Wednesday, December 4, 2024

दूज का चाँद

दूज का चाँद 


आज शाम को भी वे कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए टहलने नहीं गये। अब तो लॉक डाउन की अवधि भी बढ़ा दी गई है। एक ही शहर में रहने के बावजूद नन्हे को घर आये एक महीना होने वाला है। अब शायद वे लोग  माह के अंत में उसके जन्मदिन पर ही आयेंगे। लोगों ने पूजास्थलों पर जाना बंद कर दिया है, त्योहारों पर मेहमानों को बुलाना भी। कोरोना ने सबको सीमाओं में बंधना सिखा दिया है। ननदोई जी से बात हुई, उन्होंने बताया, परिवार के चार लोग अपने-अपने कमरों में बैठकर अपने-अपने मोबाइल से एक साथ लूडो खेलते हैं। उनके एक मित्र के परिवार में गाँव में ब्याह हुआ था, सौ लोग एकत्र हुए थे, कई लोगों को संक्रमण हो गया। कई देशों ने भारत को सहायता सामग्री भेजनी आरम्भ की है।देश में पहली बार एक दिन में चार लाख केस मिले हैं। 


प्रातः भ्रमण के समय शिव के मस्तक पर सजे चंद्रमा सा सुंदर चाँदी का सा चाँद गगन में चमक रहा था। शाम को पापा जी से बात हुई, वह सदा की तरह उत्साह से भरे थे।ज्ञान से भरी बातों के अलावा उन्होंने और भी कुछ बातें बतायीं। कह रहे थे, विविध भारती के कार्यक्रम विविधा पर रवींद्र नाथ टैगोर की कहानी ‘मँझली बहू’ सुनी। उनकी गली में गैस का चूल्हा ठीक करने वाला आदमी आवाज़ लगा रहा था, उसे बुलाया और अपना ३९ वर्ष पुराना गैस का चूल्हा ठीक करवाया। कारीगर ने कहा चार-पाँच वर्ष पहले भी आपने ठीक करवाया था। उसने पाइप बदल दी और नोजल्स भी। उसे याद है, जब वह कॉलेज में थी तब यह चूल्हा घर में आया था, एशियाड गेम्स हुए थे उस साल। उनका नया कलर टीवी भी तब आया था।दस दिन के बाद आज से नैनी ने काम पर आना शुरू कर दिया है। बच्चों ने ‘मातृ दिवस’ पर उसके लिए पाँच किताबों का एक सेट भेजा है। कल है मदर’स डे ।आज एक लेखिका मनोरमा कल्पना को पहली बार पढ़ा, बहुत अच्छा लिखती हैं। प्रकृति से उन्हें बहुत प्रेम है। 


कुछ देर पहले बच्चों से बात हुई, अब वे दोनों ठीक हैं। नन्हे के एक पुराने सहकर्मी के पिता का कोरोना से देहांत हो गया। शुरू में पाँच-सात दिन वह घर पर ही थे, फिर मुश्किल से अस्पताल में बेड मिला।पर घर आकर दुबारा स्वस्थ जीवन जीना उनके भाग्य में नहीं था, हृदयाघात हो गया। यह आपदा प्रकृति द्वारा आयी है या मानवों द्वारा लायी गई है, यह कोई नहीं जानता।पापाजी ने आज राजदीपसर देसाई के एक वीडियो के बारे में बताया, वह मोदी जी की आलोचना कर रहे थे। लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। आज एक दुखद समाचार और मिला, उनकी सोसाइटी के फ़ैसिलिटी मैनेजर का देहांत हो गया, कुछ दिन पहले ही वह कोरोना से संक्रमित हुए थे। उनकी बेटी अभी एक वर्ष की है, पत्नी और माता-पिता भी उन पर आश्रित थे। भीतर तक हिला गया यह समाचार, तब समझ में आया जिनके प्रियजन जा रहे हैं, उन्हें कैसा लगता होगा। काफ़ी देर तक मन में पीड़ा बनी रही। स्कूटर पर आते-जाते सोसाइटी के सभी लोगों ने अक्सर उनको देखा था, अपने काम के प्रति बहुत समर्पित थे, सभी के साथ उनका अच्छा संबंध था। 


श्रद्धा और सबूरी का छोटा सा मंत्र साईं ने बरसों पूर्व बल्कि सौ वर्ष पूर्व दिया था। इस छोटे से मंत्र में कितना बड़ा ज्ञान छिपा है। धैर्य के साथ यदि कोई चले तो जीवन की कोई भी परिस्थिति उसे विचलित नहीं कर सकती, और श्रद्धावान को ही ज्ञान मिलता है, यह तो भगवद् गीता में भी कहा गया है। आज सुबह की साधना के बाद उसे भीतर चट्टान जैसी स्थिरता का अनुभव हो रहा है और एक शांति का भी। अब साधना सहज हो गई है, जैसे स्वभाव का ही एक अंग, और लेखन भी ऐसे ही है। लिखने के लिए भी कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता, कोई जैसे लिखवा लेता हो। वैसे जब यह सारी सृष्टि ही किसी व्यवस्था के द्वारा चलायी जा रही है तो चेतना भी पहले से ही मौजूद रही होगी। पाँच तत्व भी रहे होंगे। परमात्मा हर जीव के भीतर विद्यमान है। शिव कहते हैं, जब तक देह में प्राण हैं, वह जीव के साथ हैं, अर्थात उनमें हैं, और जब प्राण नहीं रहते तब जीव शिव में ही रहते हैं। एक शक्ति है जो देह व मन के माध्यम से व्यक्त हो रही है। जब वह स्वयं में टिक जाती है तो वही आत्मा है, और जब वह मन, बुद्धि के माध्यम से व्यक्त होती है, जीव कहलाती है। शाम को पापाजी से बात हुई, उन्होंने बताया, कोरोना के कारण सरकार पर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।सरकार ने उसका क्या जवाब दिया, यह भी बताया। जून ने कोरोना काल में ईवी की देखभाल पर एक वेबिनार में भाग लिया।जिसमें एक सुझाव यह भी दिया गया,  बीच-बीच में कार के इंजन को चलाना है, नहीं तो बैटरी ख़राब हो जाएगी।   


Monday, November 18, 2024

श्रमिक दिवस


श्रमिक दिवस 


आज मई दिवस है। पिछले वर्ष लिखी एक कविता फ़ेसबुक पर प्रकाशित की। शाम को पापाजी ने कहा, उन्होंने पढ़ी यह कविता और मज़दूर क्रांति की बात उन्हें याद आ गई। कार्ल मार्क्स को याद किया, जिसने कहा था, दुनिया के मज़दूरों एक हो जाओ। वार्तालाप में उन्होंने मज़दूरों के योगदान को सराहा, कि उनके बिना मानव के लिए निर्माण का कोई भी काम संभव नहीं है। कल जून के एक पुराने सहकर्मी के निधन का समाचार मिला, उन्हें कई वर्षों से किडनी का रोग था। जीवन और मृत्यु के आगे मानव का कोई ज़ोर नहीं चलता। चिकित्सा शास्त्र की इतनी प्रगति के बावजूद भी लोग असमय मृत्यु को प्राप्त होते हैं, तब भाग्य को मानने के अलावा कोई विकल्प नज़र नहीं आता।जीते जी कोई मृत्यु को प्राप्त न हो इतना तो उसके हाथ में है, यानी उसके उत्साह की, उसके प्रेम की और उसके आनंद की मृत्यु न हो ! जून के एक अन्य पुराने मित्र की पत्नी को कोरोना की वजह से शायद अस्पताल में जाना पड़ सकता है। नन्हे से बात हुई, अब वे लोग बेहतर हैं। उनके नीचे वाले फ़्लैट में एक वृद्धि व्यक्ति की मृत्यु  हो गई। दीदी ने फ़ोन पर बताया, उनकी पहचान की तीन महिलाएँ और एक पुरुष भी कोरोना की भेंट चढ़ गये हैं। नैनी ने बताया, सोसाइटी में कोरोना से एक व्यक्ति चला गया है, उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं। अख़बार में पढ़ा, कितने ही बच्चों के दोनों माता-पिता में से एक की मृत्यु हो गई।न जाने कितने जीवन अभी काल के गाल में समाने वाले हैं। महामारी का यह भीषण रूप अति भयानक है। 


आज सुबह वह उठी तो मन शांत था, शायद रात्रि स्वप्न में कोई अनुभव घटा हो। जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति व तुरिया चारों का अनुभव मानव करता है।सुबह टहल कर आये तो दिन निकल आया था, आजकल सूर्य के दर्शन नहीं  हो रहे हैं, बदली बनी रहती है। प्राणायाम करते-करते कभी आँखें खोलकर देखें तो सामने बादलों से झांकता सूर्य दिखाई देता है पर झट ही छुप जाता है। सुबह पड़ोसन से बात हुई, उन्होंने भी कहा, सोसाइटी में दो व्यक्ति जा चुके हैं और ग्यारह घरों में मरीज़ हैं।शाम को पापाजी से बात हुई, वह आशा और विश्वास से भरे थे। उनका ज्ञान बहुत गहरा है, उन्हें अब मृत्यु से जरा भी भय नहीं है। ओशो की लाओत्से पर लिखी किताब वह कई बार पढ़ चुके हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी जीत गई है और वे बीजेपी कार्यकर्ताओं को हिंसा का शिकार बना रहे हैं। सत्ता परिवर्तन का एक अच्छा अवसर पाकर भी वहाँ की जनता ने मोदी जी को नकार दिया। शाम को जून के मित्र का फ़ोन आया।उसकी पत्नी जिसे कुक के कारण कोरोना हुआ, अब ठीक हो रही है, ऑक्सीजन लेवल ९० हो गया है। अस्पताल से लौटते समय वह उसे पार्क होटल में खाना खिलाने ले गये। उसे आश्चर्य हुआ, कोरोना मरीज़ होते हुए इस तरह होटल जाना ठीक तो नहीं है न, यदि बाद में जाँच हुई तो सजा भी हो सकती है।


आज का दिन भी कोरोना की खबरों के साथ शुरू हुआ। दोपहर को नन्हे ने बताया,  कर्नाटक में अगस्त तक तो हालात सुधरने वाले नहीं हैं। उसके बाद तीसरी लहर आने की आशंका भी है। शायद पूरे प्रदेश में कड़ा लॉक डाउन लगाना पड़ेगा।समाचारों में बिहार के अस्पताल की दुदशा देखकर मन को बहुत पीड़ा हुई। ८०० करोड़ का एक अस्पताल बिना किसी सुविधा के भगवान भरोसे चल रहा है। अस्पतालों में भ्रष्टाचार भी बहुत बढ़ रहा है।नन्हे ने कहा, सीटी स्कैन के लिए उन्हें प्रति व्यक्ति १२००० लगे जबकि रेट २५०० का है। आज सुबह उन्हें उठने में थोड़ी देर हुई, टहल कर आये तो छत पर धूप बढ़ गई थी। टीवी के सामने कार्पेट पर बैठकर मुरारी बापू को सुनाते हुए योगासन किए। उन्होंने श्री कृष्ण के जीवन के अंतिम दिनों के बारे में बताया। श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब की पत्नी लक्ष्मणा थी, जो दुर्योधन की पुत्री थी, यह जानकर भी आश्चर्य हुआ।आज ब्लॉग पर तीन पोस्ट प्रकाशित कीं, कोई सहृदय पाठक या पाठिका मिल जाये तो लिखना सफल हो जाता है। 


आज सुबह साढ़े तीन बजे अपने-आप ही नींद खुल गई थी। ध्यान करने बैठी, परमात्मा के सिवा कोई आश्रय नहीं है, यह तो सुना था पर आजकल तो यह बात शत-प्रतिशत सही सिद्ध हो रही है। जगत जिस तरह एक वायरस से जूझ रहा है, कहाँ, कौन संक्रमित होगा और उसकी जान को कितना ख़तरा होगा, कुछ भी कहा नहीं जा सकता। ऐसे में परमात्मा के नाम का स्मरण ही मन को मुक्त रखता है। शाम को पापा जी से बात हुई। वह ठीक हैं, कभी-कभी उम्र के तक़ाज़े के अनुसार उनका शरीर कमजोरी की शिकायत करता है, पर एक नियमित दिनचर्या हैं उनकी। हर दिन दो पेज लिखने का वर्षों का क्रम है, जिसे पूरा करते हैं। अख़बार पढ़ना, संगीत सुनना और आजकल मोबाइल पर वीडियो देखना। नन्हे का फ़ोन आया, उनके डॉक्टर्स दिन में दस हज़ार कॉल्स ले रहे हैं आजकल, वे लोग सभी तरह के डॉक्टर्स को कोरोना के बारे में सलाह देने को कह रहे हैं। आज बैंगलुरु में साढ़े तीन लाख सक्रिय मामले हैं, पूरे देश में ३६ लाख, यह आँकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में छह गुना अधिक है। आज असमिया सखी का फ़ोन आया, अमेरिका में रहने वाली उसकी नन्ही पोती स्कूल जाने लगी है, कक्षा में चार ही विद्यार्थी हैं। कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाता है। पश्चिम बंगाल में हिंसा ख़त्म नहीं हो रही है। 

   


Tuesday, November 12, 2024

सफ़ाई वाला रोबॉट


 सफ़ाई वाला रोबॉट

आज देर शाम को मूसलाधार वर्षा हुई, वैसी ही जैसी असम में होती थी, अप्रैल के महीने में। बाहर नहीं जा सके, बालकनी में टहलते हुए प्रकृति के इस आनंद उत्सव का आनंद लिया।नन्हे का वीडियो कॉल आया, उनका घर अब पर्याप्त व्यवस्थित हो गया है। घर की सफ़ाई के लिए एक रोबोट डीबॉट लिया है, वह अपने आप ही एआई के द्वारा घर का नक़्शा बना लेता है और स्वयं को चार्ज भी कर लेता है। सफ़ाई में झाड़ू के साथ पोछा भी लगा लेता है। साथ ही उसने यह भी कहा, उसकी कंपनी द्वारा टेली मेडिसिन का उपयोग करने के लिए एक दिन में ग्यारह हज़ार लोगों ने डॉक्टर से सलाह लेने के लिए फ़ोन किया। डेढ़ हज़ार लोगों को उन्हें मना करना पड़ा, क्योकि इतने डॉक्टर्स ही नहीं हैं। पिछले वर्ष कोरोना की लहर आने पर छह हज़ार लोग एक दिन में फ़ोन करते थे, इस वर्ष सारे रिकॉर्ड टूट गये हैं। कल से दस मई तक लॉक डाउन घोषित कर दिया गया है।पिछले वर्ष भी इस समय देश में कोरोना बंद था। परमात्मा ही अब मददगार हो सकता है, हो ही रहा है। उसके सिवा कौन है जो दुनिया को इस आपदा से सुरक्षित निकाल कर ले जाये।कल साढ़े ग्यारह बजे उन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए श्री श्री आयुर्वैदिक अस्पताल जाना है।आज शाम को पार्क संख्या दो से लाल-लाल पकी हुई जमैका चेरी तोड़ीं।


सुबह-सुबह प्राणायाम का महत्व बढ़ गया है, क्योंकि प्राण ही औषधि है, आजकल यह बात सत्य सिद्ध हो रही है। आज अस्पताल आने-जाने में डेढ़ घंटा लगा।एक महिला मिली जो निकट की ही एक सोसाइटी में रहती हैं, कहने लगीं, आपको आश्रम में देखा है। ‘विपरीत मूल्य एकदूसरे के पूरक होते हैं’, कहकर उन्होंने ग्लोब अस्पताल में हुए अपनी पहली वैक्सीन के अनुभव को बताया। शाम को फिर तेज वर्षा हुई, पर रुकने के बाद सूर्यास्त का सुंदर दृश्य दिखाई दिया। पापाजी से बात हुई। यह अब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है, वह नित्य फ़ेसबुक पर उसकी पोस्ट भी पढ़ते हैं। लॉक डाउन के कारण रविवार के बावजूद बच्चे नहीं आ पाये, वैसे भी सोनू का आक्सीजन लेवल अभी भी ९५ है,  छोटी बहन (डाक्टर) ने कुछ दवाएँ लिख दी हैं और कुछ टेस्ट भी, पर आजकल अस्पताल जाना तो मुश्किल है। आज ‘सायना नेहवाल’ पर बनी एक फ़िल्म देखी, अच्छी है।


आज सुबह भ्रमण के समय पंछियों की आवाज़ें पूरे वातावरण को गुंजा रही थीं। कोयल, बगुले, टिटहरी और छोटी काली-सफ़ेद चिड़ियाँ देखीं।बाद में लौटते हुए समाचार सुने, कोरोना के अलावा कोई और समाचार नहीं होता आजकल। पूरे देश में या कहें दुनिया में अफ़रा-तफ़री का माहौल बना हुआ है। लोगों के संक्रमित होने की संख्या बढ़ती ही जा रही है। कितनी जानें भी जा रही हैं, और ये हालात कब सुधरेंगे, कोई नहीं जानता।सोनू की रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी है पर सीटी वैल्यू के अनुसार संक्रमण कम है। नन्हे व सोनू ने सीटी स्कैन करवाया है चेस्ट का, कल रिपोर्ट आएगी। ननद का फ़ोन आया, ननदोई व भांजे को भी कोरोना हो गया है। समाचारों में असम में आये भूकंप के बारे में सुना। 


कल रात को नींद गहरी नहीं थी, फ़िटबिट में गहरी नींद का स्कोर केवल ग्यारह मिनट ही दिख रहा है।शायद इसलिए दिन में थकान सी बनी रही। सुबह जल्दी उठकर टहलने गये, आकाश पर गोल चंद्रमा खिला हुआ अपनी सुषमा बिखेर रहा था। चाँदनी पर न जाने कितनी कविताएँ लिखी गई हैं और सोम से झरते हुए रस से खीर में आने वाली मिठास की कल्पना की गई है। सागर की लहरें भी तो पूर्ण चंद्रमा से मिलने के लिए आकाश में छलांग लगा देती हैं। शाम को जून के एक पूर्व सहकर्मी के कोरोना से हुए देहांत की खबर मिली, वैसे वह कई वर्षों से उन्हें किडनी का रोग था।बच्चों की रिपोर्ट में माइल्ड संक्रमण है चेस्ट में। पापा जी ने विविधभारती के एक कार्यक्रम ‘विविधा’ के बारे में बताया, शुक्रवार को आता है। इसमें संगीतकार नौशाद का इंटरव्यू सुना उन्होंने, और भी देश-दुनिया की बातें कीं।


Tuesday, November 5, 2024

गुलाबी सूरज

गुलाबी सूरज 


शाम को भोजन बनाने के लिए रसोईघर में गयी तो नन्हे का वीडियो कॉल आया।उनके कुक की रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी है। उसको संदेह है कि उसे ख़ुद भी कोविड हो गया है। सोनू को भी दिन में ठंड लग रही थी। कल टेस्ट होगा, सोमवार को रिपोर्ट आएगी। उन्हें सोसाइटी द्वारा क्वारंटाइन में रहने को कह दिया गया है, यानि अब उनकी मेड भी नहीं आ सकती। उसके एक मित्र को भी, जो दिल्ली से आया था, पिछले पाँच दिन से ज्वर है। उसके कुछ परिचित आईसीयू में भी हैं। नन्हे ने सोप डिस्पेंसर भिजवाया है, ताकि बिना कहीं भी हाथ लगाये साबुन हाथ में आ जाये।अभी कुछ देर पहले वे टहल कर आये तो चौथ का चंद्रमा झांक रहा था, ठंडी हवा सहला रही थी। टीवी पर कोरोना के समाचार भयावह स्थिति को बताने वाले हैं, दुनिया भर में इसकी दूसरी लहर आ चुकी है। भारत में अब आयी है। तीसरी लहर भी कहीं-कहीं आ रही है। आज एक दिन में ढाई लाख कोरोना केस मिलने का आँकड़ा पार हो गया। बैंगलुरु में १३,००० हो गया है एक दिन का आँकड़ा।


आज सुबह बादल थे, बाल सूर्य का गोला एक गुलाबी गेंद की तरह  लग रहा था।सूर्योदय देखते हुए सूर्य नमस्कार किया। बादलों के कारण सूरज तेजहीन लगता है पर देर तक उसे देखा जा सकता है अर्थात त्राटक किया जा सकता है। आज छोटे भाई से बात हुई, बातों-बातों में उसने बताया, दुनिया के सौ बैंकों में संभवत: भारत का कोई बैंक नहीं आता, चीन जो १९८० में भारत से पीछे था अब पहले स्थान पर है। पहले पंद्रह बैंक उसी के हैं। पापाजी से बात हुई, आज पहली बार उन्होंने दुनिया से जाने की बात अपने मुख से कही।’नरेंद्र कोहली’ की मृत्यु की खबर सुनकर उन्हें यह लगा कि अब बहुत जी लिया है, जबकि आज भी उन्होंने लिखने-पढ़ने का काम किया। 


नन्हे की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है, पर उसने कहा नये स्ट्रेन के संक्रमण की रिपोर्ट निगेटिव ही आती है। आज सुबह उठते ही उसके सिर में दर्द भी था।ऑक्सीजन लेवल भी ९४-९५ रहता है।बस एक लाभ हुआ है, उनके ऊपर जो एक ठप्पा लगा गया था, वह हट गया इस रिपोर्ट के बाद, पहले वह किसी से मिलजुल नहीं सकते थे। अब उनके यहाँ कोई आ-जा सकता है। शाम को दीदी का फ़ोन आया, उन्होंने काफ़ी अभ्यास करके ब्रेनविटा में अंत में एक मार्बल प्राप्त कर लिया। आज सरकार की तरफ़ से सूचना आयी है कि पहली मई से अठारह वर्ष से ऊपर सभी को वैक्सीन लगायी जाएगी।अब प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन प्रसारित किया जा रहा है।कोरोना की दूसरी लहर तूफ़ान बनकर आयी है, कितने लोगों ने अपनों को खोया है, कितने प्रभावित हो रहे हैं कई राज्यों में लॉक डाउन फिर से लगा दिया गया है।वह स्वास्थ्य कर्मियों व पुलिस की सराहना कर रहे हैं, जो लोग अपनी चिंता छोड़कर दूसरों के जीवन बचाने में लगे हैं। कठिन से कठिन समय में भी धैर्य नहीं खोना चाहिए तभी कोई विजय हासिल कर सकता है।ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास युद्धस्तर पर हो रहा है, दवाओं का उत्पादन भी बढ़ाया जा रहा है। दुनिया में सबसे तेज़ी से भारत में वैक्सीन लगायी गई है। भारत में जो वैक्सीन बनेगी उसका आधा हिस्सा राज्यों व अस्पतालों को दिया जाएगा। सरकारी अस्पतालों में मुफ़्त वैक्सीन लगायी जा रही है। वह  कह रहे हैं, श्रमिकों को जहाँ वे हैं, वहीं रहकर काम शुरू होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। कल रामनवमी है, सभी को कोरोना मर्यादा का पालन करना है।अनुशासन, साहस और धैर्य के द्वारा ही देशवासी देश को कोरोना से बचा सकते हैं। 


आज सुबह-सुबह ही शीशे का एक जग टूट गया, लापरवाही से या कहें मोबाइल के चक्कर में। कमरे में अँधेरा था और मोबाइल चार्जर में लगा था, निकालने लगी तो कोहनी जग को लगी। ध्यान पूरा मोबाइल पर था, आसपास की वस्तु पर ध्यान ही नहीं दिया, दुख जग टूटने का जरा भी नहीं हुआ पर अपनी इस असजगता का अवश्य हुआ।आज राम की जीवनी को लेकर एक रचना लिखी सीधी कंप्यूटर स्क्रीन पर और पोस्ट की।आज दोपहर को वे लोग भोजन कर रहे थे, बिना घंटी बजाए नये पड़ोसी सीधे अंदर आये और होमऑटोमेशन के बारे में पूछने लगे।शाम को इलेक्ट्रीशियन को लेकर आयेंगे। 


आज एक दिन में भारत में तीन लाख पंद्रह हज़ार से अधिक व्यक्ति भारत में कोरोना से संक्रमित हुए, जो विश्व में किसी भी देश में आज तक नहीं हुए। बैंगलुरु में भी केस बढ़ रहे हैं। उनकी ही लेन के एक परिचित व्यक्ति भी अस्पताल पहुँच गये हैं, उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता हुई। आज एक और दुखद समाचार सुना, सोसाइटी के एक विला में एक दंपति ने व्यापार में घाटा होने पर आत्महत्या का प्रयास किया, पति की मृत्यु हो गई पर पत्नी अभी अस्पताल में है, पता नहीं किस विवशता में लोग ऐसा कदम उठाते हैं। जीवन की सुंदरता से वे परिचित ही नहीं हो पाते। परमात्मा की बनायी यह सुंदर सृष्टि जो उसने आनंद को फैलाने के लिए ही बनायी है, किसी के लिए दुख का कारण बन जाती है। गुरु का जीवन में न होना ही इसका सबसे बड़ा कारण है। परमात्मा स्वयं ही गुरु के रूप में धरती पर आता है, उसकी एक नज़र ही निहाल कर देने के लिए पर्याप्त है। आज शाम को गुरु जी ने ध्यान करवाया। शाम को पापाजी से बात की, अब वह स्वस्थ हैं। उनके लिए लिखी कविताओं का एक संग्रह बनाना है, जिसका शीर्षक ‘जनक’ हो सकता है। काव्यालय के लिए एक हास्य कविता लिखनी है।     

 


Tuesday, October 29, 2024

आलू भुजिया और परांठा

आलू भुजिया और परांठा 


अभी कुछ देर पहले वे दोनों मास्क पहने कर रात्रि भ्रमण के लिए गये थे। देश और दुनिया में कोरोना ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। केवल बैंगलुरु में आठ हज़ार केस मिले हैं।शाम को दीदी से बात हुई, कह रही थीं, जीजा जी रोज़ शाम को कुछ देर के लिए एक दुकान पर जाकर बैठते हैं, आस-पास की खबरें मिल जाती हैं, कुछ और लोग भी आते हैं, उन्हें भी सतर्क रहना होगा।भांजा आज वापस जा रहा है, घर से काम करेगा, किराए का घर बंद रहेगा, बाइक नन्हे के यहाँ छोड़ जाएगा। पापाजी से बात हुई, कल उन्हें अचानक हृदय के पास दर्द हुआ, आज ठीक हैं। कोरोना का टेस्ट दुबारा करवाया, छोटे भाई का भी। अगले हफ़्ते प्रमोशन के लिए उसका इंटरव्यू है, पर जा पाएगा या नहीं, अभी तक तय नहीं है। 


आज छत पर सोलर पैनल में लाइटिंग अरेस्टर लग गया तथा तीन इन्वर्टर बदल दिये गये जो इलेक्ट्रिकल सर्ज के कारण पिछले दो महीने से ख़राब थे। उस समय बिजली से चलने वाले कितने और उपकरण भी ख़राब हो गये थे। कुछ देर पहले नन्हे और सोनू से बात की। सुबह यहाँ आने से पूर्व उनका गला ख़राब लग रहा था। कल ही दोनों डेंटिस्ट के पास से आये थे, डर गये, कहीं संक्रमण न हो गया हो। आने से ही मना कर रहे थे।उन्हें कहा, आ जाओ, अपने कमरे में ही रहना, वहीं नाश्ता, खाना पहुँचा देंगे। पर पाँच मिनट भी नहीं रहे कमरे में, नीचे सबने साथ में नाश्ता किया। अभी बात की तो पता चला, नन्हे को सिर में दर्द हुआ था, पर अब कम हो गया है। दोनों कल टेस्ट करा रहे हैं। आज दो पुराने मित्र परिवारों से वीडियो कांफ्रेस पर बात हुई। दिन में एक चित्र बनाया, और सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जब मन ख़ाली होता है, एक कविता लिखी। 


सुबह बच्चों से बात की, दोनों ठीक थे व अपने जॉब पर लग चुके थे। कल जो उनके मन में संदेह हो गया था, निराधार था। भय मन पर कैसे असर कर लेता है। कल रात को उसे भी एक दो बार ऐसा लगा कि कुछ ठीक नहीं है। मन में विचार करते ही शरीर पर असर दिखने लगता है। आज दिन में भी गर्मी के कारण एक बार बेचैनी सी हुई, पर अब सब ठीक है। रात्रि भ्रमण के समय हल्की ठंडक लिए हवा चल रही थी।शाम को पड़ोसिन से बात हुई, अब उनकी बहू भी ठीक है। भाई व पापाजी की रिपोर्ट भी आ गई है, भाई की नेगेटिव पर पापाजी की अभी भी पॉज़िटिव है।भाभी ने वैक्सीन लगवा ली है। उसे लगता है, जब कोरोना पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा, तब भी शायद इन दिनों को याद करके लोग उदास हो जाया करेंगे।


आज बैसाखी है, गुडी पड़वा, युगादि और वासंतिक नवरात्र का पहला दिन भी।  न जाने कितने काल से पूरे भारत में अलग-अलग नामों से फसल का यह त्योहार मनाया जाता है। उसने नवरात्र पर एक छोटी सी कविता लिखी।टहलते समय देखा, आम के बगीचे से कच्चे आम ही काफ़ी मात्रा में तोड़ लिए गये हैं।आज से लगभग सभी हिंदू घरों में नौ दिनों तक जैन भोजन ही खाया जाता है, अर्थात बिना लहसुन-प्याज़ का शाकाहारी भीजन।आज नन्हे का एक चित्र उसकी कंपनी की एक खबर में देखा, अच्छा लगा। पड़ोसी के यहाँ से आज बैरियर हटा लिया गया है, यानि अब वे कोरोना से मुक्त हैं। अलग-अलग स्थान पर रहते हुए परिवार में लगभग सभी ने कोरोना की दूसरी डोज लगवा ली है। एक-दो को बुख़ार भी हुआ। पता चला, दसवीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है। बारहवीं की परीक्षाएँ स्थगित कर दी गई हैं। पूरी दुनिया में कोविड के कारण काफ़ी उथल-पुथल मची है। उनका जीवन सुरक्षित है, जब तक वे घर से बाहर नहीं निकलते,यह वायर्स सभी को एकांत सेवी बना रहा है। वैसे किसी को घर बैठे-बैठे भी हुआ है। बाहर से तो संपर्क बना रहता है न। आज शाम को कुछ देर बूँदाबाँदी हुई, पर मौसम अभी भी गर्म है।    


आज शाम को तेज वर्षा हुई, मौसम सुहावना होई गया है। शाम को भाई से बात हुई, उसने बताया, एक बार कोरोना होने के कम से कम दो महीने बाद वैक्सीन लगवा सकते हैं। उसने अपने तीन परिचित परिवारों का ज़िक्र किया, जिसमें किसी न किसी को संक्रमण हो गया है। आज सुबह आकाश गहरा नीला था, भोर का तारा चाँदी की तरह चमक रहा था। क्रिया के बाद मन इतना हल्का हो गया था जैसे अंतरिक्ष के अंतिम छोर को पल भर में छू कर आ सकता है। नाश्ते में जून को आलू की भुजिया बनाने का मन हुआ, उसे बचपन की याद ताजा हो आयी, जब माँ टिफ़िन में पराँठा और आलू भुजिया देती थीं। उल्हास नगर की यात्रा का विवरण लिखा आज। शाम को योग वशिष्ठ में कितना अद्भुत वर्णन पढ़ा माया का, मन जब अनंत के साथ एक हो जाता है तो मुक्त हो जाता है, या अनंत जब सांत होना छोड़ देता है तो मुक्ति का अनुभव करता है।   


Thursday, October 17, 2024

भोर का तारा

भोर का तारा


आज इतवार है, सुबह साढ़े नौ बजे बच्चे आ गये थे। दोपहर को नन्हे ने यू ट्यूब से देखकर काले चने की स्वादिष्ट सब्ज़ी बनायी। उन्होंने बच्चों को “साइकिल” फ़िल्म के बारे में बताया, पिछले हफ़्ते देखी बहुत अच्छी मलयालम फ़िल्म है। शाम को अचानक तेज हवा चलने लगी, छोटी-मोटी आँधी ही थी। वे छत पर टहल रहे थे, पड़ोसी परिवार भी अपनी छत पर था।पापाजी से बात हुई, उन्हें कोरोना का पता चले एक हफ़्ता हो गया है। उन्होंने कहा, भाई ज़्यादा बात नहीं करता, चुपचुप रहता है। उसे अस्वस्थ हुए ग्यारह दिन हो गये हैं, ऐसे में कोई भी इंसान परेशान हो जाएगा। उसने ईश्वर से प्रार्थना की, विश्व में सभी लोग कोरोना से मुक्त हो जायें। कल 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' पर वेबिनार होने जा रहा है, उसे गुरुजी के प्रारंभिक उद्बोधन को ट्रांस्क्राइब करना है। प्रधानमंत्री की ‘परीक्षा पर चर्चा’ सुनी। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों के उत्तर बहुत समझदारी और स्पष्टता के साथ दिये। प्रधानमंत्री होते हुए युवाओं व बच्चों से उनका संबंध बहुत अनूठा है। 


आश्रम के एक स्वयंसेवक से ज्ञात हुआ, गुरुजी का गला भी ख़राब है, वह एकांतवास में हैं, वेबिनार में उनका संदेश पढ़कर सुनाया गया। पापाजी को उनके भेजे बिस्किट आज मिल गये, उन्हें अच्छा लगा। अभी भी पूर्ण स्वास्थ्य नहीं मिला है। भाई को भी ठंड लग रही थी।परिवार के तीनों डाक्टर्स के संपर्क में है वह। तीनों से उसे कुछ न कछ सहायता मिल रही है। हेल्थ ऐप तो है ही सहयोग देने के लिए।सुबह अस्तित्त्व ने एक कविता लिखवायी। मौसम अपेक्षाकृत गर्म था। द्वादशी का चंद्रमा बेहद मोहक लग रहा था और  कुछ दूरी पर भोर का तारा भी चमचमा रहा था। लौटकर सूर्योदय को कैमरे में उतारा। पाचन तंत्र कुछ शिकायत कर रहा था, सो आज आयुर्वेद का एक नुस्ख़ा लिया है, रात्रि को दूध के साथ। घर पर बात हुई, दोनों मरीज़ अब बेहतर हैं। सुबह उनके लिए शुभकामनाएँ भेजी थीं और मानसिक उपचार का भाव भी किया था।दुआओं में बहुत असर होता है यदि वे दिल से निकली हों।पापाजी से की बातचीत उन्होंने रिकॉर्ड कर ली है। उन्हें फ़ोन पर बात करना अच्छा लगता है। कल रात देखे अपने दो स्वप्न उन्होंने बताये, एक में एक व्यक्ति उनसे पूछता है, कितने साल से पेंशन  ले रहे हो, और कब तक लेने का इरादा है। दूसरे स्वप्न में वे भाई के साथ पेंशन लेने जाते हैं, पर वहाँ बहुत देर हो जाती है। फिर वे निकाले हुए पैसे भाई को दे देते हैं, और वह उन्हें छोड़कर बस में बैठकर चला जाता है ।मन में छिपे हुए भय ही स्वप्नों में प्रकट हो जाते हैं।


आज वे रात्रि भ्रमण  के लिए निकले तो सड़क बिल्कुल सुनसान थी। पार्क नंबर नौ यानी फ़ौवरे वाले पार्क से होते हुए आम के बगीचे की बायीं ओर ढलान वाली सड़क से होते हुए लौटे। पार्क छह के बाहर एक माँ दो बच्चों को अपने दोनों ओर बिठाए एक किताब पढ़कर सुना रही थी। एक बच्चा बहुत खुश लग रहा था। थोड़ा आगे एक चौकीदार मिला जो सदा ही सलाम करता है। सभी ने मास्क पहने हुए थे। एक वर्ष पूर्व जैसा भय का माहौल था, कुछ वैसा ही फिर से बन रहा है। उन्होंने शाम को बाहर निकलना ही छोड़ दिया है। ‘देवों के देव’ में रामायण की कहानी चल रही है, महादेव की बहुत बड़ी भूमिका है रामायण में, उनके एक अंश का ही अवतार हैं हनुमान! पापा जी का स्वास्थ्य सुधर रहा है, उन्होंने फ़ेसबुक देखना आरंभ कर दिया है। सुबह क्रिया के बाद बहुत सुंदर अनुभव हुआ, आज्ञा चक्र पर सफ़ेद मोती दिखे ढेर सारे ! परमात्मा को महसूस करना हो तो वर्तमान के क्षण में ही किया जा सकता है, अभी और यहीं। वह इस वक्त है यहीं, उनके पास, उनसे स्वयं को पहचनवाता हुआ, वे उसे जान सकें यह वह चाहता है। वह उनके माध्यम से व्यक्त होना चाहता है, एक तरह से हो ही रहा है, पर अनजाने ही, उनके जाने बिना ही, जब वे जान लेते हैं तो उसके आनंद में भागीदार बन जाते हैं ! 



   


Wednesday, September 25, 2024

कोरोना की रिपोर्ट

कोरोना की रिपोर्ट 


आज दिन भर ऐसा लगा जैसे कुछ अधूरापन है, जैसे कोई ज़रूरी काम रह गया है, जिसे करना था। सेवा का कार्य भी कई दिनों से नहीं किया, कल एक छोटा सा अनुवाद का काम आया था, सो कर दिया। सुबह समय से उठे, छह बजे से पहले टहलकर वापस आ गये थे। जून ने सोलर पैनल की सफ़ाई की, वर्षा हुए कई हफ़्ते हो गये हैं, सब तरफ़ धूल जम गई थी। पड़ोस में जो घर बन रहा है, उसके कारण धूल अधिक आती है। यहाँ पानी कुछ खारा है, पानी को कोमल करने के लिए मशीन लगायी है, उसमें हर महीने पच्चीस किलो नमक डालना पड़ता है।आज उसमें तथा बर्तन धोने की मशीन में भी नमक भरा।नाश्ते में दलिया बनाया, जिसमें बाबा रामदेव की सलाह पर सात-आठ पदार्थ मिलाये हैं, गेहूं का दलिया, छोटे चावल, मूँग छिलका दाल, अलसी, अजवायन, सफ़ेद तिल और  ओट्स ! चाहें तो ज्वार या मकई का दलिया भी मिला सकते हैं। बनाते समय हरी सब्ज़ियाँ तो डालते ही हैं। बहुत पौष्टिक है और स्वादिष्ट भी। एक पुस्तक पढ़नी शुरू की है, लिविंग ऑन द एज, अच्छी लग रही है। 


आज शाम को हम टहल कर लौटे तो पड़ोसिन श्रीमती दत्ता पीछे के बरामदे में मिलीं। सहज ही पूछ लिया, आप टहलने नहीं गयीं, तो उन्होंने बताया, उनकी बहू की रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी है। एक जन्मदिन की पार्टी में गई थी, वापस आकर गले में ख़राश लगी, आज तो तेज बुख़ार भी था। आर एंटीज़न की रिपोर्ट तो फ़ौरन मिल गई। आर टी पी सी यानी ‘रियल टाइम ट्रांसमिशन चेन’ की रिपोर्ट आज आनी थी। ज़रूर पॉज़िटिव आयी है, क्योंकि उनके घर के आगे बैरियर के रूप में फीता लगा दिया गया है, और घर का फ़्यूमिगेशन भी किया गया। अब उन्हें ख़ुद भी बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। रात्रि भ्रमण के लिए नहीं गये। इस समय यहाँ कई घरों में कोरोना के मरीज़ हैं।आज नाश्ते में मकई के आटे में बगीचे से तोड़ी पालक मिलाकर रोटी बनायी। मौसम अब गर्म हो गया है, एसी चलाने लायक़ गर्म। आज दोपहर को एक और घर को सैनिटाइज करने की आवाज़ आ रही थी। शायद कोई और मरीज़ मिला है। कल यहाँ पर आर टी पी सी टेस्ट के लिए कैंप लग रहा है,शायद कुछ और निकल आयें। देश व दुनिया में तेरह करोड़ लोग इससे ग्रसित हो चुके हैं। 


सुबह जब वे घर से निकले, आकाश में चाँद तारे खिले हुए थे।वातावरण शांतिदायक था खुली हवा में टहलते समय कितने सुंदर विचार आते हैं।  हवा, धरती, सूरज और आकाश के साथ एक्य का अनुभव हो रहा था। वापस आकर छत पर योग साधना की, ऊपर विशाल गगन था पर बादलों के कारण सूर्योदय नहीं दिखा।रोज़ सुबह सबसे पहले घर से बाहर निकल जाने वाले पड़ोसी छत पर टहल रहे थे, उनके घर से न कोई बाहर जा सकता है, न कोई आ सकता है।कभी अपने ही घर में नज़रबंद होना पड़ेगा, ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। उनसे बात हुई तो कहने लगे, बहू को स्वाद व सुगंध का कुछ पता नहीं चल रहा है।


संध्याकाल का भ्रमण नहीं हुआ। हिम्मत करके मास्क पहनकर रात्रि भ्रमण के लिए निकले। सड़क ख़ाली थी, केवल एक व्यक्ति अपने कुत्ते को घुमाने लाया था।लोग फिर से अपने घरों में बंद रहने को बाध्य हो गये हैं। श्रीमती दत्ता ने बताया कि उनके परिवार में बहू को छोड़कर सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है। उन्होंने अपने पोते को कहा दिया है, माँ बाहर गई है। वह फ़ोन से बात कर लेता है। छोटे भाई की रिपोर्ट भी पॉज़िटिव है, पापाजी को भी बुख़ार हो गया है। भाभी अभी तक ठीक है, भाई ने बताया, वह नियमित शंख बजाती है और गरम पानी में नींबू और शहद डालकर रोज़ सुबह पीती है। ईश्वर उसकी रक्षा करेंगे। उसे ही दोनों मरीज़ों की देखभाल करनी है। शाम को छोटी बहन का फ़ोन आया, उसे नाइट ड्यूटी पर जाना था, थोड़ी चिंतित थी। 


सुबह पापाजी से बात हुई, उन्हें भी कोरोना हो गया है। पर बुख़ार होने पर भी सुबह की चाय स्वयं बनायी। भाभी नाश्ता-खाना ऊपर रख जाती है। दीदी से बात हुई, वह आजकल ब्रेनविटा खेलती हैं, अभी तक अंत में एक कंचा नहीं आ पाया है। यू ट्यूब पर उसका हल देखकर सीखने से ही आयेगा शायद। आज गर्मी कल से अधिक है। उनका एसी काम नहीं कर रहा है, शायद उसका कंप्रेसर ख़राब हो गया हो। आज शाम को श्रीमती दत्ता को इतने वर्षों में पहली बार छत पर देखा। दत्ता जी को भी खांसी व बदन दर्द की शिकायत हो गई है, पुत्र की तबियत भी ठीक नहीं है। 


Wednesday, September 18, 2024

सब्ज़ी वाला ट्रक

सब्ज़ी वाला ट्रक


आज सुबह सब्ज़ी वाला ट्रक आया था, कुछ ताजी सब्ज़ियाँ व फल भी मिल गये। ड्राइवर कह रहा था, अब से हफ़्ते में दो बार आया करेगा।वहाँ सभी सब्ज़ियाँ उसने नीली प्लास्टिक की बास्केट में सड़क पर पंक्ति में लगा दी थीं। दूर से लग रहा था, जैसे छोटा सा बाज़ार लगा हो।उसने पहली बार इस तरह सब्ज़ियाँ ख़रीदीं, तभी हल्की बूँदा-बाँदी होने लगी, झट प्लास्टिक के कवर से सब कुछ ढक दिया गया और लोग सामने वाले घर  के गैराज में खड़े होने चले गये। वह तो अच्छा हुआ, पाँच मिनट में ही बरखा रुक गई, शायद इंद्रदेव ने किसी की प्रार्थना सुन ली हो।दिन में फ़ोन पर फुफेरे भाई से बात की, फिर असम में उनके यहाँ काम करने वाली नैनी से।उसने सोचा है रोज़ ही किसी न किसी परिचित से बात करनी है, कोरोना के कारण सब अपने-अपने घरों में ही तो बंद हैं, फ़ोन से घर बैठे एक-दूसरे का हाल मिल जाता है।आज दो रचनाएँ प्रकाशित कीं, ‘शिवलिंग’ कविता पाठकों को अच्छी लगी है, परमात्मा ही लिखवा लेता है सुबह-सुबह, शेष दिन भर तो कविता का ‘क’ भी मन में नहीं आता। शाम को मँझली भाभी से बात की, उनकी माँ घर में हुई एक दुर्घटना में जल जाने के कारण अस्वस्थ हैं, इलाज चल रहा है, अपने पुत्र के यहाँ हैं।वृद्धावस्था में इंसान कितना बेबस हो जाता है। दोपहर बाद पापाजी से बात हुई, छोटी भाभी अपनी मायके गई है, दो दिन के लिए खाना बनाकर फ्रिज में रख गई है। रोटी या चावल वे ताजा बनवा लेते हैं, यदि कामवाली न आयी तो ख़ुद बनाते हैं।


आज वे इसी सोसाइटी में रहने वाली एक महिला डाक्टर से मिलने गये। उन्होंने भली प्रकार उन दोनों का चेकअप किया। कल पर्ची बना कर देंगी। उसे गर्दन  के व्यायाम तथा रात को सोने से पूर्व गरारे करने की सलाह दी। उनका घर बहुत अच्छी तरह से रखा एक गोदाम लग रहा था। अभी हाल में ही वे लोग यहाँ आये हैं। आज असम में उनके यहाँ काम करने वाले माली व धोबी से बात की।वर्षों तक उन्होंने अपनी सेवाएँ दी थीं।बात करके उसे अच्छा लगा, जीवन में कितने ही लोग मिलते हैं और फिर कभी न मिलने के लिए छूट जाते हैं। पापा जी ने बताया, अभी तीन दिन उन्हें और अकेले रहना है। 


आज दिन में गर्मी बहुत थी। सुबह सोसाइटी की तरफ़ से पानी डालने वाला आदमी आया था। बगीचे की घास और पौधों की हालत इस गर्मी में नाज़ुक हो जाती है। सुबहें और शामें अपेक्षाकृत सुहानी होती हैं, हवा बहती रहती है। आज गोधूलि बेला में सूर्यास्त के सुंदर दृश्य देखे। आम के बगीचे में पेड़ फलों से लदे हुए थे।सुबह सूर्योदय का वीडियो बनाया। ‘द ब्लू अंब्रेला’ का कुछ अंश देखा, मसूरी-देहरादून की कहानी है। एक छोटी लड़की के पास नीले रंग का एक छाता है, जापानी छाता, जो बेहद सुंदर है। 


रात्रि भ्रमण हो चुका है।इसके दौरान नियमित रूप से उन्हें एक ईसाई दंपति मिलते हैं, सामने वाली लाइन में सड़क के उस पार ही रहते हैं, पर ‘हैलो’ के अतिरिक्त कुछ बात नहीं हुई।आजकल सभी अपने काम से काम रखते हैं।आज सुबह उसका मन कितना स्थिर था, जैसे समता को पूरी तरह धारण कर लिया हो, पर कुछ ही देर बाद जून को किसी बात के लिए टोका, मन हिल गया चाहे एक सेकण्ड के लिए ही सही। लेकिन भीतर की स्थिरता कहीं जाने वाली नहीं है, अटल रहने वाली है, यह अनुभव कोई छीन नहीं सकता, क्यूँकि ‘वह’ वही है,  भला उससे ‘उसे’ कौन छीन सकता है ?


आज सुबह एक स्वप्न देखा, जिसमें वह रास्ता भूल गई है। स्वप्न उनके अचेतन मन की कहानी कहते हैं, कुछ सिखाते भी हैं। अभी नन्हे का फ़ोन आया, उसने घर का वीडियो दिखाया, काफ़ी काम हो गया है।कल यहाँ पहली बार आलू के चिप्स बनाये थे, सूख गये हैं, होली पर बनायेंगे। एक सखी का फ़ोन आया, वह भी होली की तैयारी कर रही थी।दोपहर को बड़ा भांजा आ गया था, उसके आने से जून में जैसे बचपन लौट आया है। इतमा मुक्त तो वह बेटे-बहू के आने पर भी महसूस नहीं करते। सुबह समय से पूर्व उठे, प्रातः भ्रमण के बाद पौने छह तक घर लौट आये, छत पर सूर्योदय देखा और बालसूर्य के सान्निध्य में योग साधना की। साप्ताहिक सफ़ाई का दिन था, सो पंखों की विशेष सफ़ाई करवायी। रात्रि भ्रमण के समय लगभग गोल चंद्रमा देखा, कल पूर्णिमा है। कल सुबह ही नन्हा और सोनू आ रहे हैं। होली का उत्सव कल ही मनाएँगे।परसों उनका अवकाश नहीं है। कुछ देर पहले समाचार मिला, मँझली भाभी की माता जी का देहांत हो गया है।वे कई दिनों से मृत्यु से जूझ रही थीं, जिसका भी जन्म होता है एक न एक दिन उसे जाना ही है। उसने सोचा, कल ही भाभी से बात करेगी। 


आज होलिका दहन है, प्रह्लाद की रक्षा का दिन ! जब भीतर का आह्लाद शेष रह जाये और हर कलुष जल जाये तभी मनती है होली ! वे होलिका दहन में नहीं गये। सोसाइटी में कई घरों में कोरोना के मरीज़ हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा करनी है। पूरे कर्नाटक में विशेष तौर से बैंगलुरु में कोरोना का प्रकोप बहुत बढ़ गया है। भांजा आज भी यहीं है, उसे परसों नयी कंपनी में जॉइन करना है। शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, होली की मुबारकबाद दे रही थी। सुबह जून के तीन पुराने मित्रों का फ़ोन आया था। पुरानी दोस्ती देर तक क़ायम रहती है। सुबह बच्चे आ गये थे, विशेष भोज बनाया। शाम को वे दोनों पड़ोसियों के यहाँ गुझिया और रंग लेकर होली की शुभकामना देने गये। होली की तस्वीरें खींचीं। परिवार के एक सदस्य के यहाँ शोक का माहौल है, इसलिए कोई पारिवारिक ग्रुप में तस्वीरें नहीं डाल रहा है। एक उम्र के बाद यदि व्यक्ति अस्वस्थ हो तथा दूसरों पर निर्भर हो तो घरवालों पर बोझ बन जाता है। इसलिए भाभी से बात हुई, तो उसने कहा,  जो हुआ ठीक है, माँ बहुत कष्ट में थीं। 


आज होली है, उन्होंने प्रेम के रंग बहाए। सभी से बातचीत की। छोटे भाई को परसों से बुख़ार है। वह सफ़र से आया था, शायद थकान की वजह से ही हो। वहाँ कोरोना टेस्ट नहीं हो पा रहा है। सिवाय सरकारी अस्पताल के जहां बहुत भीड़ है। पापाजी भी कुछ परेशान से लगे, ज़ाहिर सी बात है, लगेंगे ही। एक सखी से बात की, वे लोग आगरा में हैं, भरतपुर घूम कर आये थे, पक्षी विहार देखा, बहुत उत्साहित होकर वह बता रही थी।            



Thursday, September 12, 2024

टैंट हाउस


टैंट हाउस

आज उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए कोविशील्ड वैक्सीन लगवा ली। मेडिकल कॉलेज में काफ़ी अच्छा इंतज़ाम था। दिन आराम से बीता, पर इस समय थोड़ी हरारत जैसी महसूस हो रही है।कल भी आराम करना है, उम्मीद है परसों से सब सामान्य हो जायेगा।दीदी से बात हुई, वे लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। 


सुबह उठी तो ज्वर सौ से ऊपर था। नन्हा और सोनू दिन में आ गये थे। उसका एक मित्र अपने भाई-भाभी व भतीजी के साथ आया था, एक अन्य मित्र दंपति भी आये थे। उसे किसी ने कोई काम नहीं करने दिया। मेहमानों ने घर देखा, चाय-नाश्ता किया और चले गये।बच्चे शाम तक रुके रहे। उसके सिर में दर्द था, सोनू ने तेल लगाया। नन्हे ने एक दवा दी। उसने बिग बास्केट से ढेर सारे फल व सब्ज़ियाँ भी भिजवा दिये हैं।  इस समय ज्वर नहीं है। भीतर ऊर्जा का अहसास हो रहा है। 


आज स्वास्थ्य अपेक्षाकृत ठीक है। दोपहर बाद माली आया। उससे गमले गैराज में रखवाये। आजकल धूप बहुत तेज होती है। कॉसमॉस की पौध लगवायी। कल से प्रातः भ्रमण, योग साधना आदि के साथ सामान्य दिनचर्या शुरू होगी। असमिया सखी का फ़ोन आया, अपनी पोती के कई क़िस्से बड़े मज़े ले लेकर बता रही थी, जो अमेरिका में रहती है, और जिससे उसकी बात केवल वीडियो चैट में ही होती है।उन्हें भी वैक्सीन लगाने के बाद दो दिनों तक कुछ तकलीफ़ हुई। दोपहर को छोटी ननद का फ़ोन आया, उसने बताया, निजीकरण के विरोध में दो दिनों के लिए बैंकों में हड़ताल है। सरकार कह रही है, धीरे-धीरे सभी व्यापार प्राइवेट कंपनियों के हाथों में दे दिये जाएँगे। सरकार के पास अति आवश्यक कार्य ही रह जाएँगे। समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है। सुबह से मन में विचार आ रहा था कि फुफेरी बहन से बात करनी है, और शाम को उसका फ़ोन आ गया। कल सखी से बातचीत में कहा, वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट में पाचन भी बिगड़ सकता है, और सुबह से हालत पतली है। आजकल मन में विचार आते ही पूरे हो जाते हैं।कल रात को जब भी नींद खुली, मन में ‘ध्यान’ का विचार आया, सुबह उठते ही पहला काम यही किया। इस जगत में एक यही तत्व है, जो शाश्वत है, शेष सब अनित्य है।’कंचन से इल्तजा’ कविता प्रकाशित की, कंचन के इस पेड़ पर फूल क्यों नहीं आते, इस सवाल का जवाब कौन दे सकता है ? क्या जाने उसकी इस प्रार्थना का कुछ असर हो और वह खिलना शुरू कर दे।


आज ऐसा लगा कि ज़िंदगी फिर पटरी पर आ गई है।दोपहर को छोटी बहन से बात हुई। कल रात उसे नाइट ड्यूटी में खड़े रहना पड़ा था, यूएइ में भी कोरोना के मरीज़ बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर आ गई है।एक तरफ़ टीके लग रहे हैं दूसरी तरफ़ केस बढ़ते जा रहे हैं। आज शिरड़ी के साईं बाबा पर आधारित एक धारावाहिक का एक भाग देखा। जिसमें श्रद्धा और सबूरी के साथ वह प्रेम करना सिखाते हैं।परमात्मा पर विश्वास करना भी। जीवन में प्रेम न हो तो, जीवन काँटों की तरह चुभता है। क्योंकि जहाँ प्रेम नहीं, वहाँ अहंकार होगा और अहंकार से बड़ा कांटा भला कोई और भी है जगत में, वही तो मनुष्य को मनुष्य बने नहीं रहने देता। 


आज सुबह वे टहलने गये तो आकाश पर चौथ का सुंदर चंद्रमा चमक रहा था। कल रात सोने से पूर्व एक अद्भुत आकृति देखी, जिसमें ऊपर का भाग है और कूल्हे के नीचे का भाग है, पर मूर्ति में मध्य भाग नहीं है। पता नहीं ये स्वप्न किसकी ओर इशारा कर रहा है, कमर ग़ायब होती जा रही है शायद उसी की ओर ! स्वप्न के आधार पर लिखी कविता ब्लॉग पर प्रकाशित की।दोपहर को सोते समय एक अजीब सा स्वप्न देखा, एक स्लैब पर कूड़ा पड़ा है, जैसे उसे सजा कर रखा हो। भला कोई गंदगी को भी ऐसे रखता है ? कल भांजा पूरे आठ महीने बाद वापस लौट आया है। ढेर सारी मिठाई लाया है। दोपहर को वह अपने घर चला गया। घर तबसे बंद पड़ा था, ठीक-ठाक करवाना होगा।


आज शाम को नन्हे और सोनू के साथ मिलकर उन्होंने छत पर एक टैंट लगाया है, जिसमें चार लोगों के लिए पर्याप्त स्थान है। इस समय वह उसी में बैठकर लिख रही है। बाहर तेज हवा चल रही है, चाइम की आवाज़ भीतर आ रही है पर हवा नहीं आ रही। किसी न किसी दिन वे इसे किसी नदी किनारे या पहाड़ी की तलहटी में ले जाएँगे और रात वहीं बितायेंगे, जाने यह स्वप्न कब पूरा होगा।          


Wednesday, September 4, 2024

शिव सूत्र


शिव सूत्र

कल उन्हें नन्हे के घर जाना है और वहाँ से उसके एक मित्र के यहाँ, उसका नया घर देखने; जहाँ गृहप्रवेश की पूजा का आयोजन किया गया है। नन्हा भी एक महीने के लिए किराए पर लिए घर में है, उनके ख़ुद के घर में रिनोवेशन का काम जो चल रहा है।किसी भी अन्य मूर्त या अमूर्त वस्तु की तरह एक घर को संभाल और संवार कर रखना इतना आसान तो नहीं है। इसके रख-रखाव का ध्यान रखना होता है ताकि लंबे समय तक यह सुंदर और सुरक्षित बना रहे। 


वे लोग कल दोपहर बारह बजे ‘सॉंग ऑफ़ साउथ’ पहुँचे, जो एक विशाल सोसाइटी है। वहाँ कई बड़े-बड़े लॉन तथा पार्किंग स्थल थे। उसमें बाहरवें टावर में सत्रहवीं मंज़िल पर मित्र का घर है। कुछ अन्य लोग तथा उसके भाई-भाभी व भतीजी पहले से ही वहाँ उपस्थित थे। सोसाइटी के क्लब हाउस में भोजन का इंतज़ाम किया गया था। पूजा सुबह ही हो चुकी थी। नन्हे ने बताया, कल रात एयरपोर्ट से भाई के परिवार को लाते समय मित्र की कार को एक प्राइवेट बस ने टक्कर लगायी, बाँयी तरफ़ का पिछला दरवाज़ा धँस गया, भाई वहाँ बैठे थे, पर सौभाग्य से उन्हें कोई चोट नहीं आयी।फ़ोन करके उसने नन्हे को बुलाया, वे सब उसकी कार में बैठ कर रात को एक बजे घर लौटे।


रात्रि के नौ बजे हैं। साढ़े नौ बजे गुरुजी की एबीसी टीम के साथ मीटिंग है।जिसमें सभी अनुवादकर्ताओं से चर्चा होगी और उन्हें दिशा निर्देश भी दिये जाएँगे।आज महिला दिवस के उपलक्ष्य में सोसाइटी में योग सत्र का आयोजन किया गया था। सुबह कई लोगों को महिला दिवस पर संदेश भेजे। पापाजी से बात हुई, उन्हें गुरुजी पर लिखी उसकी कहानी पसंद आयी। सुबह वे टहलने जाते हैं तो किसी न किसी सड़क पर सूखे पत्तों के ढेर पर सोया कुत्तों का परिवार भौंक कर अपनी नाराज़गी व्यक्त करता है, उनकी नींद में जैसे ख़लल पड़ गया हो। ‘देवों के देव’ में रावण का अहंकार टूटते देखा, जब शिव ने उससे कहा, भक्ति का अहंकार भक्त को डुबा देता है।रावण कितना बड़ा विद्वान था पर अपनी भक्ति और ज्ञान का गर्व उसे ले डूबा।


आज घर में पीछे आठ दिनों से चल रहा काम पूरा हो गया। सुबह साईं बाबा पर एक फ़िल्म देखनी आरंभ की थी, जो अभी उनके जन्म की कथा के साथ समाप्त होने वाली है। इस फ़िल्म में उनकी अद्भुत बाल लीलाएँ दिखायी गई हैं।यह भी दिखाया गया है कि देवत्व उन्हें जन्म से ही प्राप्त था, जिसे वह सहज ही प्रकट भी करते थे, जिसका जगत को सदा लाभ मिलता था और आज भी मिल रहा है। प्रेम और करुणा की मूर्ति थे, सेवा उनका सहज स्वभाव था। इतने वर्षों तक उनके बारे में कितनी अफ़वाहें भी प्रचलित हो गई हैं, कोई उन्हें जादूगर बताता है तो कोई फ्रॉड भी। सत्य क्या है, यह कौन जानता है। शायद सबका अपना-अपना सत्य है। आज दिन भर परमात्मा की कृपा का अहसास होता रहा, वही तो है सबका आधार ! संत कहते हैं, वह अपना आप ही तो है। वह तो सदा से ही था, अब उसकी प्रतीति अनायास ही रहने लगी है। 


आजकल एक विचित्र बात उसके साथ हो रही है।जो भी विचार मन में आता है, वह घट जाता है। उसके बिना कहे ही जून वैसा ही करने लगते हैं। उसकी छोटी-छोटी इच्छाएँ पूरी होती रहती हैं।इच्छा उसके लिए लाभप्रद है या नहीं इसका कोई भेद नहीं रहता। परमात्मा की शक्ति रहस्यमयी है। विचार ही वस्तु बन जाते है,  इसका  प्रत्यक्ष उदाहरण एक बार नहीं अनेक बार मिला है पिछले दिनों। आज दिन भर मन हल्का सा रहा है, मन के साथ तन में भी हल्कापन लग रहा है। नापा, उनकी सोसाइटी में शिवरात्रि की तैयारी चल रही है। मंदिर के रास्ते पर बिजली के बल्ब लगा दिये गये हैं, आगे एक तरफ़ तख़्त बिछाया  गया है, स्टेज जैसा, शायद बच्चे अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। आश्रम में गुरुजी द्वारा शिवसूत्र पर दो दिनों का व्याख्यान चल रहा है। अद्भुत है शिवसूत्र ! पहले उसने शिवसूत्र पर ओशो को व्याख्या भी सुनी थी।नन्हे के एक जूनियर साथी की यात्रा के दौरान हृदयाघात से मृत्यु हो गई, कुछ दिन पूर्व उसका तलाक़ हुआ था। लिवर व किडनी की भी समस्या थी। शायद अपने पापा से  उसका रिश्ता भी अच्छा न रहा हो, पिता ने उसकी माँ के न रहने पर दूसरा विवाह कर लिया था। कभी-कभी जीवन कितना विचित्र रूप लेकर आता है। एक परिचिता से पता चला, विवाह टूटने से वह अवसादग्रस्त था।उसके पिता बहुत दुखी हैं।  


आज शिवरात्रि है, वे कुछ देर पूर्व ही मंदिर से होकर आये हैं। बहुत भीड़ थी, बच्चे नृत्य के लिए तैयार थे। महिलाएँ श्लोक उच्चारण कर रही थीं। कुछ लोग खड़े थे। मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था। वे मास्क ले जाना भूल गये, सो जल्दी वापस लौट आये। कल सुबह एक मेडिकल कॉलेज में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने जाना है।साईं बाबा की किताब आगे पढ़ी, अनोखे व्यक्ति ?संत थे वे। संत व्यक्ति नहीं रह जाता, वह समष्टि से एक हो जाता है। उसके चमत्कारों से पुस्तक भरी पड़ी है।गुरु जी के पास रहने वाले भी कितने ही चमत्कारों का अनुभव करते हैं, उसने स्वयं भी अनेकों बार अनुभव किया है।आश्रम के सत्संगका टीवी पर प्रसारण देखा, आज चित्रा जी आयी हैं, जिनके सुमधुर भजन सुनकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है।  



Tuesday, August 27, 2024

ड्रोन की उड़ान


ड्रोन की उड़ान 

आज रविवार था, सामान्य दिनों से काफ़ी अलग रहा। सुबह वे जल्दी उठकर टहलने गए, सब तरफ़ सन्नाटा था, हवा ठंडी थी और आकाश में नारंगी रंग का चाँद चमक रहा था।अनादि काल से  चंद्रमा मानव को आकर्षित करता आया है, इसे मन का देवता भी कहा गया है। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि सोम के रूप में यह वनस्पति जगत को रस प्रदान करता है, जो उनके विकास के लिए अति आवश्यक है।घर आकर प्राणायाम और कुछ आसन किए, ये भी तो मानव को हज़ारों वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों ने प्रदान किए थे, समय के साथ मानव ने उसमें कुछ परिवर्तन किए हैं पर मूल स्रोत तो प्राचीन ग्रंथ हैं। नूना ने नाश्ते में मेथी के पराँठे बनाये और जून ने सोनू के प्रमोशन की ख़ुशी में खीर बनायी।दोनों ही बच्चों को पसंद आयी। नन्हा ड्रोन उड़ाने के लिए जाने वाला था, सभी को साथ ले गया, सब ठीक चल रहा था कि उसका एक पंख टूटकर गिर गया और बहुत खोजने पर भी नहीं मिला। उसके अधरों पर मुस्कान तैर गई, लगभग हर बार ड्रोन उड़ाने पर कुछ न कुछ खो जाता है, और फिर काफ़ी समय उसे ढूँढने में लगता है।एक बार तो पूरा ड्रोन ही किसी की बगिया में और दूसरी बार किसी की छत पर जाकर गिर गया था। बगिया वाला महीनों बाद उन्हें मिला और छत के लिए सीढ़ी मँगवानी पड़ी थी। मकान मालिक शहर से बाहर गये हुए थे। वापस आये तो देखा, सोसाइटी के क्लब हाउस में बाटा के जूतों की सेल लगी थी। कुछ ख़रीदारी की, नन्हे ने अपने पैर की स्कैनिंग करवायी, फ़्लैट फ़ीट का पता चला, अब वह जूते में लगाने के लिए एक डिवाइस ख़रीद सकता है, जिससे पैर को आराम मिलेगा।उसने एड़ी के लिए एक सपोर्ट लिया। इन सब की पहले उन्हें जरा भी जानकारी नहीं थी।


आज से घर में सिविल का काम शुरू हुआ है, नन्हे ने बताया उनके यहाँ भी कुछ काम होना है। मज़दूर सुबह ग्यारह बजे आये और शाम को गये।अगले दो हफ़्ते ऐसे ही चलेगा। लीकेज की समस्या से बचने के लिए छत व उसकी दीवारों पर एक जलरोधी पेपर चिपका कर उस पर पेंट भी करवाना है। आज बायीं तरफ़ के पड़ोसी परिवार सहित उनकी छत से अपने घर की छत की ढुलाई देखने आये थे।इसके पहले उन्होंने न जाने  कितने ही घर बनते हुए देखे होंगे पर अपने घर की हर बात अनोखी लगती है।आज से कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो गई हैं। दिल्ली में बड़े भाई ने लगवा ली है ।


रात्रि के नौ बजने को हैं, जून बिस्तर पर लेट चुके हैं। दिन भर घर में चल रहे काम की निगरानी रखते-रखते भी थोड़ी थकान स्वाभाविक है। आज शाम को टहलते समय फूलों की सुंदर तस्वीरें उतारीं। आजकल बोगेनविलिया अपने पूरे शबाब पर है। सुबह एक ऐप के ज़रिए सूर्योदय का वीडियो बनाया था। कल संभव हुआ तो सूर्यास्त का वीडियो बनाएगी।शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, वे लोग कल आ रहे हैं, बेटी की परीक्षा है, परसों चले जाएँगे। जून मेहमानों के लिए बेकरी शॉप से  दो केक और एक गार्लिक ब्रेड लाए हैं।


कल रात एक अनोखा स्वप्न देखा। गुरुजी आश्रम में भ्रमण कर रहे हैं। असम की एक पुरानी मराठी सखी भी वहाँ है जून और वह दूर से देखते हैं। सखी उसे बुलाती है और गुरुजी से परिचय कराती है। वह उनके चरणों का स्पर्श करने के लिए झुकती है, पहले अपने हाथों से उनके दोनों पैरों का, फिर मस्तक से बारी-बारी पहले बायें फिर दायें पैर का। फिर वह उस उठने को कहते हैं। उस क्षण में जैसे मन बहुत हल्का हो गया था और समर्पण के बाद की एक निश्चिंतता का अनुभव हुआ।वर्षों पहले गुरुजी से मिलकर केवल हाथ जोड़कर नमस्कार ही किया था, कभी पैरों को स्पर्श करने का भाव ही नहीं जगा, अहंकार तब मिटा ही नहीं था, अब लगता है वह घड़ी निकट आ गई है। 


आज शाम को आश्रम से प्रसारित हो रहा सत्संग देखा-सुना। दिन में एओएल से आया एक अनुवाद कार्य किया, आलेख का शीर्षक था ‘शिव तत्व’। इस आलेख में गुरु जी ने एक जगह कहा है , शिव अविनाशी शून्य तत्व है, वह ऐसा अंधकार है जो अपने भीतर सृजन की क्षमता छिपाए है, हर मन की गहराई में वही सो रहा है, साधना के द्वारा उसको  जगाना है।शिव ही बाहर सदगुरु बन कर आता है, जिसके आने से जीवन में नया मोड़ आता है, वह सदा नयी राह दिखाता है। शिव ही ज्योति पुंज सम आत्म तत्व है जो अंधकार को भेद कर प्रकटना चाहता है। अभी कुछ देर पहले ‘देवों के देव-महादेव' धारावहिक में देखा, शिव तांडव स्रोत की रचना रावण ने किस घटना के कारण की थी। सचमुच रावण कितना बड़ा विद्वान था और कवि भी, लेकिन उसके अहंकार ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा।  वैक्सीन लगने के बाद वे भी आश्रम जाना शुरू करेंगे। 


आज शाम को वृद्ध अंकल ने, जो उन्हें अक्सर संध्या भ्रमण के समय मिल जाते हैं,  अपनी गाड़ी में लिफ्ट दी, वह उनके घर भी आना चाहते थे, पर ड्राइवर ने उनके बेटे का हवाला देकर मना कर दिया। अंकल की आँखों की विवशता देखकर अच्छा नहीं लग रहा था पर कुछ भी किया नहीं जा सकता था। ड्राइवर की बात वे कैसे टालते, जो रोज़ शाम को उन्हें गाड़ी में बिठाकर बगीचे के पास उतार देता है और जब छड़ी के सहारे वे टहलते हैं तो उनके साथ-साथ चलता है।मेहमान नहीं आ पाये, सखी के पतिदेव की पीठ में दर्द हो गया था। अब गार्लिक ब्रेड के सैंडविच उन्हें अकेले ही खाने होंगे।मौसम आजकल दिन में गर्म रहता है पर सुबह ठंडी रहती है अभी भी। अभी-अभी एक दुखद समाचार सुना, असम की एक परिचिता का, जो उसके पास एक बार योग सीखने भी आयी थी, हृदय की सर्जरी के बाद देहांत हो गया।जीवन क्षण भंगुर है, वह बार-बार याद दिलाता है, पर वे रोज़ की आपा-धापी में इसे भूले रहते हैं। 



Friday, July 19, 2024

‘द अनटेथर्ड सोल’

द अनटेथर्ड सोल


खिड़की से आती हुई ठंडी हवा के झोंके यहाँ पलंग तक आ रहे हैं, जहाँ बैठकर वह लिख रही है। आज भी वर्षा की भविष्यवाणी थी, पर हुई नहीं। एक और रविवार परिवार के साथ मिलकर मनाया। सुबह माली से आश्रम से लाए तुलसी और पोंसेतिया के पौधे लगवाए। माइकल की दूसरी किताब ‘द अनटेथर्ड सोल’ आ गई है, कुछ पन्ने पढ़े। उसमें भी यही कहा है, अपनी वास्तविक पहचान का विस्मरण नहीं करना है। स्वयं को आत्मस्थ रखना है, भूलना नहीं है कि वे कौन हैं ? वे बाहरी दृश्यों में स्वयं को इस तरह खो देते हैं कि अपने आपको ही भूल जाते हैं। विचारों और भावनाओं से स्वयं को तुष्ट करना चाहते हैं पर वे उनसे भी परे हैं। सुबह टहलते समय पुस्तक में ह्रदय चक्र के बारे में पढ़ी बातों पर ध्यान लगा रहा। 

आज संस्कारों के बारे में पढ़ा, किस तरह कोई वर्षों पुराना संस्कार जागृत होकर ह्रदय की धड़कन को बढ़ा सकता है। साधक को साक्षी भाव में रहकर उसे देखना है, प्रभावित नहीं होना है। संस्कार ऐसे ही छूटते जाते हैं और एक दिन भीतर शुद्ध चेतना ही रह जाती है। भय का संस्कार भी ऐसे ही निकल सकता है।आत्मस्थ रहने का प्रयास ही साधना है, वही पुण्य है और वही समाधि है। मौन से बहुत से काम आसानी से हो जाते हैं।आज मौसम ज़्यादा गर्म है, फागुन आने ही वाला है, अर्थात होली की रुत ! बचपन में कितने पापड- चिप्स बनते थे इन दिनों। शाम को पापाजी से बात हुई, उन्होंने कहा, उसे अपनी रचनाएँ अख़बार में छपने के लिए भेजनी चाहिए। वे मोदी जी की बहुत तारीफ़ कर रहे थे। बड़े भाई ने एक पुस्तक का लिंक भेजा है, ‘लिविंग ऑन द एज’, इस पुस्तक की समाप्ति पर उसी को पढ़ना शुरू करेगी। 


‘देवों के देव’ में जालंधर का आज अंत हो गया। शिव व पार्वती का पुनर्मिलन हुआ। प्रकृति और पुरुष का मिलन, जैसे मन और आत्मा का मिलन। मन प्रकृति का अंश है और आत्मा पुरुष का।सुबह टहलने गये तो जून ने कहा, उम्र के कारण उन्हें थकान का अनुभव हो रहा है। फिर उन्होंने दीपक चोपड़ा की पुस्तक ‘एजलेस बॉडी टाइमलेस माइंड’ के कुछ अंश उन्हीं की वाणी में सुने। वह कहते हैं, शरीर ठोस नहीं है, बल्कि तरंगों से बना है तथा प्रतिपल बदल रहा है। उसमें बदलाव लाता है मन, यदि मन सकारात्मक है तो शरीर में अच्छे रसायन उत्पन्न होंगे तथा रोग नहीं होंगे। यदि तनाव बना रहा तो हानिकारक रसायन उत्पन्न होंगे जो बुढ़ापे के लक्षण जल्दी ला सकते हैं। क्वांटम फ़िज़िक्स के अनुसार सभी पदार्थ ऊर्जा से ही बने हैं, अंततः वे ऊर्जा हैं, मन भी ऊर्जा है, जो देह पर हर क्षण प्रभाव डालती है।


आज आश्रम में हुए सत्संग में गुरुजी को सुना। उन्होंने कई प्रश्नों के उत्तर दिये। एक प्रश्न के उत्तर में बताया, सब कुछ ब्रह्म है, ब्रह्म ही सत्य है, शेष सब मिथ्या है, सब स्वप्न है अथवा तो शून्य है। इतना श्रेष्ठ ज्ञान इतने सारे लोगों को एक साथ वह दे देते हैं क्योंकि वह स्वयं उसमें स्थित हैं। जैसे कृष्ण ने आरंभ में ही अर्जुन को आत्मा का श्रेष्ठ ज्ञान दिया, पर वह समझ नहीं पाया। धीरे-धीरे कर्मयोग व भक्ति योग की बात करते हुए पुन: गुह्यतम ज्ञान दिया।सुबह योग साधना करते समय ‘वृद्धावस्था में वजन क्यों कम हो जाता है’, इसकी जानकारी एक वीडियो से ली, ताकि दीदी को कुछ सुझाव दे सके। 


जून के एक पुराने सहकर्मी के यहाँ गये आज सुबह, उन्होंने नींबू, इलायची और गुड़ का शरबत पिलाया। बातचीत के दौरान वह कहने लगे, कोरोना विष्णु का ग्यारहवाँ अवतार है, जो दुनिया में असमानता को दूर करने के लिए आया है। अमीर-ग़रीब हर देश को इसका क़हर झेलना पड़ा है। उन्हें साथ लेकर एक अन्य सहकर्मी के श्राद्ध में जाना था। वहाँ कई पुराने परिचितों से भेंट हुई। पता चला, जाने वाले को दर्द रहित बहुत आसान मृत्यु मिली, वह स्वयं गाड़ी चलाकर डाक्टर के पास सीने में हो रही घबराहट का इलाज कराने गये थे, जहाँ से लौट नहीं पाये। दो पुत्रों व पत्नी को छोड़ गये हैं, परिवार धीरे-धीरे संभल ही जाएगा। केले के पत्ते पर परोसा गया श्राद्ध का दक्षिण भारतीय भोज सोलह व्यंजनों से बना था।जीवन इसी आवागमन का नाम है।    

   


Tuesday, July 9, 2024

किनोवा की उपमा

किनोवा की उपमा 

सुबह फिर देर से नींद खुली। कल रात फिर एक दु:स्वप्न देखा। भांजी एक कार चला रही है, जिसमें पिछला दरवाज़ा खुला है। वह सुनती नहीं और तेज़ी से गाड़ी को ले जाती है। कार एक गड्ढे में गिर जाती है। स्वप्न के बाद नींद खुल गई, फिर देर बाद आयी। मन कितने स्वप्न बुन लेता है, फिर भाई को भी देखा, बचपन की कितनी बातें याद हो आयीं। पिछले जन्मों से भी जुड़ी हैं जिसकी तारें। सुबह उससे बात की, बिटिया ठीक है, पचास मंज़िल वाली इमारत में चौबीसवीं मंज़िल पर रहती है। आजकल वहाँ भी लॉकडाउन है, घर का सामान ऑर्डर करने से आ जाता है; यह भी बताया उसके समधी नाराज़ हैं, वक्त ही बताएगा, आगे क्या होने वाला है।शाम को जून के एक पुराने मित्र से उनकी बात हुई, उनकी बहू भी नाराज़ होकर घर छोड़कर चली गई है, बात तलाक़ तक पहुँव गई है। आजकल विवाह टूटना सामान्य बात होती जा रही है। ‘द सरेंडर एक्सपेरिमेंट’ पुस्तक उसने पूरी पढ़ ली है। बहुत अच्छी पुस्तक है, जो यह बताती है कि मानव के जीवन में होने वाले तनाव और चिंता का कारण बाहरी परिस्थितियाँ नहीं बल्कि उसके मन की यह धारणा है कि अपने जीवन को वह चला रहा है, जबकि यहाँ सब कुछ अपना आप हो रहा है, यदि कोई समर्पण के भाव से जीवन को जीना सीख ले तो अपनी ऊर्जा को व्यर्थ गँवाने की जगह उसका उपयोग अच्छी तरह कर सकता है। जून ने इसी लेखक की दूसरी किताब भी ऑर्डर कर दी है। वह आजकल चेतन भगत की एक किताब पढ़ रहे हैं, जो नूना को कम भाती है। 


सुबह उस समय अंधेरा ही था, जब वे टहलने गये; आकाश में बादल थे।छह बजे के समाचार सुने और फिर विविधभारती पर भजन। बचपन से घर में सुबह इसी तरह रेडियो के साथ होती थी। नाश्ते में किनोवा की उपमा बनायी, उसे पता ही नहीं था कि बथुआ के बीज को किनोवा कहते हैं, इससे होने वाले अनेक फ़ायदों के बारे में अवश्य सुना था।  आज वसंत पंचमी पर कविता पोस्ट की, और कंचन के फूलों की तस्वीरें उतारीं । दोपहर को जून ने गोभी व कुछ अन्य सब्ज़ियाँ डालकर चावल बनाये। उनकी पाककला में निखार आता जा रहा है, और उसे लिखने-पढ़ने का अधिक समय मिल जाता है।सुबह जून के एक पुराने सहकर्मी के देहांत का समाचार मिला, जो बैंगलुरु में ही रह रहे थे। नन्हे ने अति उत्साहित होकर बताया शनिवार को वे लोग मित्रों के साथ मैसूर के पास कैंपिंग के लिए जा रहे हैं, इतवार को लौटते समय आयेंगे और उन्हें अपने अनुभवों के बारे में बतायेंगे। कैंपिंग की बात सुनकर ही उसका मन भी कल्पना में प्रकृति के साथ एक हो गया है। वर्षों पहले उत्तरकाशी में नदी किनारे टहलते समय कुछ कैंप देखे थे, जब वे वहीं एक नये बने छोटे से होटल में रह रहे थे। शायद तभी नन्हे के मन में भी इस इच्छा का बीज पड़ा होगा, जो आज साकार हो रही थी।   


आज सुबह वे आश्रम गये। वहाँ कदम रखते ही एक अलग तरह का सुकून महसूस होता है। शाम को बहुत भीड़-भाड़ होती है, पर सुबह बहुत कम लोग थे, हरे-भरे रास्तों पर टहलते हुए प्रकृति के सान्निध्य का आनंद लिया, कुछ तस्वीरें उतारीं। बगीचे में सीढ़ियों पर बैठकर ध्यान किया। विशालाक्षी मंडप में कुछ समय बिताया। नारियल पानी पिया, आश्रम की नर्सरी से कुछ पौधे ख़रीदे। दोपहर होने को थी, सो विशाला कैफ़े में दोसा खाया। शाम को बड़े टीवी पर सत्संग का सीधा प्रसारण देखा। गुरु जी ने हँसते-हँसाते प्रश्नों के जवाब दिये, ध्यान कराया। एक क़व्वाली पर नृत्य की मुद्राएँ भी बनायीं। वह कितने सहज रहते हैं, बीच-बीच में बालों को संवारते हैं, हर प्रश्न के उत्तर में किसी न किसी तरह आत्मा की ओर लौटने की बात बताते हैं। जीवन में गुरु के पदार्पण के बाद ही यह आभास होता है कि वे जी तो रहे हैं लेकिन यह भी नहीं जानते कि जीवन का उद्देश्य क्या है ? उससे भी पहले, वे कौन हैं ? योग साधना द्वारा यह ज्ञात होने पर कि वे देह या मन नहीं हैं, बल्कि इनका आधार शुद्ध, बुद्ध आत्मा हैं, यह खोज समाप्त हो जाती है। अब जीवन पहले की तरह बेहोशी में तो नहीं चल सकता। मात्र देह धारण किए रहना तो आत्मा का ध्येय नहीं हो सकता। आत्मा की शक्तियों व उसके गुणों का अनुभव करना और उन्हें अभिव्यक्त करना हो सकता है। आज सुबह नापा में हो रहे ‘सूर्य नमस्कार’ के आयोजन में भाग लिया। जीवन में दूसरी बार १०८ बार सूर्य नमस्कार किया। इसके पूर्व एक बार असम में किया था। शाम को तेज वर्षा हुई; बादलों ने बरस कर जैसे पूरी तरह अपना जी हल्का कर लिया।