परसों वह दोपहर बारह बजे एयरपोर्ट गयी, चार
बजे लौटी, नन्हा खुश था, सामान काफी लाया है, ढेर सारे कपड़े कल धोये, प्रेस किये.
उस दिन शाम को पौने छह बजे ही उत्सव स्थल पर पहुंच गयी, बच्चे पहले ही आ चुके थे.
कार्यक्रम ठीकठाक हो गया, एक सखी ने रंगोली बनाई थी, सभी का सहयोग रहा, साढ़े नौ बज
गये वापस आते. कल दिन भर कपड़े ठीक करने तथा मेहमानों( जो नन्हे से मिलने आये थे )
की देख-रेख में ही लग गया आज सुबह जल्दी उठ गयी, नन्हा दस बजे उठा, रात को तीन बजे
वह सोया, उसे समझाना व्यर्थ है, भगवान भी शायद उसे नहीं समझा सकते. भगवान ने
बन्दों को पूरी आजादी है, जैसे चाहें वे निर्णय लें, लेकिन उसका फल भुगतने को भी
तैयार रहें. इस समय दो बजे हैं, अभी दो छात्राएं पढ़ने आएँगी, दोपहर के भोजन के बाद
कुछ देर सो गयी, अभी भी तमस छाया है, पर काम में जुट जाओ तो सब चला जाता है. जीवन
में एक लक्ष्य हो, ज्ञान हो तो ऊर्जा भीतर से मिलने लगती है.
जून कल आ रहे हैं, कल सुबह ही फोन करेंगे, कल ‘पटाया’ से उन्होंने बताया.
नन्हे ने कम्प्यूटर में कुछ फेरबदल कर दी है, सुबह से ही उसे ठीक करने में लगा है.
उसकी सुबह ग्यारह बजे शुरू होती है जैसे उसकी रात दो बजे शुरू होती है. पता नहीं आज
की पीढ़ी को क्या हो गया है. वे निरे व्यक्तिवादी होते जा रहे हैं, अकेले पड़
जायेंगे वे इस तरह. वह कहता है कि कोई अच्छा दोस्त नहीं है, शायद लगाता है एकाध
नाम के आगे, शायद यह उम्र ही ऐसी है, इस साल वह बीस का हो जायेगा. वह भी जब बीस की
थी अब से कितनी अलग थी. जीवन उन्हें कई पाठ पढ़ाता है और उम्र के साथ वे परिपक्व
होते जाते हैं. कल शाम लाइब्रेरी से दो किताबें लायी है, पॉवर ऑफ़ नाओ तथा टिप्स
फॉर 366 डेज, दोनों अच्छी हैं. किताबें सच्ची मित्र हैं, कितना साथ देती हैं वे हर
परिस्थिति में. सुबह गुरूजी को सुना, एक ने पूछा कि क्या वे सूक्ष्म शरीर से साधक
के साथ रहते हैं और उनका id भी माँगा. दोनों ही सवालों के जवाब उन्होंने गोल-मोल
दिए, पहले में कहा कि आप क्या मानते हैं, यदि संशय है तो भ्रम है, यदि विश्वास है
तो सत्य है अर्थात यह साधक के मानने पर निर्भर करता है कि गुरू उसके साथ हैं, और
दूसरे में कहा कि उनकी आईज डिवाइन हैं, यह उनका id है, अर्थात वे ईमेल का जवाब
नहीं देते. उनके पास जो रहते हैं, शायद वही उनसे अपने सवालों के जवाब पा सकते हैं,
शेष तो सत्संग में सबके सम्मुख ही रहकर उनसे प्रश्न पूछ सकते हैं. उसे तो लगता है
कि संतजनों के दर्शन मात्र से वे जितना पा सकते हैं उतना उनसे सवाल पूछकर भी नहीं,
वे अपने जीवन के माध्यम से ही संदेश दे रहे हैं. गुरूजी ने कहा, मन तथा इन्द्रियां
फ्रीक्वेंसी एनालाइजर हैं.
आज एक सेल्समैन से घर बैठे मेजपोश अदि खरीदे. सभी का एक सा रवैया होता है कि
किस तरह ग्राहक को अधिक से अधिक बुद्धू बनाया जाये. अब वह पहले कई बार बन चुकी है
बुद्धू सो आज थोड़ा मोलभाव किया, पर आज भी कुछ तो कमाया ही होगा, घर-घर धूप में
जाकर सामान बेचते हैं, शहर-शहर घूमते हैं, उन्हें भी कई तरीके आते हैं..खैर जो भी
हो..वे भी तो उसी परमात्मा का एक रूप हैं, तो कौन किसे ठगेगा.? जून की फ्लाइट ढेढ़
घंटा लेट है. रात को एक बार नींद खुली, ढाई बजे थे, नन्हे को सोने के लिए कहा और
स्वयं की नींद गायब, उसके पूर्व एक स्वप्न देखकर नींद खुली थी. कितना अजीब सा
स्वप्न था, अचेतन मन में क्या-क्या छिपा रहता है, जिसके बारे में उन्होंने कभी
सोचा भी नहीं होता. न जाने कितने जन्मों के संस्कार दबे हुए हैं. पॉवर ऑफ़ नाउ अब
ज्यादा समझ में आ रही है. शुद्ध वर्तमान में केवल ईश्वर है और कुछ नहीं, आदमी जो
होता है या तो भूत के कारण या भविष्य की कल्पनाओं के कारण. शुद्ध वर्तमान में मन
रहता ही नहीं. जिस क्षण मन की आवश्यकता हो उसे ले आयें और शेष समय स्वयं में रहें.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आर्थिक संकट का सच... ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !
ReplyDelete