वही कल का समय है, अभी कुछ देर पूर्व
ही वर्षा होकर समाप्त हुई है. सब कुछ कितना धुला धुला और पवित्र लग रहा है. उसने
स्नान करके दूध पीया है और नाश्ता जो जून रख कर गया है सुबह ऑफिस जाने से पहले.
उसे बहुत ख्याल है, वह सचमुच देवदूत है नूना के लिये. उसके मन में शुभकामना है जो
कितने रूपों में झलकती है जब वे साथ होते हैं या दूर भी होते हैं. कल उनके विवाह
को एक वर्ष और दो महीने हो जायेंगे. उसने सोचा कि वह आज उस लाल साड़ी में फाल
लगायेगी और कल के उपलक्ष में उसे पहनेगी. जून को कल बाहर जाना है अब वह तो पहले की
तरह हर जगह नहीं जा सकती.
जब जून बाहर गया वह एक दक्षिण
भारतीय मित्र के पास गयी नारियल की चटनी बनाने, उसके आने पर दोसा बनाया. चटनी वैसी
ही बनी थी जैसी दोसे के साथ मिलती है रेस्तरां में. उसने चार कुशन कवर सिले, जून
कुशन ले आया था बाजार से और भी बहुत कुछ लाया, ‘सारिका’ भी, जो वह आधी से से अधिक
पढ़ चुकी है. बचपन में वह खाना खाते समय भी पत्रिका पढ़ती थी. अब जून के जाने के बाद
ही पढ़ती है. शाम को पहली बार निम्बू की शिकंजी बनायी, तेज धूप निकली थी और कोई
गुजराती परिवार आया था मिलने.