Tuesday, February 19, 2019

आंधी और तूफान



कल वे वापस घर असम पहुंच गये. यहाँ तो बरसात का मौसम जैसे आरम्भ हो ही गया है. परसों रात्रि से ही लगातार वर्षा हो रही है. बंगाली सखी से बात हुई, आज उसके विवाह की वर्षगांठ है, उसने बुलाया तो नहीं है पर वे अवश्य जायेंगे. अभी एक और पुरानी सखी से बात हुई, उसने कहा, उसकी बिटिया ने घर के कार्यों में दिल से भाग लेना शुरू कर दिया है. उसे नन्हे का सहयोगी स्वभाव बहुत अच्छा लगा. बच्चे देखकर ज्यादा सीखते हैं.

सुबह वे उठे तो बगीचे में चारों ओर पत्ते बिखरे हुए थे, जो रात की आंधी की खबर दे रहे थे. लंच के बाद जून जब चले गये तो बहुत दिनों बाद अयोध्या काण्ड में आगे लिखना आरम्भ किया. दोपहर को थोड़ी देर थमने के बाद संध्या पूर्व वर्षा फिर आरम्भ हो गयी थी. शाम को जब योग कक्षा चल रही थी, आंधी और तूफान के कारण कुछ देर के लिए बिजली भी चली गयी. एक योग साधिका के दांत में दर्द था, अन्य के सिर में, उसने उन्हें विश्राम करने को कहा. निरंतर योग साधना करने से एक दिन अवश्य ऐसा आता है जब छोटे-मोटे रोग इसमें बाधा नही बनते. उसके बाद क्लब जाना था, मीटिंग थी, पाक कला की प्रतियोगिता थी, वायलिन वादन, नृत्य तथा एक पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन भी. अभी-अभी छोटे भाई से बात की. नन्हे की शादी में आने के लिए अभी से टिकट करवाने के लिए बिटिया से कह रहा है. इस समय रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं. बाहर बगीचे से एक पक्षी की ध्वनि निरंतर सुनाई दे रही है, जैसे जाप कर रहा हो.

आज प्रातः भ्रमण को गये वे तो हवा में ठंडक थी और खुशबू भी. दो हफ्तों बाद स्कूल भी गयी, बच्चों को योग करने में और उसे कराने में आनन्द आता है. स्कूल में नई प्रिंसिपल आई हैं. कल इतवार को भी लॉन में बच्चों ने कुछ आसन किये और भजन गाये. आज सुबह पड़ोसिन के यहाँ गयी. उनकी बेटी व दामाद से भी मिलना हुआ, उन्हें फूल तथा अपनी पुस्तक भेंट की. दोपहर को लेखन. परसों दोपहर से जून उदास थे, कल दोपहर बाद तक मन में एक उहापोह सी रही. आज मन ठीक है उनका. कल उन्हें दो दिन के टूर पर जाना है.

तीन दिनों का अंतराल, जून देहली गये तो उस दोपहर देर तक लिखती रही. कल वे वापस आ गये. खाने-पीने के सामान के साथ तीन कुर्तियाँ भी लाये हैं उसके लिए. माया से छूटने का कोई क्या उपाय करे. परमात्मा नित नये बंधन में बाँध रहा है. कल रात को इस समय की भांति तेज वर्षा हो रही थी. जून जोर-जोर से खर्राटे ले रहे थे. उसकी नींद खुल गयी, सुबह सिर भारी था. एक दिन पूर्व किसी ने मस्तक पर अगूँठे का स्पर्श करके जगाया था, इसके बाद एक दिन एक स्पष्ट ध्वनि सुनी, ‘निकल’ और नींद खुल गयी. एक दिन ध्यान करते समय कोई साथ-साथ श्वास ले रहा था. कितने रहस्य छुपे हैं उनके चारों ओर. सुबह सद्गुरू को सुनती है, दिन का आरम्भ कितना सुंदर होता है. आजकल कविता जैसे रूठ गयी है !

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