मिजोरम की उनकी यह पहली यात्रा है. इस प्रदेश के बारे में वे
कितना कम जानते हैं, १९७२ में केंद्र शासित प्रदेश बनने से पूर्व यह असम का एक
जिला था, फरवरी १९८७ में लंबे हिंसक संघर्ष के बाद भारत सरकार व मिज़ो नेशनल फ्रंट
के मध्य समझौता होने पर यह भारत का तेइसवां राज्य घोषित किया गया. इसके पूर्व और
दक्षिण में म्यांमार है तथा पश्चिम में बांग्लादेश. मिजोरम से उत्तर-पूर्व भारत के
तीन राज्यों असम, मणिपुर तथा त्रिपुरा की सीमाएं भी मिलती हैं. प्राकृतिक सौन्दर्य
से भरपूर यह प्रदेश विभिन्न प्रजातियों के प्राणियों तथा वनस्पतियों से सम्पन्न
हैं. इसी अनजाने प्रदेश के आठ जिलों में से एक लुंगलेई जिले में पेट्रोलियम पदार्थों
की उपलब्धता का सर्वे करने के लिए भारत सरकार की और से विभिन्न सरकारी तेल
कम्पनियों के अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. इसी कारण उसे भी जून के साथ यहाँ
आने का अवसर मिल गया है. मिजोरम का अर्थ है पहाड़ी प्रदेश के लोगों की भूमि ! यह
प्रदेश जैसे भारत की मुख्य भूमि से बिलकुल अलग-थलग है. माना जाता है कि यहाँ के
निवासी दक्षिण-पूर्व एशिया से सोलहवीं और अठाहरवीं शताब्दी में आये थे, बर्मा की
संस्कृति का इन पर काफी प्रभाव है, देखने में भी यह उन जैसे लगते हैं. उन्नीसवीं
शताब्दी में यहाँ ब्रिटिश मिशनरियों का प्रभाव फ़ैल गया. लगभग पचासी प्रतिशत लोग
ईसाई धर्म के अनुयायी हैं भारतीय संसद में प्रतिनिधित्व के लिए लोकसभा में यहाँ से
केवल एक सीट है. विधान सभा में चालीस सदस्य हैं.
सुबह पांच बजे से भी पहले मुर्गे की बांग सुनकर वे उठे गये.
सूर्योदय होने को था, कुछ तस्वीरें उतारीं. पल-पल आकाश के बदलते हुए रंग यहाँ के
हर सूर्योदय को एक आश्चर्यजनक घटना में बदल देते हैं. रंगों की अनोखी छटा दिखाई
देती है. गेस्ट हॉउस के रसोइये ने आलू परांठों का स्वादिष्ट नाश्ता परोसा. सवा आठ
बजे वे आइजोल से, जो मिजोरम की राजधानी है, लुंगलेई के लिए रवाना हुए. लगभग पांच
घंटों तक सुंदर पहाड़ी घुमावदार रास्तों पर चलते हुए दोपहर सवा एक बजे गन्तव्य पर
पहुंच गये. सड़क अपेक्षाकृत बहुत अच्छी थी, पता चला यह सड़क विश्व बैंक के सहयोग से
बनी है, मार्ग में एक दो स्थानों पर भूमि रिसाव के कारण सड़क खराब हो गयी है, जिसके
दूसरी तरफ मीलों गहरी खाई होने के कारण बड़ी सावधानी से चालक वाहन चलाते हैं. मार्ग
में एक जगह चाय के लिए विश्राम गृह में रुके, मिजोरम के हर जिले में एक से अधिक
सरकारी यात्रा निवास हैं. लुंगलेई का यह टूरिस्ट लॉज भी काफी बड़ा व साफ-सुथरा है.
बालकनी से पर्वतों की मनहर मालाएं दिखती हैं. सामने ही मिजोरम के बैप्टिस्ट चर्च
की सुंदर भूरे रंग की विशाल इमारत है. बाहर निकलते ही एक बड़ा अहाता है, जिसमें एक
वाच टावर बना है. जिसपर चढ़कर उन्होंने सूर्यास्त का दर्शन किया, तथा रंगीन बादलों
और आसमान की कुछ अद्भुत तस्वीरें उतारीं. रात्रि में यहाँ का आकाश चमकीले तारों से
भर जाता है और धरती भी चमकदार रोशनियों से सज जाती है. हजारों की संख्या में
पास-पास घर बने हैं, जो पहाड़ियों को पूरा ढक लेते हैं और शाम होते ही चमकने लगते
हैं. यहाँ की हवा में एक ताजगी है.
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