Tuesday, March 29, 2022

उलूक शावक



आज सुबह तेज वर्षा हुई। दोपहर को मॉडेम बदलने मकैनिक आया, लगभग एक महीने बाद इंटर्नेट काम करने लगा है। जून ने नन्हे से घर के वाई फ़ाई सिस्टम के बारे में बात की, मॉडेम ख़राब होने के कारण घर की बत्तियाँ और फ़ैन आदि गूगल होम से नहीं चल रहे थे।इस  गूगल होम ने भी कितना आरम्पसंद बना दिया है लोगों को। आज दोपहर को नीतू सिंह के बचपन की ‘दो कलियाँ’ फ़िल्म देखी, वर्षों पूर्व  इसके बारे में सुना था, पर कभी देखने का मौक़ा नहीं मिला। उत्तर रामायण में दिखाया गया कि लव-कुश का जन्म हो चुका है और राम भी राज-काज में रुचि दिखा रहे हैं। शाम को वर्षा थमी तो टहलने गये, सड़कें  धुलीं हुई थीं और पेड़ कुछ ज़्यादा हरे लग रहे थे। प्रकृति का कुछ पलों का संग-साथ मन को सुकून से भर देता है, परमात्मा की पहली झलक साधक को कुदरत में ही मिलती है। 


आज सुबह समाचार मिला कि ऋषिकपूर का  देहांत हो गया है। उनके लिए श्रद्धांजलि  स्वरूप कुछ लिखा। दो वर्ष पूर्व हुए मस्तिष्क के एक असामान्य रोग के कारण प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता इरफ़ान का भी कल ही देहांत हुआ था। दोनों कलाकारों को चाहने वाले लाखों  की संख्या में होंगे, सभी उदास हैं।जीवन के साथ मरण भी जुड़ा है और हर किसी को एक न दिन विदा होना है, हर मृत्यु उसे इस बात को और गहराई से याद दिला जाती है।  विश्व भर में कोरोना के मरीज़ भी बत्तीस लाख हो गए हैं। दो लाख से अधिक लोग अपनी जान गँवा बैठे हैं। मरने वालों में अधिकतर या तो वृद्ध हैं या रोगी। पूरे विश्व में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो अनेक कष्टों का सामना करते हुए जीवन को किसी तरह बचा भर पा रहे हैं; जिनकी रोज़ी-रोटी छिन गयी है। यह प्रलय से कम विषम स्थिति नहीं है। आधुनिक काल की प्रलयंकारी स्थिति शायद वायरस ही ला सकते हैं। आज दो पुराने मित्र परिवारों से वीडियो कॉल पर देर तक बात हुई। ज़ाहिर है कोरोना की भी बातें हुईं, एक ने कहा बाहर से आने वाले किसी भी सामान के साथ वायरस घर में आ सकता है।अभी तक तो उनकी सोसाइटी में कोई केस नहीं आया है। 


आज मज़दूर दिवस पर एक रचना ब्लॉग पर प्रकाशित की। टीवी पर ‘सारा आकाश’ देखी, इसके बारे में भी काफ़ी सुना था दशकों पूर्व।सरकार ने लॉक डाउन की अवधि बढ़ा दी है। अमेरिका में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। भारत में कुल अड़तीस हज़ार मरीज़ हैं। अब मरीज़ों की संख्या में वृद्धि शीघ्रता से हो रही है। जून ने नन्हे से कहा कि शाम को वह उसके यहाँ जाने वाले थे, तो वह चुप ही रहा। कोरोना का भय इतना ज़्यादा है कि वह नहीं चाहता वे कहीं बाहर निकलें, सभी लोग न कहीं आना चाहते हैं न किसी को बुलाना ही चाहते हैं। आज प्रातः काल भ्रमण के समय छोटा सा उलूक शावक दिखा, कल उसकी माँ या पिता  यानि  एक बड़ा उलूक देखा था। ढेर सारे बगुले भी देखे, आदमी सड़कों पर नहीं निकल रहे हैं तो पक्षी निर्भीक होकर घूम रहे हैं। आज महाभारत में कृष्ण का अर्जुन को गीता उपदेश आरम्भ हो गया है और रामायण में लव-कुश राम को अपना परिचय दे देते हैं। कल रामायण का अंतिम एपिसोड आएगा। उसके बाद श्रीकृष्ण धारावाहिक प्रसारित किया जाएगा। राम और कृष्ण जैसे भारत के कण-कण  में बसे हैं, उन्हें याद किए बिना कोई दिन पूरा नहीं होता।  


जून को भी आर्ट ऑफ़  लिविंग में एक सेवा का काम मिल गया है। वह कम्प्यूटर पर ज़ूम इंस्टाल कर रहे हैं। विभिन्न परियोजनाओं के लिए फ़ंडिंग करने वाले संयोजकों को ढूँढना है। उसके पहले प्रोजेक्ट योजना बनानी हैं, उन्होंने काम शुरू कर दिया है। उसका अनुवाद कार्य भी चल रहा है, सेवा का छोटा सा कार्य भी संतुष्टि की भावना को दृढ़ करता है। आज सुबह गाँव से नैनी ढेर सारे आँवले लेकर आयी, हरे, ताजे, बड़े आकार के, कुछ का अचार बनाया है। कल भुट्टे व कुम्हड़ा लायी थी, गाँव के निकट रहने से ताजी सब्ज़ियाँ मिल जाती हैं। आज इसी सोसाइटी में उगे तीन नारियल भी ख़रीदे।   


रात्रि के नौ बजे हैं, आज शाम वे लगभग दो महीने बाद मुख्य  गेट से बाहर निकले। दायीं ओर कुछ दूरी पर सब्ज़ी की दो नयी दुकानें देखीं। लोग सामान्य दिनों की तरह आ-जा रहे थे। सड़कों पर चहल-पहल थी, पर पता नहीं इसका परिणाम पता नहीं क्या होगा। दिल्ली में भी दुकानें खुल गयी हैं , कुछ विशेष दुकानों के आगे लोगों को लम्बी-लम्बी क़तारें लगी हैं। आज सुबह गाड़ी धोने वाले के साथ एक माली आया, गमलों में निराई कराके सूखा गोबर डलवाया, बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी कह रहा था आज से दुकानें खुल गयी हैं। शायद वह भी वहीं जाएगा, लोग पैसा देकर विष ख़रीदते हैं, आदत ही तो है। आज शाम से थोड़ा पहले भुवन शोम फ़िल्म देखी कुछ देर, बहुत अच्छी लगी, प्रिंट पुराना है पर अभिनय अनोखा। आज से दूरदर्शन पर ‘उपनिषद गंगा’ भी दिखाया जा रहा है।


Wednesday, March 23, 2022

प्लूमेरिया के फूल



आज रामायण का अंतिम अंक प्रसारित होगा, कल से उत्तर रामायण शुरू होगी। आज सुबह मोबाइल पर एक सखी के भेजे सुबह के संदेश की घंटी सुनकर नींद खुली, जो परमात्मा की याद दिला गयी। दोपहर बाद नन्हे से बात हुई, उनकी कम्पनी ने अगले छह महीनों के लिए कर्मचारियों का वेतन कम करने का निश्चय किया है। सीनियर्स का वेतन पचास प्रतिशत, उसके नीचे क्रम से तीस, बीस प्रतिशत तक कम करते जाएँगे। जिनका वेतन पहले ही  कम है उनका  नहीं कटेगा। कोरोना का असर अगले छह महीनों तक तो रहने ही वाला है, इसके भी आगे जाएगा, शायद आने वाले कई वर्षों तक। वैसे भारत में लॉक डाउन का अच्छा प्रभाव देखने को मिल रहा है। मोदी जी के प्रयास की प्रशंसा हो रही है। उनके लिए कुछ पंक्तियाँ लिखीं। कोरोना के मामले पर अमेरिका और चीन का आमना-सामना हो रहा है। अमेरिका में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कुछ लोग कह रहे हैं जैविक हथियार की तरह इसका इस्तेमाल किया है चीन ने उसके ख़िलाफ़। एक न एक दिन चीन को इसका जवाब तो देना ही पड़ेगा। 


रात्रि  के नौ बजने वाले हैं। भ्रमण के लिए निकले तो रात की रानी के फूलों की गंध लिए ठंडी हवा बह रही थी। आजकल ढेर सारे फूल खिल रहे हैं  वसंत का मौसम है न, गुड़हल के पाँच रंग के फूल, लिली के दो ग्लोब के आकार के फूल और पारिजात तो रोज़ सुबह पूजा के लिए  मिल जाते हैं। शाम को आकाश में नारंगी सूर्यास्त देखा, प्लूमेरिया के फूलों से वृक्ष भरे हुए थे। सुबह पीछे वाले गेट से बाहर निकल कर खेतों की तरफ़ गये, तोरई के खेत देखे। वहाँ एक नई कालोनी भी बन रही है, धीरे-धीरे खेतों की ज़मीनें मकान बनाने के लिए बिकती जा रही हैं। वापस लौटते समय प्याज़ का एक खेत देखा। अचानक एक चील पक्षी ने सिर पर तेज़ी से प्रहार किया, पर न तो चोंच से न ही पंजे से, केवल पंखों से दबाव डाला और उड़ गया, फिर जाकर सामने  पेड़ पर बैठ गया। इतना सब होने में मात्र कुछ पल ही लगे होंगे। दूर से उसकी तस्वीर भी ली। संभवतः खेत के निकट ही उसका घोंसला रहा होगा, वह अपने बच्चों के लिए भयभीत हुआ होगा। सुबह उत्तर रामायण में कौशल्या और राम का अद्भुत संवाद सुना। 


आज शाम को नापा से सटे हुए खेत से तोरई, चीकू और नारियल ख़रीद कर लाए। माली ने उसी समय तोड़ कर दिए। आम के बगीचे से कच्चे आम भी कल मिले थे, उनका अचार बनाया है। आज पृथ्वी दिवस है, धरती माता ने अनगिनत उपहार मानव को दिए हैं। छोटी ननद से बात हुई, उसने बताया, बैंक खुलते हैं पर ग्राहक नहीं आते, लोग घरों से निकल कर संक्रमण का शिकार होना नहीं चाहते। जून ने पहली बार घर पर ही केश काटे। 

आज बहुत दिनों के बाद वर्षा हो रही है,  शाम से ही  बादल छाने लगे थे। उत्तर रामायण में  राम सीता का त्याग करके बहुत दुखी हैं, जनक उनसे मिलने आए हैं। लक्ष्मण भी भाई के दुःख से दुखी हैं। महाभारत में युद्ध का आरम्भ होने ही वाला है। आज दोपहर को गुरूजी द्वारा कराया ध्यान किया, जब से तालाबंदी हुई है, वह दोपहर व शाम दोनों वक्त ध्यान कराते हैं। आज से नैनी काम पर आने लगी है, घर काफ़ी साफ़ हो गया है और उनका काम कुछ आसान हुआ है। काफ़ी समय मिला तो कई मित्रों व सम्बन्धियों से देर तक फ़ोन पर बात की।  पिताजी ने उसकी कविताओं को फ़ेसबुक पर पढ़ा।  


Friday, March 18, 2022

पीली मूँग



आज शाम साढ़े  पाँच बजे ही वर्षा आरंभ हो गयी। घर के दायीं तरफ़ बने गोदाम की टिन की छत पर बूँदों की बहुत तेज आवाज़ होती है, जैसे ओले गिर रहे हों। वर्षा रुकी तो वे जैकेट पहनकर टहलने गए, तेज हवा बह रही थी, हवा में ठंडक भी थी। बायीं तरफ़ की पड़ोसिन वर्षा में ही छाता लेकर टहलने निकल पड़ी थीं, उनका कहना है कि शाम को एक तय समय ही उन्हें मिलता है, यदि वह बीत गया तो बाद में व्यस्तता के कारण टहलना छूट जाता है। कल उसने ब्लॉग पर व फ़ेसबुक पर नींद पर एक कविता लिखी थी, कइयों को भायी है, शायद नींद ना आना सबकी समस्या है।संभवतः अवचेतन मन में कोरोना का भय परेशान कर रहा हो। आज जून ने सिंधी दाल बनायी पीली मूँग की, बनाते समय कितनी बार माँ को याद किया, बचपन सदा किसी न किसी रूप में हरेक के साथ चलता है। शायद सरकार लॉक डाउन की अवधि को बढ़ाने वाली है, कई राज्यों ने पहले ही ऐसा कर दिया है। सरकारें काफ़ी सहायता भी प्रदान कर रही हैं, ताकि काम न होने पर भी निर्धन, मज़दूर आदि अपना जीवन ठीक से चला सकें। कितने लोगों का व्यापार ठप्प हो गया है । टैक्सी ड्राइवर, होटल सभी जगह किसी की कमाई नहीं हो रही। सभी स्कूल शायद सितम्बर तक बंद रहेंगे। अमेरिका को भारत क्लोरोकविन भेज रहा है, इस समय सभी को सभी की मदद करनी है। 


आज हफ़्तों बाद वे रात्रि के भोजन के बाद बाहर टहलने निकले। चौकीदार के अलावा कोई नहीं था, जबकि शाम को इक्का-दुक्का लोग थे। यदि यह महामारी न हुई होती तो आजकल वे गुजरात में होते।इंडिगो ने कहा है कि अगले वर्ष तक वे कभी भी टिकट का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुबह घर की साप्ताहिक सफ़ाई की, तीनों बरामदे, सभी कमरे, किचन, गैराज, सभी स्नानघर, पूरे तीन घंटे लग गए। बर्तन और कपड़े तो मशीन से धुल जाते हैं। महामारी ने एक काम तो अच्छा किया है, सभी को घर का काम करना सिखा दिया है। खाना बनाने से कपड़े धोना, झाड़ू-पोछा तक सब कुछ।सभी आत्मनिर्भर बनें यह तो अच्छा ही है। नाश्ते में कुछ देर हो गयी पर अब जून भी जल्दी नहीं मचाते, आराम से अख़बार पढ़ते रहते हैं। सभी जगह तालाबंदी है, सभी एक सी समस्या का सामना कर रहे हैं, इसलिए जैसे दुनिया एक अदृश्य सूत्र में बंधकर  कुछ निकट आ गयी है। मोदी जी ने अपने सम्बोधन में कहा, तीन मई तक तालाबंदी बढ़ा दी गयी है। ज़्यादातर राज्यों ने इसका स्वागत किया है। अभी भारत में कोरोना के ग्यारह हज़ार मरीज़ हैं। छोटी बहन से बात हुई, उनके अस्पताल को विशेष कोरोना अस्पताल में बदल दिया गया है, कल उसका कोरोना टेस्ट भी हुआ। 


शाम को एक दुखद घटना सुनने को मिली, इसी सोसाइटी में एक युवक की मृत्यु हो गयी, कहा गया कि उसने  आत्महत्या कर ली, पिता दुबई में रहते हैं, माँ से उसका किसी बात पर झगड़ा हुआ था, वह ऊपर के फ़्लोर पर रहता था और माँ नीचे।  कितना अजीब लगता है सुनकर कि इस आपद काल में भी लोग इतने नादान हो सकते हैं। शायद वह बीमार रहा हो, पता नहीं उसे दवा भी मिली हो या नहीं। नन्हे और सोनू से नियमित फ़ोन पर बात होती है, एक ही शहर में रहने के बावजूद पिछले एक महीने से मिलना नहीं हुआ है। आज सुबह नींद खुलने से पहले एक मधुर घंटी की ध्वनि सुनायी दी, कौन था जो इतने प्रेम से जगा रहा था। दो तीन दिन पहले भी एक आवाज़ सुनकर नींद खुली थी जिसका स्रोत नज़र नहीं आया। परमात्मा के पास हज़ार साधन हैं, वह कुछ भी कर सकता है ! रामायण में राम-रावण युद्ध आरम्भ हो गया है। आज दीदी ने फ़ोन किया उनके यहाँ महरी ने आना शुरू कर दिया है, अख़बार भी आने लगा है। 


Tuesday, March 8, 2022

बदलियों के रंग

 

आज नौ बजे उन्होंने ग्यारह दीपक जलाए। आज के रामायण के अंक में राम का हनुमान से प्रथम मिलन दर्शाया गया है। रामायण और महाभारत देखने से दिन काफी भरा-भरा लगता है. मन में राम और कृष्ण का स्मरण बना रहता है. शाम को मास्क पाहन कर टहलने गयी तो शुरू में थोड़ी दिक़्क़त हुई पर बाद में अभ्यास हो गय। अभी आगे कई महीनों तक ऐसे ही चलेगी ज़िंदगी। कोरोना के ख़िलाफ़ इस युद्ध में हर भारतीय को अपना योगदान देना है। अमेरिका ने भारत से कोरोना के लिए दवा की मांग की है, जो भारत अवश्य ही भेज देगा. लगता है सरकार को लॉक डाउन की अवधि बढ़ानी पड़ेगी. आज जून ने भी एओएल को कुछ आर्थिक सहयोग दिया, वे लोग दिहाड़ी मज़दूरों को भोजन आदि बांट रहे हैं। 

 


इस समय यहाँ मूसलाधार वर्षा हो रही है, गर्जन-तर्जन के साथ, रह-रह कर बिजली चमकती है और बादलों की तेज गड़गड़ाहट सुनायी देती है। बंगलूरू में इस नए घर में यह उनकी पहली बारिश है, लगभग एक घंटा पहले आरंभ हुई। एक-एक करके सारी खिड़कियाँ बंद कीं। छत पर लकड़ी के झूले को बचाने के लिए जो शेड बनाया है, वह भी तेज बौछार से उसकी रक्षा  नहीं कर सका। दोपहर बाद ‘इंगलिश मीडियम’ देखी, सिनेमा हाल बंद हैं सो हॉट स्पॉट पर इसे रिलीज़ कर दिया गया है। शाम को पार्क में फूलों के सूखते हुए पौधों को देखा था, इंद्र देवता ने इतना पानी बरसा दिया कि धरती-पौधे सब तृप्त हो गये हैं। 


आज सुबह गैराज में एक कौए ने कबूतर पर हमला कर दिया। घर के अंदर से देखा तो उसे भगाया। कबूतर घायल था, कौए  ने उसके पंख नोच दिए थे। वह एक कोने में छिपने गया, उड़ नहीं पा रहा था, रास्ते में रक्त की बूँदें गिरती जा रही थीं, उसे पानी दिया पर पी नहीं सका। एक चौकीदार के द्वारा उसे डिस्पेंसरी भेजा। पता नहीं उसका क्या हुआ होगा. 


वर्षा के कारण बालकनी पर बनी शीशे की छत और सोलर पैनल अपने आप धुल गए हैं.  मौसम भी ठंडा हो गया है.आज शाम टहलने गए तो आकाश पर गुलाबी बादल थे, बिलकुल मसूर की दाल के रंग के बादल, जो नीले पृष्ठभूमि में बहुत आकर्षक लग रहे थे. रंगों का यह खेल प्रकृति के हर क्षेत्र में खेला जा रहा है. अनगिनत रंगों की तितलियाँ, मछलियां, पंछी, फूल और कीट, सर्प यहाँ तक कि जड़ पत्थरों को भी अनोखे रंगों से सजाया है प्रकृति ने, मानव इनकी ओर देखे तो सारा कष्ट भूल जाये पर उसके पास चाँद -तारों को निहारने का समय नहीं है, कुछ लोग बन्द कमरों में टीवी पर हिंसा और नफरत के खेल देखने में ही व्यस्त हैं. आज सुबह हरसिंगार के ढेर सारे फूल उठाये.  


रात्रि के नौ बजे हैं. हनुमान जी को जाम्बवान उनकी भूली हुई शक्तियों को याद दिला रहे हैं, बचपन में एक ऋषि ने उन्हें शाप दे दिया था, जिससे वे उन्हें भूल ही गए हैं. बाल्यावस्था में उन्हीं ने एक बार सूर्य का भक्षण किया था, यह भी उन्हें याद नहीं है. वे भी पूर्वकाल में कितनी ही बाधाओं को पार करके आएये हैं पर कोई नयी विपत्ति आने पर यह भूल जाते हैं. आज भी छिटपुट वर्षा हुई, शाम को आकाश सलेटी-काले बादलों से भरा था. हनुमान जी को अपना बल याद आ गया है और वे सागर पर जाने के लिए तैयार हो गए हैं. उन्हें राह में मैनाक पर्वत मिलता है, जिसे समुद्र देव ने कुछ देर विश्राम के लिए भेजा है. सागर भी राम के कुल का ऋणी है और मैनाक की रक्षा हनुमान के पिता ने  की थी. पहले लोग अपने प्रति की गयी भलाई को कितना याद रखते थे. 



Wednesday, March 2, 2022

दीया -बाती

आज इतवार है। वे प्रातः भ्रमण के लिए गए तो हवा में ठंडक थी, तापमान १८ डिग्री रहा होगा। सुबह का टहलना अभी तक तो चल रहा है लेकिन कब रोकना पड़े, कह नहीं सकते, टहलते समय बार-बार ऐसा लग रहा था जैसे क़ानून का उल्लंघन कर रहे हैं। कल शाम ही एक नोटिस आया था कि टहलना आवश्यक कार्यों में नहीं आता, छह महीने की सजा हो सकती है। भगवान ही जानता है स्थिति कब सामान्य होगी। अभी लॉक डाउन ख़त्म होने में दो हफ़्ते शेष हैं। इसके बाद भी क्या होने वाला है यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। आज एक पुरानी सखी से महीनों बाद बात हुई, सभी भाई-बहनों से भी फ़ोन पर बात हुई। आजकल सभी लोग घर में हैं और सभी के पास समय है। फुफेरे भाई ने पुरानी तस्वीरें भेजीं, चाची के परिवार में सबसे बात हो गयी। विपदा में सब जैसे किसी एक तल पर बहुत क़रीब आ गये हैं। वापस आकर समाचार सुने, कोरोना पीड़ितों की संख्या  भारत में एक हज़ार हो गयी है। नौ बजे रामायण का तीसरा अंक देखा, अनेक बार देखने पर भी रामायण की कहानी नई जैसी लगती है। मोदी जी की “मन की बात’ सुनी। धीरे-धीरे दिल्ली में दिहाड़ी मज़दूरों व अशक्त लोगों के लिए जग-जगह रहने व खाने के इंतज़ाम हो रहे हैं। पहले वे लोग अपने-अपने गावों में जा रहे थे। पर वहाँ भी उनके लिए कौन स्वागत में बैठा होगा ? किसी भी तरह की विपदा हो उसका सबसे ज़्यादा और सबसे पहला असर मज़दूरों पर ही पड़ता है। जून ने पीएम केयर्स फंड में पैसे भेजे हैं। उन्होंने ग्रामीण लोगों की सहायता के लिए भी कुछ मदद की, दुकान तक भी गए। आर एसएस के कुछ लोग राशन ख़रीद कर निर्धन लोगों में बांट रहे हैं। इस समय सभी को सहायता के लिए आगे आना होगा। समाज के हर वर्ग को देश के लिए कुछ करने का अवसर मिला है। नन्हे से बात हुई, उसने कहा अभी काफ़ी समय लग जाएगा दुनिया को कोरोना से मुक्त होने में। न्यूयार्क में तीन से चार हज़ार लोग महामारी से पीड़ित हैं। 


रात्रि के नौ बजे हैं। कुछ देर पूर्व छत पर टहलने गये तो अष्टमी का सुनहला पीला  चाँद चमकीले सितारों के मध्य जगमगा रहा था। जैसे उसे कोई खबर ही नहीं है कि जिस धरती के वह चक्कर काट रहा है, उसे क्या हो रहा है? अर्थात उस पर रहने वाले मानव नाम के जीव पर क्या बीत रही है ?  शाम को सूर्यास्त भी देखा था। प्रकृति अपने कर्म में कभी नहीं चूकती, न जाने कितने युगों से रोज़ यह क्रम चल रहा है। आज दोपहर को अचानक तेज अंधड़ चला, मुश्किल से दो-तीन मिनट के लिए, पर ढेर सारे सूखे पत्ते छत पर, लॉन में और गैराज में फैल गए। शाम को झाड़ू लगाया। आजकल सफ़ाई कर्मचारी भी नहीं आ रहे हैं। 


आज रामनवमी है, गुरूजी ने राम ध्यान करवाया। सुबह क्रिया के दौरान सोहम का अर्थ स्पष्ट हुआ, अद्भुत थे वे क्षण ! प्रधान मंत्री ने अगले इतवार को देशवासियों को रात्रि नौ बजे नौ मिनट के  लिए दीपक, टार्च या मोमबत्ती जलाकर घर के द्वार या बालकनी में खड़े होने को कहा है। घर की बत्तियाँ बंद कर देनी हैं ताकि दीपकों का प्रकाश ज़्यादा प्रज्ज्वलित हो सके। कोरोना के ख़िलाफ़ युद्ध के लिए सभी भारतवासियों को एकजुटता की शक्ति को महसूस करना है। सभी की चेतना जब एक होकर इस विपत्ति का सामना करने का निश्चय करेगी तभी उन्हें सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।