उसने सोचा, क्यों रहना पड़ता है उन्हें दूर... सुबह वह जल्दी उठ गयी थी, पिछली रात की तरह मच्छरों ने परेशान नहीं किया सो ठीक से सो सकी. वह दिन भर घर पर ही रही, कल की तरह लाइब्रेरी नहीं गयी. शिवानी की पुस्तक ‘चौदह फेरे’ पूरी पढ़ ली. दो तीन दिन या पता नहीं कितने दिन और लगेंगे अभी जून को आने में. वहाँ रहकर भी उसे नूना के खाने-पीने की, सोने-जागने की, पढ़ने-लिखने की फ़िक्र लगी रहती है. दिन में कुछ देर सोयी तो जून को स्वप्न में देखा पर अच्छा नहीं था वह स्वप्न, पता नहीं ऐसे स्वप्न क्यों आते हैं. जून नहीं है तो लगता है जैसे उसे कोई काम ही नहीं है, सारा घर सूना-सूना सा और वह अकेली.
जून ने बताया है कि प्लांट बंद कर देना पड़ा है, उसका मन ठीक नहीं है, उसे भी अच्छा नहीं लग रहा है. अब तो उससे सुबह ही बात हो सकेगी, हो सकता है रात भर में स्थिति नियंत्रण में आ सके और सुबह काम फिर से शुरू हो जाये. उसने मन ही मन शुभकामनायें भेजीं और कहा कि वह एक बार भी नहीं कहेगी उसे वापस आने के लिये. वह यहाँ बिल्कुल ठीक है, जून वहाँ रहकर भी उसके हर कार्य में उसके साथ है, उसका स्नेह उसके साथ है तो फिर उसे भी तो बल देना होगा उसने दुआ मांगी कि वह अपने काम में सफल रहे. आज भी वह घर पर ही रही कल किसी परिचित के यहाँ जायेगी. आजकल ठंड ज्यादा नहीं है, या उसे महसूस नहीं होती, वह दिन भर बंद घर में रहती है शाम को कुछ देर टहलती है. आज इंदिरा गाँधी की चौठसवीं सालगिरह है, उनकी मृत्यु के बाद उनकी अनुपस्थिति में दूसरा जन्मदिन.
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