शाम के छह
बजने को हैं. वे सवा तीन बजे ही घर पहुंच गये थे. आते ही सफाई का कार्य आरम्भ
करवाया, काफी साफ हो गया है घर, शेष कल होगा या कहे, कल से होगा. पिछले सात दिन
पलक झपकते गुजर गये, अच्छा लगा नन्हे का नया घर. उसके सभी मित्रगण मिलजुल कर रहते
हैं. घर को साफ रखने का भरसक प्रयत्न करते हैं और खुश रहते हैं. वे नन्हे की नयी
मित्र से भी मिले. पता नहीं कब तक निभेगा यह रिश्ता, वे खुद भी नहीं जानते. आज की
पीढ़ी कई मायनों में जिन्दगी को ज्यादा गहराई से जी रही है. वे खतरा उठाने को तैयार
हैं. बंधन उन्हें पसंद नहीं, पता नहीं जीने का यह तरीका कितना सही है. अभी-अभी
उसने उनके लिए एक कविता लिखी, नन्हे को भेजी. इस यात्रा में उसने कई किताबें भी
खरीदीं. तीन इस्कॉन से तथा दो एयरपोर्ट से.
आज एक पुरानी सखी
का फोन आया, वे लोग चार-पाँच वर्ष पहले यहाँ से चले गये थे. नन्हे का फोन भी आया,
उसने कहा कविता उसे अच्छी लगी. जून का काम आजकल बढ़ गया है. शाम का नाश्ता ( कुछ फल)
साथ ले गये हैं. दोपहर को वह बाजार गयी, एक सखी के लिए क्लब की ओर से दिया जाने
वाला उपहार खरीदा. एक सुंदर सी असमिया साड़ी, उसे अवश्य पसंद आएगी. कल ही विदाई
समारोह है, वह बगीचे से फूल तोड़कर उसके लिए एक गुलदस्ता भी बनाएगी. उसके लिए एक कविता
भी लिखी थी, जून उसे एक कार्ड में प्रिंट करके लायेंगे. कल मीटिंग के अंत में उसे धन्यवाद
ज्ञापन भी करना है. सोचती है पहले से ही प्रिंट कर लेगी. उसने क्लब में योग साधना
के लिए एक नया प्रोजेक्ट आरम्भ करने की योजना बनाई है. प्रेसिडेंट भी राजी हैं. दो
दिन बाद ईद का अवकाश है वह उसी दिन जाकर बड़ा सा कार्पेट खरीदेगी. अगले महीने दो
अक्तूबर को प्रोजेक्ट का शुभारम्भ होगा. पूजा का उत्सव भी आने वाला है, उन्हें घर
व बगीचे में सहयोग देने वालों तथा उनके परिवार के लिए उपहार खरीदने हैं, दूधवाला,
धोबी और ड्राइवर भी उनमें शामिल हैं.
दो दिनों का
अन्तराल, परसों जून गोहाटी गये थे. आज का दिन घटनापूर्ण रहा, सुबह उठने से पूर्व
भीतर अक्षर देखे, अ, आ,....ज्ञ. पश्यन्ति इसे ही कहते हैं शायद. सुबह मृणाल ज्योति
जाना था और दोपहर को एक और सदस्या के लिए उपहार लेने बाजार. दोपहर को लेखन कार्य.
शाम को क्लब के काम से एक सदस्या के घर जाना था, वहाँ से क्लब. लौटकर देर हो गयी
थी, सो रात्रि भोजन में दिन के बचे मूली के साग का परांठा ही खाया. जून कल आ रहे
हैं. कल शाम से फिर दिनचर्या नियमित हो जाएगी. आज उनका फोटो अख़बार में छपा, गोहाटी
में जो कांफ्रेस हुई थी उसी सिलसिले में. सभी ने बधाई दी.
सितम्बर का अंतिम
दिन ! सुबह एक सखी का फोन आया, उन्हें क्लब में एक कार्यक्रम का आयोजन करना है
जिसमें विभिन्न स्थानीय फैशन डिजाइनर तथा महिला दुकानदार अपने वस्त्रों के स्टाल लगायेंगे.
बड़े हॉल में लगभग बीस मेजें लगवानी हैं और वस्त्र टांगने के लिए स्टैंड आदि लगवाने
हैं. इसका विज्ञापन भी देना है. परसों से योग कक्षा की शुरूआत भी करनी है. अभी-अभी
एक निमन्त्रण संदेश लिखा है उसने, जो व्हाट्सएप के जरिये सभी को भेजना है. उसने
सोचा एक बार सेक्रेटरी को दिखा लेना ठीक रहेगा. परसों के लिए कुछ सामान भी खरीदना
होगा. प्रसाद के लिए मूंग साबुत दाल, काबुली व काले चने, एक नारियल, एक दीपक,
अगरबत्ती और कागज की प्लेट्स. कुछ फूल भी ले जाने हैं.
जय मां हाटेशवरी....
ReplyDeleteहर्ष हो रहा है....आप को ये सूचित करते हुए.....
दिनांक 27/02/2018 को.....
आप की रचना का लिंक होगा.....
पांच लिंकों का आनंद
पर......
आप भी यहां सादर आमंत्रित है.....
बहुत बहुत आभार कुलदीप जी !
Deleteबहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !
ReplyDeletenice post!
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