आज सुबह पतंजलि योग सूत्र पर गुरूजी का व्याख्यान सुना, बाद में ओशो का भी. इन सूत्रों में मन को कितनी अच्छी तरह समझाया गया है. रात तेज वर्षा हुई, एक बार नींद खुल गयी.याद आया. उस दिन स्वप्न में शालिग्राम पत्थर को हवा में उठते देखा था. उसी क्षण मन में विचार आया था, वे जीवित हैं ! परमात्मा हजार-हजार रूपों में अपने को प्रकट करता है, देखने वाली नजर चाहिए. कल बहुत दिनों बाद सहभोज होगा, कोरोना काल में यह विशेष घटना ही कही जाएगी, लन्च पर नंन्हे के कुछ मित्र भी आ रहे हैं, उसने कहा है वह अपने साथ कुक को भी ले आएगा.
मौसम विभाग ने कल किसी तूफान की चेतावनी दी है. बाहर तेज हवा बह रही है. सुबह टहलने गए तो हल्की झींसी पड़ रही थी. कल एक पेड़ के नीचे गुड़हल की कलियाँ टूट कर गिरीं हुईं मिली थीं, उन्हें पानी में डाला कर रखा तो आज खिल गयीं. मंझली भाभी का जन्मदिन है आज, उनकी फरमाइश पर तुरन्त ताज़ी कविता लिखकर भेजी। आज एक हास्य फिल्म देखी, कोरोना के भय से बचने के लिए यह अच्छा उपाय है. परसों गुरू पूर्णिमा है, गुरूजी उसके बारे में एक कहानी सुना रहे हैं. गुरू जब जीवन में आते हैं तो सारे प्रश्न खो जाते हैं. कुछ चाहना या त्यागना मन से होता है, आंकना या निर्णय लेना बुद्धि से व ग्रहण करना या पकड़ना अहंकार से ! जब मन, बुद्धि और अहंकार के पीछे जा जाकर जब कोई थक जाता है तब स्वयं का ज्ञान होता है. जीवन में कृतज्ञता के क्षण भी आते हैं और शिकायत के भी, पर गुरू के पास आते ही ये सब गिर जाते हैं. गुरु एक अन्य ही आयाम से परिचय करवाते हैं.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.5.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4435 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबाग
बहुत बहुत आभार !
Deleteसंजोना अच्छा लगा
ReplyDeleteसुंदर संयोजन।
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