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Wednesday, June 18, 2014

बच्चों का शोर


It is afternoon, she has come back from school and waiting for Nanha. He will be on the way from Digboi. He must  have written his chemistry test well this time. Yesterday he prepared for it. Today in the school again she got stuck while talking to one other teacher about the mother of a child, who had come to meet her in the morning. Children are very very energetic and sometimes she wonders what to do to calm them, all of them speak at the same time and make a quite class noisy in one second.  Anyway  she has to face it.

जब से स्कूल जाना शुरू किया है, लिखना छूट ही गया है  किन्तु आज उसने वे सभी कार्य स्कूल से लौट कर किये जो सुबह के वक्त करती थी. पूरे दो हफ्ते बाद व्यायाम किया जो सांध्य भ्रमण तक ही सीमित रह गया था, फिर संगीताभ्यास भी, तन कैसा हल्का-हल्का लग रहा है व्यायाम के बाद और आत्मा संगीत के बाद और स्वाभाविक है मन होगा लिखने के बाद. सुबह-सुबह तैयार होकर स्कूल जाना अच्छा लगता है, बच्चों के बीच रहना और जब टीचर्स रूम में रहो तो इधर-उधर की बातें सुनना, सभी कुछ. आज जून देर से आये, अब उन्हें दोपहर को अकेले भोजन  करने की आदत हो गयी है, नन्हे को भी उसका स्कूल जाना अखरा नहीं बल्कि अच्छा लग रहा है. खतों के जवाब टलते ही जा रहे हैं, फोन पर ही सबको बताया. अभी-अभी एक विद्यार्थी की माँ का फोन आया, उनका बेटा क्लास में कुछ करता नहीं है, उसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है, उसे भी और उसकी माँ को भी. उसका काम सिर्फ पढ़ा देने भर तक ही खत्म नहीं हो जाता बल्कि तब तक चलता है जब तक कि उनका गृहकार्य या कक्षा कार्य पूरा नहीं हो जाता. कल शाम भी एक माँ का फोन आया था उसने ज्यादा गृहकार्य दिए जाने की शिकायत करके जैसे उसे चेता दिया. संस्कृत में present टेंस तथा present continuous टेंस का अंतर एक अध्यापिका ने पूछा. 

Today again she felt helpless among children they were making noise and were very naughty. She felt same chaos in next period also. Class five is much better but some times they are also out of control. Rest of the day was normal, in the morning sweeper did not come. Yesterday she got a letter from younger sister, it was good to know that Nuna’s kargil poem was going to publish in ‘Jat’ magzine. Tomorrow is going to start 4th week of her job. Last three weeks were full of three incidents, one was her speech, 2nd the teaching method for class five and 3rd not giving the test date and portion for class 1. Hopes that 4th week passes without ant untoward incident. Yesterday they had Hindi handwriting competition, she selected the first three entries from each class. Some children write very beautifully.

Today is the last day of the month. They remembered great thinker, poet and saint of Assam Madhav dev, he was disciple of Shanker dev, another great man of Assam. Yesterday she read a story from chicken soup for soul to Nanha and today jun is again reading it. she wished, let tomorrow bring a bright day.





Friday, February 7, 2014

संस्कृत की परीक्षा


आज बीच-बीच में धूप निकल रही है, वर्षा भी कल रात्रि से नहीं हुई. नन्हे की आज संस्कृत की परीक्षा है, वह स्कूल जाते वक्त थोड़ा घबराया हुआ सा लग रहा था, पर उसका इम्तहान अच्छा होगा, क्योंकि मेहनत तो की है. उसे पढ़ाते समय नूना को कठोर वचन नहीं बोलने चाहिए पर कभी-कभी अनजाने में कह जाती है, उसे भी लापरवाही से काम करना छोड़ना होगा, खैर.. जीवन भर इन्सान कुछ न कुछ सीखता रहता है. जून ज्यादा काम के कारण आज सुबह की तरह लंच के बाद भी जल्दी चले गये. उसने कुछ देर ध्यान किया पर ईश्वर से संवाद का अभ्यास न होने के कारण मन भटक कर संस्कृत पर आ गया. कल स्वेटर भी पूरा हो गया, आज से नन्हे का स्वेटर बनाना शुरू करेगी, एक महीने में यह भी बन जाना चाहिए. उसकी पीली साड़ी भी तैयार होकर आ गयी है, अभी पहनकर नहीं देखी, उस पर यह रंग अच्छा भी लगेगा या नहीं ? पिछले दिनों स्वयं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, व्यायाम नहीं किया, सम्भवतः इसी कारण या डाइटिंग की वजह से चेहरा कमजोर लग रहा है, पर डाइटिंग से एक लाभ अवश्य हुआ है, भारीपन की फीलिंग कम हो गयी है. गुलदाउदी के फूल खिलने शुरू हो गये हैं, गेंदा, गुलाब पहले से ही खिल रहे हैं, माँ-पापा के आने तक कैलैंडुला तथा फ्लॉक्स भी खिलने लगेंगे, उनका आना अभी तो एक स्वप्न ही लगता है जो कभी हकीकत बन जाये !

आज सुबह उसने पढ़ा, इन्सान को मूडी नहीं होना चाहिए, जो अनजाने में वह होती जा रही थी. ध्यान किया पर दस मिनट से ज्यादा नहीं कर सकी, चारों ओर से विचार आने लगे. कुछ देर पहले सेन्ट्रल स्कूल से एक अध्यापिका ने फोन किया, वह चाहती हैं नूना गणित पढ़ाने वहाँ जाये और तब से वही विचार मन में छाया है.

साल के अंतिम महीने का प्रथम दिवस ! आज धूप निकली है, इस वक्त वह संगीत कक्षा से आ रही है. वर्षों पहले बचपन में जब वह कक्षा छह में थी, संगीत कक्षा में दाखिला नहीं ले पायी थी, क्योंकि जिस दिन टेस्ट था वह अनुपस्थित थी. और फिर साल भर कला की कक्षा में बैठना पड़ा था. अजीब था वह स्कूल भी. पर आज ‘राग यमन’ सीख कर आ रही है, संगीत का कोई एक सुर तो ऐसा होगा जो उसके गले से निकल सकता है, ‘करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान’ ! हल्का दर्द है सिर में, जून होते तो फौरन एक कप चाय बनाकर ले आते. उन्हें उसका स्कूल में काम करना इसीलिए पसंद नहीं, वह उसे थका हुआ, नन्हे और स्वयं को उपेक्षित नहीं देखना चाहते. वह ऐसे ही खुश हैं जैसे वे लोग अभी हैं. उन अध्यापिका को उसने फोन नहीं किया तो उन्होंने स्कूल से फोन करके पूछा, उन्हें बुरा तो लगा होगा पर वह न के सिवा और कुछ कह ही नहीं सकती थी. नन्हे के स्कूल जाने के बाद उसने कुछ देर वह किताब पढ़ी जिसमें बहुत सरल भाषा में जीवन जीने का सही तरीका सिखाया गया है.

आज जून ने आधे दिन का अवकाश लिया है. कल उन अध्यापिका को मना करने के बाद से कई बार स्वयं से बात कर चुकी है मन ही मन. कुछ देर जून से भी बात की पर परिणाम वही रहा. अपने लिए जीने वाले सामान्य लोग ही तो हैं न वे, अपने आसपास की जरूरतें भी महसूस नहीं कर पाते, अपने परिवार व अपनी सुख-सुविधाओं से आगे कुछ सोच नहीं पाते, सीमित दायरा और सीमित सोच है, शायद इसीलिए अपनी सामर्थ्य सीमित जान पडती है, भरोसा नहीं होता अपनी शक्तियों पर, अपनी सही कीमत तक नहीं आंक पते. आज धूप आंखमिचौनी खेल रही है. पत्रिका के लिए पहली कविता व लेख मिला आज. बगीचे से एक पका हुआ पपीता भी मिला आज, उसे याद आया पिछली सर्दियों में बगीचे में घास पर फूलों के बीच बैठकर लिखती थी, उनकी महक का असर भी विचारों पर पड़ता ही होगा. कल वह ठीक से गा सकी पर बिना हारमोनियम के गाना बहुत मुश्किल है.




Wednesday, December 25, 2013

हरी घास पर पक्षी


गर्मी की लम्बी छुट्टियों के बाद आज नन्हे का स्कूल खुला है. सुबह उसे जल्दी उठा दिया था, हमेशा की तरह थोड़ा सा परेशान था, स्कूल का पहला दिन...क्या होगा ? तरह-तरह के डर उसे सता रहे थे, बेबुनियाद हैं वे डर यह भी उसे पता था, कल से स्वाभाविक हो जायेगा. पड़ोस के बच्चे के साथ भी यही समस्या थी, पहली बस छोड़ दी उसने...ये बच्चे भी उन बड़ों की तरह तनाव का शिकार होते हैं. एक सखी से बात हुई, वह बच्चा भी चिड़चिड़ा हो गया है, पिता की कमी उसे जरुर खलती होगी. कल सुबह उसकी माँ सब कुछ समेट कर दिल्ली जा रही है, वहाँ उसे काम मिल गया है, नया जीवन शुरू करेगी. आज सुबह साढ़े चार बजे अलार्म सुनकर उठ गयी, पांच बजे वह छात्रा पढ़ने आई, हफ्ते में तीन दिन उसी वक्त आया करेगी. छह बजे उसके जाने के बाद जोर से भूख का अहसास हुआ, पर ज्यादा खा नहीं पाई, फिर जून को दफ्तर व नन्हे को स्कूल भेजना और उसके बाद ही फोन पर बात करते करते ही इतना वक्त हो गया है. मौसम बेहद गर्म है, धूप में तेजी है और हवा बंद है. इसी तरह गर्मी के ये उमस भरे दिन बीत जायेंगे और मौसम सुधरेगा..फूलों का मौसम यानि शरद ऋतु आयेगी.

कल दोपहर नन्हा जल्दी आ गया था, आज कल की तरह परेशान नहीं था, पर बहुत खुश भी नहीं था, एक मित्र के आने पर ही उसके चेहरे पर मुस्कान दिखी. कल शाम जून ने भी उसके साथ बगीचे में काम किया. अब पिछला हिस्सा काफी साफ हो गया है. वह जो किताब पढ़ रही है, उसकी तरह उनके बगीचे में भी कई पक्षी आये थे जो शायद कीट खा रहे थे या घास के कोमल पत्ते. विक्रम सेठ की इस पुस्तक में बगीचे का वर्णन इतना रोचक है कि.. काश ! उनके जैसा माली उनके पास भी होता, उनका माली भी अपने आप में एक अनोखा चरित्र है, पूर्वी ऊत्तर प्रदेश की भाषा बोलता, है बूढ़ा, जबकि अपने काम में दक्ष है पर ज्यादा वक्त नहीं है उसके पास, और स्वीपर तो..बुद्धू सा है, इतना बड़ा हो गया है पर बच्चों की तरह बहती नाक लिए घूमता है.

कल क्लब में किसी संगीता ने अपनी मधुर आवाज से सभी को मुग्ध कर दिया, उसके गले से आवाज बिना किसी प्रयास के सहज रूप से निकल रही थी, वह एक ऊंची कलाकार है, वह उससे कहना चाहती थी पर कह नहीं सकी. वह उसी बातूनी सखी के साथ गयी थी, जिसके भीतर कुछ करने का जज्बा है, वह भी गाती है, उसने भी शायद प्रतिद्वंद्वी समझ कर कुछ कहना ठीक न समझा. कल पिता का पत्र आया है, लिखा है वे लोग दिसम्बर में आने का कार्यक्रम बना रहे हैं, पर उसे नहीं लगता यह सम्भव हो पायेगा, पहले भी कई बार उन्होंने कहा है, वह जानती है पिछली बातों को याद करना बुद्धिमानी नहीं है और जिन्दगी का दरिया अगर बहता न रहा तो दूषित हो जायेगा. जो जब जैसा हो उसे स्वीकारना होगा. कल दोपहर उसकी तेलगु पड़ोसिन आई थी, कोलकाता एयर पोर्ट पर मिले किन्हीं तेलगु बैंक मैनेजर से हुई मित्रता की बातें बता रही थी, उन्होंने इसकी थोड़ी तारीफ़ कर दी और यह उन्हें घर आने का निमन्त्रण दे बैठी.

एक आग गमे इश्क की...
वह इश्क जो हमसे रूठ गया अब उसका हाल सुनाएँ क्या
कोई महर नहीं कोई लहर नहीं अब सच्चा शेर सुनाएँ क्या

पीटीवी पर आज बहुत दिनों बाद गजल सुनी. उसके दायें गाल में छाले हो गये हैं, कारण शायद विटामिन बी की कमी या पेट की खराबी ! एक दो दिन में अपने आप ही ठीक हो जायेंगे, जून आज ग्लिसरीन भी लायेंगे जिसे लगाने से आराम मिलता है. नन्हे को कल बाएं हाथ पर चोट लग गयी, sprain हो गया, एक लड़के का घुटना उस पर आ गया, पता नहीं कौन सा खेल खेल रहे होंगे. उसकी सोशल और विज्ञान की टीचर ने अभी तक क्लास में जाना शुरू नहीं किया है. उसका संस्कृत टेस्ट है आज, मगर वह कापी रखना जरूर भूल गया होगा...अगर नहीं भूला हो तो वाकई कुछ बात है ! जून अपना पर्स आज घर पर ही भूल गये हैं. कल शाम वे क्लब में डॉ गांगुली की टॉक सुनने गये थे, अच्छा लगा, जाने की तयारी, वहाँ बैठना और कुछ हद तक सुनना भी. सुबह एक सखी का फोन आया आखिर में कहा आज की present लग गयी न, उसे पसंद नहीं आता उसका यह कहना पर दूसरों को अपनी पसंद, नापसंद बताने का ढंग उसने सीखा ही कहाँ है.



Wednesday, March 13, 2013

एक योगी की आत्म कथा



कल दोपहर जून ने बताया, फोन पर छोटी बहन बहुत उदास थी, यह सुनते ही नूना को भी अपने मन पर वश नहीं रहा, बहुत देर तक मन में यही एक बात गूंजती रही, इससे हटने के लिए वह अपनी एक सखी के पास चली गयी, जब वापस लौटी मन शांत हो चुका था, इसका अर्थ है कि यदि कोई  परेशान है तो वातावरण में परिवर्तन से काफी सहायता मिल सकती है. उसके यहाँ फ्रॉक भी देखे, भांजी के लायक कोई पसंद नहीं आया, उसने एक और दिखाने का वायदा किया है. ईश्वर से प्रार्थना ही कर सकते हैं वे छोटी बहन के लिए, उसे साहस दे, अच्छे-बुरे का ज्ञान दे और सहनशक्ति भी. सपनों में जीना छोड़कर वह जितना जल्दी हो सके यथार्थ को अपना ले. कल शाम को वे एक उड़िया परिवार से मिलने गए, वही हर बार की तरह..ज्यादातर दूसरों की बातें....उस दिन चित्रहार में एक अच्छा गाना आ रहा था- दूसरों की बुराई जब किया कीजिये...सामने आईना रख लिया कीजिये. हाँ एक बात अच्छी हुई, उसके पास भगवद्गीता के कैसेट हैं, सभी अध्यायों के संस्कृत में श्लोक फिर उनका हिंदी अनुवाद. पहला अध्याय थोड़ा सा सुना.

 “एक योगी की आत्मकथा” उसकी सखी ने परसों दी थी, अभी कुछ देर पूर्व कुछ पृष्ठ पढे, ईश्वर पर विश्वास करो तो वह किस-किस तरह हमारी सहायता करता है, मन संशय युक्त हो तो विश्वास टिक नहीं पाता और इसलिए सहज प्राप्त ईश्वर की दया भी दिखाई नहीं देती, कितनी ही बार स्वयं उसने इस बात का अनुभव किया है, सच्चे मन से निस्वार्थ प्रार्थना कभी भी बेकार नहीं गयी, लेकिन मन ईश्वर की कृपा को कितनी जल्दी भूल जाता है और फिर संशयात्मक हो जाता है. इस पुस्तक को पढ़ने पर उसकी ईश्वर में श्रद्धा दृढ़तर होगी ऐसा उसे विश्वास है. क्या वह किसी को एकांतिक अहैतुक प्रेम दे पायी है...ऐसा प्रेम जो निस्वार्थ हो..सिर्फ देना जानता ओ...किसी एक क्षण भी ऐसा प्रेम किया है उसने...प्रेम में अपना सुख अपनी खुशी सर्वोच्च रखता है मनुष्य, लेकिन वह प्रेम नहीं है..वह तो दुनियादारी है..सौदा है. यह सच है कि वह अपने परिवार से बेहद प्रेम करती है, उनका दुःख उससे सहन नहीं होता..परन्तु फिर भी ऐसे कई अवसर आए हैं जब अपने स्वार्थ को ऊपर रखा है. प्रयत्न करेगी कि ऐसा न हो..कल उन्होंने सर्कस देखी. अजब करतब दिखाते है ये लोग, जिन पर हैरत से आँखें खुली रह जाएँ, लेकिन जानवरों की निरीहता देखकर मन में पीड़ा होती है.

  छोटी बहन को उस दिन फोन तो नहीं कर सकी लेकिन अभी-अभी एक पत्र लिखा है जो उम्मीद है उसके कुछ काम आयेगा.. कल वे तिनसुकिया गए थे, वह मोदी का ‘क्विक स्टिच किट’ लाई है, आज दोपहर शुभारम्भ करेगी. कल लेडीज क्लब की मीटिंग है, उसकी पुरानी  पड़ोसन भी क्लब ज्वाइन कर रही है. पिछले तीन-चार दिनों की तरह आज भी वर्षा हो रही है. आज सुबह बहुत दिनों बाद नींद देर से खुली, जून जल्दी-जल्दी में कुछ खाकर ऑफिस गए.

  उस दिन यानि नरसों, सोमवार को जून दोपहर को घर आए तो स्वस्थ नहीं थे, हल्का ज्वर था, तब से आज तक ज्वर बढता-घटता तो रहा है पर उतरा नहीं है. आज बृहस्पतिवार है, आज दोपहर अस्पताल जायेंगे. वह इसी कारण मीटिंग में नहीं जा पायी, उसने कल भी और आज भी ईश्वर से प्रार्थना की है और उसे पूर्ण विश्वास है, आज वह बिलकुल ठीक हो जायेंगे. ईश्वरसे प्रार्थना करना मात्र उसके लिए शब्द नहीं हैं परन्तु एक अनुभव है. ‘एक योगी की आत्मकथा’ पढकर तो लगता है ईश्वर यहीं उसके पास है, हवा में, धूप में, फूलों की सुगंध में, बादलों में और उसके अंतर्मन में भी. उसने उसे वचन दिया है कि अब वह सांसारिक वस्तुओं का मोह नहीं करेगी क्यों कि उसकी  सभी आवश्यकतायें तो वह स्वयं ही पूर्ण करता है. इच्छा करने से पहले ही वह उसे जान जाता है. उसने यह भी कहा है क कभी किसी को मनसा, वाचा, कर्मणा दुःख नहीं पहुंचायेगी, और न ही किसी कई बुराई या निंदा में भाग लेगी. उसके मन में सभी के प्रति समान भाव है और उसके जून का भी. वह उसके सभी वचनों में शामिल है.