आज क्लब
की मीटिंग थी, अभी तक नयी कमेटी का गठन का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है. उससे
पूर्व बगीचे में टहलते समय भगवद् गीता के एक श्लोक की व्याख्या सुनी. जगत को देखने
का किसी का ढंग यदि विधायक है तो जगत सुखमय दिखाई देगा. भीतर यदि श्रद्धा होगी तो
अस्तित्त्व उसके लिए अपना द्वार खोल ही देगा. दोपहर को बगीचे में कितनी सारी
तितलियाँ उड़ रही थीं. एक की तस्वीरें लीं. कल छोटी भतीजी का जन्मदिन है, उसे फोन
किया, पर शायद उसका फोन नम्बर बदल गया है. जून के न रहने पर उसे साढ़े तीन घंटे
लगते हैं सुबह की सभी क्रियाओं में. परसों से दो घंटों में करना होगा सभी काम. उन्हें
सुबह पौने सात बजे ही दफ्तर जो जाना होता है.
डायरी में पिछली
एंट्री पांच तारीख की है. आज पूरे बारह दिन बाद लिख रही है. जून अगले दिन लौटे थे,
फिर छोटी बहन परिवार सहित आई और साथ ही नन्हा भी. वे लोग अरुणाचल प्रदेश घूमने
गये, नदी के तट पर घूमे और अनगित यादें समेट कर तीन दिन पहले वह वापस गयी और कल
नन्हा भी चला गया. आज सुबह से उसे हल्का जुकाम है.
सुबह से वर्षा हो
रही है हल्की-हल्की सी. आज घर की विशेष सफाई भी करवाई, साफ घर में रहना सभी को पसंद है.
मंझली भाभी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उन्हें त्वचा का कोई रोग हो गया है. उन्हें
अपने आपको खुश रहना सिखाना होगा. भतीजी विदेश से वापस आना चाहती है. भाई तभी अपनी
नौकरी ठीक से कर पायेगा. आज सुबह क्लब के लिए कितने नये-नये विचार मन में आ रहे
थे. सदस्यों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए कुछ उपाय तो करने ही होंगे. कल वार्षिक सभा
थी इसके बावजूद संख्या कम थी. अगले महीने कमेटी की तरफ से कार्यक्रम होगा, उसने
सोचा वह एक कविता लिखेगी, जिसमें अपने
सुझाव भी दे सकती है और अपनी बात भी रख सकती है. नन्हे ने इस बार उन्हें उपहारों
से लाद दिया है. उसने मृणाल ज्योति की सदस्यता के लिए भी फार्म भरा पर जमा नहीं कर
पाया. कल क्लब में ‘दृश्यम’ दिखाई जाएगी.
आज बड़े भांजे का
जन्मदिन है, सुबह उसके फेसबुक अकाउंट पर जाकर फोटो देखे और छोटी सी कविता लिखी,
आजकल मिलना तो ऐसे ही होता है. दो दिन बाद छोटे भाई का जन्मदिन भी है, उसके लिए भी
कुछ लिखना है. राखी पर भी एकम कविता लिखनी है. सुबह से बादल बने हैं. मौसम अच्छा
है अब जुकाम भी ठीक हो गया है. यू ट्यूब पर प्रधानमन्त्री के स्वागत का कार्यक्रम
देखा. यूएइ में उनका भव्य स्वागत किया वहाँ रहने वाले भारतीयों ने. मोदी जी का
भाषण आ रहा है, जैसे किसी राजनीतिज्ञ का होता है, उन्होंने लोगों के दिलों में
अपनी जगह बना ली है. देशभक्ति का जज्बा उभरने में भी कामयाब हुए हैं. सुबह नींद
खुली अलार्म सुनकर, पर दो मिनट तक लेटी रही, फिर किसी ने भीतर से कहा, जगे हुए का
सोये रहना बहुत खतरनाक होता है. जो सोया है उसे क्षमा किया जा सकता है पर जो जगा
हुआ है और सोने का नाटक कर रहा है, वह क्षमा के योग्य नहीं. उठकर प्रातः भ्रमण को
गये, वापस आकर बोगेनविलिया की छंटाई करवाई, उसे अपराजिता की बेल ने छाकर ढक लिया
था. माली व नैनी का झगड़ा जो उनके न रहने
पर हुआ था, उसकी सुलह करवाई. दोपहर को नींद में स्पष्ट दृश्य देखे, लगा जैसे जागकर
ही देख रही है. एक रहस्य भीतर खुलता जाता है और एक रहस्य भीतर जुड़ता जाता है. आकर
देखा, बगीचे में अभी तक झाड़ू नहीं लगा है. तरीके से माली को रोज आकर अपना काम करना
चाहिए, पर कई बार बुलवाना पड़ता है, यह सोचते हुए ही भीतर हल्की सी क्रोध की रेखा
दिखी, तो उसने सोचा यह क्रोध उसका ही नुकसान तो नहीं कर रहा, एक पल पहले जो था अब
नहीं है, आत्मा तो सदा एकरस है.
वाह अनीता जी,जगे हुए का सोये रहना बहुत खतरनाक होता है. जो सोया है उसे क्षमा किया जा सकता है पर जो जगा हुआ है और सोने का नाटक कर रहा है, वह क्षमा के योग्य नहीं...क्या खूब लिखा है...
ReplyDeleteस्वागत व आभार अलकनंदा जी !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, भूखा बुद्धिजीवी और बेइमान नेता “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शिवम जी !
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