परसों सुबह-सुबह एक अजीब स्वप्न देखा. एक कुत्ता उसके सामने बैठा
है और बातें ही नहीं कर रहा, एक से एक फ़िल्मी गीत गा रहा है. नींद खुली उससे पहले उसने
गाया, धीरे से जाना बगियन में, ओ..भंवरे धीरे से जाना..बिलकुल किशोर कुमार के
स्टाइल में. कितनी बार उसने अन्य योनियों को देखा है स्वप्नों में. पिछले दिनों एक
बार माँ-पिताजी को देखा था स्वप्न में, आजकल उनकी बात चल रही है, ब्लॉग में, शायद
इसी कारण.
आज उन्होंने जनरल हेल्थ चेकप करवाया है, कल सुबह
रिपोर्ट मिल जाएगी. एक उम्र के बाद इस तरह की जाँच करवाते रहना चाहिए, कितनी बार सुनने
को मिलता है, फलां को गठिया है, किसी को दिल की बीमारी है, समय रहते उन्हें पता ही
नहीं चल पाता. उसे भी पैरों में हल्की जकड़न सी महसूस हुई, हल्का खिंचाव सा, बढती
हुई उम्र का तकाजा है या कुछ और बात है, पर मन वैसे ही है प्रफ्फुलित और कुसुमित !
कल लाइब्रेरी से चार चित्रकथाएं लायी,
बुद्ध, टैगोर, शिव और भगवद् गीता, कितने सुंदर चित्रों और कथानक के साथ ये
पुस्तकें तैयार की गयी हैं. आज असम बंद है, राहुल गाँधी गोहाटी में आये हैं, सम्भवतः
उन्हीं के विरोध में. एक व्यक्ति ने कल गोहाटी में राजनितिक विरोध के चलते स्वयं
को जला लिया, लोग किस सीमा तक चले जाते हैं. कल स्कूल में बच्चों को शिव का भजन
अच्छा लगा, उन्हें बहुत कुछ सिखाया जा सकता है. उसे लगता है आर्ट एक्सेल कोर्स की
ट्रेनिंग लेनी चाहिए. वे वैसे भी जुलाई-अगस्त में बैंगलोर जाने की बात सोच रहे
हैं. उसे हर विरोध के लिए तैयार होना होगा. हर विरोध अंततः मान ही लिया जाता है
अर्थात समाप्त हो जाता है.
परसों मीटिंग में कवयित्री सम्मेलन का आयोजन
अच्छा रहा. कल शाम वे आर्ट ऑफ़ लिविंग सेंटर गये, शिवरात्रि उत्सव मनाया गया वहाँ.
आज सुबह उसने एओएल की एक टीचर को फोन किया, वह सोच रही है सर्वेंट लाइन के सभी
वयस्कों के लिए एक कोर्स कराए. बच्चों को तो वह सिखा देती है पर बड़ों को भी
जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने एक अन्य टीचर से बात करने को कहा है. कल शाम जून के
एक कनिष्ठ सहकर्मी के यहाँ गये वे. घर अच्छा लगा, ज्यादा सामान नहीं है, साफ-सुथरा
सा. गृह स्वामिनी ने झटपट आलू-पूरी व पकोड़े बनवाये, कस्टर्ड शायद बना रखा था. उसे
यह सब खाने का अभ्यास नहीं है, पर शिष्टता वश कुछ खाया.
मार्च का प्रथम दिन..देखते-देखते जैसे गर्मी का
मौसम भी आ गया है, कमरे में गर्मी का अहसास हो रहा है. अभी से पंखा चलाकर बैठना पड़
रहा है. आज गर्मी की सब्जियों के बीज भी लाये, माली ने भिन्डी के बीज भिगोकर रखने
को कहा. जून के दफ्तर में वाहन कल से ठीक से नहीं चल रहे हैं. कुछ लोगों ने कंपनी
में नौकरी न मिलने पर शिकायत दर्ज कराने के रूप में वाहनों पर पत्थर मारने शुरू कर
दिए थे. सोमवार तक सम्भवतः हालात ठीक हो जायेंगे. जून का दिल्ली से फोन आया, वह आज
ही गये हैं, नन्हे से बात हुई, वह लौकी की
सब्जी बना रहा था, फुल्के बनाने वाला था. कितना अच्छा है कि वह भोजन बनाने के
मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर है.
बहुत दिनों बाद लौटा हूँ. अच्छा लगा यहाँ आकर... एक बार फिर शान्ति और सुकून!!
ReplyDeleteअच्छा लग रहा है ब्लॉग जगत में एक बार फिर पहले की सी हलचल देखकर..स्वागत व आभार !
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