Wednesday, April 6, 2022

उपनिषद गंगा


लॉक डाउन का तीसरा दौर  प्रारम्भ हो गया है। अब संक्रमण की दर बढ़ गयी है, भारत में अड़तालीस हज़ार व्यक्ति संक्रमित हो चुके हैं। अमेरिका में यह संख्या भारत से कहीं ज़्यादा है। रात्रि के सवा नौ बजे हैं, नन्हे से बात हुई, खाना बनाने की आज उसकी बारी थी, कह रहा था अभी वे लोग मेड व कुक को नहीं बुलाएँगे। खुद काम करने की आदत हो गयी है। घर भी साफ़ रहता है। अच्छा है, अपन हाथ, जगन्नाथ ! सुबह टहलते समय कुछ सुंदर जंगली गुलाबी पुष्प देखे थे, शाम को देखने गए तो वे सो गए थे, फूलों में इतना संज्ञान होता है, प्रकाश का स्पर्श उन्हें जगाता और सुलाता है। आज महाभारत में देखा भीष्म पितामह तीरों की शैया पर हैं, द्रोणाचार्य उनके पास आकर कहते हैं, वह उनसे पहले जाएँगे, कैसे महावीर थे वे लोग, मृत्यु का ज़रा भी भय नहीं था उन्हें ! जून को आर्ट ऑफ़ लिविंग के अनुसंधान विभाग में सेवा का कुछ काम मिल गया है। 


आज बुद्ध पूर्णिमा है, उनके वचन पढ़े, उनके उपदेशों पर आधारित दो आलेख भी लिखे। कल भागवद में कपिल मुनि द्वारा अपनी माँ देवहूति को दिये गये सांख्य शास्त्र के ज्ञान के बारे में पढ़ा था। सुबह गहरे ध्यान का अनुभव हुआ। दोपहर को वाणी का दोष हुआ तो कितनी शीघ्रता से जगाया किसी ने भीतर से। सुबह उठने से पूर्व कोई वाणी भीतर से कह रही थी, तुम वही हो ! ज्ञान उन्हें मुक्त करता है और गुरू भी ज्ञान स्वरूप है। आज नैनी काम पर नहीं आयी, उसने पूर्णिमा का उपवास रखा है ! कल असम से उसकी पुरानी नैनी का फ़ोन आया था। उनके योग ग्रुप की एक महिला का फ़ोन भी आया, जिन्हें कोर्स करने के लिए उसने बहुत बार कहा था आख़िर उन्होंने ऑर्ट ऑफ़ लिविंग  का बेसिक कोर्स ऑन लाइन किया, बहुत खुश थीं। 


आज सुबह टहलने गए तो रात की वर्षा के बाद सड़कें भीगीं थीं। मधु मालती की एक बेल और कंचन का एक वृक्ष पूरे खिले थे, उनकी तस्वीरें उतारीं। टीवी कार्यक्रम ‘उपनिषद गंगा’ में आज का अंक दारा शिकोह पर था, जिसने उपनिषदों का अध्ययन किया था। उसकी मृत्यु का दृश्य देखा, वह आत्मा का ज्ञान पाकर भीतर से मुक्त हो गया था। ‘महाभारत’ में कर्ण ने अर्जुन को मारने का अवसर गँवा दिया क्योंकि सूर्यास्त हो गया था, वह नियमों के अनुसार युद्ध करना चाहता है, संभवतः वह अर्जुन को मारना नहीं चाहता, वह जान चुका है कि अर्जुन उसका सगा भाई है। उसका जीवन कितने विरोधाभासों से घिरा है।


आज का एक दिन एक तरह से उसके लिए बहुत ख़ास है। पूरे पचपन दिनों के बाद वह जून के साथ कार से सोसाइटी के मुख्य गेट से बाहर गयी। उन्होंने एक नर्सरी से गमलों के लिए पौधे ख़रीदे। वहाँ एक भोली-भाली सी लड़की मिली, भुवनशोम की नायिका जैसी। सुबह  छोटी भांजी के स्नातक होने पर पूरे परिवार की एक ज़ूम मीटिंग हुई, अच्छा लगा। शाम को दो पुराने मित्र परिवारों को भी ज़ूम पर देखा। गुरूजी की संजय दत्त से बातचीत का वीडियो देखा। मोबाइल और कम्प्यूटर सबके जीवन का अभिन्न अंग बनते जा रहे हैं। 


आज नैनी एक फार्म हाउस से, जहाँ उसका पति काम करता है, ताज़ा हरा कुम्हड़ा, आँवला और कच्चे आम लायी। कुम्हड़े की सब्ज़ी, आम की मीठी चटनी और आँवले का अचार उसने बना लिया है। शाम को निकट स्थित खेत से कच्चा कटहल लाए, पहले तो माली तोड़ने को तैयार नहीं था, कहने लगा पकने पर यही दो सौ में बिकेगा, यहाँ सभी इसे पका हुआ खाते हैं। गाँव के निकट रहने के कितने लाभ हैं। 


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