Thursday, August 29, 2019

डेंटल क्लीनिक



सुबह के साढ़े दस बजे हैं. नन्हा व सोनू दफ्तर चले गये हैं. रात को नींद खुल गयी थी, असमिया सखी की बेटी का एक चेक लाना भूल गयी, कहाँ रखा होगा, इसके लिए मन में पुनः विचार आ गया. मन को इस गोल्डन रूल से समझाया, जो होता है अच्छा होता है. जो दूध गिर गया है उसके लिए क्या पछताना. मन ने खुद को उस दिन के लिए भी समझाया जब कोर्स के दौरान एक लड़की ने चेहरा धोने के लिए ठंडा पानी माँगा था और उसने देने में एक पल के लिए आनाकानी की थी, क्योंकि गर्मी बहुत थी और वह उसी समय खरीदकर लायी थी. स्वयं में ही व्यस्त रहने का जो सत्य कोर्स के दौरान दिखाया था वह भी याद आया. भोजन के प्रति आसक्ति स्पष्ट दिखी जब नाश्ते के बाद गुड डे बिस्किट अकेले खाया था. समूह में रहने का जो मौका कोर्स ने दिया उसका पूर्ण उपयोग नहीं किया, सबके साथ रहकर भी वह अकेले ही रह रही थी. गुरूजी कहते हैं, प्रवृत्ति और निवृत्ति साथ-साथ चलते हैं, जैसे श्वास का आना और जाना. जब वे ध्यान में हों तब सब कुछ छोड़कर अकेले हो जाना है पर जब व्यवहार में हैं तब स्वयं को भुलाकर दूसरे को ही प्राथमिकता देनी है. आज दोपहर जून की आँख का आपरेशन होना है.

रात्रि के आठ बजे हैं. आज का दिन व्यस्त रहा. सुबह छत पर टहलने गयी, सूर्योदय की तस्वीरें उतारीं. बाद में जून के साथ नीचे उतरे ड्राइव वे पर उसने चक्कर लगाये और जून बेंच पर बैठे रहे. उनकी आँख का आपरेशन कल ठीक से हो गया था. आज बच्चे घर पर हैं. नाश्ते में मेथी के परांठे बनाये कुक ने. दस बजे चेकअप के लिए नेत्रालय गये. साढ़े बारह बजे डेंटिस्ट के पास जाना था. काफी साफ-सुथरा व आधुनिक उपकरणों से युक्त क्लीनिक बहुत प्रभावित करने वाला था. रिसेप्शनिस्ट से लेकर डाक्टर, सहायक तक सभी का व्यवहार मधुर था. उसके दातों का फुल एक्सरे लिया. डाक्टर ने कहा, एक दांत निकालना पड़ेगा, एक ब्रिज लगाना है, एक दांत इम्प्लांट करना है. वापस आकर चार बजे दुबारा गये. डेंटिस्ट ने दांत निकाला और क्राउन के लिए दांत को घिसा. वहाँ से एक शोरुम में गये जहाँ किचन तथा वार्डरोब के मॉडल देखे. दांत में दर्द नहीं है. दो दिन बाद फिर जाना है. सोनू ने खिचड़ी बनाई है रात के खाने में. टीवी पर पद्मावत फिल्म आ रही है, जो उनकी देखी हुई है.

आज सुबह नन्हा उन्हें 'तिंदी ताजा' ले गया जो बंगलूरू का प्रसिद्ध रेस्तरां है, पर वहाँ लाइन लगी थी, सो एमटीआर पहुँच गये. सुबह अलार्म सुनकर नींद खुली पर न तो उठी न ही सजगता रही, सो महीनों बाद स्वप्न आरम्भ हो गया. मन स्वयं ही कल्पनाओं के जाल बुनता है और स्वयं ही उसमें फंस जाता है. सोनू घर को ठीक-ठाक करने में लगी है. उसने कल बेहद स्वादिष्ट केक बनाया था ब्लू बेरी डालकर जो जून लाये थे. उसने आज तेल लगाया और नूना को भी इसके लिए याद दिलाया. वह हर चीज का ध्यान रखती है और ज्यादा वादविवाद में नहीं पडती. कम बोलती है और धीरे भी.

आज यहाँ छठा दिन है, अभी छह दिन और शेष हैं. सुबह नींद जल्दी खुल गयी, नीचे टहलने गये तो अँधेरा था. चौकीदार सिर पर एक सफेद वस्त्र ओढे बैठा हुआ सो रहा था. जून के आपरेशन को हुए आज चौथा दिन है. अज वह अपने पुराने जोश में हैं. सिर पर पानी भी डाल लिया और किचन में कुक के साथ मिलकर पनिअप्प्म बनवाया. आज शाम को उनका भी एक डाक्टर के साथ अपॉइंटमेंट है, नन्हे की कम्पनी के एप द्वारा किया है. उसकी कम्पनी कितने लोगों का कितना भला कर रही है. कल शाम वे उनके नये घर गये थे, घर अब साफ-सुथरा हो गया है, अगले कुछ महीनों में वहाँ इंटीरियर का काम आरम्भ हो जायेगा. असम में सब कुछ पूर्ववत होगा, उसने सोचा नैनी को फोन करके घर की खबर लेगी. बस पौने दो वर्ष उन्हें और वहाँ रहना है, फिर बंगलूरू ही उनका निवास बन जायेगा. यह शहर सभी का स्वागत खुली बाहों से करता है.

Wednesday, August 28, 2019

जोसेफ मर्फी की किताब



रात्रि के आठ बजे हैं. यात्रा की तैयारी लगभग हो गयी है. अभी थोड़ी बहुत पैकिंग शेष है, जैसे तैरने का सामान, डायरी, किताबें आदि. शाम को लाइब्रेरी गयी दो नई किताबें इश्यू करायीं, एक सुधा मूर्ति की दूसरी डाक्टर जोसेफ मर्फी की 'पॉवर ऑफ़ सबकॉनशियस माइंड' शाम को योग कक्षा में कोर्स में सीखे चक्र-ध्यान के बारे में बताया, उन्हें डिवाइन शॉप से खरीदीं किताबें पढने को दीं और सकारात्मक चिन्तन करने को भी कहा. उससे पूर्व एक सहप्रतिभागी आया था, उसे हरिओम ध्यान के बारे में बताया. कोर्स के बाद जब सुबह स्कूल गयी तो तन बिलकुल हल्का था. योग सिखाते समय फिर एक पतंगा आकर सम्मुख बैठ गया था, परमात्मा का संदेश वाहक..आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर लिखा. काव्यालय की संस्थापिका के ब्लॉग को सब्सक्राइब किया, हर मंगलवार को उस पर पोस्ट आती है. नैनी ने अपनी बेटी के स्कूल प्रोजेक्ट के लिए कमल का एक सुंदर फूल बनाया, उसके लिए नयी ट्यूटर भी खोज ली है. उसके माता-पिता नहीं रहे जब वह छोटी थी, नानी के यहाँ रहकर पली, ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पायी पर अपने बच्चों को वह बहुत पढ़ाना चाहती है.

कल उन्हें यात्रा पर निकलना है. बड़ा सा सूटकेस जो वे ले जाने वाले हैं, काफी भारी हो गया है. कभी-कभी खुद भी उठाना पड़ सकता है, न भी पड़े तो जो भी उठाएगा उसकी कमर पर असर पड़ सकता है. आज विश्व ऑटिज्म डे है, शायद मृणाल ज्योति में कुछ आयोजन हुआ हो इस उपलक्ष में. बाहर बच्चों के झूला झूलने की आवाजें आ रही हैं, कल से उन्हें पूरा बगीचा मिल जायेगा. दीदी का फोन आया, दोपहर को वे दोनों सिडनी जा रहे हैं, एक डेढ़ महीना वहाँ रहेंगे. बेटी ने टिकट भेज दी है, पिछली बार तीन साल का वीजा मिल गया था, जिसमें हर वर्ष तीन महीने वे लोग सिडनी में बिता सकते हैं. बंगलूरू में उनके नये घर की चाबी मिल गयी है, वर्ष के अंत तक उसमें साज-सज्जा का कार्य हो जाना चाहिए. दोपहर की योग कक्षा में आज पहली बार छह महिलाएं आयीं, साथ में दस बच्चे.

आज सुबह चार से थोड़ा पहले उठे, और साढ़े पांच बजे तक तैयार थे. डिब्रूगढ़ से कोलकाता की उड़ान समय पर थी, जहाँ अगली फ्लाईट के लिए साढ़े पांच घंटे बिताने थे. डाक्टर जोसेफ मर्फी की पुस्तक पढ़ते हुए समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला. एक सखी बंगलूरू से वापस जा रही थी, कुछ देर उससे बात की. उसका पुत्र हैदराबाद में कानून पढ़ रहा है, जिसने आधुनिक कार्लमार्क्स कहे जाने वाले एक समाजविज्ञानी का इंटरव्यू लिया, बेटी बंगलूरू में जॉब करती है. रात्रि साढ़े आठ बजे घर पहुँचे तो नन्हा और सोनू घर आ गये थे. कुक खाना बना कर चला गया था. बड़े भाई की बिटिया और उसकी एक सखी भी आये थे, नन्हे का एक मित्र भी, सबने मिलकर रात्रि भोजन किया. मौसम गर्म था.

सुबह साढ़े पांच बजे उठे, साधना की फिर कुक के हाथ की बनी चाय पी. पोहा बनाया था उसने नाश्ते में, सोनू ने फल काट दिए. उसके बाद इंटीरियर डेकोरेटर से मिलने गये, जिसने ३डी डिज़ाइन दिखाए घर के, काफ़ी प्रभावित करने वाले थे. उसके बाद एक संबंधी के यहाँ लंच खाया, अगले महीने होने वाले उनकी बेटी के विवाह में आ नहीं पायेंगे, सो उसे उपहार दिया. एक सखी से बात की, उसकी देवरानी की बेटी जो बंगलूरू में रह कर पढ़ाई करती है, बुखार से पीड़ित है, वह उनके घर रहने आई है. जून ने बताया, उनके दफ्तर की वह महिला अधिकारी फिर अस्पताल पहुँच गयी है. जीवन कितना नाजुक है और क्षण भंगुर भी, बड़े जतन से इसकी देखभाल करनी पडती है. उसे स्मरण हो आया, घर पर महिलाएं योग करके वापस जा रही होंगी, वह चाबी देकर आई थी. यहाँ उसकी दिनचर्या बिलकुल बदल गयी है. नीचे पूल में बच्चों की आवाजें आ रही हैं.

Monday, August 26, 2019

मरणोपरांत स्तवन



आज कोर्स का तीसरा दिन था, सुबह छह बजे वे निर्धारित स्थान पर पहुँच गये थे. सुबह वह जल्दी तैयार होकर ड्राइवर की प्रतीक्षा कर रही थी तो कपोफूल के चित्र उतारे, फेसबुक पर पोस्ट भी किये. सुबह के सत्र में दो बार पद्म साधना करवाई गयी. नाश्ते में दलिया मिला, जो काफ़ी स्वादिष्ट था पर नमक थोड़ा कम था. एक प्रक्रिया करवाई गयी जिसमें अपनी पहचान बदल लेनी थी, एक महिला प्रतिभागी के साथ उसने अपनी पहचान बदली. वह पटना में रहने वाली अपनी जेठानी के व्यवहार से बहुत परेशान है. उत्तर भारत में विवाह किया जब वह दिल्ली युनिवर्सिटी में थी, एक पुत्री है पर अब डिस्टेंट मैरिज चला रही है, क्योंकि सरकारी नौकरी है उसकी स्कूल में. लेकिन वह आश्वस्त है कि शादी निभेगी. एक अन्य प्रक्रिया में एक नेता जैसे चलेगा समूह के सभी लोगों को वैसे ही चलना है. उससे दो बार भूल हुई इसमें, समूह के अन्य सदस्यों को सही करना है यदि कोई भूल करता है. दो बार योग निद्रा की, तीन बार भस्त्रिका प्राणायाम. देह में ऊर्जा का स्तर बढ़ गया है और बहुत सारी सीमाएं टूटी हैं. मन में जो बाधाएं थीं उनका भान हुआ है. गुरूजी का दूसरा सेशन था आज. उन्होंने कमिटमेंट के बारे में बहुत अच्छी तरह समझाया और प्रश्नों के उत्तर दिए. एक व्यक्ति कोर्स के दौरान परेशान हो गये और टीचर को उनकी कठोरता के लिए कुछ शब्द कहे. अहंकार को तोड़ने के लिए किये गये उपाय बताये गये हैं इस कोर्स में, सो अहंकार को चोट लगना स्वाभाविक है. प्रतिभागियों को उन तीन क्षेत्रों के बारे में लिखने को भी कहा जिनमें वे अटक गये हैं और आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. कल रात्रि जो गृहकार्य दिया गया था, वह अद्भुत था. उनकी मृत्यु हो चुकी है और उन्हें अपनी मृत्यु के बाद eulogy लिखी है, अर्थात मरणोपरांत लिखने वाला संदेश लिखना है. आज सुबह उनका नया जन्म हुआ है, जीवन को अब नये दृष्टिकोण से देखना होगा. वे देह नहीं हैं, एक आत्मा हैं, जिसे यह देह मिली है. जिसके द्वारा उन्हें अपने जीवन की शेष कहानी लिखनी है, कुछ ऐसा करना है जिससे उनके इर्दगिर्द कुछ परिवर्तन आये. डीएसएन का यह कोर्स उसके जीवन में अवश्य ही एक परिवर्तनकारी मोड़ साबित होगा. सत्रह वर्ष पहले उसने बेसिक कोर्स किया था, इतने समय के बाद यह अवसर मिला है. अवश्य ही परमात्मा उसके जीवन की बागडोर उसके विवेक के हाथ में देना चाहते हैं न कि उसके मन के हाथों में. कल से खुली आँखों से ही जो भी दृश्य सोचती है मन में, देख पा रही है. शिवानी कहती है, मन सोचता है, बुद्धि दिखाती है. आज यह स्पष्ट हो रहा है. उनके मन की क्षमता अपार है, जिसे उलीचना उन्हें आना चाहिए.

आज कोर्स का अंतिम दिन था. टीचर का उत्साह देखते ही बनता है. उन्होंने प्रतिभागियों को प्रेरित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. अब यह उन पर निर्भर करता है कि अपने लक्ष्य के प्रति वे कितने समर्पित हैं. इस समय रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं. सुबह चार बजे उठी थी, पौने सात बजे से कोर्स आरंभ हुआ. पहले साधना, फिर टीचर ने शुभकामना कार्ड्स बनाने को कहा, बाद में पता चला निमन्त्रण पत्र बनाने हैं जो गुरूजी के जन्मदिन पर लोगों को बांटने हैं. एक प्रक्रिया में समूह के सभी लोग एक सदस्य को एक-एक कर उसकी एक भूल बताते हैं. उसे अन्तर्मुखी होने, खुद में ही व्यस्त रहने, अहंकारी होने तथा दूसरों की बात न सुनने का दोषी पाया गया. ये सारी बातें किसी हद तक सही हैं. अपने सामने उसे कोई कोई नजर नहीं आता क्योंकि दूसरा यहाँ कोई है ही नहीं. पर पारमार्थिक सत्य और व्यावहारिक सत्य में अंतर होता है. आज वे ज्ञान के मन्दिर भी गये. नाश्ता और भोजन आज दोनों ही विशेष थे और गरिष्ठ भी. टीचर ने अन्य सभी आर्ट ऑफ़ लिविंग टीचर्स को जिन्होंने यह कोर्स करवाने में मदद की, सामने बुलाकर सम्मानित किया और उनके अनुभव सुनवाये. इसी महीने पहला तथा अगले महीने दूसरा बेसिक कोर्स करवाना है, 'गतिमय उसे' भी इसमें सहयोग देना है. एक टीचर ने कहा, तीसरे महीने वह ध्यान का कोर्स भी करवाएगी. उन्हें गुरूजी के आध्यात्मिक सैनिक बनकर समाज में ज्ञान का प्रचार और प्रसार करना है. कोर्स के दौरान तीन तरह के लोगों की बात भी गुरूजी ने बताई. पहले वे जो दूसरों को सुख देते हैं, दूसरे जो लोगों के साथ सहज व्यवहार करते हैं और तीसरे वे जो अन्यों को परेशान करते हैं. इसी तरह कुछ लोग चींटी की तरह होते हैं, कुछ मक्खी की तरह, कुछ तितली की तरह और कुछ मधुमक्खी की तरह होते हैं. उन्हें समाज के लिए उपयोगी बनना है. सेवा का छोटा सा कृत्य भी उन्हें तृप्त कर देता है.


Friday, August 23, 2019

मेक इन इंडिया



पौने ग्यारह बजे हैं, अभी-अभी वह बाजार से आई है. उस सखी से बात की, सो रही थी. कल यहाँ से जाते समय उसकी आँख में नमी नहीं थी, पता नहीं उसका खुद का क्या हाल होगा. आज सुबह ध्यान के बाद पूरी हनुमान चालीसा पढ़ी बहुत दिनों बाद. बचपन में हर मंगलवार को बारह बजे पढ़ती थी दादी जी को सुनाने के लिए, स्कूल जाने से पहले. उसका स्कूल साढ़े बारह बजे से आरम्भ होता था, घर के बिल्कुल निकट ही था. आज दोपहर की योग कक्षा में महिलाओं को ग्रामीण महिला का योग कराया, आर्ट ऑफ़ लिविंग का सीडी चलाकर. चक्की चलाना, पानी भरना, धान लगाना, काटना और कूटना फिर साफ़ करना, सभी काम गाँव में आज भी किये जाते होंगे. शहर में तो टीवी देखना, स्मार्ट फोन पर संदेश भेजना ही मुख्य कार्य रह गया है, जिसमें जरा भी दैहिक श्रम नहीं होता. आज ग्वारफली की सब्जी बनाई है उसने जो वे डिब्रूगढ़ से लाये थे.

कल शाम को जैसे ही योग कक्षा समाप्त हुई, जून के विभाग की एक महिला अधिकारी का फोन आया, वह अस्पताल में थी, उसे साँस लेने में तकलीफ हो रही थी. वे गये और आठ बजे लौटे. उसे डिब्रूगढ़ ले जाया गया, अवश्य अब वह ठीक होगी. पिछले हफ्ते भी एक दिन उसे श्वास की समस्या हुई थी, पर कल वह मानसिक रूप से भी काफी परेशान लग रही थी. परमात्मा उसे शक्ति दे ताकि वह इस रोग से बाहर निकल सके. फुफेरे भाई से फोन पर बात हुई, बुआ जी अभी भी कोमा में हैं, पानी भी नहीं जा रहा है उनके मुख में, पर निकल रहा है, शायद देह का रक्त व अन्य पदार्थ अवशिष्ट के रूप में निकल रहे हैं. जून को कल गोहाटी जाना है. भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' के अंतर्गत गोहाटी आई आई टी भी उन्हें जाना है.

मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है आज. आकाश काले मेघों से घिर आया है और गर्जन-तर्जन भी आरम्भ हो गया है. नन्हे से बात हुई, वह पिछले दस दिनों से बहुत व्यस्त है. दफ्तर में बजट का काम चल रहा था, फिर किसी सीनियर मार्केटिंग मैनेजर  ने एक ऐसा विज्ञापन दे दिया, जिससे कुछ लोग नाराज हो गये और कानूनी कार्यवाही की बात करने लगे. कम्पनी का नाम बदनाम हो या उन पर कोई इल्जाम आये, इसे बचाना बहुत जरूरी है. जून का फोन आया, उस महिला अधिकारी को थायराइड की समस्या है. हवाई अड्डे जाने से पहले वे उसे देखने अस्पताल गये थे.

रात्रि के सवा दस बजे हैं. शाम को साढ़े चार बजे वे कोर्स के लिए गये, एक सखी का पुत्र भी यह कोर्स कर रहा है. एओल टीचर का उत्साह देखने लायक है, ऊर्जा और ज्ञान से भरपूर हैं वह. उन्होंने बताया, अधिकतर लोग कुछ नया सुनना नहीं चाहते, वे अपने कम्फर्ट जोन में रहना चाहते हैं और चुनौती को स्वीकार नहीं करते. इसीलिए जीवन में जड़ता है, उन्हें इस सीमित दायरे से बाहर निकलना होगा, लोगों तक पहुंचना होगा और अपनी क्षमताओं को पहचानना होगा. कल सुबह साढ़े पांच बजे तक तैयार हो जाना है. आज 'पद्म साधना' भी करवाई. गृहकार्य में पन्द्रह लोगों से फोन पर बात करने को कहा है. आठ से ही हो पाई, उसने सोचा, सात को संदेश भेज देगी.

रात्रि के साढ़े नौ बजे हैं. आज का दिन कितना अलग है. अभी कुछ देर पहले ही रोटरी क्लब के हॉल से लौटी है, जहाँ डीएसएन कोर्स चल रहा है. आकर दूध-रस्क का भोजन किया. शाम को गुरूजी का ऋषिकेश से विशेष प्रसारण था, उन्होंने बहुत अच्छी बातें बताईं. कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने पर उनका कम्फर्ट जोन बढ़ जाता है. उन्हें अपने मूड्स को चलाना है न कि मूड्स के द्वारा चलाया जाना है. जीवन में प्रतिबद्धता न हो तो जीवन को एक दिशा नहीं मिलती और जीवन एक अधखिले फूल की तरह रह जाता है. उन्होंने कहा कि जीवन में गति के लिए सबसे पहली आवश्यकता है सुख के दायरे से बाहर निकलने की और दूसरी आवश्यकता है उत्साह तथा मन की निर्मलता व स्पष्टता की और तीसरी बात उन्हें विचारनी है, उन्हें ऐसा क्या करना चाहिए कि जीवन गतिमान बना रहे. यदि जीवन में कोई आकस्मिकता आ जाये या कोई विघ्न आ जाये तो वे कम्फर्ट जोन से बाहर निकलते हैं.या मन में बहुत उत्साह हो तो वे कुछ करना चाहते हैं. प्रेम या लोभ से प्रेरित होकर भी वे कुछ करना चाहते हैं. गुरूजी की वार्ता से पहले सत्संग हुआ, उसके पूर्व आसन, प्राणायाम व ध्यान. दो बार सभी लोग बाहर भी गये, एक बार समूह क्रिया में उन्हें लोगों से बेसिक कोर्स के लिए फॉर्म भरवाने थे और दूसरी बार लोगों को ख़ुशी के कार्ड बांटने. कोर्स के दौरान एक प्रक्रिया में उन्हें अभिनय करना था और दूसरी में उन दो घटनाओं का जिक्र करना था जिसमें उन्होंने उत्तरदायित्व निभाया या नहीं निभाया. उनके समूह में आठ लोग हैं. कल सुबह भी छह बजे पहुँचना है. आज सुबह ही छोटे भाई का फोन आ गया था. बुआ जी का कल रात देहांत हो गया, आज अंत्येष्टि क्रिया भी हो गयी. तीन दिन बाद उठाला है. एक जीवन की कहानी समाप्त हो गयी.  

Thursday, August 22, 2019

बैलीनो कार ड्राइव



आज भी दिन भर व्यस्तता बनी रही. सुबह उठी तो सिर की चोटी पर हल्का सा दर्द था, पर देह पर सभी जगह सहजता थी, सो ध्यान वहीं ले गयी और दर्द का ख्याल जाता रहा. दोपहर को डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र पर बने नये पुल को देखने वे गये. यात्रा अच्छी रही. वापसी में छोटे भाई का फोन आया, बुआ जी कोमा में चली गयी हैं, उन्हें मृत समझकर एक बार नीचे लिटा दिया गया था पर डाक्टर ने कहा, नब्ज अभी चल रही है. जीवन का अंत भी कितने विचित्र तरीकों से होता है. लौटकर वे तैयार हुए और एक परिचिता के यहाँ भोज आमन्त्रण में गये. उसकी माँ से खूब बातें हुईं, उसके पिताजी नब्बे वर्ष के हैं और उम्र के हिसाब से काफ़ी ठीक हैं. 

सुबह नींद देर से खुली, रात्रि को घर आते-आते साढ़े दस बज गये थे. मौसम गर्म था, और कमरे में एक मच्छर भी आ गया था, सो नींद आती-जाती रही. सुबह की दिनचर्या को नियमित रखा, रविवार होने के कारण जल्दी नहीं थी. नाश्ते में अखरोट, भीगे बादाम, खुबानी, और च्यवनप्राश के रूप में पौष्टिक आहार भी था. जून को बैलीनो कार की टेस्ट ड्राइव पर जाना था, जो वह बंगलूरू जाकर खरीदना चाहते हैं. वह अपनी पिछली यात्रा के दौरान ही खरीदना चाहते थे पर नन्हे ने मना कर दिया. आर्ट ऑफ़ लिविंग के दो टीचर मिलने आये तब वह वापस आ चुके थे. उन मित्र के घर गये जिनका सामान ट्रक में लोड हो रहा था, उसे भविष्य का वह दिन कल्पित हो आया जब उनका सामान भी इसी तरह चढ़ाया जा रहा होगा. तीन दशक के असम प्रवास के बाद वे जब यहाँ से जायेंगे तो कितनी स्मृतियाँ साथ ले जायेंगे. दोपहर को बच्चों की योग कक्षा थी, वे उत्साह से भरे थे, दो घंटे कैसे बीत गये पता ही नहीं चला. रात को सहजन के फूलों की सब्जी बनाई उसने. 

सवा दस बजे हैं सुबह के यानि प्रथम प्रहर बीत चुका है. सुबह अलार्म सुनाई दिया, पर बंद कर दिया, कुछ देर बाद कोई आवाज सुनाई दी, फिर दोबारा सुनाई दी और नींद खुल गयी. परमात्मा उनसे अकारण प्रेम करता है, प्रेम उसका स्वभाव है, उसके प्रति हृदय कृतज्ञता से भर गया. घूमने गये, सड़क भीगी हुई थी, रात को कभी पानी बरसा होगा. स्कूल से वापसी में उस सखी से मिलने गयी शाम को वे लोग जा रहे हैं, शाम को फिर उनसे मिलने जायेंगे, उसकी माँ के लिए खाना बनाकर ले जाना है. बाहर बिजली की तार बिछाने का कोई काम चल रहा है, नैनी की आवाज भी आ रही है, जितना धीरे वह यहाँ बोलती है उतना ही तेज घर पर बोलती है. कल शाम को घर में झगड़ा कर रही थी, मारपीट पर भी उतर आते हैं ये लोग, बाद में उसे बुलाकर समझाया और सबके लिए चाय बनाकर ले जाने को कहा. उनके जीवन में शांति और प्रेम के कुछ क्षण आएं, ऐसा उसका मन सदा ही रहता है. फोन नहीं चल रहा है कल से सो वाई फाई भी नहीं चल रहा है. फोन पर डाटा है सो ठीक है. अभी-अभी बुआजी को स्काइप पर देखा, वह शांत भाव से लेटी हैं, इस दुनिया में होकर भी यहाँ नहीं हैं जैसे. एक बार आवाज निकाली और मुंह बंद किया, उनकी श्वास चल रही है पर न बोल रही हैं, न ही सुन रही हैं. मृत्यु के कितने नये-नये ढंग हैं इस दुनिया से ले जाने के. शाम की योग कक्षा में आर्ट ऑफ़ लिविंग टीचर आई थी, कोर्स में भाग लेने के लिए कहने पर सभी साधिकाओं के साथ कोई न कोई समस्या है. जीवन उन्हें अवसर देता है पर वे व्यस्त होते हैं, उसने भी न जाने कितने अवसर गंवा दिए हैं. शायद जब तक सारे संयोग न मिलें, कोई कृत्य नहीं हो पाता. दोपहर को बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर लिखा.


Wednesday, August 21, 2019

दिव्य समाज का निर्माण



साढ़े आठ बजने को हैं रात्रि के. आज का दिन कुछ भिन्न था. सुबह एक स्वप्न देखकर उठी. एक विशाल मैदान में जहाँ ताज़ी खुदी हुई मिटटी है, हवा और आँधी के साथ उड़कर हजारों छोटे-छोटे बीज बिखर रहे हैं. पता नहीं कहाँ से आ रहे हैं वे बीज. तभी विचार आया, सृष्टि के आरम्भ में सम्भवतः ऐसे ही इतने वृक्ष व वनस्पतियां उगी होंगी. विचार आते ही स्वप्न कहीं खो गया. अद्भुत है यह सृष्टिकर्ता...प्रातः भ्रमण के समय चारों ओर उगे विविध वृक्षों और घास में उगे जंगली पौधों को देखकर एक अपनापन जगा महसूस हो रहा था. दूब घास पर कदम धरते ही भीतर एक अनोखी सिहरन को महसूस किया, यह अनुभव पहले भी कई बार उसे हुआ है, दूब घास अपनी ओर खींचती सी लगती है. उसमें कोई चुम्बकीय तत्व अवश्य है. प्रातःराश के बाद मृणाल ज्योति के कार्यक्रम में बोलने के लिए एक छोटा सा वक्तव्य लिखा. जाने से पहले भोजन बनाया. कार्यक्रम ग्यारह बजे आरम्भ हुआ. 'डाउन सिंड्रोम डे' के साथ 'आपदा प्रबन्धन' की ट्रेनिंग भी दी गयी. विभिन्न गाठें बांधनी सिखाई गयीं, पट्टी बांधना भी और स्ट्रेचर बनाना भी. आग बुझाने का प्रदर्शन भी किया गया. शाम की योग कक्षा में उपस्थिति कम थी. एक ने बताया कमर में दर्द है, दूसरी ने कहा, जुकाम है. मालिन कल नहीं आई थी, आज आई, बताया माली से झगड़ा हुआ था, कितना सह रही है वह दूसरी पत्नी बनकर.

आज 'विश्व जल दिवस' है. कुछ दिन पहले जब नारे लिखे थे, पढ़ा था इसके विषय में. असम में तो जल की कमी नहीं है, पर बंगलूरू में हो सकती है, जहाँ वे अगले वर्ष अक्तूबर में सदा के लिए रहने  जाने वाले हैं. जून को कल सुबह खाली पेट रक्तजाँच करानी है, सो रात्रि भोजन हो चुका है ताकि बारह घंटों का उपवास निश्चित हो सके. अगले महीने वे बंगलूरू जा रहे हैं, उनकी दूसरी आँख का भी कैट्रैक ऑपरेशन होना है. बारह दिन वे वहाँ रहेंगे. एक योग साधिका को वह कक्ष की चाबी देकर जाएगी, जिससे उसकी अनुपस्थिति में भी वे लोग नियमित साधना करती रहें. कुछ देर पूर्व नन्हे से बात हुई, वह आज सुबह ही देहली गया था, अब वापसी की यात्रा में है. ग्यारह बजे रात घर पहुंचेगा. पिछले एक हफ्ते से देर रात तक दफ्तर में काम करता रहा है, इस बार भी सप्ताहांत में भी व्यस्त रहेगा. आज सुबह नर्सरी स्कूल में मीटिंग थी, जिसमें अध्यापिकाओं को स्कूल के नियमों की पुस्तिका दिखाई गयी. प्रेसिडेंट के उसूल बहुत अच्छे हैं, बस थोड़ा ज्यादा बोलती हैं. शाम को फोन पर पता चला बुआ जी घर लौट आई हैं, पर दो-चार शब्द ही बोले गये उनसे. कल दोपहर बाद मृणाल ज्योति में मीटिंग है और शाम को एक मित्र परिवार को भोजन पर बुलाया है, अगले हफ्ते वे लोग सदा के लिए यहाँ से जा रहे हैं. कुछ वर्ष पूर्व भी एक बार उनका तबादला हुआ था, उस समय उनके संबंध पूर्ण सहज नहीं थे. हालात अलग थे तब, अब उस सखी में काफ़ी परिवर्तन आया है और उसे भी सुमति मिली है. उन्होंने अपने संस्कारों को पहचाना है और उनमें परिवर्तन आया है. परमात्मा की कृपा ही इसके पीछे काम कर रही है.

आज सुबह वे उठे तो वर्षा के आसार थे, रात को हो चुकी थी. टहल कर जैसे ही घर के निकट आ गये, बूँदें पड़नी शुरू हुईं. जून को आज भी रक्त जाँच के लिए जाना था, सो नाश्ते की जल्दी नहीं थी. आराम से साधना की. शाम के भोजन की तैयारी में न ध्यान हुआ न लेखन का कोई कार्य. दोपहर को तीन बजे तक सब तैयारी करके मीटिंग के लिए गयी. बारिश  में लडकों के छात्रावास का जो कमरा नष्ट हो गया था, उसे बनवाने का निर्णय हुआ, एक अन्य कमरे का फर्श भी ठीक करवाना है. उसे उन महिला को पत्र लिखना है, जिन्होंने स्कूल के लिए सहायता राशि देने की बात कही है. वापसी में एक टीचर ने स्कूल में उगे 'सब्जी वाले केले' दिए. योग कक्षा में एक बार फिर प्राणायाम का महत्व उसने बताया और सही तरीका भी. एक सप्ताह बाद 'दिव्य समाज का निर्माण' नामक आर्ट ऑफ़ लिविंग का एक कोर्स होने वाला है. कितना सही समय है, जून उसी दिन गोहाटी जा रहे हैं, उनकी कार भी खाली रहेगी और समय भी अपने हाथ में रहेगा. परमात्मा ने ही यह सुयोग रचा है. वह अकारण दयालु है. वह आज ही ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन के लिए जून से कहेगी. पिछली बार यह कोर्स करने गोहाटी गयी थी पर प्रतिभागियों की संख्या कम होने के कारण कोर्स हुआ ही नहीं. कोर्स से एक दिन पहले महिला क्लब की मीटिंग है, तीन महिलाओं का विदाई समारोह, उनके लिए कविताएँ लिखी हैं उसने. मित्र परिवार के साथ रात्रि भोज ठीक रहा, उनका सामान पैक हो रहा है.  

Friday, August 9, 2019

प्रकाश और पतंगे



आज बहुत दिनों बाद 'कल्याण' के 'जीवनचर्या अंक' में वेदों के सुंदर मन्त्र पढ़े, अद्भुत प्रार्थनाएं की गयी हैं उनमें. इन्हें स्कूलों में पढ़ाना चाहिए. लोपामुद्रा और अगस्त्य मुनि का जीवनचरित पढ़ा. सूर्य उपासना के बारे में एक अध्याय है, बाद में पढ़ेगी. जून का बुखार उतर गया है पर स्वास्थ्य अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है, पर उनमें गजब की जीवट शक्ति है, दफ्तर गये हैं. कल दोपहर पदोन्नति के लिए उनका साक्षात्कार है. सौ में दस अंक ही हैं इसके. पचास एपीआर, बीस इडीसी और अन्य बीस भी किसी अन्य परीक्षा के जो पहले ही हो चुकी है. परिणाम अप्रैल में आएगा. वर्षा दोपहर को रुक गयी थी पर शाम होते-होते बादल फिर से जुट गये और वर्षा आरंभ हो गयी तेज हवा के साथ. शाम को ही अचानक सैकड़ों पतंगे बरामदे के बल्ब पर मंडराने लगे, कुछ ही घंटों में उनकी जीवनलीला समाप्त हो गयी और सब जमीन पर गिर गये. पर्वत भी मानवों को देखकर सोचते होंगे, कितना क्षणिक है इनका जीवन.

सुबह टहलने गयी तो कल रात की वर्षा के कारण सड़क पर पानी जमा था, जिसमें पेड़ों की छायाएं बेहद सुंदर लग रही थीं, तस्वीरें उतारीं. शाम को गुरु माँ का एक प्रवचन सुना जो वह बच्चों को दे रही थीं. एक नई कविता लिखी. काव्यालय की संपादिका ने उसके कमेन्ट को पसंद किया है. सुबह  महीनों बाद रामदेव बाबा का सीडी लगाकर प्राणायाम किया, कपालभाति के कितने ही लाभ उन्होंने उसमें गिनाये हैं.  

टीवी पर भारत-बांग्लादेश क्रिकेट मैच का फाइनल मैच आ रहा है, भारत शायद विजयी हो जायेगा. आज उसने अरसे बाद गाजर का हलवा बनाया है, भूल ही गयी थी कैसे बनता है. जून इसमें दक्ष हैं. फुफेरे भाई से बात की, बुआ जी आज डाक्टर्स को डांट रही थीं, अपने दामाद को पहचान नहीं पायीं, अभी आईसीयू में ही हैं. दोपहर को बच्चों ने योग किया, भजन गाये और खेल खेले, कितने मस्त होते हैं बच्चे, भोले-भाले. सुबह सामान्य थी, रविवार का दक्षिण भारतीय नाश्ता और फिल्टर काफ़ी. दीदी ने बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर पोस्ट किया है. अच्छा लगा पढ़कर. पिताजी 'लाओत्से' पर किताब पढ़ा रहे हैं, लाओत्से पर ओशो के प्रवचन की किताब. उन्हें अपनी कमजोरी अच्छी नहीं लगती, शायद वृद्धावस्था में सभी को इस अनुभूति से गुजरना पड़ता है.

आज का दिन भी समाप्ति की ओर है. उनका रात्रि भोजन और भोजन के बाद का रात्रि भ्रमण भी हो चुका है. जून अख़बार पढ़ रहे हैं.  रात के लिए एक निमन्त्रण था पर वे नहीं गये. कम्पनी के सभी उच्च अधिकारी यहाँ हैं, उन्हीं के सम्मान में विशेष भोज का आयोजन किया गया है. आज ही कम्पनी की साठवीं वर्षगांठ भी है. इसी उपलक्ष में ग्रामीण किसानों को ट्रैक्टर बांटे गये, मुख्य मंत्री तथा एमपी भी आये थे. यह पूरा वर्ष ही हीरक जयंती वर्ष है, अंत में भी कुछ कार्यक्रम होंगे. उनमें से एक है निबन्ध प्रतियोगिता. जून को इसकी जिम्मेदारी मिली है. कल दोपहर को मीटिंग बुलाई है उन्होंने. निबन्ध के लिए विषय क्या दिए जाएँ इसका निर्णय होगा. शाम को बगीचे में टहलते समय उन्होंने इस बारे में चर्चा की. विषय ऊर्जा से जुड़ा होना चाहिए. पूरे भारत से नवीं से बारहवीं कक्षा तक पहला ग्रुप तथा स्नातक व स्नातकोत्तर कालेज के छात्रों का दूसरा ग्रुप भी इस प्रतियोगिता में ऑनलाइन भाग ले सकता है. आज नैनी के छोटे पुत्र का जन्मदिन है, जिसके लिए वह उन दिनों इतनी चिंतित हुई थी. शाम की योग कक्षा में उसने स्वाध्याय के लिए सुझाव दिया. बुआजी से फोन पर बात हुई, वह कह रही थीं, मेरठ में हैं, जबकि अपने घर पर ही हैं. उन्हें मतिभ्रम हो गया है. परमात्मा की कृपा है कि व्यक्ति सब कुछ भूल जाता है, अपने दुःख-दर्द भी भूल ही जाता होगा अंत समय में. नवरात्र पर नेट पर पढ़ा और देवी भागवद् में भी एक अध्याय पढ़ा, स्कूल में बच्चों को नवरात्र के बारे में बताया. देवी को अपने भीतर जागृत करना है, यह भी बताया. छोटी बहन से बात हुई, विदेश में रहकर भी वह नवरात्र के नौ दिनों तक रोज भजन में सम्मिलित हो पा रही है.  आज अशोक के फूलों की तस्वीरें भी उतारीं. उन प्रसिद्ध महिला ब्लॉगर ने कंचन के तने से निकली कलिका को देखकर कहा, यह है आध्यात्मिक सौन्दर्य, उनके रूप में उसे एक सुहृदय पाठिका मिल गयी हैं. आज मृणाल ज्योति की एक अध्यापिका का फोन आया, एक अन्य अध्यापिका के पिता जी का देहांत हो गया है. तीन दिन बाद उनका श्राद्ध है. उनका घर यहाँ से दो सौ किमी दूर है. उसका जाना तो सम्भव नहीं होगा. कल वहाँ डाउन सिंड्रोम डे मनाया जायेगा.

काले खट्टे शहतूत



रात्रि के पौने नौ बजे हैं. अभी-अभी जून से बात हुई. वह एयरपोर्ट से सीधे लाजपतनगर गये, सूखे मेवों की दुकान पर, जहाँ से वह पिछले अनेक वर्षों से खरीदारी करते हैं. बात चल रही थी कि कुछ गिरने की आवाज आई, पर सब तरफ देखा, कहीं भी कुछ दिखा नहीं, बाद में बाहर जाकर भी देखा, सब कुछ अपनी जगह व्यवस्थित था. जीवन एक रहस्य है, यह बात मन में कौंध गयी. पिता जी से भी बात हुई, दोपहर को पता चला था, उन्हें ज्वर है, इस समय ठीक थे. आज ही बड़ी बुआ जी से भी बात की, अस्वस्थ हैं, दर्द में थीं. अंत समय में कितना कष्ट होता है किसी-किसी को, और कोई सहज ही देह का त्याग कर देता है. आज दोपहर ब्लॉग पर मृत्यु के बारे में ही लिखा. एक न एक दिन तो देह की मृत्यु होनी ही है. कल सुबह मृणाल ज्योति के किसी काम से अकेले डिब्रूगढ़ जाना है. बहुत पहले सासु माँ जब अस्पताल में थी, कई बार जाया करती थी. दोपहर को बच्चों की संडे क्लास चल रही थी, उड़िया सखी का वीडियो कॉल आया, जो पहले हर इतवार को उसकी मदद किया करती थी, उसने बच्चों से कुछ सवाल पूछे. सभी को बहुत आनंद आया. आज भी पिछले कुछ दिनों की तरह 'मान्डूक्य उपनिषद' की व्याख्या सुनी. जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति से भी परे है तुरीया और इन सबमें  है एक ही आत्मा या ब्रह्म, ऊँ इन चारों का प्रतीक है. वैश्वानर, तैजस और प्राज्ञ इन तीन अवस्थाओं के प्रेरक हैं तथा इनका प्रेरक ब्रह्म ही है.  

जून से बात हुई, उन्हें गले में खराश व हरारत महसूस हो रही थी. ईश्वर से प्रार्थना है कि वह शीघ्र स्वस्थ हो जाएँ. परमात्मा उन्हें शक्ति प्रदान करेंगे. वह सफर में हैं और घर का आराम उन्हें नहीं मिल पायेगा, अभी दो दिन और उन्हें बाहर रहना है. कल रात दो बजे उठना होगा, सुबह की फ्लाईट के लिए. दिन भर गोहाटी में भी व्यस्त रहना होगा. घर आकर ही उन्हें पूरा आराम मिलेगा. इतवार को उनका इंटरव्यू भी है. परमात्मा सदा उसके साथ है. वैश्वानर, तैजस और प्राज्ञ के रूप में वह हर घड़ी सबके साथ है. अभी-अभी टीवी पर समाचार देखे. अमिताभ बच्चन को भारी पोशाक की वजह से शरीर में दर्द हो गया था, डाक्टरों की टीम उन्हें देखने गयी. फुफेरे भाई से बात हुई, बुआ जी अस्पताल में हैं, उनेक पैर का आपरेशन हुआ है. दोपहर को उनकी कितनी बातें याद आ रही थीं. आज काश्मीर में गुरूजी के कार्यक्रम के बारे में वीडियो देखे. कोई-कोई मडिया कितनी गलतबयानी करता है. आज वह पूना में है. वह अपने आराम की परवाह किये बिना जगह-जगह घूमकर लोगों में प्रेम व शांति का संदेश दे रहे हैं. सुबह पाकिस्तान में योग के प्रति बढ़ते आकर्षण पर भी वीडियो देखा, गुरूजी को मानने वाले वह भी हैं. आज भागवद् में कृष्ण का ऊद्ध्व को दिया गया उपदेश भी पढ़ा जिसे बहुत सुंदर ढंग से लिखा गया है. टीवी पर रामदेव जी पर जो कार्यक्रम आ रहा है, उसमें रामकिशन का अभिनय करने वाला बालक बहुत अच्छा काम कर रहा है. बचपन से ही कितना संघर्ष किया है उन्होंने. गुरूकुल में रहकर पढ़ाई की, अपने आदर्शों पर डटे रहे. उनके गुरूजी का भी बहुत बड़ा योगदान है उनके जीवन को गढ़ने में. बालकृष्ण भी बहुत अच्छी तरह बात करता है. आज उम्मीद पर एक कविता लिखी, शायद ब्लॉग समूह पर पहुँच गयी हो.

आज योग कक्षा के बाद 'जल नेति' करना सिखाया, पर शायद ही किसी को इसे करने का उत्साह जगे, क्योंकि जब उसने जलनेति पात्र मंगाने के लिए कहा, तो किसी ने भी हामी नहीं भरी. आज गुरूजी के पुराने वीडियो देखे. नारद भक्ति सूत्र पर वे बोल रहे थे. उनके जीवन पर भी फिल्म बन सकती है. दोपहर को लेखन कार्य किया.

जून दोपहर को एक बजे के थोड़ा बाद ही आ गये थे. भोजन करके दो बजे पुनः चले गये, शाम को लौटे तो हल्की हरारत थी. शाम से ही उपचार आरम्भ कर दिया है. जल्दी ही वह ठीक हो जायेंगे. आज सत्संग पूरा होते ही वर्षा होने लगी, उन पांच साधिकाओं ने मिलकर परमात्मा के नाम का कीर्तन जो किया था. बगीचे में शहतूत लगे हैं आजकल. दिन में कई बार बच्चों की टोली उन्हें तोड़ने जाती है. अभी काफ़ी खट्टे हैं काले रंग के शहतूत. आज एक ब्लागर ने टोन-टोटके आदि के बारे में विचार पूछा. कल वाणी कजी का मेल आया था, ईबुक के बारे में. आज एक कविता लिखी जो ध्यान के अनोखे अनुभव के बाद हुई मस्ती से उत्पन्न हुई थी, कितना अनोखा था आज का अनुभव..अनूठा. ध्यान पर जितना कहा जाये कम है, ध्यान की महिमा अपार है. दीदी ने बड़े पुत्र तथा परिवार से वीडियो चैट करवाई, पता चला बुआ जी अब पहले से बेहतर हैं.


Thursday, August 1, 2019

रसगुल्ले और समोसे



आज 'विश्व महिला दिवस' है, अभी कुछ ही देर में वे इसे मनाने भी वाले हैं. आस-पास की नैनी क्वाटर्स की महिलाओं को बुलाया है उसने एक कप चाय के लिए और कुछ बातें करने के लिए, पर उनके पास उसके लिए भी समय कहाँ है ? परिवार व बच्चे उनकी पहली प्राथमिकता हैं, अपने लिए वक्त बचाना उन्होंने कभी जाना ही नहीं. तीन बजे बुलाया था पर सवा तीन होने वाले हैं, अभी तो कोई नहीं आई हैं. जून के भेजे समोसे ठंडे हो रहे हैं, उन्होंने रसगुल्ले भी भेजे हैं. सुबह उन्होंने व्हाट्स एप पर सौ संदेश भेजे 'महिला दिवस' पर, उनका हृदय विस्तृत हो रहा है, समाज और राष्ट्र की सभी इकाइयां उसमें शामिल हो रही हैं. जीवन को सहजता से जीना है, उसको सम्पूर्णता के साथ अपनाना है. जीवन को स्नेह भरी दृष्टि से देखें तो विष भी अमृत हो जाता है ! वह लिख ही रही थी कि वे सब आ गयीं, उन्होंने कुछ देर भजन गाये फिर कुछ बातचीत की, नैनी ने सबके लिए चाय बना दी फिर हँसते-हँसते वे सब खाने लगीं. बाद में उसने पूछा, आज कौन सा दिन है, उन्हें महिला दिवस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन एक ने जब बताया उसका पति नशा करके आता है और वह डर जाती है, तो बाकी सब उसे समझाने लगीं. डरने की जगह उसे हिम्मत से काम लेना चाहिए. उसने कहा यदि वे नियमित रूप से कुछ देर योग-प्राणायाम करें तो भीतर की शक्ति जगा सकती हैं. पर वह जानती है ऐसा कर पाना उनके लिए सम्भव नहीं है. हफ्ते में दो बार उन्हें वह बुलाती है पर नियम से तो एक या दो ही आती हैं.

रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं. टीवी पर हास्य धारावाहिक आ रहा है. अभी कुछ देर पहले वे अस्पताल से आये. उस सखी की बिटिया को इंजेक्शन लगना था, उसे थोड़ा सा आश्चर्य भी हुआ दस-बारह वर्ष की बालिका को इंजेक्शन लगवाने से इतना डर लगता है कि तीन लोग उसे संभालने के लिए चाहिये. बच्चों के प्रति ज्यादा मोह से माता-पिता ही उन्हें कमजोर बना देते हैं. ऐसी सोच जगी ही थी कि स्मरण आ गया उसे दोष दृष्टि रखने के अपने पुराने संस्कार का एक और बार अनुभव हुआ, इसका अर्थ हुआ यदि कोई सचेत न रहे तो मन किसी भी क्षण पुराने रंग-ढंग अपना लेता है.

आज सुबह नींद काफी पहले खुल गयी थी पर योग निद्रा करने लगी और फिर स्वप्न कब आरंभ हो गया पता ही नहीं चला. उठने से पूर्व स्वप्न में अज्ञेय की कोई किताब पढ़ रही थी. सफेद पृष्ठ पर काले अक्षर बिलकुल स्पष्ट थे और किसी-किसी वाक्य को दोहराया भी, ताकि बाद में भी याद रहे, यानि उस समय भी यह अनुभव था कि यह स्वप्न जैसा कुछ है, पर अब कुछ भी याद नहीं है. परमात्मा कितने-कितने ढंग से अपनी उपस्थिति का समाचार देता है. कल रात्रि मन कुछ क्षणों के लिए पुरानी व्यवस्था में लौट गया था, पर आज मन स्वच्छ है. वर्षा के बाद धुले आकश सा निर्मल ! भीतर जो चट्टान जैसी स्थिरता है उसके रहते हुए भी ऐसा होता है, इस पर आश्चर्य ही करना होगा. इसका कारण यही है कि उस क्षण वह परमात्मा को भुला देती है, पर वह इतना कृपालु है और सुहृदयी है कि बिना कोई दोष देखे संदेशे भेजता ही रहता है. वे सर्व शक्तिमान परमात्मा की सन्तान हैं, उनके भीतर ज्ञान, बल और प्रेम का अभाव हो ही कैसे सकता है ? सुख के लिए वे जगत पर निर्भर रहे तो उनमें और देहाभिमानियों में क्या अंतर रहा? उसे उस परम की ध्रुवा स्मृति बनाये रखनी है, सुख व आंनद का स्रोत वह परमात्मा उनका अपना है, वह अनंत है, प्रेम व शांति का सागर है ! वह सहज ही प्राप्य है, उसे अपने संस्कारों पर विजय पानी ही होगी, यह केवल कपोल कल्पना बन कर न रह जाये, हर बार की तरह उसका संकल्प टूट न जाये इसका पूरा ख्याल रखना  है.