सब्ज़ी वाला ट्रक
आज सुबह सब्ज़ी वाला ट्रक आया था, कुछ ताजी सब्ज़ियाँ व फल भी मिल गये। ड्राइवर कह रहा था, अब से हफ़्ते में दो बार आया करेगा।वहाँ सभी सब्ज़ियाँ उसने नीली प्लास्टिक की बास्केट में सड़क पर पंक्ति में लगा दी थीं। दूर से लग रहा था, जैसे छोटा सा बाज़ार लगा हो।उसने पहली बार इस तरह सब्ज़ियाँ ख़रीदीं, तभी हल्की बूँदा-बाँदी होने लगी, झट प्लास्टिक के कवर से सब कुछ ढक दिया गया और लोग सामने वाले घर के गैराज में खड़े होने चले गये। वह तो अच्छा हुआ, पाँच मिनट में ही बरखा रुक गई, शायद इंद्रदेव ने किसी की प्रार्थना सुन ली हो।दिन में फ़ोन पर फुफेरे भाई से बात की, फिर असम में उनके यहाँ काम करने वाली नैनी से।उसने सोचा है रोज़ ही किसी न किसी परिचित से बात करनी है, कोरोना के कारण सब अपने-अपने घरों में ही तो बंद हैं, फ़ोन से घर बैठे एक-दूसरे का हाल मिल जाता है।आज दो रचनाएँ प्रकाशित कीं, ‘शिवलिंग’ कविता पाठकों को अच्छी लगी है, परमात्मा ही लिखवा लेता है सुबह-सुबह, शेष दिन भर तो कविता का ‘क’ भी मन में नहीं आता। शाम को मँझली भाभी से बात की, उनकी माँ घर में हुई एक दुर्घटना में जल जाने के कारण अस्वस्थ हैं, इलाज चल रहा है, अपने पुत्र के यहाँ हैं।वृद्धावस्था में इंसान कितना बेबस हो जाता है। दोपहर बाद पापाजी से बात हुई, छोटी भाभी अपनी मायके गई है, दो दिन के लिए खाना बनाकर फ्रिज में रख गई है। रोटी या चावल वे ताजा बनवा लेते हैं, यदि कामवाली न आयी तो ख़ुद बनाते हैं।
आज वे इसी सोसाइटी में रहने वाली एक महिला डाक्टर से मिलने गये। उन्होंने भली प्रकार उन दोनों का चेकअप किया। कल पर्ची बना कर देंगी। उसे गर्दन के व्यायाम तथा रात को सोने से पूर्व गरारे करने की सलाह दी। उनका घर बहुत अच्छी तरह से रखा एक गोदाम लग रहा था। अभी हाल में ही वे लोग यहाँ आये हैं। आज असम में उनके यहाँ काम करने वाले माली व धोबी से बात की।वर्षों तक उन्होंने अपनी सेवाएँ दी थीं।बात करके उसे अच्छा लगा, जीवन में कितने ही लोग मिलते हैं और फिर कभी न मिलने के लिए छूट जाते हैं। पापा जी ने बताया, अभी तीन दिन उन्हें और अकेले रहना है।
आज दिन में गर्मी बहुत थी। सुबह सोसाइटी की तरफ़ से पानी डालने वाला आदमी आया था। बगीचे की घास और पौधों की हालत इस गर्मी में नाज़ुक हो जाती है। सुबहें और शामें अपेक्षाकृत सुहानी होती हैं, हवा बहती रहती है। आज गोधूलि बेला में सूर्यास्त के सुंदर दृश्य देखे। आम के बगीचे में पेड़ फलों से लदे हुए थे।सुबह सूर्योदय का वीडियो बनाया। ‘द ब्लू अंब्रेला’ का कुछ अंश देखा, मसूरी-देहरादून की कहानी है। एक छोटी लड़की के पास नीले रंग का एक छाता है, जापानी छाता, जो बेहद सुंदर है।
रात्रि भ्रमण हो चुका है।इसके दौरान नियमित रूप से उन्हें एक ईसाई दंपति मिलते हैं, सामने वाली लाइन में सड़क के उस पार ही रहते हैं, पर ‘हैलो’ के अतिरिक्त कुछ बात नहीं हुई।आजकल सभी अपने काम से काम रखते हैं।आज सुबह उसका मन कितना स्थिर था, जैसे समता को पूरी तरह धारण कर लिया हो, पर कुछ ही देर बाद जून को किसी बात के लिए टोका, मन हिल गया चाहे एक सेकण्ड के लिए ही सही। लेकिन भीतर की स्थिरता कहीं जाने वाली नहीं है, अटल रहने वाली है, यह अनुभव कोई छीन नहीं सकता, क्यूँकि ‘वह’ वही है, भला उससे ‘उसे’ कौन छीन सकता है ?
आज सुबह एक स्वप्न देखा, जिसमें वह रास्ता भूल गई है। स्वप्न उनके अचेतन मन की कहानी कहते हैं, कुछ सिखाते भी हैं। अभी नन्हे का फ़ोन आया, उसने घर का वीडियो दिखाया, काफ़ी काम हो गया है।कल यहाँ पहली बार आलू के चिप्स बनाये थे, सूख गये हैं, होली पर बनायेंगे। एक सखी का फ़ोन आया, वह भी होली की तैयारी कर रही थी।दोपहर को बड़ा भांजा आ गया था, उसके आने से जून में जैसे बचपन लौट आया है। इतमा मुक्त तो वह बेटे-बहू के आने पर भी महसूस नहीं करते। सुबह समय से पूर्व उठे, प्रातः भ्रमण के बाद पौने छह तक घर लौट आये, छत पर सूर्योदय देखा और बालसूर्य के सान्निध्य में योग साधना की। साप्ताहिक सफ़ाई का दिन था, सो पंखों की विशेष सफ़ाई करवायी। रात्रि भ्रमण के समय लगभग गोल चंद्रमा देखा, कल पूर्णिमा है। कल सुबह ही नन्हा और सोनू आ रहे हैं। होली का उत्सव कल ही मनाएँगे।परसों उनका अवकाश नहीं है। कुछ देर पहले समाचार मिला, मँझली भाभी की माता जी का देहांत हो गया है।वे कई दिनों से मृत्यु से जूझ रही थीं, जिसका भी जन्म होता है एक न एक दिन उसे जाना ही है। उसने सोचा, कल ही भाभी से बात करेगी।
आज होलिका दहन है, प्रह्लाद की रक्षा का दिन ! जब भीतर का आह्लाद शेष रह जाये और हर कलुष जल जाये तभी मनती है होली ! वे होलिका दहन में नहीं गये। सोसाइटी में कई घरों में कोरोना के मरीज़ हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा करनी है। पूरे कर्नाटक में विशेष तौर से बैंगलुरु में कोरोना का प्रकोप बहुत बढ़ गया है। भांजा आज भी यहीं है, उसे परसों नयी कंपनी में जॉइन करना है। शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, होली की मुबारकबाद दे रही थी। सुबह जून के तीन पुराने मित्रों का फ़ोन आया था। पुरानी दोस्ती देर तक क़ायम रहती है। सुबह बच्चे आ गये थे, विशेष भोज बनाया। शाम को वे दोनों पड़ोसियों के यहाँ गुझिया और रंग लेकर होली की शुभकामना देने गये। होली की तस्वीरें खींचीं। परिवार के एक सदस्य के यहाँ शोक का माहौल है, इसलिए कोई पारिवारिक ग्रुप में तस्वीरें नहीं डाल रहा है। एक उम्र के बाद यदि व्यक्ति अस्वस्थ हो तथा दूसरों पर निर्भर हो तो घरवालों पर बोझ बन जाता है। इसलिए भाभी से बात हुई, तो उसने कहा, जो हुआ ठीक है, माँ बहुत कष्ट में थीं।
आज होली है, उन्होंने प्रेम के रंग बहाए। सभी से बातचीत की। छोटे भाई को परसों से बुख़ार है। वह सफ़र से आया था, शायद थकान की वजह से ही हो। वहाँ कोरोना टेस्ट नहीं हो पा रहा है। सिवाय सरकारी अस्पताल के जहां बहुत भीड़ है। पापाजी भी कुछ परेशान से लगे, ज़ाहिर सी बात है, लगेंगे ही। एक सखी से बात की, वे लोग आगरा में हैं, भरतपुर घूम कर आये थे, पक्षी विहार देखा, बहुत उत्साहित होकर वह बता रही थी।
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