रात्रि भ्रमण के वक्त हवा के साथ हल्की फुहार बरस रही थी, चेहरे को उसका शीतल स्पर्श भला लग रहा था। आज एक बाल फ़िल्म देखी, “मैं कलाम हूँ" राजस्थान के एक गाँव में फ़िल्मायी गयी है। एक बालक के संघर्ष की कहानी, अब्दुल कलाम आज़ाद से प्रेरित होकर अपना नाम जिसने कलाम रख लिया था। आज उन्होंने शयन कक्ष के बाहर जो बरामदा है, उसमें दो बड़े गमलों में पैशन फ़्रूट के दो पौधे लगाए। उसकी बेल रेलिंग से होती हुई वर्टिकल गार्डेन के फ़्रेम में चढ़ जाएगी।एक पौधा नीचे भूमि में लगाना है। इसी सोसाइटी में रहने वाले दो व्यक्तियों ने ये पौधे उन्हें दिए हैं। आज आम के बगीचे में ‘एटूबी’ ने फ़ूड स्टाल लगाया था, पर कोरोना के कारण कम लोग गए होंगे। कल पूरी दुनिया में ढाई लाख से अधिक कोरोना के केस मिले। बड़ा भांजा व उसके चचेरा भाई कल अपने-अपने घर जा रहे हैं। चार महीनों से वे अनेक युवाओं की तरह घर से ही काम कर रहे थे, आगे भी लगभग चार महीने तो और घर पर रहना होगा। इस आपदा ने यह तो अच्छा किया है कि बिछुड़े हुए परिवारों को मिला दिया है। आज सुबह अच्छी नींद लाने के उपायों पर चर्चा सुनी। कुछ उपाय उन्होंने अपनाए भी हैं। कमरे में पूर्ण अंधकार होना चाहिए। सोने से दो घंटे पूर्व ही पानी पी लें व भोजन कर लें। टीवी या मोबाइल एक घंटा पहले से न देखें। सोने से पूर्व स्नान करें या पैरों को धो लें। तलवों की मालिश करें। कोई पुस्तक पढ़ें या भ्रामरी प्राणायाम कर लें। योग निद्रा भी कर सकते हैं। जून ने अगले हफ़्ते तीन दिनों के आर्त ऑफ़ लिविंग के एक कोर्स के लिए ऑन लाइन फ़ॉर्म भर दिया है। गुरूजी कार्तिकेय भगवान पर बोलेंगे व ध्यान भी कराएँगे। वह कहते हैं मानव जीवन का सबसे बड़ा उपहार है ध्यान ! सुबह छोटे भाई से बात हुई, वह बहुत खुश है, परमात्मा से जिसकी लगन लग जाए वह सदा ही प्रसन्न है।
कल की तरह आज वर्षा नहीं हुई, बादल बने और बिखर गए। आज सूर्योदय व सूर्यास्त दोनों बादलों के अनूठे रंगों के कारण अति सुंदर थे। नींद के लिए कल जो उपाय किए थे, काम आए।कल से कर्नाटक में लॉक डाउन खुल रहा है। आज विष्णु पुराण में दिखाया गया कि रावण ने सत्ता के लिए अपनी बहन के पति को भी मार दिया था। कैसी मनोवृत्ति है रावण की, पता नहीं लोग उसे क्यों विद्वान कहते हैं; कभी रहा भी होगा तो उसने अपने ज्ञान का उपयोग तो नहीं किया। एक जापानी एनिमेशन फ़िल्म ‘इन दिस पार्ट ऑफ़ द वर्ल्ड’ का कुछ भाग देखा, द्वितीय विश्वयुद्ध की कहानी है। नायिका चित्रकला में निपुण है और विवाह के बाद ससुराल में घुलमिल जाती है। असम में जिस तेल कुँए में आग लगी थी, अभी तक बुझ नहीं पायी है। तीन विदेशी विशेषज्ञ बुझाते हुए थोड़ा सा जल भी गये।
आज शाम को टहलते समय उन्हीं वृद्ध व्यक्ति से पुनः मुलाक़ात हुई, बगीचे में बैठे थे, कह रहे थे, उन्हें कोई चिंता नहीं है। उनका ड्राइवर चिंतित लग रहा था।उसका परिवार बिहार में है, यहाँ अकेला रहता है। वृद्ध ने बताया, दिल्ली में उनके यहाँ गुरू जी आए थे, मोहल्ले के पाँच सौ लोग पंक्ति बनकर खड़े हो गए थे, उनके दर्शन के लिए। रात के ग्यारह बज गये, खाना कब खाते। उनके पुत्र आर्ट ऑफ़ लिविंग के पूर्ण कालिक शिक्षक हैं।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2022) को "काव्य का आधारभूत नियम छन्द" (चर्चा अंक--4506) पर भी होगी।
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कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार शास्त्री जी!
ReplyDeleteअनीता जी, व्यस्त दिनों की दिनचर्या की संदर डायरी
ReplyDeleteस्वागत व आभार सुनील जी!
Deleteआदरणीया अनीता जी, नमस्ते 🙏❗️
ReplyDeleteबहुत रोचक संस्मरणात्मक रचना है. साधुवाद!
कृपया इस लिन्क पर जाकर मेरी रचना मेरी आवाज़ में सुने और चैनल को सब्सक्राइब करें, कमेंट बॉक्स में अपने विचार भी लिखें. सादर! -- ब्रजेन्द्र नाथ
https://youtu.be/PkgIw7YRzyw
अवश्य, स्वागत व आभार!
Deleteस्वागत व आभार!
ReplyDeleteआफके अनुभवों का आनन्द लिया -आभार!
ReplyDeleteस्वागत व आभार प्रतिभा जी!
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