Friday, May 31, 2024

चंदन का लेप

चंदन का लेप


आज रविवार है, माली आने का दिन, सो योगाभ्यास का अवकाश। उसने माली से सारे गमलों की निराई-गुड़ाई करवायी और ‘रात की रानी’ के पौधे ज़मीन में लगवाये। ‘मॉर्निंग ग्लोरी’ के गमले ऊपर सिट आउट में रखवाए हैं। बच्चे आये तो उन्हें नाश्ते में कटहल दोसा मिक्स से बना दोसा खिलाया। जून ने गेहूं का दलिया भी बनाया था, वह इसमें निपुण हो गये हैं। दोपहर बाद सब मिलकर दो मकान देखने गये, सोनू के माँ-पापा भी बैंगलुरु में आकर बसना चाहते हैं। शाम को चार बजे से ‘जोड़ों के दर्द’ पर डेढ़ घंटे के वेबिनार के एक सत्र में भाग लिया, जिस पर आधारित एक लेख उसे लिखना है।स्वस्थ रहने के लिए कितने ही नुस्ख़े और आदर्श जीवन शैली के बारे में वैद्य ने बताया। सुबह मुँह का स्वाद कुछ कड़वा सा था, ‘धौति’ क्रिया की। इस समय भी देह में ताप का अनुभव हो रहा है। वे आयुर्वैदिक अस्पताल जाने का विचार कर रहे हैं। 


आज फ़रवरी का प्रथम दिवस है।वसंत ऋतु दस्तक दे रही है। आम के बगीचे से भीनी-भीनी सुगंध बहती रहती है। सुबह वे टहलने गये तो आकाश पर तारे टिमटिमा रहे थे। वापस आकर ‘हेल्थ इन योर हैंड’ पुस्तक निकाल कर कुछ पन्ने पढ़े, उसमें लेखक ने सामान्य रोगों को दूर करने के कई सरल उपाय बताये हैं। आज भी स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं है। सुबह से सिर में हल्का दर्द है। इस समय मस्तक पर चंदन का लेप लगाया है, जो भीतर की गर्मी को खींच लेगा। जीरा-सौंफ वाला पानी पिया। कैस्टर आयल लिया। दिन  में  नारियल पानी व मट्ठा भी लिया था।शरीर में अग्नि तत्व बढ़ गया है। शाम को कुछ देर ‘चन्द्र नाड़ी प्राणायाम’ भी किया, ‘शीतली प्राणायाम’ भी। नाड़ी की गति बैठे रहने पर भी ९५ रहती है। चलते समय पैरों में जकड़न सी महसूस होती है। अचानक ही इतने सारे लक्षण आ गये हों, ऐसा नहीं है। पाचन क्रिया मंद रहने की समस्या तो कुछ दिनों से थी ही। ख़ैर, यह सब शरीर को हो रहा है, मन भी शरीर का ही सूक्ष्म हिस्सा है। पिछले दिनों रात को नींद ठीक से नहीं आयी, उसका असर रहा होगा।जो भी हो, आत्मा साक्षी भाव से सब कुछ देख रही है, उस पर कुछ भी असर नहीं हो रहा है।आज सुबह एक सखी से बात की, दोपहर को दीदी-जीजा जी से, शाम को भी एक परिचिता  से वार्तालाप हुआ, सभी से सामान्य बातें हुईं। दोपहर को ‘जोड़ों के दर्द’ पर लेख लिखना आरम्भ किया। ब्लॉग पर एक पोस्ट प्रकाशित की। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वार्षिक बजट प्रस्तुत किया, जिसे बहुत सराहा जा रहा है। 


रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं। एक और दिन स्वास्थ्य की देखभाल करते बीत गया। सुबह कितना हल्का महसूस हो रहा था पर दोपहर बाद कुछ भारीपन लग रहा था। रात्रि भ्रमण के समय पैरों को भली प्रकार पता चला कि चलने के लिए  भी एक प्रयास करना पड़ता है। सुबह सवा चार बजे नींद खुल गई थी। सुबह सामान्य रही। याकुल्ट, नारियल पानी, ग्रीन टी तथा खीरा नींबू वाला पानी पिया दिन भर।संभवत: वजन भी बढ़ गया है। सारी समस्या इसी कारण हो रही है। इसे कम करने का उपाय करना होगा।छोटी भांजी के जन्मदिन के लिए लिखी कविता उसे भेज दी, बहन के साथ उसने दुनिया की सबसे लंबी ‘ज़िप लाइन’ में भाग लिया। शाम को नन्हे का फ़ोन आया, सोनू की मौसेरी बहन को एक और सर्जरी करानी पड़ेगी। उसे गॉल ब्लेडर में स्टोन हो गया था। 


आज एक संत को सुना, “आगे से जवाब देना, उल्टा बोलना, ज़ोर से बोलना, दूसरे की बात को न सुनना या नकार देना, ये सभी वाणी के दोष हैं, जिनसे साधक को बचना चाहिए। अहंकार ही आत्मा को प्रकट न होने देने में सबसे बड़ी बाधा है, और उपरोक्त सभी बातें अहंकार से उपजती हैं, न कि विवेक से।विवेक तो सदा आत्मा से युक्त रहता है, जो प्रेमस्वरूप है।” उसकी अस्वस्थता में उसका इतना ध्यान रखने वाले जून को जब वह कभी आगे से जवाब दे देती है तो उन्हें कितना बुरा लगता होगा। उनका धैर्य अपार है, जो उसकी सारी हिमाक़त चुपचाप सह लेते हैं और सुबह से शाम तक हर कार्य में उसकी सहायता करने को तत्पर रहते हैं। आज से बल्कि अभी से वह प्रण करती है कि उनकी हर बात को अपने लिए आज्ञा मानकर शिरोधार्य करेगी ताक़ि उसका अहंकार छूट जाये और आत्मा में स्थिति दृढ़ हो जाये; जो कि उसका वास्तविक स्वरूप है। उसका रोग भी तो शरीर के साथ स्वयं को जोड़कर देखने से ही हुआ है। भोजन के प्रति आसक्ति का ही यह फल है।


Tuesday, May 28, 2024

सोसाइटी में तेंदुआ

सोसाइटी में तेंदुआ


आज सुबह टहलते समय दिल की धड़कन कभी बढ़ती कभी घटती रही। छोटी बहन से बात हुई, जो डॉक्टर है, उसने एलएफटी टेस्ट अर्थात फेफड़ों की क्रिया का परीक्षण  व ईको टेस्ट कराने को कहा, साथ ही  कोरोना टेस्ट करवाने को भी। जीवन व्यक्ति की परीक्षा लेता है, मज़बूत बनाता है। शनिवार को डाक्टर से अपॉइंटमेंट लेने के लिए नन्हे से कहा है, कल उसने स्टॉक मार्केट पर एक और किताब भेजी है।पिछली किताब ही अभी दो-चार पन्नों से आगे नहीं पढ़ पायी है। पापा जी ने फ़ोन पर बताया, मंझले भाई की बिटिया को कनाडा में अच्छा जॉब मिल गया है। कनाडा जाने का शौक़ भारत में विशेष रूप से पंजाब के युवाओं में बढ़ता जा रहा है. कितने सपने लेकर हज़ारों युवा हर साल वहाँ जाते हैं. लेकिन नूना का का मन तो देश से दूर रहने की कल्पना से ही कांप जाता है. उसने मन ही मन भांजी के लिए प्रार्थना की. उसे यह बात भी खल रही थी कि विवाह के एक वर्ष बाद ही उसे जाना पड़ रहा है, वह भी अकेले। रिश्ते कितनी गहराई से भीतर तक धँसे होते हैं मन की माटी में. यदि किसी अपने को पीड़ा हो तो उसका आभास स्वयं को भी होता है. 


आज नींद देर से खुली, रात को नींद गहरी नहीं थी। सुबह ऑक्सीजन लेवल भी कम था। कोरोना की आशंका हुई तो डिस्पेंसरी में फ़ोन किया, कंपाउड़र ने कहा ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट चौबीस घंटे बाद मिलेगी, ३५०० रुपये लगेंगे। नन्हे ने प्रैक्टो के द्वारा डॉक्टर सविता राव से बात करवायी। उन्होंने कहा, माइल्ड स्टमक इन्फेक्शन है, उसी के कारण ये सारे लक्षण हो रहे हैं, दवा भी बतायी। दिल से जैसे बोझ उतर गया। शाम को छोटे भाई ने कहा, भांजी के ससुराल वाले उसके जाने से खुश नहीं हैं। जीवन कितना सुंदर हो सकता है, उसे लोग कितना जटिल बना लेते हैं। अज्ञान के कारण ही ऐसा होता है। जून उसके लिए दवा ले आये हैं, उम्मीद है दो-एक दिन में सब ठीक हो जाएगा। 


आज प्रातः भ्रमण के लिए निकले तो आकाश में गोल चंद्रमा चमक बिखेर रहा था। स्वास्थ्य ठीक नहीं है, जानकार जून बहुत ख़्याल रख रहे थे, सो तस्वीर खींचने पर कुछ नहीं कहा। रामदेव जी से सुना था, संस्कृत में एक श्लोक है, जिसका अर्थ है, हे प्रभु ! जिस प्रकार रोगी विनम्र रहता है, वैसे ही मुझे विनम्र बनाओ। वास्तव में रोग, रोगी को शांत व विनम्र रहना  सिखाता है, और उसके आस-पास के लोग भी उसका ध्यान रखते हैं। लोग सदा ही ऐसे विनम्र बने रहें तो कितना अच्छा हो। आज सुबह एक सूचना आयी, पार्क नम्बर दो में तेंदुआ देखा गया। काफ़ी देर तक लोग डर के कारण घरों से नहीं निकले, पर उसे लगता है, यह सुनी-सुनायी बात है। नन्हे ने भी लिखा है, प्रेस्टीज सोसाइटी में भी तेंदुआ निकला है। जंगल की भूमि जब मानव अधिग्रहण करने लगा है तो जानवरों के पास और चारा ही क्या है। इज़राइल दूतावास के पास बम विस्फोट हुआ है, अभी तक किसी ने इसकी ज़िम्मेदारी नहीं ली है। इज़राइल और हमास के बीच युद्ध न जाने कब तक चलता रहेगा।दोनों ही एक-दूसरे के अस्तित्त्व को नकारते हैं। इज़राइली दूतावास के राजदूत के नाम एक पत्र भी मिला है।इधर किसान आंदोलन अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है। बॉर्डर पर हिंसा जारी है। आज शाम को बीटिंग रीट्रिट होना था, पर वे देख नहीं पाये, कल यू ट्यूब पर देख सकते हैं। 


आज बापू की पुण्य तिथि है। जिसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। सुबह रेडियो पर उनका एक सुंदर संदेश सुना। “प्रार्थना सुबह की कुंजी है और शाम की चटकनी” अर्थात सुबह उठकर प्रार्थना करें और रात सोने से पूर्व भी। पिछले दो-तीन दिनों से रात को नींद ठीक से नहीं आती, मन पर जैसे कोई बोझ है, कुछ करना है पर कर नहीं पा रह हैं। इसी का परिणाम था कि आज दोपहर बाद एओएल से फ़ोन आया, कल एक वेबिनार है, और उसे भाग लेना है। जून को पसंद नहीं आया, तो जैसे उनकी नकारात्मकता की तरंगें उसके भीतर सब कुछ अस्तव्यस्त करने लगीं। भौतिक रूप से भी शरीर में अजीब सी संवेदना हो रही थी और मानसिक रूप से भी। सेवा का जो काम उन्होंने स्वयं ही लिया है, जो वे सदा से करना चाहते थे, उसे करने का अवसर आये और वे न करें तो मन कैसे प्रसन्न रह सकता है। भीतर जो पीड़ा इतने दिनों से एकत्र हो रही थी, वह व्यक्त हो गई। इसमें व्यक्तिगत पीड़ा के साथ-साथ अन्य कितनों की पीड़ा है। भाई-भाभी व भांजी की पीड़ा, गणतंत्र दिवस पर जो हिंसा हुई उसकी पीड़ा, जून के असहयोग के कारण हुई की पीड़ा। संभव है आज नींद ठीक से आये। दुख ही मन को माँजता है, बहुत दिनों से मन की सफ़ाई नहीं हुई थी। दुख किनारे-किनारे जम गया था। एक कवि या लेखक का दुख ज़्यादा गहरा होता है, वह सबके लिए आँसू बहा सकता है, वह पूरी सदी का बल्कि पूरे युग का हिसाब मन में रखता है। देश में हो रही घटनाओं से वह कैसे अछूता रह सकता है। सब माया है पर परम या निरपेक्ष स्तर पर, सापेक्ष जगत में जिसमें वे जीते हैं, चीजें असर करती हैं। जून ने वादा किया है, वह कभी नाराज़ नहीं होंगे और आश्रम के काम के लिए कभी टोकेंगे नहीं। देखें, वह किस तरह अपने ये वचन निभाते हैं। निभा पाये तो वे दोनों ही सदा प्रसन्न रहेंगे।  


Wednesday, May 15, 2024

फूलों का तालाब

आज नेता जी की जयंती है। बंगाली सखी की बिटिया का जन्मदिन भी, उसे एक पुरानी तस्वीर भेजी, जिसमें सभी लोग हैं, पर उसने कुछ नहीं कहा तस्वीर देखकर, अवश्य उसे कुछ तो याद आया होगा। नन्हा व सोनू यहाँ आ गये हैं। कल सुबह छह बजे सभी को कार रैली में जाना है। आज दोपहर को लिखने के स्थान पर कल वाला चित्र पूरा किया, कोई चित्रकार भी रंगों के माध्यम से शायद अपने दिल की बात लिख रहा होता है। सुबह छोटे भाई का फ़ोन आया, वह अजीब सी कैफ़ियत में डूबा रहता है। प्रकृति का सान्निधय उसे अच्छा लगता है। अपने को देह द्वारा व्यक्त होते देखकर उसे अचरज भी होता है। हल्का-हल्का सा लगता है तन-मन दोनों ही। वह जहाँ भी जाता है अपने मधुर स्वभाव से मित्र बना लेता है तथा सबकी सहायता के लिए तत्पर रहता है। उसका जीवन गुरु के आशीर्वाद से एक वरदान बन गया है।जीवन कितना सिंपल है, ऐसा वह कह रहा था, और दूसरी तरफ़ उसका मन है जो अब भी कोई न कोई व्यर्थ बात सोच लेता है क्षण भर के लिए ही सही, तन भी भारी हो रहा है, क्यूँकि भोजन गरिष्ठ भी है और अधिक भी। परमात्मा का अनुभव कितना अनुपम है यह सब जानते-बूझते हुए भी मोह-माया कहाँ छूटती है ! आश्चर्य भी हो रहा है और हँसी भी आ रही है, यह लिखते हुए, जीवन तो उसका भी सिंपल है और सुन्दर भी !


आज सुबह वे चार बजे उठे और पाँच बजे तक नहा-धो कर तैयार थे। बच्चे पाँच बजे उठे और छह बजे के कुछ पल बाद टाटा नेक्सन के शोरूम के लिए निकल पड़े। आठ बजे रैली आरंभ हुई। एक कार यू ट्यूब का वीडियो बनाने के लिए और एक आयोजकों की अपनी कार भी साथ चल रही थी। दो घंटे बाद सभी कारें रामनगर स्थित एक कैफ़े में जाकर रुकीं। जहां स्वादिष्ट नाश्ता कराया गया। बाद में विजेता और उप विजेता के नामों की घोषणा हुई। वहाँ आये एक वृद्ध दंपति से परिचय हुआ। नन्हे ने और भी कई लोगों से बातचीत की। कुल मिलकर ईवी कार रैली का अनुभव अच्छा रहा। वापसी में वे एक गाँव के रास्ते से होकर लौटे तो फूलों की खेती देखने को मिली और कमल के फूलों से भरा एक तालाब भी। पिछले कुछ दिनों से पल्स रेट बढ़ा हुआ लग रहा था, उसने सोचा है,  सुबह अलार्म की आवाज़ से नहीं उठेगी। नींद जब पूरी हो जाएगी तो अपने आप ही खुल जाएगी। स्वस्थ रहने के लिए अच्छी नींद उतनी ही ज़रूरी है जितना भोजन और व्यायाम। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता है। कल इस बात को एक बार फिर अनुभव किया। रात को देखे स्वप्न इसकी गवाही देते हैं। एक सपने में कपड़ों का एक ढेर है जो सँभाले नहीं संभल रहा है।एक में एक विचित्र से बालक को देखा। 


सुबह सवा चार बजे नींद खुल गई। तापमान सत्रह डिग्री था, पर दिन अभी से गर्म होने लगे हैं, जबकि अभी जनवरी समाप्त नहीं हुआ है। छोटी बहन को विवाह की वर्षगाँठ पर कविता में शुभकामनाएँ भेजीं। गणतंत्र दिवस पर  एक रचना भी पोस्ट की है। किसान आंदोलन के बारे में एक वीडियो देखा। वहाँ कुछ अराजक तत्व भी हैं, लेकिन इतने बड़े देश में कुछ न कुछ विरोध तो स्वाभाविक है। ट्रैक्टर रैली भी दिल्ली में होकर ही रहेगी, ऐसा लग रहा है। दोपहर को ‘द व्हाइट टाइगर’ फ़िल्म का कुछ अंश देखा, भाषा बहुत अभद्र है। एक गाँव का व्यक्ति कैसा अपनी इच्छा शक्ति के बल पर शहर पहुँच जाता है और आगे क्या होता है, अभी देखना शेष है। शाम को वे पड़ोसी के यहाँ गये। उनके समधी साहब  को चोट लग गयी है, वह स्कूटर चला रहे थे कि किसी ने आगे के पहिये पर अपने स्कूटर से ही टक्कर मार दी। उनकी बाईं कलाई में फ़्रैक्चर हो गया है। उनका पुत्र कनाडा में रहता है, एक हफ़्ता बेटी के पास रहने आये हैं। पड़ोसन ने एकदम कड़क असम की चाय पिलायी। लगभग साल भर बाद उनके यहाँ चाय पी, कोरोना काल में जाने का सवाल ही नहीं था। अफ़्रीका में कोरोना के वायरस का नया स्ट्रेन मिला है; जबकि भारत में कोरोना केस काफ़ी घट गये हैं।    


आज की सुबह जितनी शानदार थी, दोपहर व शाम उतनी ही उदास करने वाली। सुबह मल्टी पर्पस कोर्ट में सोसाइटी के कुछ लोगों के साथ गणतंत्र दिवस के अवसर  पर होने वाली ‘योग साधना’ में भाग लिया। आठ बजे ध्वजारोहण हुआ, मुख्य अतिथि ने प्रेरणादायक भाषण दिया। उसे कविता पाठ करने का अवसर भी मिला। घर आकर नाश्ते के बाद टीवी पर परेड देखी। झांकियाँ, नृत्य सभी कुछ अतुलनीय था। राफ़ेल का प्रदर्शन भी शानदार था। दोपहर बाद जब समाचार देखने के लिए टीवी चलाया तो परेशान करने वाली खबरें आ रही थीं। लाल क़िले पर कुछ सिख तलवारें चला रहे थे, अपना झंडा लगा रहे थे। पुलिस की प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प हो रही थी। इतने दिनों तक शांतिपूर्वक चलने वाली ट्रैक्टर रैली अब हिंसक हो चुकी थी। शाम तक यही चलता रहा। इस समय रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं। पता नहीं दिल्ली के हालात कैसे हैं । कितने पुलिस वाले घायल हुए, कितने किसान भी। गणतंत्र दिवस के दिन ऐसा होना देश की अस्मिता के लिए कितना अपमानजनक है।       


Thursday, May 2, 2024

गट्टे की सब्ज़ी

गट्टे की सब्ज़ी 


आज सुबह टहलने गये तो तापमान १६ डिग्री था, जैकेट पहनने का दिन, कभी-कभी २० या इक्कीस रहता है तो वे नहीं पहनते। समाचारों में सुना, दिल्ली का तापमान १ डिग्री हो गया है, यहाँ उसकी कल्पना करना भी कठिन है। इतनी ठंड में उन लोगों का क्या होता हिगा, जिनके पास पक्के घर नहीं है या घर ही नहीं हैं। आश्रम में अगले महीने एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए छोटी बहन ने फ़ेसबुक पर संदेश पोस्ट किया है। वहाँ प्रतिदिन सत्संग हो रहा है। गुरुजी ने विश्व में लाखों लोगों को योग के पथ से जोड़ा है, ऐसा कार्य ईश्वरीय कृपा  के बिना नहीं हो सकता। अभी-अभी जे कृष्णामूर्ति द्वारा ध्यान की सुंदर परिभाषा सुनते-सुनते ही मन ध्यानस्थ होने लगा। ‘देवों के देव’ में आज दधीचि मुनि के त्याग की गाथा सुनी। उसे लगता है, वे लोग समाज के लिए कुछ विशेष नहीं कर पा रहे हैं। परमात्मा ही उन्हें राह दिखाएगा, अर्थात उनका शुद्ध ‘मैं’, यानि वे ‘स्वयं’ ! हर किसी को अपना मार्ग स्वयं ही तो चुनना होता है। परमात्मा हर किसी के द्वारा स्वयं को ही अभिव्यक्त कर रहा है ! कोई कितना उसे प्रकट होने देगा, उतना ही उसका जीवन सुंदर होगा !! 


आज सुबह मौसम सुहावना था। अपने निर्धारित स्थान पर चौकीदार को छोड़ कर पूरे रास्ते भर कोई नहीं मिला। रात की रानी की सुगंध दूर से ही आने लगी थी, सम्पूर्ण क्यारी  छोटे-छोटे श्वेत फूलों से भर गई है।जो बल्ब के प्रकाश में दिखायी दे रही थी। सड़क पर अंधेरा था। नैनी आज जल्दी आ गई, कन्नड़ सिखाने में उसे आनंद आता है, वह धीरे-धीरे कुछ शब्द सीख रही है।नाश्ते के बाद वे सब्ज़ी ख़रीदने गये, बेबी कॉर्न, कुंदरू, अरबी, आँवले आदि कुछ नयी सब्ज़ियाँ मिलीं, जो पास की दुकान में नहीं मिलतीं। जून को अब ईवी चलाने में दिक्क्त नहीं होती। इतवार को ईवी कार रैली है, नन्हा उसमें जाने को कह रहा है। यह भी बताया, उसका पैथोलॉजिस्ट मित्र असम जाने वाला है, उसे मेडिकल कॉलेज में जॉब मिला गया है, वहाँ वह आगे पढ़ाई भी कर सकता है।ऐसे ही लोग अपने शोध कार्य और श्रम के द्वारा समाज के लिए नयी खोज कर पाते हैं, उनके परिश्रम का लाभ मानवता को मिलता है। असम की एक हिन्दी लेखिका पूनम पांडेय की किताब में कुछ कहानियाँ पढ़ी, जो असम के लोक जीवन पर आधारित हैं।कल किसानों से एक बार फिर सरकार की बात होने वाली है, शायद कुछ हल निकल आये। 


आज मॉर्निंग ग्लोरी का पहला फूल खिला रानी कलर का सुंदर फूल ! धीरे-धीरे सभी गमलों में फूल आयेंगे, और जब बेलें ऊपर चढ़ जायेंगी तब और भी सुंदर लगेंगे। भीतर कैसी गुनगुन सुनायी दे रही है। जब मन शांत हो तभी यह अखंड गूंज सुनायी देती है। छोटी ननद का फ़ोन आया, वह गट्टे की सब्ज़ी बना रही थी। ख़ुद उसे बनाये हुए बरसों हो गये हैं। बचपन में माँ के हाथों की बनी पकौड़े की सब्ज़ी भी खायी थी। उसके बाद कभी मौक़ा नहीं मिला, सोचती है, क्यों न एक दिन उसी तरह बनाकर बच्चों को खिलाए। शाम को गुरुजी को सुना, वह प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे, कितने सटीक और प्रभावशाली ढंग से वह प्रश्नों के उत्तर देते हैं। आज वे उन्हीं वृद्ध व्यक्ति से मिले, कह रहे थे, अगले हफ़्ते घर भी आयेंगे।सौ बरस के हो गये हैं, कहने लगे, “आदमी थक जाता है एक उम्र में, जीवन और मृत्यु अपने हाथ में तो है नहीं।” पता नहीं कुछ लोग लंबा क्यों जीते हैं और कुछ अल्पायु में ही कालग्रसित हो जाते हैं। सुबह छोटे भाई से बात हुई, कह रहा था, मृत्यु के रहस्य को छोड़कर जगत में कुछ जानने को नहीं रह गया है। वह ध्यान में गहरा उतरने लगा है। बहुत मस्त रहता है। दीदी ने उसके लिखे एक भजन के बारे में कहा है, वह अवश्य प्रसिद्ध होगा। उसकी एक सखी ने अपनी मधुर आवाज़ में उसे गाया था, जो व्हाट्सेप पर पोस्ट कर दिया था; सब को अच्छा लगा, भाई ने कहा है उसे अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करे।    


नौ बजने वाले हैं, जून ठीक नौ बजे बत्ती बंद करने को कहेंगे। उसके पूर्व ही आज का लेखा-जोखा लिख लेना है। सुबह आकाश पर बदली थी। आर्ट ऑफ़ लिविंग के फिटनेस चैलेंज का अंतिम दिन था। जून ने मॉर्निंग ग्लोरी के फूलों की तस्वीरें उतारीं। बाद में वे ढेर सारे फल लाए। काव्यालय की संस्थापिका ने एक अंग्रेज़ी कविता का अनुवाद पोस्ट किया, उसे अखरा तो उसने भी एक अनुवाद किया और उन्हें भेजा। जिसे उन्होंने फ़ेसबुक पर पोस्ट कर दिया। एक चित्र बनाना आरम्भ किया है। ‘ध्यान’ पर एक पुस्तक का  अध्ययन भी शुरू किया है। जीवन एक लय में आगे बढ़ रहा है, जैसे सुबह और शाम, वसंत और पतझड़ आते-जाते हैं, वैसे ही उनके दिन और रात कुछ नये-नये अनुभव देकर बीत जाते हैं।  इसी मधुर भाव में जीने का नाम जीवन है शायद !