Thursday, May 30, 2019

शब्दों के बीज



आज हफ्तों बाद सुबह लिखने का सुयोग मिला है. कल रात से लगातार वर्षा हो रही है. भीषण गर्जना के कारण रात को एक बार नींद खुल गयी, जब आई तो बहुत दिनों बाद एक दुःस्वप्न देखा. पिताजी व माँ को भी स्वप्न में काफ़ी देर तक देखा. उन्होंने कोई फोटो खोजने को कहा था, जब पूछा, मिल गया तो याद आया, अभी तो खोजना भी शुरू नहीं किया. एक स्वप्न में उन्हें मदद के लिए बुलाती है, आवाज भी दी है, और कानों से उसे सुना भी. स्वप्नों की दुनिया कितनी विचित्र होती है. आज धौती व नेति दोनों की, तन हल्का लग रहा है. जून ने कहा है अपना सोनी का नोटपैड मृणाल ज्योति के एक टीचर को दे देंगे. कोई वस्तु किसी के काम आये, इसीमें उसकी सार्थकता है. दीवाली के लिए घर की सफाई का कार्य चल रहा है, पर हो सकता है इस दीवाली पर वे बंगलूरू जाएँ. वहाँ की दीवाली भी देखने योग्य होगी.

आज 'हिंदी दिवस' है. व्हाट्सएप पर संदेश भेजे. फेसबुक पर हिंदी दिवस की शुभकामनायें दीं. इसके अलावा तो हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कुछ नहीं किया. छोटा सा लेख या कविता जो हिंदी के महत्व को दर्शाती हो, अभी भी लिखी जा सकती है. बचपन से हिंदी की कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते हिंदी के लेखकों-कवियों का सान्निध्य प्राप्त करते-करते यह भाषा इस तरह भीतर घुल-मिल गयी है कि थोड़े से प्रयास से ही कुछ भीतर से झरने लगता है. शब्दों के बीज जो बचपन में बोये थे मन की धरती पर, वह आज विचारों की पत्तियां और शाखाओं के रूप में खिल रहे हैं. वे ऋणी हैं इस भाषा के, जिसने उन्हें सूर, तुलसी के रूप में कृष्ण और राम का अवतार दिया. गीतों और कविताओं की एक लम्बी श्रंखला जो हिंदी के साहित्य को समृद्ध कर रही है, उनकी धरोहर है. इसे सम्भालना है, इससे पोषित होना है और इसे पल्लवित भी करना है !

शाम के सात बजे हैं, कुछ देर पूर्व ही वे डिब्रूगढ़ से आये हैं. उसने कुछ वस्त्र खरीदे और जून ने विवाह के कार्ड्स पर लगाने के लिए स्टिकर्स लिए. नन्हे से बात की, वह परसों मुम्बई जा रहा है. कोकिला बेन और हिंदुजा अस्पताल के मैनेजमेंट से मिलने, वे उसकी कम्पनी के बड़े क्लाइंट हैं. अपनी मेहनत के बल पर कम्पनी आगे बढ़ रही है, पर वह अपनी सेहत का ध्यान ठीक से नहीं रख पाता है. आज जून ने दोपहर का लंच अकेले किया, दोपहर को उसे महिला क्लब द्वारा चलाये जाने वाले छोटे बच्चों के स्कूल जाना पड़ा. डेढ़ घंटे से भी कुछ ज्यादा समय सभी अध्यापिकाओं के साथ अध्यक्षा का भाषण सुनते हुए बिताया. उसे आश्चर्य होता है, वह इतना समय तक बिना थके कैसे बोल लेती हैं. आज श्वास लेते हुए कई बार पूल की चौड़ाई पार की. प्राणायाम करते समय भी श्वास को पूरी तरह अनुभव किया, इतने वर्षों से श्वास को देखने का ध्यान किया है पर श्वास को आरम्भ से अंत तक इस तरह महसूस पहले नहीं किया था. सुबह टहलने गयी तो चलने में जरा भी प्रयास नहीं करना पड़ रहा था. उठने से पूर्व एक स्वप्न में अपने किसी पूर्व जन्म का दृश्य देखा, एक कहानी जैसा. जिसमें एक लड़की दरजिन के पास कपड़े सिलवाने जाती है, जिसे किसी शाह ने उसके लिए खरीदे हैं. इस जन्म के कई सवालों के जवाब इस स्वप्न में मिल गये.  

Tuesday, May 28, 2019

तेनाली रामा



छह बजने को हैं. आज शुक्रवार है, पर सुबह जब स्कूल गयी तो मन में यही था कि आज बृहस्पतिवार है. कुछ दिन पूर्व भी ऐसा हुआ था कि शनिवार को सोमवार समझ लिया था, कहीं यह बढती हुई उम्र के कारण तो नहीं है ? अब से हर हफ्ते मृणाल ज्योति के छात्रावास में रहने वाले बच्चों को योग सिखाने जाना है. उन्हें भी योग-प्राणायाम अच्छा लगता है, उनके शांत चेहरे देखकर पता चलता है. यह उसकी ही इच्छा थी और परमात्मा ने इस तरह स्कूल की वाईस प्रिंसिपल को निमित्त बनाकर इसे पूरा किया है. बगीचे में श्वेत गुलाब खिले हैं, उनकी तस्वीर बेहद सुंदर आई है. नई कविता लिखे कई दिन हो गये हैं.

जून गोहाटी गये थे, आज सुबह साढ़े पांच बजे ही उन्हें पहुँच जाना चाहिए था, पर उनकी ट्रेन कल शाम की बजाय रात सवा एक पर चली, दोपहर तक आयेंगे. तेज वर्षा के कारण सब कुछ धुला-धुला सा लग रहा है. नैनी ने सुबह पर्दे धोये, अब जाकर फैलाये हैं. वह काम अच्छा करती है बस उसकी एक आदत, बिना बताये कुछ लेने की है, जो उन्हें कभी-कभी परेशान कर देती है. वे भी तो परमात्मा की सृष्टि में उसकी वस्तुओं को उसकी इजाजत के बिना उपयोग करते रहते हैं. उनके भीतर किसी बात की तरफ ध्यान दिलाने के लिए ही शायद परमात्मा ने ऐसी परिस्थिति में उन्हें रखा है. आज सुबह किसी ने बड़े प्रेम से उठाया, परमात्मा की कृपा निरंतर बरस ही रही है. उसकी उपस्थिति को महसूस करने वाला मन किसी के पास हो तो वह हर समय अमृत का पान ही करता रह सकता है ! अभी-अभी नन्हे का फोन आया, पूछ रहा था, कौन-कौन मेहमान आ रहे हैं और कब ? विवाह का दिन नजदीक आता जा रहा है. उसने कहा है, कार्ड का नमूना भेजेगा.

टीवी पर 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' दिखाया जा रहा है. आजकल वे जिसे देखते हैं तेनाली रामा भी अच्छा हास्य धारावाहिक है. आज स्कूल गयी तो प्रिंसिपल ने कहा, यूनिट टेस्ट के कारण अगले दो हफ्ते योग कक्षा नहीं होगी. योग जैसे आवश्यक विषय को परीक्षा के दिनों में नहीं कराकर वह छात्र-छात्राओं का लाभ कराएंगी या हानि ? यह विचारणीय विषय हो सकता है. आज सभी ब्लॉग्स पर पोस्ट्स प्रकाशित कीं. छोटी बहन से बात की, अगले वर्ष कनाडा जाने की बात कह रही है वह. वे कब जायेंगे यह तो समय ही बतायेगा. योग कक्षा में एक साधिका ने एक प्रश्न पूछा, उसके जवाब में उसे परमात्मा की बात बताने का अवसर मिला. आज पहली बार श्वास के साथ तरणताल की चौड़ाई पार की.

कल रात विचार श्रंखला व्यर्थ ही आरंभ हो गयी थी. श्वास पर ध्यान देने की विधि करनी चाहिए ऐसे समय. सुबह ध्यान किया, मन ठहरा है. काव्यालय की संयोजिका ने उसके ब्लॉग पर टिप्पणी की है, कल प्रकाशित किया था एक अनुभव के बाद. आज दोपहर बाद एक परिचिता के यहाँ श्राद्ध पर जाना था, काफी स्वच्छ वातावरण था, दही, चिवड़ा व गुड़ भी परोसा, दाल-पूरी के साथ. जून इस समय अख़बार में शब्दों का जम्बल हल कर रहे हैं. आज उन्होंने नये घर के लिए अपने ऍफ़ डी तुड़वाये, सेवा निवृत्ति के बाद जिसमें रहने वाले हैं वह विला, जिसका स्वप्न उन सबने देखा था !


वृद्धा की राम राम



महिला क्लब द्वारा संचालित बच्चों के स्कूल की पत्रिका छप रही है, स्वर्ण जयंती समारोह पर. अभी-अभी उसने एक अंग्रेजी व एक हिंदी लेख की प्रूफ रीडिंग की, सोचा, क्यों न वह भी इसमें अपनी एक कविता दे जो काफी पहले बच्चों पर लिखी थी. ब्लॉग पर कुछ दिन पहले लिखी एक कविता प्रकाशित की. काव्यालय पर उसकी प्रतिक्रिया पसंद आई, ध्यान का ही जादू है, यानि परमात्मा का. उसके मन में कल की बात घूम रही है, देश आगे बढ़े इसके लिए उन्हें भी अपने तौर पर कुछ करना होगा. वह स्वच्छता रखने के लिए क्या कर सकते हैं, इस पर मिलकर चिन्तन करना होगा. स्वच्छता ही सेवा है, इस अभियान को उन्हें सफल बनाना है. बच्चों को भी इस काम में बहुत आनंद आता है.

अब एक ही श्वास में पूल की चौड़ाई पार हो जाती है, जब सहज होकर तैरती है तो पता ही नहीं चलता और दूसरा किनारा आ जाता है. कई बार इधर से उधर चक्कर लगाये. आज गहराई वाले स्थान पर भी गयी. सीढ़ी से पूरा नीचे तक, जहाँ फर्श है पूल का. पानी ने पल भर में ऊपर ला दिया. पानी उनका मित्र है, वह देव है, वह डुबाता नहीं है, यदि वे सहज रहें. तभी बच्चे शीघ्र सीख लेते हैं, आज श्वास का अभ्यास किया, एक हाथ पर देह को पानी में संतुलित रखना है, पर अभी तक मुँह ऊपर उठाकर श्वास लेना नहीं आया है. जैसे यहाँ तक पहुंची है, एक दिन वहाँ भी पहुँच जाएगी. तैरना एक सुखद अनुभव है. नाक से पानी गिर रहा है रह-रह कर, कल भी ऐसा हुआ फिर अपने आप ही ठीक हो गया.

आज सुना, धी, धृति और स्मृति बुद्धि के ये तीन रूप हैं. 'धी' समझने की शक्ति है, 'धृति' संयम करने की और  स्मृति याद रखने की शक्ति है. जो हिंसा नहीं करता, उसकी धृति शक्ति बढ़ती है. धृति ही मन का नियमन करती है, मन नियंत्रित रहता है. जहाँ सुख दिखाई देता है, मन उधर जाता है. यदि धृति भंश हुई है तो अहितकर विषयों से स्वयं को रोकने में समर्थ नहीं हो पाता मन. जिस वस्तु से हटना है, धृति यदि प्रबल हो तो हटने में देर नहीं लगती. अहितकर चीजों को भी करता रहता है. हितकारी प्रवृत्ति को धृति नहीं रोकती.

शनि और इतवार पलक झपकते बीत गये. इतवार को बच्चों ने 'शिक्षक दिवस' मनाया. बरामदे में झालर, गुब्बारे आदि लगाकर सजाया. शनिवार को वे डिब्रूगढ़ गये. कुछ देर ब्रह्मपुत्र के किनारे बैठे. जून ने एक तस्वीर उतारी जो एक सुंदर स्मृति बन गयी है. आज ब्लॉग पर कुछ विशेष पोस्ट नहीं कर पायी. हिंदी फॉण्ट को लेकर कुछ समस्या आ रही थी. उस दिन प्रिंटिंग को लेकर जो समस्या थी, उसका हल करने के लिए कम्प्यूटर इंजीनियर आया था, कल फिर आएगा. कल उन्हें मृणाल ज्योति जाना है. शिक्षक दिवस के लिए उपहार लेकर. एक नई कविता भी लिखेगी.

सुबह समय से उठे, हल्का अँधेरा था, आकाश में छाये बादलों की वजह से शायद. सुबह कई बार बल्कि रोज ही एक वृद्ध महिला ( लाठी लेकर चलती हुई )मिलती है. हर मौसम में उसकी भ्रमण के प्रति निष्ठा देखकर एक दिन उसे 'नमस्ते' कह दिया था, अब वह दूर से उन्हें देखकर ही हाथ जोड़कर 'राम राम' कहना नहीं भूलती. सुबह मृणाल ज्योति में 'शिक्षक दिवस' मनाया. दोपहर को सफाई का काम आगे बढ़ा. तीन बजने वाले हैं एक घंटे के लिए पुनः क्लब के काम से बाहर जाना है. आज अभी तक तो चाय पीने के संस्कार को हावी होने नहीं दिया है. 'व्यसन' की परिभाषा एक बार सुनी थी. जिसको पूरा करने से नुकसान होता हो और न करने से चाह बनी रहती हो, अर्थात जो आरम्भ से लेकर अंत तक दुख देने वाला है, केवल मध्य में सुखी होने का भ्रम पैदा करता है.