ग्यारह बजने को हैं, भोजन भी बन
गया है और स्नान भी हो गया, कभी-कभी एक ही काम हो पाता है, दूसरा जून के आने के
बाद और कभी एक भी नहीं, जब नन्हा पूरी सुबह जगता है. वैसे पिछले दो-तीन दिनों से उसका उठने-सोने का समय कुछ-कुछ
निश्चित होता जा रहा है. सो अब उतनी जल्दबजी नहीं होती. धीरे-धीरे वह बड़ा हो
जायेगा. एक साल का फिर दो तीन वर्ष का, स्कूल जाने लगेगा फिर वह अकेली रह जायेगी,
उन दोनों की प्रतीक्षा करते हुए. वह मुस्कुराई, अभी बहुत दिन हैं उस बात को,
फ़िलहाल तो आज की बात करनी है. नन्हे की दायीं आँख से पानी आ रहा है, डॉक्टर को
दिखाना होगा. उसे डिब्बे का दूध देना भी बंद कर दिया है, शायद अभी इसकी जरूरत ही
नहीं थी. उसे घर की याद आयी, छोटी बहन के पत्र की प्रतीक्षा थी, पहली बार घर से बाहर
गयी है अभ्यस्त होने में थोड़ा वक्त लगेगा. उसने अगस्त माह की सर्वोत्तम उठा ली,
लगभग हर अंक में वैवाहिक जीवन पर एक न एक लेख होता है, जो बहुत व्यवहारिक होता है,
सीधी-सादी भाषा में. जून आज बाइक से दफ्तर गया है थोड़ा जल्दी आ सकता है.
एक सप्ताह बीत गया, सब कुछ सामान्य चलता रहा. कल नन्हें के फोटो भी बन कर आ गए, कितना छोटा सा लगता है वह उनमें. जून अपनी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा है. उसे अवश्य ही सफलता मिलेगी. आजकल यहाँ छात्र संगठन के कारण तनाव है. वह तो दिन भर घर में ही रहती है. जून कहता है कि शाम पांच-छह बजे के बाद बाजार या क्लब जाना सुरक्षित नहीं है. मौसम आजकल रोज ही कितने रूप बदलता है, सर्दी, गर्मी, वर्षा तीनों एक ही दिन में.
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