Wednesday, August 12, 2020

जामुन का वृक्ष



शाम के सवा चार बजे हैं. आज दोपहर उन्हें आगामी बंगलूरू यात्रा के लिए पैकिंग करनी थी पर नन्हे का फोन आया, अभी घर तैयार होने में दो हफ्ते लगेंगे. उसने कहा, फ़िलहाल वे अपनी यात्रा स्थगित करके आगे की टिकट ले लें. जून ने कॉल सेंटर में बात की, आधे पैसे कट जायेंगे जो हजारों में हैं, वे सोच रहे हैं कि जैसा कार्यक्रम है, वैसा ही रहने देते हैं. कुछ समय बैंगलोर आश्रम में बिताएंगे, गुरूजी भी वहीं हैं, सो भगवद्गीता के पन्द्रहवें अध्याय पर उनका प्रवचन भी सुन लेंगे और उनके जन्मदिन के उत्सव में भी भाग ले सकेंगे. आज सुबह गुलाबी पुष्पों के वृक्षों की तस्वीरें पुनः उतारीं। इस समय बाहर से कोकिल के कूकने की आवाज आ रही है. योग कक्षा में एक साधिका ने कहा, कल सुबह वह अपनी कालेज में पढ़ रही बेटी को लेकर आसन सीखने आएगी. अब उनका यहाँ से जाने का वक्त आ रहा है तो सीखने के लिए सभी के मन में योग के प्रति रूचि बढ़ रही है. दोपहर को बगीचे से तोड़े कटहल की सब्जी बनाई, अब जामुन के वृक्ष में भी फूल आ गए हैं, पूरा वृक्ष बौर से भर गया है. नैनी आज दाल के बने मीठे तले हुए पीठे लायी, उसका प्रेम ही है इसके पीछे, पर उन्होंने अब तले हुए पदार्थ खाना छोड़ दिया है. उन दोनों का वजन कुछ घटा है. 



जून ने अगले माह आश्रम में होने वाले कार्यक्रम में रजिस्ट्रेशन करा लिया है. हो सकता है उसे गुरूजी के जन्मदिन पर कविता पढ़ने का अवसर भी मिले. सुबह क्लब की एक सदस्य से मिलने गयी, बहुत भावुक है और संवेदनशील भी. दो बड़ी सर्जरी करा चुकी है. अच्छा लगा उसकी बातें सुनकर. कल तीसरे चरण का चुनाव है, अगले महीने आज के दिन तक सारे चरण पूरे हो चुके होंगे. राहुल गाँधी ने मोदी जी के खिलाफ जो अभद्र टिप्पणी की थी, उसके लिए खेद प्रकट किया है , उधर साध्वी प्रज्ञा ने भी एक अभद्र बयान दिया है. राजनीति में एक-दूसरे पर दोषारोपण चलता ही रहता है. कल श्रीलंका में सीरियल ब्लास्ट हुए जिसमें चर्च में ईस्टर प्रार्थना करने आये लोगों में दो सौ नब्बे  व्यक्ति मारे गए व पांच सौ घायल हो गए. धर्म के नाम पर हिंसा करने वाले आखिर कब समझेंगे कि दुनिया का कोई भी धर्म हिंसा करना नहीं सिखाता, पता नहीं धर्म के नाम पर अधर्म कब तक किया जाता रहेगा. 


आज सुबह गुरूजी का लन्दन में दिया एक प्रवचन सुना. कितने सुंदर व सरल शब्दों में उन्होंने पूरा बेसिक कोर्स ही जैसे करवा दिया. ऊर्जा के चार स्रोत, जीवन की सात परतें, ज्ञान की पाँच कुंजियाँ सभी कुछ ! आज दोपहर अक्षय कुमार द्वारा लिया गया प्रधानमंत्री का इंटरव्यू सुना, सबसे अचरज भरी बात लगी जब उन्होंने कहा कि ममता दीदी उन्हें साल में एक-दो कुर्ते भेजती हैं और मिठाई भी. राजनीतिज्ञ जब प्रचार करते हैं तो एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन लगते हैं. 


शाम के साढ़े सात बजे हैं. काशी की सड़कों पर प्रधानमंत्री की चुनावी यात्रा चल रही है. कुछ देर में ही वह दशाश्वमेधघाट पर पहुँच जायेंगे. वाराणसी की जनता उनके स्वागत में सड़कों पर उमड़ आयी है. आज सुबह गुरूजी से नारद भक्ति सूत्र सुना. सुबह-सवेरे गुरूजी के पावन वचन हृदय को सुंदर विचारों से भर देते हैं. दोपहर को घी बनाया, जून ने शाम को दफ्तर से आकर लड्डू बनवाये जो वे नन्हे व सोनू  के लिए ले जाने वाले हैं. कल रात स्वयं को विचार करते देखा, नींद में भी मन किस तरह उधेड़बुन में लगा रहता है, उसे देखकर आश्चर्य होता है, पता नहीं क्या चाहता है ? कोड़ी जी घाट पर पहुँच चुके हैं और आरती के साथ ताली बजाकर आनंद ले रहे हैं. 


और अब उन अतीत के पन्नों से - जितना खाओ उससे दुगना पानी पियो. जितना  पानी पियो उससे दुगना हँसो, जितना हँसो उससे दुगना टहलो. यही स्वास्थ्य का राज है. 

शायद उस दिन कुछ हुआ होगा, तभी लिखा- 


खिला चहकता घर ही भाये  

चुपचुप सा मन को चुभता है 

क्यों यह चुप्पी लगा गया है 

क्यों यह कुछ नहीं कहता है 

रहने वाले सब रहते हैं 

पर होंठ सभी के सिले हुए 

कोई बोले ना ही  चाले 

दिल क्यों नहीं हैं मिले हुए 

घर गूँजे खुशियों से गर तो 

तब ही तो घर कहलाता है 

सूना घर यह बे आवाजें 

यह कहाँ घर कहलाता है 

साथी आओ दीप जला दें 

बोल प्रेम के हम बिखरा दें 

चहक उठे यह घर दोबारा 

जैसे कोई बगिया चहके

मिल जाएँ सबके मन ऐसे 

फूलों में हो खुशबू जैसे  

 


7 comments:

  1. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 13 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


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  2. आदरणीया मैम,
    बहुत ही सुंदर रचना। यहाँ घर परिवार, समाज व देश, सब का ही सूचक है।
    प्रेम और सौहार्द से रहने का बहुत ही प्यारा सन्देश।

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  3. स्वागत व आभार !

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