Friday, March 18, 2022

पीली मूँग



आज शाम साढ़े  पाँच बजे ही वर्षा आरंभ हो गयी। घर के दायीं तरफ़ बने गोदाम की टिन की छत पर बूँदों की बहुत तेज आवाज़ होती है, जैसे ओले गिर रहे हों। वर्षा रुकी तो वे जैकेट पहनकर टहलने गए, तेज हवा बह रही थी, हवा में ठंडक भी थी। बायीं तरफ़ की पड़ोसिन वर्षा में ही छाता लेकर टहलने निकल पड़ी थीं, उनका कहना है कि शाम को एक तय समय ही उन्हें मिलता है, यदि वह बीत गया तो बाद में व्यस्तता के कारण टहलना छूट जाता है। कल उसने ब्लॉग पर व फ़ेसबुक पर नींद पर एक कविता लिखी थी, कइयों को भायी है, शायद नींद ना आना सबकी समस्या है।संभवतः अवचेतन मन में कोरोना का भय परेशान कर रहा हो। आज जून ने सिंधी दाल बनायी पीली मूँग की, बनाते समय कितनी बार माँ को याद किया, बचपन सदा किसी न किसी रूप में हरेक के साथ चलता है। शायद सरकार लॉक डाउन की अवधि को बढ़ाने वाली है, कई राज्यों ने पहले ही ऐसा कर दिया है। सरकारें काफ़ी सहायता भी प्रदान कर रही हैं, ताकि काम न होने पर भी निर्धन, मज़दूर आदि अपना जीवन ठीक से चला सकें। कितने लोगों का व्यापार ठप्प हो गया है । टैक्सी ड्राइवर, होटल सभी जगह किसी की कमाई नहीं हो रही। सभी स्कूल शायद सितम्बर तक बंद रहेंगे। अमेरिका को भारत क्लोरोकविन भेज रहा है, इस समय सभी को सभी की मदद करनी है। 


आज हफ़्तों बाद वे रात्रि के भोजन के बाद बाहर टहलने निकले। चौकीदार के अलावा कोई नहीं था, जबकि शाम को इक्का-दुक्का लोग थे। यदि यह महामारी न हुई होती तो आजकल वे गुजरात में होते।इंडिगो ने कहा है कि अगले वर्ष तक वे कभी भी टिकट का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुबह घर की साप्ताहिक सफ़ाई की, तीनों बरामदे, सभी कमरे, किचन, गैराज, सभी स्नानघर, पूरे तीन घंटे लग गए। बर्तन और कपड़े तो मशीन से धुल जाते हैं। महामारी ने एक काम तो अच्छा किया है, सभी को घर का काम करना सिखा दिया है। खाना बनाने से कपड़े धोना, झाड़ू-पोछा तक सब कुछ।सभी आत्मनिर्भर बनें यह तो अच्छा ही है। नाश्ते में कुछ देर हो गयी पर अब जून भी जल्दी नहीं मचाते, आराम से अख़बार पढ़ते रहते हैं। सभी जगह तालाबंदी है, सभी एक सी समस्या का सामना कर रहे हैं, इसलिए जैसे दुनिया एक अदृश्य सूत्र में बंधकर  कुछ निकट आ गयी है। मोदी जी ने अपने सम्बोधन में कहा, तीन मई तक तालाबंदी बढ़ा दी गयी है। ज़्यादातर राज्यों ने इसका स्वागत किया है। अभी भारत में कोरोना के ग्यारह हज़ार मरीज़ हैं। छोटी बहन से बात हुई, उनके अस्पताल को विशेष कोरोना अस्पताल में बदल दिया गया है, कल उसका कोरोना टेस्ट भी हुआ। 


शाम को एक दुखद घटना सुनने को मिली, इसी सोसाइटी में एक युवक की मृत्यु हो गयी, कहा गया कि उसने  आत्महत्या कर ली, पिता दुबई में रहते हैं, माँ से उसका किसी बात पर झगड़ा हुआ था, वह ऊपर के फ़्लोर पर रहता था और माँ नीचे।  कितना अजीब लगता है सुनकर कि इस आपद काल में भी लोग इतने नादान हो सकते हैं। शायद वह बीमार रहा हो, पता नहीं उसे दवा भी मिली हो या नहीं। नन्हे और सोनू से नियमित फ़ोन पर बात होती है, एक ही शहर में रहने के बावजूद पिछले एक महीने से मिलना नहीं हुआ है। आज सुबह नींद खुलने से पहले एक मधुर घंटी की ध्वनि सुनायी दी, कौन था जो इतने प्रेम से जगा रहा था। दो तीन दिन पहले भी एक आवाज़ सुनकर नींद खुली थी जिसका स्रोत नज़र नहीं आया। परमात्मा के पास हज़ार साधन हैं, वह कुछ भी कर सकता है ! रामायण में राम-रावण युद्ध आरम्भ हो गया है। आज दीदी ने फ़ोन किया उनके यहाँ महरी ने आना शुरू कर दिया है, अख़बार भी आने लगा है। 


5 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१९-०३ -२०२२ ) को
    'भोर का रंग सुनहरा'(चर्चा अंक-४३७३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. बहुत सुंदर प्रविष्टि

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  3. डायरी के आत्मीय पन्ने।

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    1. स्वागत व आभार कुसुम जी!

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