लगता है वह अब दिन जल्दी ही आने वाला
है, कितना उत्सुक है नव जीवन भी बाहर आने के लिये, एक छोटे बच्चे को स्वप्न में
देखा पर बाद में वह दीदी की गोद में था. रात को नींद खुल गयी फिर करवट बदलते बीता
कुछ समय, उसके बाद भी स्वप्न देखती रही, माँ-पिता को देखा छोटे भाई व बड़ी बहन को
भी, छोटा भांजा कितना बड़ा हो गया होगा, बड़ा स्कूल जाने लगा होगा. सुबह वे जल्दी उठ
गए थे, रात को जून ने कहा था सुबह जल्दी उठकर आधा घंटा बातें करेंगे, कल दिन भर वे
आधा घंटा भी साथ नहीं बैठे होंगे. वह कैमरा लाया था ऑफिस से आते समय जो उसने
नागपुर से किसी से मंगवाया था, सोच ही रहा था कि कैमरे के बारे में जानकारी लेने
किसी के पास जाये तभी कोई अतिथि आ गए फिर वह उन्हें छोड़ने गया. शाम को वे पुनः पड़ोस
के नव शिशु से मिलने गए, अश्विनी नाम रखा है उन्होंने उसका. उसे वही वस्त्र उपहार में
दिये जो माँ बनारस से लायी थीं. शाम को एक बंगाली मित्र आयी, तब वे टीवी पर एक नाटक
देख रहे थे, जो नूना का पढ़ा हुआ था.
आज दिन की शुरुआत बेसुरे ढंग से
हुई है. बाएं पैर में हल्का दर्द है. जून शायद आज डिब्रूगढ जाये सुबह उसके लिये
आटे का हलवा बनाया जो बिल्कुल अच्छा नहीं बना, पता नहीं उसे आटे का हलवा इतना पसंद
क्यों है. बचपन में घर पर साल में एक बार बनने पर भी वह नहीं खाती थी. रात को अजीब
सा स्वप्न देखा, स्वप्न में जून से झगड़ा होता है उसका, इतना सब होने पर यदि मन
उदास हो जाये तो स्वाभाविक ही है पर जाते समय वह कह कर गया है कि खुश रहना. और अभी
गीता का पांचवा अध्याय पढ़ने के बाद संभव है कुछ सांत्वना मिले.
आटे के हलवे की बात पर याद आया कि घर में कोई कहता था कि आटे का हलवा नहीं, हलुआ होता है। वैसे यह सच है कि कई बार सपनों में देखी हुई बात हमारे सोच-विचार और जीवन को अनजाने ही प्रभावित कर जाती है।
ReplyDeleteहलवा नहीं हलुआ होता है..यह बात याद रहेगी, स्वप्न भी तो हमारे मन की उपज हैं...आभार यहाँ आने के लिये !
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