अगस्त का
प्रथम दिन ! आज जून यात्रा पर गये हैं पांच दिनों के लिए. जिस शहर में वे गये हैं,
सौभाग्य से दीदी-जीजाजी भी वहाँ आये हुए हैं, कल शाम को उनसे मिलेंगे. दोपहर के
चार बजे हैं. नैनी काम कर रही है. आज सुबह वह भी अस्पताल गयी थी. डाक्टर ने कहा,
उसके बदन में खून की कमी है, अब बच्चे को रखना ही एकमात्र उपाय है. भगवान ने उसे
भी इस कृत्य से बचा लिया है. आने वाली आत्मा का स्वागत करना होगा. आज सुबह उसकी
देवरानी आई थी, घर के काम में सहायता करने. उसे जब कहा रात के डेढ़-दो बजे एम्बुलेंस
के लिए नहीं जगाएगी, वह बुरा मान गयी. माँ बनने वाली स्त्री के मन में कितने डर
होते हैं. वह मन में सोचती होगी कि पुत्र न हुआ तो क्या होगा. उसे इन लोगों के साथ
सहानुभूति से काम लेना होगा. बच्चों को भी प्रेम से स्वीकारना होगा. परमात्मा जब
उन्हें स्वीकार रहा है तो वे कौन हैं ?
दोपहर के दो बजने
को हैं. आज सुबह ओस से भीगी घास पर चलते हुए मन में कितने सूक्ष्म भाव जग रहे थे.
नेट पर प्रेमचन्द की दो कहानियाँ पढ़ीं, नहीं.. सुनीं, कितनी उम्दा पेशकश है, बहुत
स्पष्ट आवाज है. आज मिनी ट्रक ड्राइवर अपनी गाड़ी में दूधवाले के यहाँ से गोबर लाने
का काम कर रहा है, दो बार वे ला चुके हैं, शायद इस बार अंतिम हो. इतनी तेज धूप में
वे लोग काम कर रहे हैं. माली ने दूब घास की पौध भी लगा दी है जो वह नर्सरी से लायी
थी. नन्हे ने बताया उसकी नई मित्र घर पर ही थी जब मासी का परिवार आया. उसने अपने
फ़्लैट मेट के बारे में भी कहा कि वह सामान्य नहीं है. उसे सुनकर धक्का लगेगा, ऐसा उसने
कहा, पर उसे भीतर जरा भी हलचल नहीं हुई. लोग जैसे हैं वैसे हैं, चीजें जैसी हैं,
वैसी हैं..वे इस दुनिया को वह जैसी है वैसी ही स्वीकार लें तो व्यर्थ के झंझटों से
बच जाएँ. नन्हे की मित्र अन्य संप्रदाय की है. इस वर्ष के अंत तक का समय उन्होंने
दिया है एक दूसरे को जानने-समझने के लिए. आज की पीढ़ी रिश्तों को भी प्रोफेशन की
तरह निभाती है, प्रोबेशन पीरियड चल रहा है ऐसा कहा था उसने. उसे हँसी भी आई और
भीतर विचार भी आया, कब तक चलेगा यह रिश्ता.
रात्रि के दस बजने
को हैं, जून यहाँ होते तो इस समय वे सो चुके होते पर आज पूना में वह भी जाग रहे
होंगे इस वक्त. क्लब में फिल्म देख रही थी तब उनका फोन आया था. पूना में एक पुराने
मित्र परिवार से मिले. उसे भी क्लब में एक पुराने परिचित मिले. जून के आने पर घर
भी आएंगे. फिल्म अच्छी थी, शाहिदा का रोल जिसने निभाया है वह लड़की नन्ही सी बहुत
प्यारी है, उसकी आँखें बोलती हैं. कुछ देर पहले नैनी डेटोल मांगने आयी. उसके ससुर
को फिर चोट लग गयी है, नशे में साईकिल से गिर गया होगा. सुबह एक सखी का फोन आया,
स्कूल खुल गया है, जहाँ वह सप्ताह में एक बार योग सिखाने जाती है. अगले हफ्ते से
जाएगी. सुबह देर तक साधना करने के बाद मन कितना शांत रहता है. आज एक अनोखा अनुभव
भी हुआ, अचानक सभी के भीतर ईश्वर की ज्योति के दर्शन होने लगे. जून से फोन पर बात
की तो अपनी ही आवाज इतनी मधुर लग रही थी और जून की और भी ज्यादा, वे दूसरों को जो
तरंगे भेजते हैं, वही लौटकर वापस आती हैं, जैसे कि वे खुद से ही बात रहे होते हैं.
परमात्मा ने यह सृष्टि कितनी अनोखी बनाई है. यहाँ प्रेम ही प्रेम है. यदि कोई
महसूस करने वाला हो. यहाँ एक आधार है, जिसका कोई कुछ नहीं कर सकता. अविकारी है वह,
अजर, अमर, अविनाशी, अखंड, कालातीत और भी बहुत कुछ ! उस परमात्मा को प्रेम से ही
जाना जा सकता है !
रात्रि के नौ बजे
हैं. दिन के सभी कार्य हो चुके हैं. रात्रि का, विश्राम का समय है. कुछ देर पहले
अख़बार पलटा, पहेली हल की. जून का फोन आया, परसों वह आ रहे हैं, उसी शाम को ही उनके
दो मित्र जो यहाँ आये हुए हैं, भोजन पर आयेंगे. इतने दिनों की शांति के बाद चहल-पहल
हो जाएगी. फिर इसी सप्ताहांत में छोटी बहन का परिवार व नन्हा आ जायेंगे. आज बगीचे
में काम किया. दोपहर को टालस्टाय की अन्ना केरेनिना पढ़नी आरम्भ की है. रोज की तरह
ब्लॉग पर लिखा, ध्यान किया. परमात्मा में होना कितना सुखद है, आनंददायक है वह
परमात्मा !
No comments:
Post a Comment