आज से नवरात्रि का उत्सव आरम्भ
हुआ है, वह एक संदेश लिखना चाह रही है जो दुर्गा पूजा के साथ-साथ नवरात्रि तथा
विजयादशमी का भी संदेश देता हो. शक्तिस्वरूपा देवी से वे शक्ति की प्रेरणा पायें,
शरदकाल के आश्विन शुक्ल पक्ष में प्रकृति के अनुसार सादा भोजन कर शरीर व मन को
पुष्ट करें. विजयादशमी पर अपनी विजय के लिए निश्चिन्त हो जाएँ, दुर्गापूजा का
उत्सव कितना उत्साह व उमंग अपने साथ लाता है. ये सारी बातें छोटे से संदेश में समा
जाएँ ऐसा उसका प्रयास रहेगा.
आज ईद है. मुस्लिम लोगों का उत्सव जो रमजान के पूरे एक महीने बाद आता है. आज
ही नवरात्रि का तीसरा दिन भी है. कल शाम एक परिचिता के ससुर का डिब्रूगढ़ में
देहांत हो गया. जून ने सुना और फिर भी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार क्लब
गये फिल्म देखने, या तो उनको दिल की कोई खबर ही नहीं है या वे इससे बहुत ऊपर उठ
गये हैं अर्थात मृत्यु उनके लिए सामान्य घटना है. वह पूरी फिल्म नहीं देख पाई.
हिंसा और अभद्रता के सिवा उसमें कुछ भी नहीं था. यही आजकल समाज में हो रहा है
सम्भवतः. सुबह वे उस परिचिता के यहाँ गये तो पहले ही मृत शरीर को ले जाया जा चुका
था. उसकी सास बहुत रो रही थीं, और इक्यानवे वर्षीय अपने लम्बे समय से अस्वस्थ पति
की मृत्यु का शोक ही नहीं मना रही थीं, बल्कि इलाज ठीक से न होने की शिकायत कर रही
थीं, आने वाले लोगों से अपने ही पुत्र की शिकायत. इतनी उम्र बिता लेने के बाद भी
लोग कितने अज्ञानी बने रहते हैं !
टीवी पर मुरारी बापू गोपी गीत मानस पर व्याख्यान दे रहे हैं. वह राम और कृष्ण
में कोई भेद नहीं देखते. ब्रह्म एक है वह सर्वव्यापक है पर कभी-कभी वह मानव रूप धर
के आता है, अपनी सारी कलाओं के साथ ! आज एक और मृत्यु की बात सुनी. एक परिचिता को
ब्रेन ट्यूमर हुआ था, डेढ़ वर्ष पूर्व लंग कैंसर हुआ था. अंतिम समय में वह बिलकुल
निष्क्रिय हो गयी थी, बोल भी नहीं पाती थी. बातूनी सखी के अपनी व्यथा सुनाई, वह
अपने शरीर से परेशान है जो रोगों का घर है. जीवन में दुःख है, जीवन रहस्यमय है.
यहाँ आनंद भी उतना ही है, कब क्या मिलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता ! असमिया सखी ने
अपने एक नैनी की व्यथा कथा सुनाई, वह उसके लिए कुछ सहायता राशि एकत्र करना चाहती
है. उसके इलाज के लिए तथा जब तक वह ठीक नहीं हो जाती उसके भोजन आदि के लिए. उसके
हृदय में दुखियों का दर्द करने का जज्बा भरा है, ईश्वर की कृपा हुई है ! जून ने आज
उसकी तीन किताबें AIPC के लिए खुर्जा भेजी हैं, कोई रोशनारा हैं जो दिल्ली में
कवयित्री सम्मेलन करने जा रही हैं. आज बड़ी ननद को कल्याण पत्रिका भी भेजनी है.
नन्हे की MCA की किताबें भेज दीं. जून आजकल बहुत व्यस्त हैं फिर भी ये सारे काम कर
दिए. जिन दिनों वे व्यस्त रहते हैं, ज्यादा खुश रहते हैं ! परमात्मा को कुछ करना
शेष नहीं है, पर वह कार्यरत है !
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