माँ-पिता का पत्र आया है, कुछ दिन पूर्व दादीजी
का स्वर्गवास हो गया. उसके मन में यादों का एक चलचित्र चलने लगा, उनके साथ बिताए कितने
ही दिन याद आए, कितनी अच्छी थीं वह, लिखा है, चोट लगने से एकाएक मृत्यु हो गयी.
उसने सोचा, वह जैसी मृत्यु चाहती थीं वैसी ही उन्हें मिली, जीवन चाहे वैसा न मिला
हो. कल सोनू का पहला पेपर हो गया इंग्लिश का, आज गणित और कविताओं का है. जून को
सम्भवतः एक डेढ़ महीने और इसी तरह तलप आना-जाना पड़ेगा. इतवार दोपहर को आए थे,
सोमवार सुबह चले गए. उसने उनसे वह बात भी कह दी, सोचेंगे, कहा है उन्होंने. उसके
मन में भी कितनी ही बातें घुमड़ती रहीं इस सिलसिले में.
नन्हे का आज हिंदी का
इम्तहान है, कल अंतिम परीक्षा है. कल शाम को उसकी एक उड़िया मित्र आयी थी, पिछले
कुछ दिनों में अपने बेटे को तीसरी बार स्टीम-बाथ देने, उसका बेटा कुछ मोटा हो गया
है, किसी ने कहा कि भाप में नहलाने से स्लिम हो जायेगा. उसे लगता है वह कुछ ज्यादा
ही परेशान हो रही है.
पिछले कई दिनों से डायरी
नहीं लिखी, उन्हें राष्ट्रीय उद्यान काजीरंगा जाना था, पहले कुछ दिन यात्रा की तैयारी
में लगे, फिर यात्रा में और फिर क्रिसमस की छुट्टियों में क्लब, पिकनिक आदि. आज
वर्ष का अंतिम दिन है. काजीरंगा में उन्हें बहुत अच्छा लगा, सुबह सवेरे घने कोहरे
में पगडण्डी पर कार चलाकर उस स्थान पर जाना जहां से हाथी की सवारी शुरू होती है,
एक अविस्मरणीय क्षण था. वहां एक सींग वाले गैंडे मिलते हैं, वहाँ का विस्तृत वृतांत
लिखे उसका मन तो है, पर कब लिखेगी कुछ कह नहीं सकती. जून अभी तक बाहर ही हैं बीच-बीच
में आते हैं एकाध दिन के लिए. नन्हे का स्कूल भी परसों खुल रहा है. इस वक्त वह
चित्र बना रहा है.
पिछले दिनों अकेले होने के
कारण कई बार वे लोग कई बार उस पंजाबी परिवार से मिले. पिछली बार जब वह घर गयी थी
तो माँ-पिता से उनके बारे में पूछा था कि किस तरह से वे हमारे रिश्तेदार हैं.
उन्होंने विस्तार से बताया एक अच्छी खासी कहानी बन गयी.
पाकिस्तान में एक लालचंद
कटारिया थे, जिनकी शादी बागां से हुई, नूना की दादी की दादी के भाई की लड़की इस
बागां की माँ थी. लालचंद व बांगा की पुत्री की शादी नूना की माँ के ममेरे भाई के
साथ हुई. उनका पुत्र था अमर, जो नूना के पिता जी का सहपाठी था. उसकी शादी राज से
हुई जो उसकी माँ की सहपाठिनी थी. इनके पुत्र ही असम में रहने आए..जिनकी पत्नी के
माता-पिता भी नूना के माँ-पिता के परिचित थे. उनकी माँ नूना की माँ के साथ भारत
आने के बाद पढ़ती थीं.
एक दिन उसने ये बातें जब
उनको बतायीं तो वे भी चकित हुए.
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