कल क्लब में हसबैंड नाईट है, जून जाने वाले हैं नहीं. उसे तो जाना
चाहिए, उनके क्लब का सबसे बड़ा कार्यक्रम है और नहीं तो सजावट ही देखने लायक होगी,
सांस्कृतिक कार्यक्रम भी अवश्य ही बहुत अच्छा होगा, वह अकेले ही जाएगी. अभी कुछ
देर पूर्व असम में जनमत कराया जाये या नहीं इस बात पर जून और उसके मध्य चर्चा चली,
अपने विचारों के प्रति मोह ही इसका कारण है. भीतर अहंकार है जरा सा भी विरोध उसे
सहन नहीं होता. क्षण भर के लिए सिर में भार सा महसूस हुआ पर सजग होते ही चला गया
स्वप्न में देखे अशोभन दृश्य के समान. गुरूजी कहते हैं वात, पित्त तथा कफ के कुपित
होने पर भी चित्त विकार ग्रस्त हो सकता है, लेकिन ये दोष भी तो उनकी बेहोशी से ही
जन्मते हैं. उनके भीतर जन्मों-जन्मों की तथा इस जन्म की कामनाएं तो भरी ही हुई
हैं, जरा सी असावधानी से वे सतह पर आ जाती हैं. अध्यात्म के पथ पर चलने वाले साधल को
निरंतर होश चाहिए !
जून की अंगुली में परसों चोट लग गयी थी जब वह मिक्सर साफ कर रहे थे. उन्हें
दर्द हो रहा है इस कारण या शायद अन्य किसी बात पर वह आज दोपहर उसे बिना उठाये आफिस
चले गये. आज सुबह क्रिया के बाद कितना अनोखा अनुभव हुआ. काफी देर तक वह भावसमाधि
में थी. परमात्मा उनके कितने करीब है, उसमें और उनमें कोई दूरी नहीं है, वह वे हैं
और वे वह है. वे हट जाएँ तो वही रह जाता है और भीतर एक संगीत गूँजता रहता है ! इस
समय भी गूँज रहा है. आज उसने अपने आप pdf फाइल बनाकर दीदी को कविता भेजी. कल
उन्होंने बरामदे में क्रिसमस ट्री सजाया है, आज जून उसकी तस्वीर उतारेंगे. कल
पिताजी से बात की, चाचाजी की दसवीं थी, तेहरवीं भी करनी है. वह लिख रही थी की
वर्षा होने लगी और झट हाथों ने कविता की डायरी उठा ली, कविता परी उतर आयी हो जैसे
उसके अंतर की बगिया में ! शब्द झर रहे थे जैसे बूंदें बरस रही हों बारिश में !
आज शाम वे अपने क्रिश्चियन पड़ोसी के यहाँ जायेंगे, एक उपहार, क्रिसमस कार्ड व
एक कविता लेकर. उसकी क्रिसमस पर लिखी कविता छोटी भतीजी के स्कूल के बोर्ड पर लग
गयी है. आज वह यहाँ के क्रिश्चियन स्कूल के फादर को भी उसका एक प्रिंट देने वाली है.
दीदी व कुछ अन्य लोगों को भी भेजी है, कुछ शब्द जो लय में व्यवस्थित हो गये हों,
कितना असर कर जाते हैं. उसे नये वर्ष पर भी एकदम नयी सी कविता लिखनी है, कुछ ऐसी
जो पढने वाले के भीतर जोश भर दे. उनके भीतर अपार क्षमता है, वे शक्ति के पुंज हैं
! यूँ ही वे अपने को कोसे चले जाते हैं.
कितना सुंदर है यह जहान, कितना अद्भुत है यह वितान !
भरनी है अनंत गगन में ऊंची एक उड़ान, थक के न बैठो ओ प्यारे विहान !
उसे लगता है वे अपनी ऊर्जा के एक अंश का भी यदि उपयोग करें तो...
बदल के रख दें अपनी किस्मत, नजर उठाके जिधर देख लें, बदले जमाना अपनी फितरत
!
प्यार के बीज बिखरा दें गर फूल दोस्ती के खिल जाएँ,
दिल से जरा सा मुस्का दें, कितनी राहें मिल जाएँ !
अपने इन दो हाथों में कितनी बड़ी जागीर छुपी है,
मानव के इस नन्हे दिल में जन्नत की ताबीर छुपी है !
करे इरादा एक बार वह सब हासिल कर सकता है,
पल भर में रोती आँखों में मुस्कानें भर सकता है !
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