कल शाम को उनकी ही लेन के एक बंगाली महोदय एक
विद्यार्थी को लाए, बारहवीं का है, गणित पढ़ना चाहता है. आज से वह यहाँ घर पर पढ़ाने
का कार्य आरम्भ कर रही है, अच्छा लग रहा है सोचकर कि वह भी कुछ ऐसा करने जा रही है
जो किसी की सहायता के लिए है. उसने सोचा वह पूरे मन से पढ़ाएगी, आज मैट्रिक्स पढ़ाना
है. नन्हा अपने मित्र के साथ गेस्ट रूम में खेल रहा है, वह कमरा उसके खिलौनों से
भर गया है, चाहे जैसे खेले, रखे, सजाये उसे उस कमरे में पूरी छूट है. कल ननद का
पत्र आया है, वे लोग नन्हे को बहुत याद करते हैं, यह तो ठीक है, लेकिन शाम को पांच
बजे दोपहर का भोजन तो कुछ ठीक नहीं लगता न. आज लगतार चौथा दिन है गर्मी का, बादलों
का नाम भी नहीं है. अभी सवा दस हुए हैं, उसने सोचा आधा घंटा वह पढ़ेगी फिर फुल्के
बनाएगी.
कल व परसों उसने गणित
पढाया, अनुभव ठीक ही रहा. आज शनिवार है, डिब्रूगढ़ से समाचार समीक्षा का कार्यक्रम
आ रहा है. आज भी दिन गर्म है, परसों रात को भयानक गर्जन-तर्जन के साथ वर्षा हुई थी
उसका कुछ असर बाकी है सो धूप तेज नहीं है. नन्हा लिख रहा है, एक से बीस तक लिखने
में उसे आधा घंटा लगता है, कभी-कभी जानबूझ कर देर लगाता है. उसका मित्र खेलने आ
गया है, अब वह जल्दी से लिख लेगा. आज पत्र भी लिखने हैं, दीदी का पत्र भी आया था,
पता नहीं वह अभी यहीं हैं या आबूधाबी चली गयी हैं. आज वह अपनी अध्यापिका को भी
पत्र लिखेगी. जून ने कहा था, घर में रंग-रोगन करवाने के लिए अर्जी देंगे.
साढ़े दस हो चुके हैं. आज
फिर कुछ दिनों बाद डायरी खोली है, पर दायीं हथेली में बुरी तरह जलन हो रही है, आज
एक हरी मिर्च काटी थोड़ा महीन, बस उसी का असर है, बाएं हाथ पर भी थोडा असर है मगर
दायीं हथेली तो.. फिर ऐसे में क्या लिखा जायेगा. जून आकर कुछ तो उपाय करेंगे, पर
अभी उनके आने में बहुत देर है. कल उन्हें गोहाटी जाना है उनकी पहली, नई, मारुति कार
लाने,
आज शुक्रवार है, जून संभवतः
कल आएंगे, कल रात या परसों सुबह. कल रात वह देर तक नहीं सो सकी फिर नींद भी आयी तो
सपनों भरी. उसकी असमिया सखी ने खाने पर बुलाया है आज शाम को, कल तिनसुकिया जाने को
भी कहा है. नन्हे के लिए सैंडिल लेना है, दलिया, चाय, फल, साड़ी पिन और एक कॉटन
साड़ी. जून को कैसा लगेगा- शायद बहुत अच्छा या कुछ कम अच्छा. वैसे उसे साड़ी की
जरूरत तो नहीं है फ़िलहाल- हाँ कॉटन सूट की है.
आज उन्हें जाना था था पर
मौसम ऐसा बिगड़ा है कि... सुबह से मूसलाधार वर्षा हो रही है, घटाटोप बादल छाये हैं,
ऐसे में उन्हें जून की याद ज्यादा आने लगी, नन्हा बार-बार पापा के बारे में पूछने
लगा. घर में बंद रहो तो कितना खाली-खाली लगता है, वैसे चाहे दिन भर घर में रहें,
पर जब मजबूरी हो तो खलता है. उसने सोचा, एक तरह से ठीक ही हुआ, जून के बिना
तिनसुकिया में वे करते भी क्या..?
नन्हा आज एक वर्ष बाद फिर
से स्कूल गया है. पता नहीं वह क्या कर रहा होगा, आज जब उसे छोड़कर आयी तो वह थोड़ा
उदास था, जून उसे लेकर आएंगे. उनके आने से पहले वह भोजन पूरी तरह तैयार रखेगी, उसे लगा कि अब
उन्हें भोजन डाइनिंग टेबिल पर बैठकर खाना चाहिए. नन्हे को सीखना भी तो है अपने आप
खाना. उसने बड़े जतन से टेबिल सजाई.
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