Thursday, April 26, 2012

टीवी का एंटीना


कई दिनों के बाद खत आया है उसका, कुछ इसलिए और कुछ अस्वस्थता के कारण उसने पिछले दिनों कुछ नहीं लिखा. पिछले महीने की उन्नीस तारीख का लिखा खत इस महीने की सत्ताईस तारीख को मिले तो उदासी स्वाभाविक है, पता नहीं डाक विभाग इतना कठोर कैसे हो गया है. उसने लिखा है कि यदि वह जल्दी उसे लेने नहीं आ सकेगा, चाहे तो वह एक परिवार के साथ आ सकती है, जो अगले महीने के तीसरे हफ्ते में मुगलसराय से असम आने वाला है. पर नूना को यह प्रबंध ठीक नहीं लगा. उसने सोचा वह कोलकाता तक भाई के साथ, आगे अकेले ही चली जायेगी. यह भी लिखा है कि घर पर टीवी का एंटीना लगा लिया है, पिछले हफ्ते उसने फिल्म भी देखी. वह बहुत व्यस्त है. तथा खुश रहता है उसे भी ऐसे ही रहने की सलाह दी, उसने सोचा एक वह है कि उसके बिना अपने को अकेला महसूस करती है कितनी पागल है न वह.

एक हफ्ता बड़ी बहन के पास रहकर आयी, वक्त जैसे हवा की तरह उड़ता गया. अपनी दवाएं, ब्रश आदि वहीं भूल आयी. वापसी में जीप खराब हो गयी थी, कितना वक्त लगा उसे ठीक कराने में पर वह पता नहीं किस लोक में खोयी थी.  

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