Saturday, February 22, 2014

बैटरी की चोरी


और आज उनकी बैटरी चोरी हो गयी, अर्थात उनकी मारुति कार की. चोर रात को दो बजे से थोड़ा पहले आया होगा, बड़ी सफाई से उसने कार का दरवाजा खोला और फिर बोनट. ‘आराम से किया काम है, सूझ-बुझ से निकाली गयी है’, ये दोनों वाक्य थे उस सिक्योरिटी ऑफिसर के जो देखने आया था कि बैटरी कैसे चोरी हुई. जून को आज सुबह-सवेरे ही मोरान जाना था, वह वहाँ से दो बार फोन कर चुके हैं. वह भी कितने ही फोन कर चुकी है. पहले सेक्रेटरी को फोन किया कि शाम को मीटिंग में नहीं आ पायेगी पर प्रेसिडेंट ने इसरार किया, उसे जाना ही चाहिए. इस महीने एक मीटिंग और है CMD आ रहे हैं, उसके बाद सम्भवतः तीन दिन का बंद है, चुनावों के बहिष्कार के लिए इस बंद का आयोजन किया गया होगा. उसका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं लगता, कल सुबह से ही उस बच्चे के पैर से बहता खून देखकर मन जैसे क्षत-विक्षत हो गया है, उसका असर तन पर भी पड़ा ही है. सुबह साढ़े चार बजे उठी, छात्रा पढ़कर गयी तब तक सब ठीक था, जून बाहर निकले और जब अंदर आये तो चेहरा फक था, वे सभी बाहर गये. चोर के निशान कहीं नहीं थे पर बोनट के अंदर की खाली जगह मुंह चिढ़ा रही थी. नन्हे ने कहा, गनीमत है गाड़ी नहीं गयी. वह सकारात्मक सोच सकता है, उसके लिए अच्छा ही है.

कल के घाव का दर्द अब कम हो गया है, वक्त के साथ इन्सान का मन बड़े से बड़ा दुःख भी सह सकता है. कल शाम आखिर उसे जाना ही पड़ा, लौटी तो जून बेहद थके हुए थे, दिन भर की यात्रा के कारण थकान हुई सो अलग, शाम को दो परिवार आ गये चोरी की बात सुनकर. मेहमान नवाजी की भी एक थकान होती है. उनका skit होगा या नहीं समय ही बतायेगा, लेकिन उसके लिए उसे घर की शांति भंग नहीं करनी चाहिए, इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बना लेना चाहिए. ईश्वर जो करेगा अच्छा ही करेगा. माँ-पापा के जाने में मात्र एक हफ्ता रह गया है, फिर वे तीनों रह जायेगे, अपनी छोटी सी दुनिया में. इन्सान के मन में कभी-कभी ऐसे विचार भी आते हैं जिन्हें वह खुद से भी छिपाना चाहता है. अपनी आजादी की कीमत पर वह कुछ भी नहीं चाहता. आज के भौतिकतावादी युग ने भीड़ में भी अकेले रहने की आदत डाल दी है, अथवा सवाल यह है कि उसे जो है वह नहीं जो नहीं है वह चाहिये.

आज सुबह की चाय पी ही थी, वह कुछ देर बैठकर उन लोगों से बातें कर रही थी, वे लोग चार-पांच दिन बाद जाने वाले हैं, हर वक्त यह बात मन में बनी रहती है कि अचानक पिता को कुछ घबराहट सी महसूस हुई, चक्कर आ रहा है कुछ ऐसे ही. वह तो बहुत डर गयी, दौड़कर पानी लेने गयी और जून को बताया, वह भी फौरन शेव छोड़कर आये और पिता को लेटने को कहा. तब तक वह थोड़ा ठीक महसूस कर रहे थे. जब से वे लोग आये हैं पहली बार ऐसा हुआ है बल्कि उन्होंने बताया कई साल पहले एकाध बार हुआ था.

आज धूप फिर भली लग रही है, हवा में ठंडक है इसलिए धूप का रेशमी स्पर्श भा रहा है. कल शाम वे एक मित्र के यहाँ गये, प्रोजेक्टर से इंग्लैण्ड व हालैंड में खिंची स्लाइड्स देखीं, बहुत सुंदर फोटो आये हैं, रगीन फूलों के चित्र, बिगबेन और बंकिघम पैलेस के चित्र, हालैंड के ट्यूलिप और अन्य फूल बेहद सुंदर थे, टेम्स पर बने पुल, जहाज से यात्रा, उन्नत देश ऐसे ही होते हैं. तभी तो जो भारतीय एक बार विदेश जाते हैं, वापस भारत की धूल भरी टूटी-फूटी सडकों पर लौटना नहीं चाहते. आज सुबह से सभी कुछ सामान्य रहा है, लेकिन कल रात कोकराझार में हुई बम विस्फोट की घटना से कुछ सोच सबके मनों में है. अगले हफ्ते तक ट्रेनस् सामान्य रूप से चलने लगेंगी या नहीं इसे लेकर.







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