Thursday, June 7, 2012

अमलतास रोड



कल रात को फिर वही हुआ, पर सुबह उठकर वह बहुत हल्का महसूस करती है, नींद न आने के कारण कोई थकान या सुस्ती नहीं होती. उसे लगता है कि रात हो ही न, दिन ही दिन रहे उसके लिये..शायद किसी ने तभी कहा होगा तमसो मा ज्योतिर गमयो...पर सारी दुनिया के लिये तो रात जरूरी है जून के लिये भी. वह भी कुछ ही घंटे सो पाता है, शाम को कुछ देर सो गया, पर स्नान का समय निकल जाने के कारण व उनके साथ घूमने भी न जा सकने के कारण ‘डल’ सा हो गया था. चार-पांच किताबें लाया है वह डिपार्टमेंट से, उसे बहुत पढ़ना है पर वह जरा भी नहीं पढ़ पाया. घर में माँ आलू चिप्स बना रही हैं, नूना ने एक बार कहा कि दोनों ननदें उत्साह से भर गयीं. सभी उसका बहुत ख्याल रखते हैं.

कल जून वह सब सामान ले आया है, जिसकी उन्हें आने वाले दिनों में जरूरत होगी, अभी भी पूरा सामान तो नहीं आ पाया है. कल शाम बाकी सब फिल्म देखने क्लब गए थे, वे दोनों उसी अमलतास रोड पर घूमने गए. जून ने बताया कि आज उसे असम आये पूरे तीन वर्ष हो गए. माली के न आने से उनके छोटे से लॉन व किचन गार्डन का बुरा हाल हो गया था. इतवार होने के कारण आज जून खुद ही सफाई में लगा है, एक दिन पहले नई खुरपी भी खरीद लाया. पसीने से लथपथ हो गया है वह. नई मिक्सी आयी है, पहली बार दोसे व नारियल की चटनी बनी घर में, दोपहर को वे टीवी देख रहे थे कि एक परिचित का फोन आया वे लोग तेलगु फिल्म ‘शंकरार्पण’ देखना चाहते थे, फिर सबने मिल कर देखी वह फिल्म. शाम को ‘अनंत यात्रा’ भी देखी अच्छी फिल्म थी.
  

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