आज वे घर लौट
आये हैं, दोपहर को सिटी टूर के लिए निकले थे. यरकौड झील तथा अन्ना पार्क के दर्शन
के बाद एक मन्दिर देखने गये जो यहाँ के उच्चतम स्थान पर बना है, साढ़े पाँच हजार की
ऊँचाई पर बना वह मन्दिर एक चट्टान के भीतर गुफा में स्थित है. वहाँ कुछ देर ही रुके,
अद्भुत शांति का अनुभव हुआ पर उसे भंग कर दिया हाथ में पकड़े मोबाइल ने, जिस पर
चित्र खींचने का अभ्यास इतना पक्का हो चुका था कि मूर्ति की भी तस्वीर खींच ली. पुजारी
ने डांटा, जो पूर्णरूपेण उचित था. अब के बाद कभी मन्दिर में तस्वीर लेने की
गुस्ताखी नहीं हो सकेगी. वापस आकर लंच की तरह नाश्ता किया, नाश्ते में सभी कुछ था,
जो विविधतापूर्ण था. कुछ देर नन्हे ने ड्रोन उड़ाने का प्रयास किया. छोटी सी एक
काली चिड़िया अपनी मनमोहक उड़ान से मानव निर्मित ड्रोन को मात दे रही थी. एक बार फिर
होटल में घूमने के बाद दोपहर साढ़े बारह बजे वापसी की यात्रा आरम्भ की. यह एक तीन
सितारा होटल है. एक पहाड़ को ही दीवार का रूप दे दिया गया है, जिसपर लताएँ इस तरह
चढ़ा दी गयी हैं, जैसे उसी का भाग हों. उसे लगा, पौधों की इतनी प्रजातियाँ एक ही स्थान
पर उगाना और बगीचा लगाना कितना श्रम साध्य कार्य रहा होगा. 'रॉक पर्च स्टर्लिंग होलीडेज' में
रहना उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया है. कॉफ़ी, संतरे तथा काली मिर्च के
बागानों को देखते तथा चन्दन, सौगान और सिल्वर ओक के जंगलों को पार करते हुए वे आगे
बढ़े. मार्ग में मेटुर बाँध पहुँच कर वे उसके रिजर्वायर तक पहुंचे. गूगल की सहायता
से वे होगेनक्कल झरने देखने निकले पर पहुंच गये झील तक. मोबाईल एप कह रहा था कि
फेरी से झील को पार करके वहाँ पहुँचा जा सकता है. कुछ समय झील पर बिताकर उन्होंने वापसी
की यात्रा आरम्भ की और देर शाम घर लौट आये.
सुबह के साढ़े सात
बजे हैं. सितम्बर में ही बंगलूरू का मौसम उतना ठंडा है, जितना असम में नवम्बर में
होता है. हवा शीतल है. कुक ने नाश्ते में ‘उपमा’ बना दिया है, दोपहर का भोजन भी
लगभग तैयार है. जून बाहर गये हैं. नन्हा सो रहा है. कल दिन में आँखों का चेकअप कराना
था. शाम को वे इस सोसाइटी का निरीक्षण करने निकले, जहाँ नन्हे ने घर लिया है. यहाँ
सभी आधुनिकतम सुविधाएँ मौजूद हैं. स्वीमिंग पूल, जिम, टेनिस टेबल, बिलियर्ड, कैरम,
टेनिस कोर्ट सभी कुछ है. कमी थी तो केवल लोगों की, जिन्हें इनका उपयोग करना था.
बच्चे खेल रहे थे. अचानक सीढ़ियों से उतरते समय उसका पैर फिसल गया और बाएं पैर की एड़ी
में मोच आ गयी. सौभाग्य से नन्हे का एक डाक्टर मित्र घर पर ही था, उसने उपाय बताया
और घर में सभी ने काफी देखभाल की. सुबह उठने के बाद काफी आराम महसूस हो रहा है. एक-दो
दिन में सभी कुछ ठीक हो ही जाने वाला है.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22.02.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2889 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
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