कल संध्या जब जून ऑफिस से घर आया, उसके हाथ में एक
पार्सल था जो माँ ने भेजा था. वह देखते ही समझ गयी थी कि उसमें वही बेबी एल्बम होगा
जो वे लोग भी लाए थे. आज ही वह उन्हें पत्र लिखेगी, उसने सोचा. जून का दफ्तर
स्थानांतरित हो रहा है अगले हफ्ते से उसे भी नयी इमारत में जाना होगा.
आज इतवार है, जून सुबह से लॉन में
काम में लग गया था, जीनिया के पौधों व गुलाब की क्यारी में से घास निकाली. कल वह दो
क्रोटन के पौधे व हैंगिंग पॉट में लगाने के लिये
भी पौधे लाया है, लगा भी दिए हैं और बहुत सुंदर लग रहे हैं. कल धर्मयुग में
मन को छूने वाली एक कहानी पढ़ी, जून उस दिन जो किताबें लाया था उसमें भागवत् पुराण
भी था.
आज के दिन के साथ कितनी मधुर
स्मृतियाँ संयुक्त हैं, दो वर्ष पूर्व जून जब उनके घर आया था उसे अंगूठी पहनाई थी,
और वे सोच रहे थे कि आज ही उस नवांगतुक का जन्मदिन भी होगा. पर अभी तक तो कुछ भी
अनुभव नहीं हो रहा है. कल से वह सभी सामान्य कार्य आराम से कर पा रही है. डॉक्टर
ने तीन दिन बाद बुलाया है.
कल बाबू जगजीवन राम जी का स्वर्गवास
हो गया. पिछले कई दिनों से यह आशंका थी कई अब वे बचेंगे या नहीं, रेडियो पर तो
एक बार गलती से उनकी मृत्यु का समाचार भी दे दिए था. कल चार बजे से टीवी पर कोई
मनोरंजक कार्यक्रम नहीं दिखाया गया. ऑफिस भी बंद हो गया है. दोपहर को बिजली चली
गयी, गर्मी बहुत थी, बाहर आइसक्रीम वाले ने आवाज दी तो वह ले आया, ऑरेंज कैंडी, पर
कड़वी थी. शायद ज्यादा मीठे के कारण कड़वी हो गयी थी.
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