Friday, January 4, 2013

द साइप्रस ट्री



फिर वही प्रमाद और ढेर सारे बहाने...उसके पास अपने निकट आने के लिए दस मिनट भी नहीं हैं और वह कुछ करने का ख्वाब देखती है. शनिवार की ही बात है उसे कुछ भी रुच नहीं रहा था, मन का पंछी उड़ान भरने को आतुर था, और तब से अब तक फिर उसी पुरानी दिनचर्या में खप गया है मन अपने आप ही, दरअसल करने को घर में भी कुछ कम नहीं है..पर नया कुछ नहीं..खैर जीना यहाँ मरना यहाँ इसके सिवा जाना कहाँ ? जून और नन्हे को ढेर सारा प्यार करना..फिर उनके लिए नाश्ता, खाना बनाना..यह भी कोई कम काम है क्या, पर पहले प्यार की जो तीव्रता महसूस करती थी जो आकुलता ...वैसा अब क्यों नहीं लगता..शायद इसलिए कि अब वह प्रेम को उतना महत्व नहीं देती, जबकि यह हमेशा महत्वपूर्ण होता है.
आज भी मौसम अच्छा है, बदली है, अभी सुबह के साढ़े दस ही बजे है पर अभी से शाम सी लगने लगी है. नन्हे ने कल टीवी पर बच्चों के लिए कहानी सुनी, उसे इतना मजा आया, शाम को उसे चटखारे लेकर सुना रहा था कि कैसे बीरबल ने नाई को उसके ही जाल में फंसा दिया. वह बहुत प्यारा है, मासूम और सच्चा..बच्चों को तभी भगवान का रूप कहते हैं. छोटी-छोटी बातों पर इतना खुश हो जाता है...उसने मन को झटका दिया, कहीं उसे उसकी नजर न लग जाये..उसने मन ही मन कहा वह उसे और उसके पिता को बहुत प्रेम करती है.

आज अचानक उसकी बंगाली सखी का फोन आया, बहुत अच्छा लगा. सबसे अच्छी बात यह कि उसने सुबह ड्राइविंग की, इतना मुश्किल नहीं है कार चलाना जितना वह सोचती थी. कल माँ का पत्र आया वह विस्तार से सभी के समाचार लिखती हैं, छोटी भाभी स्कूल में पढ़ाने लगी है. नन्हा कल रात बहुत परेशान हो गया था..उसकी टीचर ने कल पांच स्पेलिंग याद करने दी थीं और आज डिक्टेशन देने को कहा था..उसको शायद याद करने में इतनी मुश्किल नहीं होती पर डर गया था और यही कह रहा था कि एक दिन में कैसे बच्चे याद कर सकते हैं. बेहद संवेदनशील है और आंसू भी बहुत जल्दी आते हैं उसको. पापा ने कहा है, जीरो नम्बर मिलेंगे, बस यही कहकर रोने लगा. उसका पड़ोस का मित्र आज अस्वस्थ है, वह अकेला ही गया है स्कूल.
कल सुबह वह Cyprus tree पढ़ रही थी. John spain उसे भी अच्छी लगी और उसकी माँ उतनी नहीं पर Laura की Mummy से ज्यादा. नन्हे का टेस्ट आज दुबारा होगा, शायद कल सभी बच्चे अच्छा नहीं कर पाए. कल दोपहर वह सो नहीं पाया, गर्मी बहुत थी, शाम को उसकी तबियत ठीक नहीं लग रही थी, शायद थकान से. उसने सोचा है आज से दिन में भी एसी चलाएगी वह. शाम को उत्तपम बनाया था, रात को खाना खाने का किसी का मन नहीं हुआ. जून बेड पर जाते ही सो गए जो उसे नागवार गुजरता है, रात को उसे कुछ बातें करके ही सोने का ख्याल आता है, बातें जो दिन भर की भाग-दौड़ में वे नहीं कर पाते, कभी सुकून से बैठकर दिल की बातें. सुबह, दोपहर, शाम हर वक्त तो कोई न कोई काम लगा रहता है, फिर मन, मस्तिष्क और चाहत का क्या करे? अधूरापन...शब्द नहीं मिल रहे हैं पर कोई तो वक्त ऐसा हो जब वे दोनों.. जीवनसाथी.. भूतपूर्व प्रेमी और न जाने क्या-क्या एक दूसरे को यह अहसास दिला सकें कि हाँ, उन्हें एक-दूसरे की जरूरत है, कि वे अर्थहीन नहीं है, कि उनका प्यार सम्बल है कि वे साथ-साथ जी रहे हैं सही अर्थों में, कि वे एक-दूसरे के लिए हैं कि वे सिर्फ इसलिए साथ-साथ नहीं रहते कि ऐसा करना ही है क्योकि इसके सिवा कोई रास्ता नहीं, बल्कि इसलिए कि वे एक दूसरे के दोस्त हैं..साथ रहने का सुख मिलता है उन्हें, कि वे अकेले नहीं जी पाएंगे..लेकिन जून को शायद इन सबकी जरूरत नहीं, वह अपनी नींद को ही ज्यादा महत्व देते हैं..दोपहर हो शाम हो या कि रात..खाली वक्त यानि उनकी आँखें बंद...उसकी बात कभी वे समझेंगे..शायद हाँ..शायद नहीं..पर फिर भी उसे उनसे प्रेम है और वह जानती है कि उन्हें भी उससे बहुत ज्यादा.







No comments:

Post a Comment