फिर एक दिन का अन्तराल ! समय कैसे बीत जाता है पता ही नहीं
चलता. सुबह वे जल्दी उठते हैं, प्रातः भ्रमण करके आते हैं तो न चलने का पता चलता
है न कोई प्रयास करना पड़ता है, सब कुछ जैसे अपने-आप ही होता रहता है. वापस घर आकर
एक घंटा प्राणायाम-योग आदि में पलक झपकते बीत जाता है. फिर नाश्ता, स्नान आदि करके
आज कुछ देर लिखने बैठी तो आलमारी में रैक लगाने बढ़ई व उसके सहायक आ गये, उनके
जाते-जाते ग्यारह बज गये, जून लंच पर आए, जाने के बाद लिखने बैठी तो वेल्डिंग वाले
लोग आ गये. वे गये तो स्काइप पर दीदी मिल गयीं. सुबह एक सखी से भी बात हुई थी फोन
पर. उन बुजुर्ग आंटी से भी अभी बात की. वह उस दिन उन्हें देखकर बहुत खुश हो गयी
थीं. आज क्लब में मीटिंग है, वह साढ़े पांच बजे रात का भोजन बनाकर जाएगी. दो दिन से
गोर्की की पुस्तक Mother पढ़नी शुरू की है. कितना अच्छा लिखते हैं गोर्की, ऐसे
साहित्य को कितनी बार भी पढ़ो, अच्छा लगता है.
एक बदली भरा दिन है आज, आंध्र प्रदेश में तूफान
के आसार हैं; सम्भवतः उसका असर यहाँ भी दिखाई दे रहा है. आज भी सुबह की दिनचर्या
रोज की तरह रही. जून ने कहा, जो लंच आजकल वे लोग खा रहे हैं, वह घर पर रहकर ही बना
सकती है, अभी तो उसकी कहीं जाने की बात भी नहीं है, पर उन्हें जो संस्कार पड़े हैं
मन पर कि गृहणी को भोजन के समय घर पर होना चाहिए, वह अपने आप लेकर भोजन नहीं खा
सकते, उसी ने उनसे यह बात कहलवाई होगी.
वर्ष के अंतिम माह का पहला दिन, बड़े भाई का
जन्मदिन ! मंझले भाई-भाभी आज घर आये हैं, पिताजी ने बताया. छोटी ननद को सर्दी लगी
है. बड़ी ननद की दूसरी बेटी को ससुराल में एडजस्ट करने में कुछ परेशानी हो रही है. नन्हा
और उसकी मित्र आज मिनी मैराथन में भाग लेने गये थे. बुजुर्ग आंटी की तबियत ठीक
नहीं है, उन्हें अस्पताल में दाखिल करना पड़ा है, जून उन्हीं के साथ हैं.इतवार को
सभी से बात करो तो सब खबर मिल जाती है. कुछ ही देर में मृणाल ज्योति के संस्थापक
दम्पत्ति आने वाले हैं, उसने नाश्ता बना दिया है. विकलांग दिवस के लिए निकट ही
क्लब में बच्चे अन्य शिक्षकगण के साथ रिहर्सल कर रहे हैं. शाम होने को है, पश्चिम
में लालिमा सुंदर लग रही है. कुछ देर पूर्व झूले पर लेटकर आकाश निहारा तो.. उसी का
अनुभव हुआ. क्या यह मन का ही प्रक्षेपण मात्र है, हुआ करे, मन यदि परमात्मा का ही
स्मरण करे तभी अच्छा है. उसके सिवाय और कुछ है भी कहाँ, सारी कल्पना भी उसी की है,
सारी स्मृति भी उसी की है..जीवन का आधार वही है तो जीवन का सार भी वही है. अंतर का
प्यार भी वही है तो चमन की बहार भी वही है. निराकार भी वही है तो सगुण साकार भी वही
है. मानव पर सबसे बड़ा उपकार भी वही है और रिश्तों में दुलार भी वही है.
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