Monday, July 15, 2019

साईं भजन



जून शाम को आये तो उन्होंने टीवी पर एक फिल्म का कुछ अंश देखा, फिर आमिर खान की 'सीक्रेट सुपर स्टार' का भी. सोने गयी तो नींद का दूर-दूर तक पता नहीं था, पता नहीं चला बाद में कब नींद आई, सुबह फिर कोई देवदूत जगाने आया. आज इतवार है सो जून ने नया नाश्ता बनाया, 'पनिअप्पम तथा फिल्टर कॉफ़ी'. बाद में सभी से फोन पर बात की, हर इतवार को वे एक-डेढ़ घंटा इसी में बिताते हैं, हफ्ते भर के समाचार मिल जाते हैं. बगीचे में ढेर सारे फूल खिले हैं, फूलों का ही मौसम है यह फाल्गुन का महीना. दो दिन बाद शिवरात्रि है. उस दिन बीहुताली में ब्रह्माकुमारी का कोई कार्यक्रम भी होने वाला है. वह इस बार रात्रि जागरण करेगी, वैसे भी देर तक नींद कहाँ आती है. भीतर सुमिरन चलता रहता है चाहे आँख खुली रहे या बंद. कभी रूप बनकर, कभी गंध बनकर आस-पास ही कोई डोलता रहता है. अब वह जगाता भी है, पढ़ाता भी है. जून ने एक नयी डायरी दी है, उसमें विशेष अध्यात्मिक अनुभव लिख रही है आजकल. सुना है, कबीर पहले भगवान को पुकारते थे और फिर एक दिन भगवान उनके पीछे कबीर-कबीर कहकर पीछा करने लगे. कैसा अनोखा है प्रेम का यह आदान-प्रदान ! दोपहर को नन्हे और सोनू से बात हुई, वे दोनों भी प्रेम के एक बंधन में बंधे हैं, जहाँ अभिमान की गंध भी नहीं. प्रेम और अभिमान का साथ हो ही नहीं सकता, प्रेम तो समर्पण का ही दूसरा नाम है. जून बाहर टहलते हुए फोन पर अपने मित्र से बात कर रहे हैं. दोपहर को तीन छोटी लडकियाँ आयीं जिन्हें गणित पढ़ाया, फिर कुछ देर बैडमिंटन खेला. अब समय है 'अष्टावक्र गीता' पर गुरूजी की व्याख्या सुनकर ध्यान करने का. ध्यान मन के पार होकर ही किया जा सकता है, बल्कि मन के कारण ही ध्यान उपलब्ध नहीं होता. अमन अवस्था ही ध्यान है. ध्यान कार्य-कारण में नहीं आता. कार्य-कारण के कारण ईश्वर को नहीं पाया जा सकता है. कार्य-कारण का सिद्धांत जहाँ लागू होता है वहाँ नियति है, पर परमात्मा भाग्य से नहीं मिलता, अर्थात उनके कुछ करने से नहीं मिलता. परमात्मा कृपा से मिलता है. बल्कि परमात्मा सदा ही है, सब जगह है, उसे देखने की दृष्टि हमें जगानी है. परमात्मा सब सीमाओं के पार है. ध्यान उन्हें वह अवसर देता है कि वह दृष्टि अपने भीतर जागृत कर लें.  

कुछ देर पहले कम्पनी के आई टी विभाग से एक मकैनिक आया माउस बदलने, उसके पिता का कुछ समय पहले देहांत हो गया था, कहने लगा, माँ को योग सिखने के लिए लायेगा किसी दिन. कल सुबह स्कूल में बच्चों को योग के बाद ध्यान कराया, एक अध्यापिका ने धन्यवाद कहा, वह आजकल पहले की तरह क्रोध नहीं करती हैं. कल शाम क्लब में 'पैडमैन' थी, अच्छी फिल्म है, सामाजिक विषय को लेकर बनायी गयी. उसके बाद महिला क्लब की एक सदस्या का विदाई समारोह था. आज आसू ने 'बंद' का आवाहन किया है, कम्पनी के वाहन नहीं चल रहे हैं, जून अपनी गाड़ी लेकर दफ्तर गये हैं. ऐसे में थोडा सा डर तो बना ही रहता है, फ़ील्ड जाने वाली गाड़ियों को पत्थर मारने की घटनाएँ भी कभी-कभी हो जाती हैं. एक सखी ने अपने घर पर 'साईं भजन' रखा है, साईं बाबा को मानने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. उसने देखा है सभी भजनों में थोडा सा परिवर्तन करके साईं के नाम से गाते हैं. उसने मना कर दिया, क्योंकि वही समय शाम की योग कक्षा का होता है.


No comments:

Post a Comment