आज नौ बजे उन्होंने ग्यारह दीपक जलाए। आज के रामायण के अंक में राम का हनुमान से प्रथम मिलन दर्शाया गया है। रामायण और महाभारत देखने से दिन काफी भरा-भरा लगता है. मन में राम और कृष्ण का स्मरण बना रहता है. शाम को मास्क पाहन कर टहलने गयी तो शुरू में थोड़ी दिक़्क़त हुई पर बाद में अभ्यास हो गय। अभी आगे कई महीनों तक ऐसे ही चलेगी ज़िंदगी। कोरोना के ख़िलाफ़ इस युद्ध में हर भारतीय को अपना योगदान देना है। अमेरिका ने भारत से कोरोना के लिए दवा की मांग की है, जो भारत अवश्य ही भेज देगा. लगता है सरकार को लॉक डाउन की अवधि बढ़ानी पड़ेगी. आज जून ने भी एओएल को कुछ आर्थिक सहयोग दिया, वे लोग दिहाड़ी मज़दूरों को भोजन आदि बांट रहे हैं।
इस समय यहाँ मूसलाधार वर्षा हो रही है, गर्जन-तर्जन के साथ, रह-रह कर बिजली चमकती है और बादलों की तेज गड़गड़ाहट सुनायी देती है। बंगलूरू में इस नए घर में यह उनकी पहली बारिश है, लगभग एक घंटा पहले आरंभ हुई। एक-एक करके सारी खिड़कियाँ बंद कीं। छत पर लकड़ी के झूले को बचाने के लिए जो शेड बनाया है, वह भी तेज बौछार से उसकी रक्षा नहीं कर सका। दोपहर बाद ‘इंगलिश मीडियम’ देखी, सिनेमा हाल बंद हैं सो हॉट स्पॉट पर इसे रिलीज़ कर दिया गया है। शाम को पार्क में फूलों के सूखते हुए पौधों को देखा था, इंद्र देवता ने इतना पानी बरसा दिया कि धरती-पौधे सब तृप्त हो गये हैं।
आज सुबह गैराज में एक कौए ने कबूतर पर हमला कर दिया। घर के अंदर से देखा तो उसे भगाया। कबूतर घायल था, कौए ने उसके पंख नोच दिए थे। वह एक कोने में छिपने गया, उड़ नहीं पा रहा था, रास्ते में रक्त की बूँदें गिरती जा रही थीं, उसे पानी दिया पर पी नहीं सका। एक चौकीदार के द्वारा उसे डिस्पेंसरी भेजा। पता नहीं उसका क्या हुआ होगा.
वर्षा के कारण बालकनी पर बनी शीशे की छत और सोलर पैनल अपने आप धुल गए हैं. मौसम भी ठंडा हो गया है.आज शाम टहलने गए तो आकाश पर गुलाबी बादल थे, बिलकुल मसूर की दाल के रंग के बादल, जो नीले पृष्ठभूमि में बहुत आकर्षक लग रहे थे. रंगों का यह खेल प्रकृति के हर क्षेत्र में खेला जा रहा है. अनगिनत रंगों की तितलियाँ, मछलियां, पंछी, फूल और कीट, सर्प यहाँ तक कि जड़ पत्थरों को भी अनोखे रंगों से सजाया है प्रकृति ने, मानव इनकी ओर देखे तो सारा कष्ट भूल जाये पर उसके पास चाँद -तारों को निहारने का समय नहीं है, कुछ लोग बन्द कमरों में टीवी पर हिंसा और नफरत के खेल देखने में ही व्यस्त हैं. आज सुबह हरसिंगार के ढेर सारे फूल उठाये.
रात्रि के नौ बजे हैं. हनुमान जी को जाम्बवान उनकी भूली हुई शक्तियों को याद दिला रहे हैं, बचपन में एक ऋषि ने उन्हें शाप दे दिया था, जिससे वे उन्हें भूल ही गए हैं. बाल्यावस्था में उन्हीं ने एक बार सूर्य का भक्षण किया था, यह भी उन्हें याद नहीं है. वे भी पूर्वकाल में कितनी ही बाधाओं को पार करके आएये हैं पर कोई नयी विपत्ति आने पर यह भूल जाते हैं. आज भी छिटपुट वर्षा हुई, शाम को आकाश सलेटी-काले बादलों से भरा था. हनुमान जी को अपना बल याद आ गया है और वे सागर पर जाने के लिए तैयार हो गए हैं. उन्हें राह में मैनाक पर्वत मिलता है, जिसे समुद्र देव ने कुछ देर विश्राम के लिए भेजा है. सागर भी राम के कुल का ऋणी है और मैनाक की रक्षा हनुमान के पिता ने की थी. पहले लोग अपने प्रति की गयी भलाई को कितना याद रखते थे.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4365 दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबाग
बहुत बहुत आभार !
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