Tuesday, April 19, 2016

जय जवान जय किसान


अक्तूबर का प्रथम दिवस ! शारदीय नवरात्र कल से आरम्भ हो गये हैं. शुभ तत्वों का चिन्तन, श्रवण तथा स्मरण ही इन दिनों में विशेष करना है. ऐसे तो सभी समय शुभ का चिंतन चले, राम नाम का जप करने के पीछे यही भाव है कि भीतर उस विराट से जुड़े रहें, परमात्मा से जुड़े रहें, पर ब्रह्म से जुड़े रहें ! उसकी बगिया में जैसे कमल के फूल खिले हैं, वैसे ही जरा सी समझ से भीतर क्रांति हो सकती है. कर्ता का भाव छूटना ही वह समझ है, वही अहंकार है, हर वक्त कुछ न कुछ करने की चाह ही वह कर्ताभाव है. जीवन धारा इस अहंकार के कारण ही गंदली हो गयी है. तन स्वस्थ रहे तो मन स्वस्थ रहता है, मन स्वस्थ रहे तो तन स्वस्थ रहता है, पर आत्मा स्वस्थ रहे तो दोनों स्वस्थ रहते हैं, इसलिए आत्मा को ही स्वस्थ रखना परम लक्ष्य होना चाहिए.

बापू का जन्मदिवस, ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देने वाले शास्त्रीजी का जन्मदिवस तथा नवरात्रि का तीसरा दिन, ईद भी आज है और आज ही उसे हिंदी काव्य प्रतियोगिता में निर्णायक की हैसियत से जाना था. कई बहुत अच्छी कविताएँ सुनने को मिलीं, नये-नये विषयों पर लिखीं अच्छे-अच्छे कवियों की कविताएँ ! इस समय दोपहर के सवा दो बजे हैं. मौसम खुशगवार है, उसकी छात्रा आ गयी है. ‘अमृता’ पढ़ रही थी कल, प्रेम का अद्भुत चित्रण हुआ है पुस्तक में.

पिछले दिनों पूजा का अवकाश था, जून घर पर थे, दिन कैसे बीत गये पता ही नहीं चला. इसी महीने उन्हें घर जाना है. नन्हा हैदराबाद में है, उससे उसने कहा कि अपने अनुभव लिखे जो उसे चार वर्षों में हुए हैं. जो उसने समय-समय पर उन्हें बताये हैं, उसे याद हैं. उसने उनकी एक सूची बनायी.
आज सभी भाइयों को भाईदूज का टीका भी भेज रही है. किताब का काम भी आगे बढ़ रहा है. कल उसके दायें हाथ में दर्द था, लिखना मुश्किल था. सुबह उठी तो दर्द गायब था. लेकिन इस एक दिन के दर्द ने सिखा दिया कि उनका दाँया हाथ कितना महत्वपूर्ण है, जितना हो सके इसका सदुपयोग उन्हें करना चाहिए. लेडीज क्लब की पत्रिका भी निकलने वाली है, जिसके लिए उसे कविताएँ भेजनी हैं. कल दीदी को भी विवाह की वर्षगांठ पर एक कविता भेजी, पता नहीं उन्हें कैसी लगेगी.

दस बजे हैं, अभी-अभी बिजली चली गयी है. सन्नाटा हो गया है. मन में हर पल कोई न कोई चाह उठती रहती है. मन का नाम ही है चाह, पर यह चाह शुभ हो, मंगलमय हो, दूसरों का हित करने वाली हो, स्वार्थ से भरी न हो, तब चाह उठने पर भी मन मुक्त ही रहता है. वह कम्प्यूटर पर लिख रही थी. आज एक नई फ़ाइल बनाई है, nature जिसमें प्रकृति पर पहले लिखीं कविताएँ टाइप करके डालेगी. सुबह जून ने अपना वजन देखा, बढ़ गया है, दो केजी उसका भी बढ़ा है. पिछले कुछ महीनों से वे ज्यादा जंक फ़ूड खाने लगे हैं, आज से सचेत रहेंगे. माँ का भार कम हो गया है, उनका भोजन बढ़ाना होगा. अभी-अभी कितना जोर का धमाका हुआ शायद कोई प्लेन आकाश में उड़ रहा था. जेट फाइटर या ऐसा ही कुछ. आज भी उठने से पूर्व चाँद दिखा, पूर्णिमा का चाँद, लेकिन जैसे ही विचार उठा यह चाँद है, वह गायब हो गया. एक सखी से बात हुई, उसके बांये हाथ की छोटी अंगुली में फ्रैक्चर हो गया है, प्लास्टर लगा है, तीन हफ्ते बाद खुलेगा. 

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