Friday, December 11, 2020

श्वेत बदलियाँ

 


रात्रि के सवा आठ बजे हैं। टीवी पर कारगिल दिवस पर दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आ रहा है। प्रधानमंत्री का संबोधन प्रेरणात्मक है। कुछ देर पूर्व नन्हे और सोनू से बात हुई, वे लोग काबिनी गए हैं, जो मैसूर से एक घण्टे की दूरी पर है. वे एक ईको रिजॉर्ट में ठहरे हैं. जहां एक नदी भी है, मिट्टी की दीवारों वाला कमरा है, छत भी छप्पर वाली है, पर एसी लगा है भीतर. आधुनिकता और परंपरा का अध्भुत मिश्रण. सुबह एक योग साधिका मिलने आयी, उसका दांया कंधा पट्टी से बंधा था, सिर पर चोट का निशान था, टेप लगा था. बताया, कल शाम को गैरेज के पीछे बगीचे से भिन्डी लेने गयी थी, गिर गयी. हाथ के बल गिरी थी सो कंधे में फ्रैक्चर हो गया. एक महीना लगेगा ठीक होने में. फिर भी वह काफी उत्साह से भरी थी, आत्मिक शक्ति से ओतप्रोत वह हँस रही थी. अगले वर्ष वह भी रिटायरमेंट के बाद कोलकाता जाने की तैयारी करेगी. पिताजी हाल में ही नहीं रहे. पुत्र दिव्यांग है, पर उसकी मुस्कान मिटती नहीं. जिसने अपने हृदय में परमात्मा की उपस्थिति को एक बार महसूस कर लिया है, वह हर हाल में प्रसन्न रह सकता है. एक अन्य साधिका राधा-कृष्ण की भक्त है, उनके भजन पूर्ण मगन होकर गाती है. सुबह स्कूल गयी तो पहली बार यह ड्राइवर आया था, वैसे वह कई वर्षों से गाड़ी चला रहा है पर उसका हाथ उतना सधा हुआ नहीं है. दोपहर को घर के सामने से एक शवयात्रा को जाते देखा. कल शाम ही कम्पनी के उन अधिकारी का काफी समय से चल रही किडनी की समस्या से देहांत हो गया था. शाम को बगीचे में टहल रही थी तो बच्चों ने कहा, आकाश में कितने सुंदर बादल हैं, तस्वीरें उतारने को भी कहा. बच्चों में सौंदर्य बोध स्वाभाविक होता है, उनकी आँखें शुद्ध होती हैं, तीन वर्ष का बालक भी बादल को दिखा कर कह रहा था, कितना सुंदर है ! भगवद्गीता पर व्याख्या सुनी आज, प्रकृति  और पुरुष के द्वारा इस सृष्टि की रचना होती है. जिन चीजों को हम छोड़ना चाहते हैं, वह छूट जाएँ यही मुक्ति है ! प्रेम से भरे रहना भक्ति है, अशांति से मुक्ति रहना शांति है ! रामानुजम की गीता पर व्याख्या पढ़ी कुछ देर. 

सुबह जल्दी नींद खुली, पर जब भ्रमण के लिए तैयार हुई तो आश्चर्यजनक रूप से बन्द हो गयी, आधा घन्टा रुकी रही, घर लौटने के बाद तेज वर्षा पुनः होने लगी. आज राज्यसभा में भी ‘मुस्लिम महिला विवाह सरंक्षण अधिनियम’ ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया. आज वाकई मुस्लिम महिलाओं के लिए ख़ुशी का दिन है, मोदी सरकार ने जो कहा था, वह कर दिखाया है. महिलाओं में ख़ुशी का माहौल है. कितनी बड़ी कुरीति है यह तीन तलाक की प्रथा, दुनिया के बीस इस्लामिक देश इस प्रथा को बन्द कर चुके हैं. कश्मीर के बारे में एक कार्यक्रम देखा, सम्भवतः मोदी सरकार कोई बड़ा निर्णय लेने वाली है स्वतन्त्रता दिवस से पूर्व. 


छोटी बहन का जन्मदिन है आज, उसे मोबाइल पर केक काटते हुए देखा, ढेर सारी अन्य वस्तुएं भी थीं, पर एक विशेष व्यंजन था, करेले के चिप्स !उसके लिए एक कविता भेजी थी उसने सुबह. उसे राखियां भेजनी हैं, दो हफ्ते ही शेष हैं. इस बार यहाँ बच्चों को विशेष भोज देना है रक्षा बन्धन पर, यह अंतिम उत्सव होगा उनके जाने से पूर्व. आज भी सुबह से दोपहर तक लगातार वर्षा होती रही, शाम को सामने भ्रमण पथ पर टहलने गयी, मैदान में पानी भर गया था. तस्वीरें उतारीं, काफी अच्छी आयी हैं. आज सुबह देखा, वर्षा में भीगती हुई एक काली जंगली मुर्गी अपनी चोंच में एक कीड़ा पकड़े जा रही थी, लगा अवश्य अपने बच्चे के लिए ले जा रही होगी. तभी झाड़ियों से काला चूजा निकला, जरूर  उसके मुख में डाला होगा. दूर से देख नहीं पायी, प्रेम की भावना हर जीव में प्रकृति की तरफ से मिली है. वे यदि किसी से प्रेम करते हैं तो इसमें उनकी कोई सफलता नहीं है, बल्कि जब वे किसी से द्वेष करते हैं तो इसमें उनका प्रयास अवश्य सम्मिलित है. परमात्मा उन्हें मिला ही हुआ है, संसार उन्होंने खुद बना लिया है. संसार से परमात्मा ढक गया है. 


भक्त के दिल की हालत को बयान करते हुए शब्द फिर उस पुरानी डायरी में पढ़े  महादेवी वर्मा के लिखे - 


वर देते हो तो कर दो ना 

चिर आंखमिचौनी यह अपनी, 

जीवन में खोज तुम्हारी है 

मिटना ही तुमको छू पाना !


तुम चुपके से आ बस जाओ ‘

सुख-दुःख स्वप्नों में श्वासों में, 

पर मन कह देगा ‘यह वे हैं’

आँखें कह देगीं पहचाना !


क्यों जीवन के शूलों में 

प्रतिक्षण आते जाते हो ! 

ठहरो सुकुमार ! गलाकर 

मोती पथ में फैलाऊँ ! 


हंसने में छू जाते तुम 

रोने में वह सुधि आती,  

मैं क्यों न जगा अणु-अणु को 

हँसना-रोना सिखलाऊँ !


7 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२-१२-२०२०) को 'मौन के अँधेरे कोने' (चर्चा अंक- ३९१३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. अत्यंत मनोहारी ।

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