Wednesday, November 21, 2012

संगीत का उपकरण



जून का फोन आया था, डिब्रूगढ़ से फिलिप्स के एजेंट के आने वाले फोन के बारे में पूछ रहे थे. वे म्युजिक सिस्टम खरीदना चाहते हैं. एक घंटे बाद ही किन्हीं सुनील का फोन आया, उनकी पसंद का डेक आ गया है. पर अब वह कल ही उन्हें बता पायेगी, वैसे जून ने नम्बर दिया है, पर उसे खुद फोन करना अच्छा नहीं लगता, वे व्यस्त हो सकते हैं. उसने अनिता देसाई की किताब पूरी पढ़ ली, एक–एक शब्द तो नहीं पर अंतिम पन्ने पूरी तरह..भविष्य के बारे में जानना कितना नुकसान देह हो सकता है. ज्योतिषी की बात किस तरह उसके दिमाग में घर कर गयी कि..उसका अंत यह हुआ. नायक मर गया, यह लिखा नहीं है पर यही हुआ होगा. दोपहर को पड़ोसिन से भी इस विषय पर कुछ बात हुई. वह भी विश्वास करती है. लेकिन उसे विश्वास नहीं होता कि सब कुछ पहले से ही नियत है..खैर यह एक अंतहीन विषय है, कितनी ही बहस हो सकती है इस पर. नन्हे का स्कूल कल-परसों बंद है, उसने गृहकार्य नहीं किया है अभी तक, खेलने में बहुत समय लगाता है, जब तक जगता है, खेलता ही तो रहता है. बच्चा और खेल दोनों इस तरह जुड़े हैं कि... अभी उसने शाम का नाश्ता भी पूरा नहीं खाया है, पता नहीं किस झोंक में उसने कुछ ज्यादा ही परोस दिया था उसे, ठंड बढती जा रही है, अब उसे अंदर बुला लेना चाहिए, उसने सोचा.

सोनू और उसने जून के लिए दो उपहार खरीदे हैं, उसे पसंद तो आएंगे. शाम होते-होते ठंड बढ़ जाती है, उसे मफलर काम आयेगा वहाँ वैल साईट पर. कितने दिनों बाद तिनसुकिया गयी, पहली बार उसने वहाँ अकेले खरीदारी की. वे दोनों गए थे पड़ोसियों के साथ. और भी कुछ सामान खरीदा, कल वह जून को बताएगी. सुबह उन्होंने जल्दी-जल्दी खाना खाया, साढ़े ग्यारह, बारह तक चलेंगे, ऐसा कहा था पर सवा घंटा इंतजार करना पड़ा. फिर भी सब ठीकठाक रहा.
आज इतवार है, टीवी पर ‘वर्ल्ड ऑफ स्पोर्ट्स’ आ रहा है. दोपहर को उन्हें एक सुखद उपहार  मिला जब जून के एक परिचित कोलकाता से आए, नए वर्ष का एक कैलेंडर और नन्हे के लिए चॉकलेट का एक डिब्बा, साथ में एक सुपारी का डिब्बा, मीठी खुशबूदार सुपारी. कल वही खास दिन है, उनके विवाह की वर्षगाँठ, उसने अभी तक केक नहीं बनाया है, इतवार को टीवी इतना व्यस्त कर देता है.. दोपहर को फिल्म फेयर अवार्ड देखे, इतने सारे सितारे एक साथ. आज तीन-चार दिनों के अखबार भी एक साथ आए हैं, अभी खोलकर भी नहीं देखे हैं. नाख़ून बनाने थे, नन्हे के भी.

जून आज पौने ग्यारह बजे आ गए थे, उन्हें उपहार पसंद आए और उनकी तिनसुकिया की यात्रा की बात भी. इस समय वह डिब्रूगढ़ गए हैं उनका टू इन वन लाने, शाम को उन्होंने  किसी को बुलाया नहीं है, वैसे भी उन्हें वापस आने में सात बज जायेंगे. नन्हा भी आज दोपहर को बेहद खुश लग रहा था, इतने दिनों बाद पापा को देखकर. आज उसे विवाह का दिन जरा भी याद नहीं आ रहा है, अब वह सब एक सपना सा लगता है, बहुत दूर की बात..हाँ एल्बम देखते ही सब जैसे स्पष्ट हो जाता है. छह साल का वक्त कोई कम नहीं होता. जून और वह इस तरह रच-बस गए हैं एक-दूसरे में... एक-दूसरे की आदत हो गयी है कि...

वह लिख ही रही थी कि उस समय घंटी बजी और उसे उठना पड़ा, उनका एक परिचित परिवार था, नन्ही सी बेटी थी उनकी, वे लोग बहुत दिनों बाद आए थे. उनके सामने ही जून आ गए डेक लेकर. फिलिप्स का का बेहद सुंदर मॉडल है. वह पाँच कैसेट भी लाए हैं.

गणित का सिलेबस खत्म हो गया है, परीक्षाएं भी नजदीक हैं, अब उसकी छात्रा कभी-कभी आयेगी कोई समस्या लेकर. आज उन्होंने उस पंजाबी परिवार के दो बेटों को खाने पर बुलाया है. उनके माता-पिता कहीं बाहर गए हैं. उसने सोचा सामने वाली उड़िया लड़की को भी बहुत दिनों से नहीं बुलाया, कल ही उसे कहेगी. आज उसने सभी के पत्रों के जवाब दिए, माँ-पिता, मंझले भाई, छोटे भाई व उसके सास-ससुर, ननद इन सभी ने नए वर्ष के कार्ड्स भेजे हैं और किसी ने जवाब ही नहीं दिया, लोग इतने संगदिल क्यों होते हैं कि फूलों की मुस्कुराहट का भी जवाब नहीं देते.. खैर.

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