पिछले एक घंटे से शायद उससे भी ज्यादा
से वह अपने आप को प्रेजेंटेबल बनाने का प्रयत्न कर रही है..पर असफल, खैर अब साढ़े
दस से ऊपर हो चुके हैं, जून और सोनू का आने का समय हो रहा है. भोजन बनाना, जो थोड़ा
शेष है, आरम्भ करना होगा. आज सुबह भारत छोड़ो पर दिल्ली दूरदर्शन की एक
फिल्म देखी, बहुत अच्छी थी, बी आर नंदा थे उसमें. वर्षा शुरू हो गयी है, नन्हे को आज
वैसे भी जून कार से लाने वाले थे, कल लोला ग्रेग का अंतिम अध्याय पढते-पढते आँखों
से आँसूं टपक रहे थे, कितनी तेजस्वी महिला और कितनी अभागी..और उसका सात साल का
पुत्र, बेटी छोटी है पर चार साल का बच्चा छोटा नहीं होता न..
पिछले शनिवार से कल बुधवार
तक उसने डायरी नहीं लिखी जबकि लिखने को बहुत कुछ था. अल्फ़ा, पन्द्रह अगस्त और जून
का जन्मदिन सभी बीत गए. शनिवार को ही तो वे दोनों आये थे हथियार लेकर, फिर इतवार
को और उनकी कार ले गए. उसी का परिणाम है कि उसकी नींद गायब है..रातों की..कल रात
तो अजीब सा लग रहा था, जैसे दिमाग फट जायेगा, अजीब अजीब बातें..रात का अँधेरा
और..खैर अब तो इस समय तो उजला उजला सा दिन है. दोपहर के दो बजे हैं, पहले वह दोपहर
को गीत सुना करती थी फिर दो दस के हिंदी समाचार. आज सोचा था नहीं सोयेगी, पर नन्हे
को सुलाते-सुलाते खुद भी सो गयी. अभी बहुत से काम करने हैं, एक डेढ़ घंटे में जितने
हो सकें, कपड़े प्रेस करने हैं, खत लिखने हैं, कुछ सवाल हल करने हैं, कुछ कपड़ों को
ठीक करना है. समाचार शुरू हो गए हैं, इराक अमेरिका के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं
करेगा. कल वे एक परिचित महिला से मिलने गए थे, उनके पति पिछले कई दिनों से कुवैत
में हैं, पर उनकी कोई खबर नहीं मिल रही है.
क्लब में फिल्म है
त्रिदेव, उसकी देखी हुई है, पर जून कह रहे हैं कि उन्होंने नहीं देखी है सो वे
जायेंगे. कल रात वह ठीक से सो सकी. जून टीवी देख रहे थे सोनू सो गया था और वह भी सो
गयी, फिर सुबह ही नींद खुली. कल सुबह अस्पताल गयी थी पर डाक्टर बरुआ छुट्टी पर थे,
डा. फूकन के पास बहुत भीड़ थी, जून ने तो रुकने को बहुत कहा पर ...उसे अजीब सा लग
रहा था कि डाक्टर से कैसे कहेगी नींद नहीं आती..सुरभि का पत्र आया है, उसे भी नूना
के मार्क्स नहीं मिल सके. शायद अगले पत्र में मिले. उसका रिजल्ट पता नहीं कब मालूम
होगा. कल शाम वे बहुत दिनों के बाद हैलिपैड पर घूमने गए. तीन सिक्योरिटी के आदमी
थे और सीआईएसएफ की वैन भी धीरे-धीरे चल रही थी, अजीब सा लगा अँधेरे में..
आज शनिवार है..जून के आने
में थोडा ही वक्त शेष है. आज पेंडिंग पड़े सभी खतों को पूरा करना है..पूरे दो घंटों
का काम होगा सम्भवतः. राजस्थान का नाश्ता था आज मॉर्निंग टीवी प्रोग्राम में, दाल,
बाटी, चूरमा और देसी घी. बाटी वे लोग घर पर बना सकते हैं ओवन में, कल ट्राई करंगे,
उसने सोचा. आज तो खाना बन गया है. नन्हे को आज सुबह उठाने में बहुत देर लगी, उसकी
नींद बहुत गहरी है. उनके नए पड़ोसी कल जा रहे हैं, नन्हा दोपहर को बातें करता था
उनसे. सोचा उसने कि उन्हें चाय पर बुलाए पर...अगले ही पल सोचा वे कहीं न कहीं
निमंत्रित होंगे, उनके बहुत से मित्र हैं. गणित में कल एक सवाल को लेकर थोड़ी
प्रौब्ल्म हुई, दोपहर को सो गयी सो पढ़ नहीं पायी, अब से एक दिन पूर्व ही पढ़ने से
अच्छा होगा.
आज मंगल है, कल ही वे सब
खत लिखे गए, शनि और रवि तो टीवी के नाम समर्पित होते हैं आजकल. छोटी बहन व छोटे
भाई के कार्ड मिले दोनों लेट लतीफ हैं, पर दोनों के कार्ड बहुत सुंदर हैं. आज सुबह
वह साढ़े छह समझ कर साढ़े पांच बजे ही उठ गयी और जून को उठाया. जल्दी-जल्दी वह तैयार
हुए, घड़ी देखी तो छह बजने में दस मिनट बाकी थे. पहली बार ऐसा हुआ. कितनी अच्छी गजल
आ रही है टीवी पर..फासले कम से कम रह गए...मन होता है असमिया सखी के यहाँ जाये
पर..बेतकल्लुफ़ वह औरों से है, नाज उठाने को हम रह गए..तेरे दीवाने कम रह गए..अहले
दहरो हरम रह गए..इसका मतलब पता नहीं क्या है?
No comments:
Post a Comment