Sunday, November 4, 2012

ठंडा ठंडा संतरा



कल वह अपनी एक सहपाठिनी से एक किताब लायी थी, ‘मापन व मूल्यांकन’ स्पष्ट हो गया है, ‘टी स्कोर व जेड स्कोर’ भी बहुत अच्छी तरह समझाया है इस किताब में. कालेज गयी तो छात्राएँ परीक्षा की तिथियों के बारे में ही बात कर रही थीं, पहली मई से पन्द्रह तक परीक्षाएं हैं, हर पेपर के बीच में दो दिन का अंतराल है सिवाय मनोविज्ञान के पेपर के, टाइम टेबल  उसे तो याद भी हो गया है. ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया उसने, और किसी टीचर ने कोई आपत्ति नहीं की, पर सिन्हा मैडम ने कहा ऐसा नहीं करना चाहिए था, क्यों कि अभी तक ऑफिशियली डेट्स नहीं आयी हैं, सो मिटा दिया. आज मार्च का अंतिम दिन है, यानि प्रति पेपर के हिसाब से पांच दिन मिलेंगे, उसने सोचा, अब उसे पूरी व्यूह रचना करके जुट जाना चाहिए. अब लगभग सभी विषयों का कोर्स पूरा होने को है. नन्हा आजकल देर से सोता है, उसे सुलाते हुए उसे ही नींद आ जाती है सो रात को भी देर तक पढ़ नहीं पाती. और आज जल्दी उठ भी गया है, दोपहर को सोना उसे जरा नहीं भाता.

अप्रैल का पहला दिन बीत भी गया, कल दिन भर चार्ट बनाने में ही निकल गया, आज ले गयी थी जमा करने. अब दो-तीन दिन और जाना है, उसके बाद बीच-बीच में एकाध दिन, शायद उन्नीस अप्रैल को विदाई पार्टी होगी, वह भी कुछ कविता या ऐसा ही कुछ पढ़े, ऐसा मन में विचार आया है, उसने सोचा, लिखेंगे कभी मूड होने पर....अलविदा..आज रामनवमी की छुट्टी है, घर पर उतनी पढ़ाई कर नहीं पा रही है, बल्कि कालेज डे में ज्यादा उत्साह रहता है. याद करने का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है, लगता है चार-पांच बार अच्छी तरह पढ़कर ही जाना होगा, रटना अब उससे हो नहीं पायेगा. ड्राइक्लीनर के यहाँ से साड़ी ले आयी है, कितनी अच्छी लग रही है कोटा चेक की यह साड़ी.

मिसेज सिन्हा भी बस..लडकियाँ उनकी रिस्पेक्ट नहीं करतीं, यही शिकायत करती हैं हमेशा, लेकिन लडकियाँ भी क्या करें..कालेज का कल अंतिम दिन हैं मन में कुछ सुगबुगा रहा है एक कविता...सभी टीचर्स के नाम और बीएड के नाम. सिन्हा मैडम ने पूछा कि कितने प्रतिशत नम्बर आएंगे, उसने साठ प्रतिशत कह दिए..इतने भी नहीं आये तो पढ़ाई किस काम की.

अप्रैल भी आधा बीत गया, जून आए थे, तीन दिन रहे और चले गए, उन्हें पहले दिल्ली फिर आस्ट्रेलिया जाना है. अगले महीने अठारह तारीख को आएंगे अब हमें ले जाने. आजकल गर्मी बढ़ गयी है, पिछले दो-तीन दिन से दोपहर में बिजली गायब हो जाती है, पंखा चलता भी है तो गर्म हवा फेंकता है, दिन भर पंखे की हवा में रहने से बदन कैसा आलस्य से भरा रहता है, मगर क्या करें ? परीक्षा में सिर्फ बारह दिन रह गए हैं, अभी तक सभी कुछ पढ़ा ही नहीं है, याद करना तो दूर, साठ प्रतिशत अंक लाना इतना आसान नहीं है.
आज उसने वह कविता पढ़ दी फेयरवैल पार्टी में. शाम को उसकी सहपाठिनी सीमा आयी थी, उसने ननद से कहा चाय के लिए, वह छोटी-छोटी दी कटोरियों में चना-मूड़ी भी लेकर आयी.

आज इतवार है, उसे जून की याद आ रही है, पिछले इतवार वह यहीं थे. आज दोपहर भर बिजली नहीं थी, गर्मी से ऑंखें और सिर भारी हो रहे हैं, दोपहर को खाना भी नहीं खाया गया, इससमय कुछ खाने का मन हो रहा है, उसने सोचा वह दूध पीकर आती है.

उसे ठंडा-ठंडा संतरा खाने का मन हो रहा है, पर कौन लाकर देगा, सुबह दूध पिया पर हजम नहीं हुआ. पता नहीं उसे क्या हुआ है. उसके साथ यह भी समस्या है की तबियत ठीक न हो किसी काम में मन नहीं लगता. उसने सोचा कि जून उसे दूर रहकर भी शुभकामना भेज रहे हैं, उसे अपने भीतर की हिम्मत जगानी होगी.




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