Sunday, July 28, 2019

होली की गुजिया



कल दिन भर में केवल एक कविता की आठ पंक्तियाँ लिखीं, अब आगे की पंक्तियाँ कब बनेंगी, बनेंगी भी या नहीं, कौन जानता है. आज शनिवार है, साप्ताहिक सफाई का दिन और कल सुबह वे घूमने जाने वाले हैं, सो कल की जगह आज ही इतवार का विशेष स्नान भी. सुबह टहलने गये तो कोहरा भी था, जैकेट में भी ठंड महसूस हो रही थी. नन्हे से बात की, सोनू का गला ठीक नहीं है. नये घर के लिए उसने कुछ लोगों से बात की, कुछ घरों में किचन का काम भी देखा, काफ़ी जानकारी है उसे और समय भी दे रहा है, उनका घर बहुत सुंदर बनने वाला है. कल जून दोपहर को घर आ गये, मौसम दिन भर ठंडा ही रहा, एक योग साधिका के लिए कविता लिखी, जो वह बहुत दिनों से फरमाइश कर रही थी. एक सदस्या ने कहा, उन्होंने भी उसके लिए एक कविता लिखी है, जो अभी पूरी नहीं हुई है. आज दोपहर जून की एक सहकर्मी की बिटिया के पहले जन्मदिन की पार्टी में उन्हें जाना है.

आज दिन भर बदली बनी रही. मौसम कल और ठंडा होने वाला है, होली पर भी वर्षा का अनुमान है. आज सुबह एक आश्चर्यचकित कर देने वाली घटना हुई. स्कूल से लौटी तो नैनी ने स्वर्ण का कान का बुंदा दिया, जो रसोईघर में गिरा हुआ उसे मिला था, पर पीछे की ठीपी नहीं मिली, उसका हाथ कान पर गया, ठीपी वहीं थी. खराब रास्तों पर कार से दो बार की यात्रा में, बच्चों को व्यायाम और आसन कराने में किसी भी समय वह गिर सकती थी पर जाने किस शक्ति से वह गुरुत्वाकर्षण के सारे नियमों को तोडती हुई अपने स्थान पर बनी रही, जैसे किसी ने अदृश्य हाथ लगाकर थामे रखा हो. एक और बात हुई भोजन करते समय दायीं तरफ का ऊपरवाला एक दांत टूट गया, बाद में देखा तो वह दांत पर लगी कैप थी, जो कई वर्ष पहले लगवायी थी. कल डेंटिस्ट के पास जाना है. कल ही दोपहर को गुजिया भी बनानी है और शाम को एक सखी की विदाई पार्टी में जाना है. कल दो योग कक्षाएं भी लेनी हैं. ईश्वर ही इन सब कार्यों को करने की शक्ति प्रदान करेंगे. आज स्कूल में जो भी बच्चों को कराया और बताया, जैसे कोई और ही भीतर से प्रेषित कर रहा था. स्कूल जाते समय ष अध्यापिका ने अपने चाचा के देहांत का समाचार बताया, जिन्होंने नब्बे वर्ष के अपने बड़े भाई को अपना उत्तराधिकारी बना दिया है. उन्हें कुछ समय पूर्व ही अस्पताल से लाये थे, वह ठीक हो रहे थे. श्रीदेवी की मृत्यु के कारणों पर भी अटकलें बढ़ती जा रही हैं, उसकी मृत्यु पानी में डूबने से हुई. जीवन छोटा हो या बड़ा, अर्थपूर्ण होना चाहिए, उसने अपने जीवन में जो हासिल किया, कम ही लोग कर पाते हैं. समय और लहर किसी का इंतजार नहीं करते, यह वाक्य इस डायरी के पन्ने पर नीचे लिखा है, कितना सटीक है यह वाक्य. समय गुजरता ही जाता है अपनी गति से. कुछ देर पहले सोनू से बात की, उसका बुखार अभी उतरा नहीं है.

सुबह टहलने गये तो कोहरा घना था, धुंधला-धुंधला सा सब कुछ.. जैसे किसी स्वप्नलोक का दृश्य हो. वापस आकर साधना की. कल जो दांत निकल गया था, उसके कारण दायीं तरफ से कुछ भी खाने में दिक्कत हो रही है. आज पूरा दिन व्यस्तता में बीतने वाला है.
दो दिनों का अन्तराल ! आज सुबह से ही वर्षा हो रही है. अच्छा ही हुआ कि होली का उत्सव उन्होंने कल ही मना लिया. सुबह जून दफ्तर जा रहे थे कि मंझले भाई का फोन आया, उसने जून के एक पुराने सहकर्मी से बिटिया के पीजी में रहने की बात की है. दूधवाला, सफाई कर्मचारी, धोबी, नैनी, माली-मालिन, ड्राइवर सभी को गुजियाँ दे दी हैं, शाम को योग साधिकाओं को भी खिलानी हैं. कल शाम को एक परिवार को बुलाया था, होली का विशेष भोज अच्छा रहा. सभी के साथ संबंध अब सहज और प्रेमपूर्ण हो गये हैं, अब कोई पुराना संस्कार नहीं रहा, परमात्मा की कृपा से मन खाली है और कल दोपहर जून भी अपनी नाराजगी ज्यादा देर तक नहीं रख सके. उसकी सकारात्मकता ने  अवश्य उन्हें छुआ होगा. उनके भीतर माँ का दिल है. उसे भूख लगी है यह सुनते ही कितनी सारी वस्तुएं ले आये. सुबह उन्होंने मिलकर दही-बड़े बनाये, बहुत ही अच्छे बने हैं. उन्हें भी शाम के विशेष भोज में परोसेंगे. कल दोपहर बाद मृणाल ज्योति में मीटिंग है. वहाँ ले जाने के लिए भी मिठाई का डिब्बा पड़ा है, जो सोनू के पिताजी लाये थे. देने की इच्छा हो तो सब सामान उपस्थित हो जाता है.



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