सुबह आँख जल्दी खुल गयी थी, यहाँ छह बजे तक अँधेरा
रहता है. कुछ देर ध्यान किया, ‘अपने’ घर तक यात्रा की जो उनका वास्तविक घर है. यह
संसार तो कुछ पलों का ही खेल है. उस लोक में जाना अब पलों में घट जाता है. इस
संसार से कोई मोह न रहे तभी ऐसा होता है, शास्त्रों में कितना सही लिखा है,
वैराग्य में कौन सा सुख नहीं है. आज ही समारोह है, जिसके लिए वह आई है. एनजीटी ने पांच करोड़ का जुरमाना लगाया है पर गुरूजी
कहते हैं वे नहीं देंगे. असम का आर्ट ऑफ़ लिविंग का दल दिल्ली पहुंच गया है. उत्सव
स्थल की तस्वीरें व्हाट्सअप ग्रुप पर डाल दी गयी हैं. एक घंटे बाद उन्हें यात्रा
के लिए निकलना है.
दो बजे वे दिल्ली स्टेशन पहुंचे. दो मेट्रो बदल कर घर पहुंचे और भोजन किया जो
भाभी ने साथ में दिया था पर ट्रेन में नहीं खा सके. तीन बजे घर से निकले, द्वारिका
के सेक्टर बारह के मेट्रो स्टेशन पहुंचे, जहाँ लोगों की बहुत भीड़ थी. डेढ़ घंटे बाद
‘मयूर विहार एक्स्टेंशन’ पहुंचे, वहाँ भी भीड़ का वही आलम था, बाहर निकले तो वर्षा
आरम्भ हो गयी. कुछ देर रुककर थमने की प्रतीक्षा की फिर चल पड़े. कीचड़ और फिसलन भरे
रास्ते पर ढाई-तीन किमी भीड़ में धीरे-धीरे चलते हुए यमुना तट पर आर्मी द्वारा
बनाया गया पुल पार किया. आयोजन स्थल पर आये तो कुर्सियां भीगी हुई थीं, उन्हीं पर
बैठे पर स्टेज से काफी दूर बैठे थे सो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था और सामने बैठे
लोग खड़े हो गये थे. मंत्रोच्चार सुना, फिर कथक नृत्य हुआ, पर मन अधिक उत्साहित
नहीं था, थके पैर, भीगे वस्त्र, ठंडी हवा चल बह रही थी, सो सोचा वापस ही चलते हैं.
इतनी यत्नपूर्वक की गयी यात्रा के बाद फिर वैसी ही भीड़ में वापसी की यात्रा..कीचड़
भरे रास्ते पर नृत्य करके आते हुए कलाकार भी चल रहे थे. सुंदर वस्त्र पहने, घाघरा
जरा सा टखनों से ऊपर कर नंगे पावों चलती छोटी-छोटी लडकियों को देखकर उन पर करुणा आ
रही थी, पर वे सब उत्साह से परिपूर्ण थीं. गुरूजी ने सबको एक अनोखे जोश से भर दिया
है. सारे कष्ट सहते हुए भी सभी हंसते रहते हैं. दुनिया के १५५ देशों के कलाकार और
प्रतिनिधि आए हैं या इसे देख रहे हैं. अद्भुत कार्यक्रम है यह अपने आप में अनोखा.
घर पहुंचे तो पौने दस बज चुके थे, भीगे वस्त्र बदले और गर्म-गर्म चॉकलेट वाला दूध
पिया. चीज का परांठा खाने में बनाया, फिर एक घंटे बाद ही नींद आई.
पौने तीन बजे हैं. वे विश्व सांस्कृतिक समारोह के लिए बनाये गये विशाल आयोजन
स्थल पर आ चुके हैं. सामने विशाल स्टेज है, जिस पर रिहर्सल चल रही है. नेपाल का
नृत्य हुआ, फिर घूमर नृत्य, इस समय जर्मनी की रिहर्सल चल रही है जो एक समूहगान गा
रहे हैं. हजारों लोग अभी से आ चुके हैं. शाम होते-होते सभी कुर्सियां भर जाएँगी.
साढ़े ग्यारह बजे वे घर से निकले थे, कल शाम भर वे सब मिलकर टीवी पर कार्यक्रम का
लाइव प्रसारण देखते रहे. अभी-अभी जून का फोन आया, कह रहे थे छह बजे ही वापसी के
लिए रवाना हो जाना चाहिए, पर वे आठ बजे वापस जायेंगे. आज वर्षा के आसार नहीं हैं.
अभी कार्यक्रम शुरू होने में दो घंटे हैं, मोहक संगीत बज रहा है. पाकिस्तान से भी
एक सूफी गायकी का समूह आया है. सीरिया के एक मुफ़्ती भी आये हैं. नरेंद्र मोदी,
शिक्षा मंत्री, गृह मंत्री तथा कई अन्य राजनेता भी उपस्थित हैं. श्री श्री ने कहा
है यह उनका प्राइवेट कार्यक्रम है, सही है क्योंकि सारा विश्व ही उनका परिवार है.
अध्यात्म अणु से विभु बना देता है. लोगों का ताँता लगातार लगा हुआ है. भारत के
कोने-कोने से इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लोग आए हैं. नृत्य और संगीत का
आनन्द लेने तथा गुरूजी का दर्शन पाने. पुलिस के सिपाही भी जगह-जगह तैनात हैं,
महिला पुलिस भी उतनी ही तत्परता से काम कर रही है. इस समय स्टेज पर सुंदर पीत
वस्त्र पहने कलाकार बालाएं तैयार हैं. भाई सर पर छाता लगाये शांति से बैठे हैं,
उन्हें भी उसके साथ धूप में बैठना पड़ रहा है. बड़े से घूमते हुए रॉड से कैमरा
घूम-घूम कर तस्वीरें ले रहा है. कुछ स्वयंसेवक जगह-जगह से कूड़ा उठा रहे हैं, इस
जगह को साफ करके ही वापस सौंपना है. आज के कार्यक्रम में श्रीखोल(एक प्रकार का
ढोल) का वादन है तथा बीहू नृत्य भी. ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ की ग्रैंड सिम्फनी का तो
कहना ही क्या जिसमें साढ़े आठ हजार कलाकार हैं जो पचास तरह के वाद्य यंत्र बजा रहे
हैं. सात बजे तक लोगों की भीड़ इतनी अधिक हो गयी कि कुछ लोग सामने आकर खड़े हो गये,
उन्होंने वापस जाने का मन बनाया. लौटते समय विशाल जनसमूह को देखकर, जो शांति से
बैठकर कार्यक्रम का आनन्द ले रहे थे, मन में गर्व का अनुभव हुआ. लोगों की एक बड़ी
भीड़ अभी भी आया रही थी, उतने ही लोग वापस भी जा रहे थे, पौने तीन घंटे की यात्रा
के बाद घर पहुंचे.
आज सुबह साढ़े पांच बजे स्वतः ही नींद खुल गयी, नहा धोकर साढ़े छह बजे ही तैयार
थी. मंझली भाभी के यहाँ चाय पी, उसने लंच पैक भी दिया. भाई एअरपोर्ट ले आए.
उन्होंने इस सात-आठ दिनों में उसका बहुत ध्यान रखा. उनका स्वभाव बहुत कोमल है,
हृदय सदा सभी की सहायता के लिए तत्पर रहता है. उनके हृदय में भाभी के प्रति
एकनिष्ठ प्रेम की ज्योति जल रही है. एकमात्र पुत्री को भी वे बहुत स्नेह करते हैं.
ध्यान की उनकी समझ भी गहरी है. ईश्वर उन्हें प्रसन्न रखे. जीवन के इस मोड़ पर पर
उन्हें ईश्वरीय शांति ही आगे बढ़ते रहने का बल प्रदान कर सकती है.