सुबह के साढ़े दस बजे हैं। जून को कल रात ठीक से नींद नहीं आयी, इसलिए आराम कर रहे हैं। मौसम धूप भरा है। कल दोपहर उन्होंने सोसाइटी के एप अड्डा पर संदेश देखा, नन्हे की एक बिल्ली काफ़ी ऊँचाई से गिर गयी है और नीचे कहीं मिल नहीं रही है। उसे चोट लगी होगी और डर कर छुप गयी है। शाम को पाँच बजे बात हुई तो पता चला अभी तक नहीं मिली है, उसकी आवाज में काफ़ी चिंता थी, पालतू पशु परिवार के अंग जैसा हो जाता है। उन्होंने निश्चय किया कि वहाँ जाना चाहिए। अभी आधे रास्ते तक ही पहुँचे थे कि पता चला, मिल गयी है, घर पहुँचे तो वे उसे लेकर डाक्टर के पास जा रहे थे। वहीं सांध्य भ्रमण किया, शाम की चाय पी और गुरु जी द्वारा निर्देशित ध्यान किया, फिर ‘देवों के देव’ देखा, जिसमें पार्वती अब बड़ी हो गयी हैं, पर उनकी भेंट अभी महादेव से नहीं हुई है।वह शिव को पाने के लिए साधना करना चाहती है, पर वे सफल नहीं होने दे रहे हैं ।प्रतीक्षा करते-करते उन्होंने खाने की मेज सजा दी, रसोइया ख़ाना बनाकर चला गया था। साढ़े आठ बजे दोनों बच्चे वापस आए; बताया, बिल्ली को रीढ़ की हड्डी में मामूली चोट लगी है, एक इंजेक्शन भी डाक्टर ने लगा दिया है । खाने की मेज पर उन्होंने सुबह का पूरा क़िस्सा सुनाया। लगभग ग्यारह बजे वे दोनों अपने-अपने ऑफिस के काम में व्यस्त थे, कि नीचे वाले फ़्लोर से एक फ़ोन आया, आपकी बिल्ली फंस गयी है। उन्होंने देखा, मुख्य शयन कक्ष की खिड़की से निकल कर वह पाइप के सहारे सातवीं मंज़िल पर चली गयी है।और रो रही है, उसे उतारने का कोई साधन नहीं था। एक घंटा तक कई उपाय आज़माते रहे पर आख़िर वह नीचे गिर गयी, पर उसकी गति शायद दीवार से टकराने से कम हो गयी थी, सो ज़्यादा चोट नहीं लगी। वे लोग उसी समय से बिना कुछ ग्रहण किए लगातार बेसमेंट में उसे ढूँढते रहे, आख़िर वह एक कार के नीचे पीछे वाले पहिए पर चढ़ी मिली। शायद वह डर कर या थककर सो गयी होगी। कहते हैं न मुसीबत कभी अकेले नहीं आती।एक नकारात्मक घटना दूसरी नकारात्मक घटना को जन्म देती है। पिछले हफ़्ते ही वे लोग कोरोना के भय से मुक्त हुए थे।जीवन में ऐसी घटनाएँ इंसान को मजबूत बनाने के लिए होती हैं। रात्रि भोजन करने में काफ़ी देर हो गयी सो उस दिन वे वहीं रुक गए। वे पूरे सात महीने बाद वहाँ गए थे, कोरोना के कारण जाना ही नहीं हुआ था। नन्हे ने टीवी पर आशुतोष राणा का दिनकर लिखित ‘रश्मि-रथी’ के तीसरे सर्ग का पाठ सुनवाया, उन्हें कंठस्थ था, प्रस्तुतीकरण बहुत प्रभावशाली था। जब नन्हे ने कहा, वे लोग नियमित योग सीख रहे हैं, जून ने उन्हें इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना नाड़ी के बारे में बताया। कुछ दिन पहले गुरुजी से वेगस नाड़ी के बारे में भी सुना था जो शरीर में सबसे लम्बी नाड़ी है और कई अंगों से जुड़ी है।प्राणायाम के द्वारा इन नाड़ियों को शुद्ध रखा जा सकता है।
आज टाटा की नयी इलेक्ट्रिक कार आ गयी है; नील हरित रंग यानी मोर के रंग की। शाम को नन्हा और सोनू भी आ गए, रात्रि भोजन के बाद सब ड्राइव पर गए। दस बजे वे लोग वापस चले गए। आज वर्षों पूर्व की डायरी का एक पन्ना पढ़ा, कितनी मधुर यादें हैं और कितनी मीठी कश्मकश। उस वक्त जो तलाश भीतर चल रही थी, वह अब पूरी हो गयी है। कितना ठहराव आ गया है मन में। आज शाम को तेज वर्षा हुई, थे कि सारी खिड़कियाँ बंद करनी पड़ीं। शाम को पापा जी से बात हुई, उन्हें ट्रांज़िस्टर पर विविध भारती सुनने में कठिनाई हो रही थी। उन्हें ऑल इंडिया रेडियो का एक एप ‘न्यूज़ ऑन एयर’ डाउन लोड करने को कहा है, जिस पर रेडियो कभी भी सुना जा सकता है।
आज नन्हे का एक मित्र भी आया था, जो उसके साथ कालेज में था। दोपहर को जब बाक़ी लोग विश्राम करने लगे तो वे दोनों ड्रोन उड़ाने चले गए; कुछ समय बाद उससे संपर्क टूट गया। दो घंटे खोजने के बाद पता चला कि पिछली गली में एक विला की छत पर गिरा था। इलेक्ट्रिशियन को फ़ोन करके उसकी सीढ़ी मँगवाई, क्योंकि विला का मालिक दूसरे शहर में था। शाम काफ़ी हो गई थी, कुछ फल खाकर वे लोग वापस चले गये। उसने दीदी के विवाह की वर्षगाँठ के लिए कविता लिखी।
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (13-4-23} को ज़िंदगी इक सफ़र है सुहाना" (चर्चा अंक 4654)" पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी!
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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