Saturday, November 17, 2012

सार्क समारोह




दोपहर के सवा तीन हुए हैं, दोपहर एक बजे घर के सामने गली में एक सांप दिखाई दिया, आस-पास के लोग भी घर से निकल आए, पहले उसे भगाने फिर उसकी चर्चा करने में ही इतना वक्त निकल गया, नन्हा अभी कुछ देर पूर्व ही सोया है. शाम को उन्हें उसी पंजाबी परिवार के यहाँ जाना है जिनसे पुरानी पहचान निकल आई है. उसने सभी को पत्र लिख दिए हैं कुल दस पत्र. जब से यात्रा से वापस आयी है, उसका हाजमा थोड़ा सा नाजुक है. अभी रजाई के लिहाफ सिलने हैं, कपड़े प्रेस करने हैं. उसकी नाराज सखी एक बार आयी थी पांच मिनट के लिए...उसे आश्चर्य हुआ यह सोचकर... कितने व्यस्त हो गए हैं वे सभी कि इतने पास होकर भी एक-दूसरे के घर जाने का वक्त नहीं निकाल पाते.

आज वे लोग उनके यहाँ आने वाले हैं, उसने एक सूची बनाई उन पदार्थों की जो वह शाम की चाय में उन्हें पेश करने वाली थी- सैंडविचेज, चना-पूरी, सलाद, मिठाई, हलवा, बिस्किट, नमकीन, फल, कोल्डड्रिंक्स, सूखे मेवे. अभी उसे नन्हे को होमवर्क कराना है, उसे खिलाना है और सुलाना है, उसके बाद शाम की तैयारी करेगी. कल पड़ोसी आए थे, उन्होंने साथ-साथ चित्रहार देखा और मूली के परांठे खाए. 

कल शाम का कार्यक्रम अच्छा रहा, वे लोग आए थे और पौने नौ बजे गए. चन्द्रशेखर ने दावा किया है सरकार बनाने का लेकिन मुश्किल लगता है कि राष्ट्रपति उन्हें कहेंगे. जून को विश्वनाथ प्रताप सिंह से चिढ़ है और उसे उनसे सहानुभूति है. कल रात अजीब सी बातें दिमाग में आती रहीं. आजकल ऐसा ही होता है, रात एक अजीब सा डर लिये आती है.. पता नहीं क्या होगा, लेकिन इस तरह जिया नहीं जा सकता ज्यादा दिन. नहीं, हालात उतने खराब नहीं हैं, जितने नजर आते हैं.

आज उन्नीस नवम्बर है, श्रीमती गाँधी का जन्मदिन ! आज के दिन की शुरुआत तो अच्छी हुई है. पिछले पूरे हफ्ते एक दिन भी डायरी नहीं खोली. चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री बन भी गए और विश्वासमत भी प्राप्त कर लिया. अब देखें क्या करते हैं, अभी तक उनके भाषणों से तो उम्मीद बंध रही है. सर्दियाँ शुरू हो गयी हैं, हाफ स्वेटर के बिना घर में रहना मुश्किल सा लगता है. कल वे तिनसुकिया गए थे, कुछ आवश्यक सामान खरीदना था...क्या वह वाकई आवश्यक था?
आज जून फील्ड गए हैं, ‘तलप’ नाम है उस जगह का..शाम तक आएंगे. आज इस वक्त सुबह के दस बजे ही धूप तेज होने का कारण ठंड कम है. माले में सार्क के समापन समारोह का लाइव टेलीकास्ट हो रहा है, अच्छा लगा देखकर, वह फाउंटेन तो मालदीव ने आजादी के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर बनवाया है. इस समय भूटान के राजा बोल रहे हैं, इसके बाद चन्द्रशेखर को बोलना है. देखें क्या कहते हैं वह. नन्हे को सर्दी लग गयी है आज सुबह ठीक से नाश्ता खाकर नहीं गया, पता नहीं स्कूल में टिफिन भी खाता है या नहीं. कल शाम उसने जून से बहुत सी बातें कह दीं, वह बेहद अच्छा है..उम्मीद से भी ज्यादा..तभी तो कभी–कभी उसे लगता है कि क्या वह सचमुच इतना अच्छा है...वह उसे बहुत चाहता है..और अब वह बोल रहे हैं उनके प्रधानमंत्री और वह हिंदी में बोल रहे हैं..उसे बहुत अच्छा लगा.

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