Wednesday, September 23, 2020

गार्लिक ब्रेड

 

आज एक ऐतिहासिक दिन है. महीनों से इस दिन की प्रतीक्षा सारा देश कर रहा था, बल्कि विश्व के कई देश कर रहे थे, जहाँ भी भारतीय मूल के लोग रहते हैं अथवा जो देश भारत के मित्र हैं. बीजेपी ने भारी बहुमत से विजय हासिल की है तथा एनडीए एक बार फिर पांच वर्षों के लिए भारत को एक मजबूत सरकार देने वाला है. वे सुबह से ही चुनाव परिणाम पर नजर रखे हुए हैं. सुबह कम्पनी बाग घूमने गए, लोगों का एक हुजूम था वहाँ. कुछ लोग दौड़ रहे थे, कुछ योगासन कर रहे थे, कुछ टहल रहे थे , कुछ तस्वीरें उतार रहे थे. उन्होंने भी विशाल वृक्षों के चित्र लिए, आलूबुखारा व एक बेल खरीदी. वापसी में चचेरे भाई से मिलने का प्रयत्न किया, घर पर नहीं था, जिस दुकान पर चाय पीने आता है वहाँ भी देखा, पर नहीं मिला. उसकी कहानी भी बहुत विचित्र है पर मानव जीवन और यह सृष्टि सदा से ही विचित्रताओं से भरी है. वापस आकर नाश्ता किया फिर छोटी ननद की ससुराल गए. उसकी सासूमाँ बहुत स्नेही महिला हैं. उसके ज्येष्ठ के पुत्र से मिले जिसके पिताजी चाहते हैं वह उनकी दुकान संभाले, वह बीसीए करने के बाद घर आया हुआ था. वह निर्णय नहीं ले पा रहा है कि उसे क्या करना चाहिए. ढेर सारे फल खरीद कर जब वे वापस लौटे तो चुनाव परिणाम आने शुरू हो गए थे. एग्जिट पोल को सही सिद्ध करती हुई विजयमाल नरेंद्र मोदी जी के गले में सुशोभित हो गयी है. छोटी भाभी ने स्वादिष्ट मैंगो शेक बनाया व घर के बने आलू चिप्स भी तले. उन्होंने फल खाये और टीवी पर अमित शाह व नरेंद्र मोदी के भाषण सुने. कांग्रेस की हार पर अफ़सोस भी जताया, क्योंकि एक मजबूत विपक्ष भी लोकतंत्र के लिए अति आवश्यक है. 


सुबह मौसम सुहाना था. वे रजवाहे के किनारे-किनारे टहलने गए. सड़क सीमेंट की बनी है व साफ-सुथरी थी. इस मोहल्ले में भी सड़क पक्की हो गयी है. वापसी में वर्षा होने लगी, ठंडक बढ़ गयी. पिताजी अपने नियमों के अनुसार काम करते हैं, हिसाब-किताब भी पूरा रखते हैं. किस दिन गैस सिलेंडर लगाया था, इसकी डेट भी नोट करते हैं. नए प्रयोग करने से भी हिचकिचाते नहीं हैं. उनके जीवन से काफी कुछ सीखा जा सकता है. जून ने उन्हें मालिश के लिए तेजस तेल लाकर दिया है, वह स्वयं ही मालिश कर पा रहे हैं. आज घर पर गार्लिक ब्रेड बनी थी, जिसे पुलअपार्ट ब्रेड भी कहते हैं, साथ में मायोनीज की चटनी भी. नाश्ते के बाद टीवी पर मोदी जी की तकरीर फिर से सुनी. बीजेपी को तीन सौ तीन सीटें मिली हैं और एनडीए को तीन सौ बावन. पास ही की दुकान से वे मिठाई लाये, छोटे भाई ने दिल्ली के लिए भी मिठाई खरीद दी है. एक रात वे मंझले भाई के यहाँ बिताकर परसों असम वापस जा रहे हैं. दोपहर को दाल माखनी, रात को पनीर, इतना गरिष्ठ  भोजन वे घर पर नहीं करते हैं. शाम को टेलर से गुलाबी सूट लेकर आये, उसने वादा निभाया और समय पर सिल दिया. दोपहर को चचेरी बहन अपने दोनों बच्चों को लेकर आयी, दोनों बहुत प्यारे बच्चे हैं. उसने अपने पति व उसके काम के बारे में बातें बतायीं, उसे पथरी की समस्या हो गयी है, जबकि स्वयं उसे थायराइड की समस्या हो गयी है. देर रात्रि को दोनों भतीजियां आ रही हैं पर वे उसने सुबह ही मिलेंगे. 


सवा आठ बजने को हैं, आज उनकी यहाँ अंतिम सुबह है. सुबह का टहलना छत पर ही हुआ. मौसम आज गर्म है, धुप बहुत तेज है. वे आगे की यात्रा पर जाने के लिए तैयार हैं. चचेरा भाई भी उस दिन मिल नहीं पाया था, सुबह-सुबह स्वयं ही आ गया है. उसकी बहन  ने कल उसे बताया होगा, कल शाम वह अपने ममेरे भाइयों से भी मिलकर आई, तीन वर्ष बाद उसका आना हुआ है. 


आज वे पूरे एक महीने बाद घर वापस आये हैं, हवाई अड्डे से बाहर निकलने पर हरियाली ही हरियाली नजर आयी. ड्राइवर ने बताया महीने भर यहाँ वर्षा होती रही है. घर में कहीं चीटियों, कहीं चीटों और तिलचट्टों ने अपना घर बना लिया है. धूल, मिट्टी व मकड़ी के जाले तो हैं ही. दोनों नैनी व मालिन आ गयी हैं, मिलकर सफाई करेंगी. जून सब्जियां व फल लाने बाजार चले गए हैं। बाहर से कोयल के कूजन की आवाज लगातार आ रही है. 


अतीत के पन्ने खोले - उस दिन लाल स्याही से इतना ही लिखा था, माँ उसे कितना प्यार करती हैं, कितना ख्याल रखती हैं वह उसका ! कल शाम भी और आज सुबह भी ! 

  

उसका मन बस में नहीं है इस वक्त, यहाँ-वहाँ, इधर-उधर सारे संसार की सैर करता पागल मन ! वह नास्तिक होती जा रही थी, किन्तु अभी-अभी उसके मस्तिष्क में यह विचार कौंध गया कि इससे भयानक स्थिति क्या होगी ? ईश्वर का स्मरण मात्र ही पवित्रता को स्मरण करना है. शुभ, सुंदर, अच्छा, सत्य, प्रिय यही तो ईश्वर है. समय-असमय जो कुविचार उसे घेर लेते हैं उनसे त्राण पाने का एक अचूक साधन ! हे ईश्वर ! उसे ले चल ! उस राह पर जो पवित्र है, वह ... स्थिर मना, स्थितप्रज्ञ बन सके, अचंचल, दृढ बने. ऐसी भक्ति उसका मन करे कि तेरा दर्शन चहुँ और हो, और तब हे ईश्वर ! वह वह सब नहीं करेगी जो अब न चाहते हुए भी कर जाती है, कभी अनजाने में कभी जानबूझ कर. उसे अपनी शरण में ले, वह उसका चरवाहा बने, भटक जाये इससे पहले वह उसे संभाल लेगा, सहेज लेगा. उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया. 


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