आज आकाश में बादल हैं, शायद शाम तक वर्षा हो, हवा में एक अजीब तरह की गंध है,
यहाँ के अस्सी प्रतिशत लोग खेती से जुड़े कार्यों में रत हैं. साधन न होने के कारण खेती
के लिए उपलब्ध जमीन के मात्र छह प्रतिशत पर ही खेती की जा रही है. कल रात को किसी
पशु के रोने की आवाज आ रही थी, जिसे सुनकर बचपन में मेहतरों के मोहल्ले से आती करूण
पुकार स्मरण हो आयी. काश इन्हें भी शाकाहारी
भोजन व्यवस्था के बारे में जानकारी देने वाला कोई संत मिले. चर्च में इनकी आस्था
है पर वहाँ न नशे के खिलाफ कुछ कहा जाता है न मांसाहार के ही. डेढ़ वर्ष पहले तक यह
शुष्क राज्य था, पर अब सरकारी दुकानें हैं तथा हर व्यक्ति को कार्ड के आधार पर नियत
मात्रा में मादक पेय दिया जाता है.
गेस्टहाउस के कर्मचारियों ने जो वहाँ पिछले कुछ वर्षों से
रह रहे हैं कुछ रोचक बातें बतायीं. मिजोरम में संयुक्त परिवार होते हैं. परिवार के
बड़े पुत्र को जायदाद नहीं मिलती, बल्कि सबसे छोटे पुत्र को परिवार का उत्तराधिकारी
बनाया जाता है. विवाह और तलाक के मामलों में भी चर्च का कानून ही चलता है. माता-पिता
के न रहने पर अथवा असमर्थ होने पर बच्चों की देखभाल का जिम्मा भी चर्च का होता है.
क्रिसमस के अलावा छरपार कुट मनाया जाता है, उत्सव के लिए मिजो शब्द कुट है. यहाँ
कोई पिक्चर हॉल नहीं है. हिंदी फ़िल्में यहाँ नहीं दिखाई जातीं. टीवी पर आने वाले
धारावाहिक वे मिजो भाषा में डब करके देखते हैं. यहाँ की साक्षरता दर केरल के बाद दूसरे
नम्बर पर है. मिजो भाषा की कोई लिपि नहीं है, रोमन भाषा को ही इन्होंने अपनाया है.
यहाँ की यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है. यह छात्रों का एक
संगठन YMA बहुत शक्तिशाली है. यह समाज हित के कार्य भी करता है तथा दुर्घटना आदि
होने पर आपसी सुलह भी कराता है. यहाँ किसी के घर में प्रवेश करने पर सबसे पहले रसोईघर
में प्रवेश होता है, यहीं मेहमानों को बैठाया जाता है. पीने का पानी यहाँ खरीदना
पड़ता है. अन्य कामों के लिए ये लोग वर्षा ऋतु में पानी का संग्रह कर लेते हैं, हर
घर के नीचे पानी का टैंक होता है. इसी तरह सोलर पावर का भी लगभग सभी लोग इस्तेमाल
करते हैं.
सुबह ग्यारह बजे ही उन्होंने वापसी की यात्रा आरम्भ की, एक
दिन कोलकाता में रुकना पड़ा क्योंकि डिब्रूगढ़ में अभी तक रात के समय फ्लाईट उतरने
की सुविधा नहीं है. अगले दिन सुबह की उड़ान से वे मिजोरम की मधुर स्मृतियों को मन
में संजोये हुए वापस घर आ गये.
बहुत बहुत आभार !
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