आज दोपहर पूरे दो महीने और तीन दिनों के बाद नन्हा और सोनू घर आए, अभी कुछ देर पहले वापस गए हैं। शाम को वे उन्हें पार्क में ले गये पर वर्षा होने लगी, जल्दी ही लौटना पड़ा। नन्हे ने एक बात कही कि उन्हें किसी के साथ घटी किसी भी घटना के लिए किसी के प्रति निर्णायक नहीं बनना चाहिए। उसे लगा, बच्चे उनसे कितने आगे होते हैं बौद्धिक रूप से, कार्य-कारण सिद्धांत के ऊपर उन्हें जाना है, चीजें अपने आप होती हैं, जब होनी होती हैं, हर घटना के पीछे क्यों ?ढूँढने जाने की ज़रूरत नहीं है। जीवन में जो भी घटता है उसके पीछे कोई न कोई कारण होता है, पर कौन सा कारण किस घटना कि पीछे है, कौन बता सकता है ? वैसे भी उन्हें व्यक्तियों के बारे में कोई राय बनाने का क्या अधिकार है, जो जैसा है वैसा है ! आर्ट ऑफ़ लिविंग का पहला ज्ञान सूत्र भी तो यही है, ‘लोगों को जैसे वे हैं वैसे ही स्वीकारें’ उन्हें किसी व्यक्ति के बारे में कुछ भी कहने से पूर्व दस बार सोचना चाहिए। किसी की निंदा करना तो ग़लत है ही किसी के निर्णायक बनना और भी ग़लत है। अनजाने में ही वे अपने संस्कार वश ऐसा करते हैं और अपनी ऊर्जा भी गँवाते हैं। बाहर तेज हवा के साथ वर्षा हो रही है, बच्चे अब तक घर पहुँच गए होंगे।
एक विशिष्ट महिला ब्लॉगर ने अपने स्पष्ट और सरल शब्दों में कोरोना वायरस के ख़तरे को लेकर भारतवासियों द्वारा लापरवाही भरा रवैया अपनाने पर एक ध्वनि संदेश में खेद व्यक्त किया है। उनकी वाणी में शिकायत भी है और सलाह भी, ख़तरा बढ़ गया है पर लोग बड़े आराम से सड़कों पर निकल रहे हैं जैसे लॉक डाउन हटते ही सब सामान्य हो गया हो। आज सुबह बाहर वर्षा का भ्रम हुआ पर आवाज़ बिजली की तारों से आ रही थी। हवा ठंडी थी, कहीं कहीं सड़कें भीगी थीं। सूर्योदय या सूर्यास्त आज दोनों नहीं दिखे, भ्रमण के दोनों समय उन्हें देखना व चित्र लेना उसका प्रिय काम होता है। आज चक्रों के बार में व्याख्यान सुना। विशुद्धि चक्र से ऊपर अद्वैत की यात्रा आरम्भ हो जाती है। आज्ञा चक्र पर असीम स्वरूप का अनुभव होता है पर अंतिम चक्र पर जब ‘स्वयं’ भी मिट जाता है तब परमात्मा की प्राप्ति होती है। अहंकार मिट गया पर अस्मिता अभी शेष है, उसे भी जाना होगा। समाचारों में सुना उड़ीसा में एक तूफ़ान आने वाला है।
रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं। सोने से पूर्व का अंतिम कार्य है दिन भर का लेखा-जोखा लिखना, बरसों पुरानी आदत है सो डायरी और कलम जैसे अपने आप ही हाथ में आ जाते हैं। कर्नाटक में लॉक डाउन हटा लिया गया है पर शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक आवागमन रुका रहेगा। एक ही दिन में आज डेढ़ सौ संक्रमित व्यक्ति मिले हैं। आज विष्णु पुराण में दिखाया गया कि ध्रुव को भगवान के दर्शन हो गए। छह वर्ष की आयु में इतना बड़ा संकल्प ! वह विष्णु भगवान से पूछता है, जीवन क्या है ? संसार क्या है ? परिवार क्या है ? आदि आदि। भगवान कहते हैं, जीवन एक वरदान है, एक उपहार, एक सौभाग्य भी ! संसार परमात्मा का साकार रूप है ! परिवार में वे लोग आते हैं जिनके प्रति हमारा मन आत्मीयता महसूस करे। इस तरह तो सारा संसार ही उनका परिवार है।कम से कम एक भक्त के लिए तो ऐसा ही होना चाहिए। जून को एओएल से नया काम मिला है, कल उनकी मीटिंग है।
वाह! रुहानी अहसास!!!
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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