चुके हैं. कहते हैं, वे सभी
शुद्धात्मायें हैं, यदि किसी में दोष देखा तो प्रतिक्रमण करना है. किसी को दुःख न
हो इसका ध्यान रखना है. आत्मा में रहने पर कर्म नहीं बंधता और जन्म-मरण का चक्र
छूटता है. प्रारब्ध कर्म प्रकट होता है, फिर फल देता है और खत्म हो जाता है. जगत
किसी को नहीं बांधता, मन के राग-द्वेष ही जगत से उन्हें बांधते हैं. जगत निर्दोष
है, वे व्यर्थ ही उसके प्रति अपने भाव बिगाड़ लेते हैं. उनके भाव शुद्ध हों तो मन
हल्का रहता है. आत्मा के प्रकाश में जगत जैसा है वैसा ही दिखता है, उन्हें आत्मा
में स्थित रहना है. यदि किसी के प्रति राग-द्वेष आदि है तो हिसाब चुकता नहीं हुआ
और पुनः उनका सामना होगा. इसीलिए इसी जन्म में सभी आसक्तियों को त्याग कर मुक्तभाव
से जीना है.
पौने दस बजे हैं रात्रि के, जून कल
आ रहे हैं. आज गोहाटी में उनका कार्यक्रम अच्छा रहा, तस्वीरें बहुत अच्छी आई हैं.
कम्पनी ने 'स्टार्ट अप इंडिया' के लिए काफ़ी बजट रखा है. आज 'जीत चैनल' पर स्वामी
रामदेव पर आधारित कार्यक्रम देखा. वह बालक जिसे इतने अत्याचार सहने पड़े, पर जो
असीम शक्ति का मालिक है, उसे सत्यार्थ प्रकाश पढने को मिली आज. वर्षों पहले उसने
भी पढ़ी थी एक बार, पूरी नहीं पढ़ पायी, बहुत कठिन लगी थी. शायद वह एमएससी कर चकी
थी, एक विद्यार्थी ने दी थी या फिर पुस्तकालय से ली थी, याद नहीं है. उस
विद्यार्थी ने कहा था कि जैसे कोई जन उपन्यास पढ़कर आनंद का अनुभव करता है वैसी ही
ख़ुशी उसे यह पुस्तक पढ़कर होती है. कमरे में न जाने कहाँ से एक छोटा सा पतंगा आ गया
है, शायद कोई संदेश लाया हो परमात्मा का..नासिकाग्र पर मनमोहक गंध आ रही है, कभी
मीठी कभी किसी पकवान की गंध..पता नहीं कहाँ से आती है ये गंधे, और कैसे ? अस्तित्त्व
के लिए मन अपार प्रेम का अनुभव करता है, उसकी उपस्थिति अब एक क्षण के लिए भी नहीं
हटती. उस अदृश्य से मुलाकात करनी हो तो ध्यान ही माध्यम है. आज शाम को पिताजी से
बात की. छोटी बहन का वीडियो कॉल भी आया, वह बाल बांधकर बहुत प्यारी लग रही थी, काले
रंग की सुंदर वेस्टर्न ड्रेस पहनी थी. उसे पार्टी में जाना था दुबई, वह समय के साथ-साथ
और युवा दिखने लगी है, मोह-माया से छूटकर मुक्त आत्मा... शाम की योग कक्षा में एक
सदस्या ने बताया, उनका तबादला हो गया है, दिल्ली जाना होगा, उसने एक मैथिली गीत
सुनाया, जिसे नूना ने रिकार्ड कर लिया, उसकी स्मृति उन सबके साथ रहेगी. उसने
बताया, छोटा पुत्र आ रहा है, उसे कम उम्र में कई रोग लग गये हैं. उससे कहा, एक दिन
उसे लेकर आये, प्राणायाम या योग का महत्व बताकर शायद उसे प्रेरित कर सके. उन्होंने
एक भजन पर नृत्य किया, एक अन्य सदस्या ने रिकार्ड कर लिया. डिनर में 'पत्ता गोभी
और पालक' बनाया, दीदी ने यह रेसिपी बतायी थी. आज ब्लॉग पर कोई पोस्ट नहीं डाली. आलमारी
ठीक की, ड्रेसिंग टेबल की दराजें भी सहेजीं. 'मातृत्व' पर स्वामी अनुभवानंद जी के
सुंदर व्याख्यान सुने, संत के भीतर माँ का हृदय होता है. कितना सुंदर गीत भी सुना
अभी वात्सल्य पर आधारित जो व्हाट्स एप पर आया है. सुबह गुरूजी का सुंदर प्रवचन
सुना, शुद्ध चेतना में अपार क्षमताएं हैं, वह देह को स्वस्थ कर सकती है यदि कोई
उससे जुड़ा रहे. नन्हा और सोनू उनके नये घर के लिए इंटीरियर डेकोरेटर ढूँढ़ रहे हैं.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-07-2019) को "गर्म चाय का प्याला आया" (चर्चा अंक- 3412) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार !
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